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सोमवार, 2 नवंबर 2015

laghukatha

लघुकथा:
अर्थ ३
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मध्य प्रदेश बांगला साहित्य अकादमी रजत जयंती समारोह मुख्य अतिथि वक्ता के नाते भाषा के उद्भव, उपादेयता, स्वर-व्यंजन, लिपि के विकास,विविध भाषाओँ बोलिओं के मध्य सामंजस्य, जीवन में भाषा की भूमिका, भाषा से आजीविका, अनुवाद, लिप्यंतरण तथा स्थानीय, देशज व् राष्ट्रीय भाषा में मध्य अंतर्संबंध जैसे जटिल और नीरस विषय को सहज बनाते हुए हिंदी में अपनी बात पूरी की. महिलाएं, बच्चे तथा पुरुष रूचि लेकर सुनते रहे, उनके चेहरों से पता चलता था कि वे बात समझ रहे हैं, सुनना चाहते हैं.

मेरे बाद भागलपुर से पधारे ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता बांगला प्रोफ़ेसर ने बांगला में बोलना प्रारम्भ किया। विस्मय हुआ की बांगलाभाषी जनों ने हिंदी में कही बात मन से सुनी किन्तु बांगला वक्तव्य आरम्भ होते ही उनकी रूचि लगभग समाप्त हो गयी, आपस में बात-चीत होने लगी. वोिदवान वक्त ने आंकड़े देकर बताया कि गीतांजलि के कितने अनुवाद किस-किस भाषा में हुए. शरत, बंकिम, विवेकानंद आदि कासाहित्य किन-किन भाषाओँ में अनूदित हुआ किन्तु यह नहीं बता सके कि कितनी भाषाओँ का साहित्य बांगला में अनूदित हुआ.

कोई कितना भी धनी हो उसके कोष से धन जाता रहे किन्तु आये नहीं तो तिजोरी खाली हो ही जाएगी। प्रयास कर रहा हूँ कि बांगला भाषा को देवनागरी लिपि में लिखा जाने लगे तो हम मूल रचनाओं को उसी तरह पढ़ सकें जैसे उर्दू की रचनाएँ पढ़ लेते हैं. लिपि के प्रति अंध मोह के कारण वे नहीं समझ पा रहे हैं मेरी बात का अर्थ

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शुक्रवार, 26 अप्रैल 2013

baangla-hindi bhasha setu: puja geet ravindra nath thakur hindi poetic translation sanjiv 'salil'

बाङ्ग्ला-हिंदी भाषा सेतु:

पूजा गीत

रवीन्द्रनाथ ठाकुर

*

जीवन जखन छिल फूलेर मतो

पापडि ताहार छिल शत शत।

बसन्ते से हत जखन दाता

रिए दित दु-चारटि  तार पाता,

तबउ जे तार बाकि रइत कत

आज बुझि तार फल धरेछे,

ताइ हाते ताहार अधिक किछु नाइ।

हेमन्ते तार समय हल एबे

पूर्ण करे आपनाके से देबे

रसेर भारे ताइ से अवनत। 

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पूजा गीत:  रवीन्द्रनाथ ठाकुर

हिंदी काव्यानुवाद : संजीव 



फूलों सा खिलता जब जीवन

पंखुरियां सौ-सौ झरतीं।

यह बसंत भी बनकर दाता 

रहा झराता कुछ पत्ती।

संभवतः वह आज फला है 

इसीलिये खाली हैं हाथ।

अपना सब रस करो निछावर

हे हेमंत! झुककर माथ।

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इस बालकोचित प्रयास में हुई अनजानी त्रुटियों हेतु क्षमा प्रार्थना के साथ गुणिजनों से संशोधन हेतु निवेदन है.