कुल पेज दृश्य

samachar लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
samachar लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

गुरुवार, 27 अप्रैल 2017

samachar

अखिल भारतीय साहित्यकार एवं पत्रकार तृतीय सम्मेलन वर्ष २०१७
(स्व. गोपालराम गहमरी प्रसिद्ध जासूसी उपन्यासकार-स्व. श्रीमती सरोज सिंह संरक्षिका साहित्य सरोज पत्रिका
की पुण्य स्मृति में अखंड गहमरी द्वारा आयोजित)
दिनाँक २४-२५-२६ सितम्बर २०१७
दिन-: रविवार, सोमवार, मंगलवार
(मंगलवार उनके लिए जिनकी वापसी ट्रेन दोपहर एक बजे या उसके बाद हो)
🏚स्थान: आशीर्वाद पैलेस, निकट रेलवे स्टेशन, गहमर, जिला गाजीपुर, उ. प्र.
कार्यक्रम विवरण:
✏ २४ सितम्बर प्रात: १० बजे कार्यक्रम शुभारंभ.. अतिथि परिचय।
✏ ११ बजे परिचर्चा: हिन्दी साहित्य और मीडिया में दूरी क्यों?
✏ शाम ३ बजे परिचर्चा: ग्रामीण क्षेत्रो की प्रतिभाओं का कैसे करे विकास?
✏ संध्या ५ बजे से रात्रि ९ बजे तक गायन एवं नृत्य ।
✏ रात्रि ९ बजे से कवि सम्मेलन।
२५ सितम्बर २०१७ ✏ प्रातः ५ बजे से १० बजे गंगा स्नान, कामाख्या दर्शन, पूजन, गहमर भ्रमण।
✏ १० बजे से १२ बजे सम्मान समारोह।
✏ ०१ बजे से ०३ बजे परिचर्चा भारत की क्षेत्रीय भाषाएँ एवं हिन्दी में तालमेल।
✏ ०३ बजे से ०६ बजे परिचर्चा आखिर क्यों कटघरे में मीडिया?
✏ ०७ बजे से ०९ बजे नृत्य एवं गायन।
✏ ०९ बजे से कवि सम्मेलन।
२६ सितम्बर २०१७ प्रात: ९ बजे से १२ बजे ✏ गरीब बच्चों के बीच साहित्यकार व पत्रकार।(चुने हुए स्कूल में कार्यक्रम )
साझा काव्य संकलन और स्मारिका..
१. साझा काव्य संंकलन का रूप पूर्णत: परिवर्तित होगा। इस साझा संकलन में छपी रचना आपकी अपनी हस्तलिपि में होगी।
२. आपको अपनी रचना सादे सफेद कागज़ पर अपनी हस्तलिपि में बड़े
अक्षरो में साफ-साफ, शुद्ध लिख कर डाक द्वारा भेजनी है।
३. प्रति रचनाकार संक्षिप्त परिचय सहित ४ रचनाये भेज सकते हैं।
४. इस बार साझा संकलन की सहयोग राशि १५०० रूपये है।
५. . पूर्व समारोहों में आ चुके साहित्यकार व अतिथि अपने अनुभव लिख भेजें।
६ . निवास के दौरान मेरी माता जी से भेंट हुई हो तो एक संस्मरण पृथक भेजें।
७. स्मारिका में स्वैच्छिक आर्थिक सहयोग का स्वागत है।
आप बन सकते/सकती हैं कार्यक्रम के विज्ञापन का हिस्सा
१. यदि आप कार्यक्रम के विज्ञापनो में अपनी तस्वीर और चलचित्र देना चाहे तो आप अपने छायाचित्र भेज सकते हैं।
२. पूर्व में हुए कार्यक्रमो के आधार पर प्रचार-प्रसार हेतु ३ गीतो का फिल्माकंन किया जायेगा। इसके लिए कार्यक्रम से संबंधित गीत लिख कर भेज सकते हैं।
नृत्य एवं गायन...
१. आप/आपके बच्चे/आपके परिवार के सदस्य /आपके रिश्तेदार/ आपके दोस्त- मित्र/ जानपहचान वाले जो कत्थक, कुचिपुड़ी या अन्य भारतीय शैली के नृत्य प्रस्तुत करना चाहें, वह अपने नृत्य का २ मिनट का वीडियो भेज दें।
२. आप/आपके बच्चे/आपके परिवार के सदस्य /आपके रिश्तेदार/ आपके दोस्त- मित्र/ जानपहचान वाले जो भी शास्त्रीय संगीत/ क्षेत्रीय भाषाओ एवं विधाओं में या किसी साहित्यकार द्वारा लिखे गीत प्रस्तुत करना चाहे वो अपनी आवाज में रेकार्ड किया कोई गीत गाकर भेज दें।
कान्ति शुक्ला.
संरक्षिका एवं अध्यक्षा सम्मान चयन समिति

शुक्रवार, 13 फ़रवरी 2015

विश्व पुस्तक मेला दिल्ली : नवगीत  पर संवाद 
सूचना-
पुस्तक मेले के इतिहास में पहली बार- १७ फरवरी, २०१५ (मंगलवार), समय - सुबह ११ से १२ बजे के बीच पुस्तक मेले के हॉल सख्या - आठ में नवगीत पर एक विशेष परिचर्चा / संवाद '' समाज का प्रतिबिम्ब हैं नवगीत'' का आयोजन किया गया है। 
इसमें भाग लेने के लिये प्रमुख रूप से ओमप्रकाश तिवारी, डॉ.जगदीश व्योम, डॉ. धनंजय सिंह, आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' एवं सौरभ पांडेय उपस्थित रहेंगे। 
दिल्ली के आसपास रहने वाले तथा पुस्तक मेले के लिये दिल्ली पहुँचे सभी सदस्यों से अनुरोध है कि वे उपरोक्त समय पर पहुँचकर परिचर्चा में भाग लें और इसका लाभ उठाएँ। चर्चा में सहभागिता हेतु १०.१५ तक प्रगति मैदान में पहुच जाएँ 

शनिवार, 3 जनवरी 2015

rashtreey kayasth mahaparishad:

राष्ट्रीय कायस्थ महापरिषद के ब्लॉग का लिंक http://kayasthamahaparishad.blogspot.in/2014/12/smriti-geet_30.html  
फेसबुक पेज का लिंक https://www.facebook.com/groups/1482061668697045/?fref=ts या https://www.facebook.com/groups/713756695348916/ है. 
आप इन पर पधारें तथा इन्हें अधिक उपयोगी बनाने में सहायक हों. 
अपने प्रभाव तथा परिचय क्षेत्र की गतिविधियाँ भेजते रहें. आयोजनों में महापरिषद पदाधिकारियों को आमंत्रित करें।  ब्लॉग पर पदाधिकारी, प्रतिभा, व्यक्तित्व, महापुरुष, तीर्थ स्थान, मंदिर, धर्मशाला आदि की जानकारी  के स्तम्भ तभी उपयोगी होंगे जब इनमें जानकारी आप सबके माध्यम से मिले. 
सभी को नमन. 
जय चित्रगुप्तजी! जय हिन्द!!
शुभाकांक्षी 
आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' 
महामंत्री राष्ट्रीय कायस्थ महापरिषद
समन्वयम २०४ विजय अपार्टमेंट, नेपियर टाउन, जबलपुर ४८२००१ 
चलभाष: ९४२५१ ८३२४४, ईमेल: salil.sanjiv@gmail.com

 

शुक्रवार, 29 जुलाई 2011

एक नवगीत: भोर हुई... संजीव 'सलिल'

एक नवगीत:                                                                           
भोर हुई...
संजीव 'सलिल'
*
भोर हुई, हाथों ने थामा
चैया-प्याली संग अखबार.
अँखिया खोज रहीं हो बेकल
समाचार क्या है सरकार?...
*
कुर्सीधारी शेर पोंछता
खरगोशों के आँसू.
आम आदमी भटका हिरना,
नेता चीता धाँसू.
जनसेवक ले दाम फूलता
बिकता जनगण का घर-द्वार....
*
कौआ सुर में गाये प्रभाती,
शाकाहारी बाज रे.
सिया अवध से है निष्कासित,
व्यर्थ राम का राज रे..
आतंकी है सादर सिर पर
साधु-संत, सज्जन हैं भार....
*
कामशास्त्र पढ़ते हैं छौने,
उन्नत-विकसित देश बजार.
नीति-धर्म नीलाम हो रहे
शर्म न किंचित लेश विचार..
अनुबंधों के प्रबंधों से
संबंधों का बन्टाधार .....
*****
Acharya Sanjiv Salil

शुक्रवार, 3 जून 2011

नवगीत: समाचार है आज का... संजीव वर्मा 'सलिल'

नवगीत:                                                                                                        
समाचार है आज का...
संजीव वर्मा 'सलिल'
*
समाचार है आज का...
मँहगी बहुत दरें नंगई की,
भाव गिरा है ताज का
समाचार है आज का...
साक्षर-शिक्षित देश हुआ पर
समझ घटी यह सत्य है.
कथनी जिसकी साफ़-स्वच्छ
उसका निंदित हर कृत्य है.
लड़े सारिका शुक घर-घर में,
किस्सा सिर्फ न आज का.
खुजली दाद, घूस मंहगाई,
लोभ रोग है खाज का
समाचार है आज का...
*
पनघट पर चौपाल न जाता,
लड़ा खेत खलिहान से.
संझा का बैरी है चंदा,
रूठी रात विहान से.
सीढ़ी-सीढ़ी मुखर देखती
गिरना-उठाना ताज का.
मूलधनों को गँवा दिया फिर
लाभ कमाया ब्याज का.
समाचार है आज का...
*
भक्तों हाथ लुट रहे भगवन,
षड्यंत्रों का दैनिक मंचन.
पश्चिम के कंकर बीने हैं-
त्याग पूर्व की थाती कंचन.
राम भरोसे राज न पूछो
हाल दफ्तरी काज का.
साजिन्दे श्रोता से पूछें
हाल हाथ के साज का.
समाचार है आज का...
*

 

शुक्रवार, 8 अप्रैल 2011

नवगीत: समाचार है... संजीव 'सलिल'

नवगीत:                                                                                          
समाचार है...                                                                     
संजीव 'सलिल'
*
बैठ मुड़ेरे चिड़िया चहके'
समाचार है.
सोप-क्रीम से जवां दिख रही
दुष्प्रचार है...
*
बिन खोले- अख़बार जान लो,
कुछ अच्छा, कुछ बुरा मान लो.
फर्ज़ भुला, अधिकार माँगना-
यदि न मिले तो जिद्द ठान लो..

मुख्य शीर्षक अनाचार है.
और दूसरा दुराचार है.
सफे-सफे पर कदाचार है-
बना हाशिया सदाचार है....

पैठ घरों में टी. वी. दहके
मन निसार है...
*
अब भी धूप खिल रही उज्जवल.
श्यामल बादल, बरखा निर्मल.
वनचर-नभचर करते क्रंदन-
रोते पर्वत, सिसके जंगल..

घर-घर में फैला बजार है.
अवगुन का गाहक हजार है.
नहीं सत्य का चाहक कोई-
श्रम सिक्के का बिका चार है..

मस्ती, मौज-मजे का वाहक
असरदार है...
*
लाज-हया अब तलक लेश है.
चुका नहीं सब, बहुत शेष है.
मत निराश हो बढ़े चलो रे-
कोशिश अब करनी विशेष है..

अलस्सुबह शीतल बयार है.
खिलता मनहर हरसिंगार है.
मन दर्पण की धूल हटायें-
चेहरे-चेहरे पर निखार है..

एक साथ मिल मुष्टि बाँधकर
संकल्पित करना प्रहार है...
*