संजीव 'सलिल'
*
वामांगी को कर नमन, रहो सुरक्षित यार.
सुर-नर सह सकते नहीं वामांगी के वार..
*
आप अगर मधुकर बनें, वामांगी मधु-प्यार.
सुखमय हो जीवन जगत, दस दिश खिले बहार..
*
वामांगी सुख-शांति है, वामांगी घर-द्वार.
अमलतास हों आप यदि, वामांगी कचनार..
*
उषा, दिवस, संध्या, निशा, प्रति पल नवल निखार.
हर ऋतु भावन लगे, लख वामांगी-सिंगार..
*
हिम्मत, बल, साधन चुके, कभी न वह भण्डार.
संकट में संबल सुदृढ़, वामांगी सुकुमार..
*
दुर्गा लक्ष्मी शारदा, बल-धन-ज्ञान अपार.
वामांगी चैतन्य चित, महिमा अपरम्पार..
*
माँ, बहिना, भाभी, सखी, साली, सुता निहार.
वामांगी में वास है, सबका लख सहकार..
*
गीत, गजल, दोहा मधुर, अलंकार रस-धार.
नेह निनादित नर्मदा, वामांगी साकार..
*
हाथ-हाथ में, साथ पग, रख चलती हर बार.
वामांगी सच मानिये, शक्ति-मुक्ति आगार..
*
कर वामांगी वंदना, रावण मारें राम.
नरकासुर वध करें मिल, वामांगी-घनश्याम..
*
***********
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वामांगी को कर नमन, रहो सुरक्षित यार.
सुर-नर सह सकते नहीं वामांगी के वार..
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आप अगर मधुकर बनें, वामांगी मधु-प्यार.
सुखमय हो जीवन जगत, दस दिश खिले बहार..
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वामांगी सुख-शांति है, वामांगी घर-द्वार.
अमलतास हों आप यदि, वामांगी कचनार..
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उषा, दिवस, संध्या, निशा, प्रति पल नवल निखार.
हर ऋतु भावन लगे, लख वामांगी-सिंगार..
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हिम्मत, बल, साधन चुके, कभी न वह भण्डार.
संकट में संबल सुदृढ़, वामांगी सुकुमार..
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दुर्गा लक्ष्मी शारदा, बल-धन-ज्ञान अपार.
वामांगी चैतन्य चित, महिमा अपरम्पार..
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माँ, बहिना, भाभी, सखी, साली, सुता निहार.
वामांगी में वास है, सबका लख सहकार..
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गीत, गजल, दोहा मधुर, अलंकार रस-धार.
नेह निनादित नर्मदा, वामांगी साकार..
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हाथ-हाथ में, साथ पग, रख चलती हर बार.
वामांगी सच मानिये, शक्ति-मुक्ति आगार..
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कर वामांगी वंदना, रावण मारें राम.
नरकासुर वध करें मिल, वामांगी-घनश्याम..
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