मुक्तिका:
संजीव
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कैसा लगता काल बताओ?
तनिक मौत को गले लगाओ
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मारा है बहुतों को तड़पा
तड़प-तड़पकर मारे जाओ
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सलमानों के अरमानों की
चिता आप ही आप जलाओ
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समय न माफ़ करेगा तुमको
काम देश के अगर न आओ
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दहशतगर्दों तज बंदूकें
चलो खेत में फसल उगाओ
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३१-७-२०१५
salil.sanjiv@gmail.com
#दिव्यनर्मदा
#divyanarmada
#हिंदी_ब्लॉगर
मुक्तिका:
संजीव
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याद जिसकी भुलाना मुश्किल है
याद उसको न आना मुश्किल है
संजीव
*
याद जिसकी भुलाना मुश्किल है
याद उसको न आना मुश्किल है
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मौत औरों को देना है आसां
मौत को झेल पाना मुश्किल है
मौत को झेल पाना मुश्किल है
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खुद को कहता रहा मसीहा जो
उसका इंसान होना मुश्किल है
उसका इंसान होना मुश्किल है
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तुमने बोले हैं झूठ सौ-सौ पर
एक सच बोल सकना मुश्किल है
एक सच बोल सकना मुश्किल है
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अपने अधिकार चाहते हैं सभी
गैर को हक़ दिलाना मुश्किल है
गैर को हक़ दिलाना मुश्किल है
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salil.sanjiv@gmail.com
#दिव्यनर्मदा
#divyanarmada
#हिंदी_ब्लॉगर