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बुधवार, 12 जून 2019

विधाता/शुद्धगा छंद

छंद सलिला:
विधाता/शुद्धगा छंद
संजीव
*
छंद लक्षण: जाति यौगिक, प्रति पद २८ मात्रा, 
यति ७-७-७-७ / १४-१४ , ८ वीं - १५ वीं मात्रा लघु
विशेष: उर्दू बहर हज़ज सालिम 'मुफाईलुन मुफाईलुन मुफाईलुन मुफाईलुन' इसी छंद पर आधारित है.
लक्षण छंद:
विधाता को / नमन कर ले , प्रयासों को / गगन कर ले
रंग नभ पर / सिंधु में जल , साज पर सुर / अचल कर ले
सिद्धि-तिथि लघु / नहीं कोई , दिखा कंकर / मिला शंकर
न रुक, चल गिर / न डर, उठ बढ़ , सीकरों को / सलिल कर ले
संकेत: रंग =७, सिंधु = ७, सुर/स्वर = ७, अचल/पर्वत = ७
सिद्धि = ८, तिथि = १५
उदाहरण:
१. न बोलें हम न बोलो तुम , सुनें कैसे बात मन की?
न तोलें हम न तोलो तुम , गुनें कैसे जात तन की ?
न डोलें हम न डोलो तुम , मिलें कैसे श्वास-वन में?
न घोलें हम न घोलो तुम, जियें कैसे प्रेम धुन में?
जात = असलियत, पानी केरा बुदबुदा अस मानुस की जात
२. ज़माने की निगाहों से , न कोई बच सका अब तक
निगाहों ने कहा अपना , दिखा सपना लिया ठग तक
गिले - शिकवे करें किससे? , कहें किसको पराया हम?
न कोई है यहाँ अपना , रहें जिससे नुमायाँ हम
३. है हक़ीक़त कुछ न अपना , खुदा की है ज़िंदगानी
बुन रहा तू हसीं सपना , बुजुर्गों की निगहबानी
सीखता जब तक न तपना , सफलता क्यों हाथ आनी?
कोशिशों में खपा खुदको , तब बने तेरी कहानी
४. जिएंगे हम, मरेंगे हम, नहीं है गम, न सोचो तुम
जलेंगे हम, बुझेंगे हम, नहीं है तम, न सोचो तुम
कहीं हैं हम, कहीं हो तुम, कहीं हैं गम, न सोचो तुम
यहीं हैं हम, यहीं हो तुम, नहीं हमदम, न सोचो तुम
*********
१२-६-२०१४
(अब तक प्रस्तुत छंद: अखण्ड, अग्र, अचल, अचल धृति, अनुगीत, अरुण, अवतार, अहीर, आर्द्रा, आल्हा, इंद्रवज्रा, उड़ियाना, उपमान, उपेन्द्रवज्रा, उल्लाला, एकावली, कुकुभ, कज्जल, कामरूप, कामिनीमोहन, काव्य, कीर्ति, कुण्डल, कुडंली, गीता, गीतिका, गंग, घनाक्षरी, चौबोला, चंडिका, चंद्रायण, छवि, जग, जाया, तांडव, तोमर, त्रिलोकी, दिक्पाल, दीप, दीपकी, दोधक, दृढ़पद, नित, निधि, निश्चल, प्लवंगम्, प्रतिभा, प्रदोष, प्रभाती, प्रेमा, बाला, भव, भानु, मंजुतिलका, मदनअवतार, मदनाग, मधुभार, मधुमालती, मनहरण घनाक्षरी, मनमोहन, मनोरम, मानव, माली, माया, माला, मोहन, मृदुगति, योग, ऋद्धि, रसामृत, रसाल, राजीव, राधिका, रामा, रूपमाला, रोला, लीला, वस्तुवदनक, वाणी, विधाता, विरहणी, विशेषिका, विष्णुपद, शक्तिपूजा, शशिवदना, शाला, शास्त्र, शिव, शुभगति, शोभन, शुद्धगा, शंकर, सरस, सार, सारस, सिद्धि, सिंहिका, सुखदा, सुगति, सुजान, सुमित्र, संपदा, हरि, हेमंत, हंसगति, हंसी)

शनिवार, 23 दिसंबर 2017

vidhata / shuddhaga chhand


                                   रसानंद दे छंद नर्मदा ११३: विधाता / शुद्धगा  छंद
​​​​दोहा, ​सोरठा, रोला, ​आल्हा, सार​,​ ताटंक (चौबोला), रूपमाला (मदन), चौपाई​, ​हरिगीतिका, उल्लाला​, गीतिका, ​घनाक्षरी, बरवै, त्रिभंगी, सरसी, छप्पय, भुजंगप्रयात, कुंडलिनी, सवैया, शोभन/सिंहिका, सुमित्र, सुगीतिका , शंकर, मनहरण (कवित्त/घनाक्षरी), उपेन्द्रव​ज्रा, इंद्रव​​ज्रा, सखी​, विधाता/शुद्धगा, वासव​, ​अचल धृति​, अचल​​, अनुगीत, अहीर, अरुण, अवतार, ​​उपमान / दृढ़पद, एकावली, अमृतध्वनि, नित, आर्द्रा, ककुभ/कुकभ, कज्जल, कमंद, कामरूप, कामिनी मोहन (मदनावतार), काव्य, वार्णिक कीर्ति, कुंडल, गीता, गंग, चण्डिका, चंद्रायण, छवि (मधुभार), जग, जाया, तांडव, तोमर, त्रिलोकी, दिग्पाल / दिक्पाल / मृदुगति, दीप, दीपकी, दोधक, निधि, निश्चल, प्लवंगम, प्रतिभा, प्रदोष, प्रेमा, बाला, भव, भानु, मंजुतिलका, मदनाग, मधुमालती, मनमोहन, मनोरम, मानव, माली (राजीवगण), मरहठा, चुलियाला, मरहठा माधवी, मोहन, निश्छल, योग, रसामृत, रसाल (सुमित्रा), राग, रामा, राधिका, ऋद्धि, निधि, लीला, वस्तुवदनक, वाणी, विमोहा, विरहणी, विशेषिका, माया / मत्तमयूर, माला / चंद्रावती / मणिगुणनिकर, विष्णुपद, शशिवदना /चंडरसा, शास्त्र, शिव, शुभगति/सुगती छंदों से साक्षात के पश्चात् मिलिए विधाता / शुद्धगा छंद से 


छंद लक्षण:  जाति यौगिक, प्रति पद २८ मात्रा, 
                   यति ७-७-७-७ / १४-१४ , ८ वीं - १५ वीं मात्रा लघु 
विशेष: उर्दू बहर हज़ज सालिम 'मुफाईलुन मुफाईलुन मुफाईलुन मुफाईलुन' इसी छंद पर आधारित है. 

लक्षण छंद:


    विधाता को / नमन कर ले , प्रयासों को / गगन कर ले 
    रंग नभ पर / सिंधु में जल , साज पर सुर / अचल कर ले 
    सिद्धि-तिथि लघु / नहीं कोई , दिखा कंकर / मिला शंकर  
    न रुक, चल गिर / न डर, उठ बढ़ , सीकरों को / सलिल कर ले        
    संकेत: रंग =७, सिंधु = ७, सुर/स्वर = ७, अचल/पर्वत = ७ 
               सिद्धि = ८, तिथि = १५ 
उदाहरण:


१.  न बोलें हम न बोलो तुम , सुनें कैसे बात मन की?       
    न तोलें हम न तोलो तुम , गुनें कैसे जात तन की ?  
    न डोलें हम न डोलो तुम , मिलें कैसे श्वास-वन में?   
    न घोलें हम न घोलो तुम, जियें कैसे प्रेम धुन में? 
     जात = असलियत, पानी केरा बुदबुदा अस मानुस की जात 

२. ज़माने की निगाहों से , न कोई बच सका अब तक
   निगाहों ने कहा अपना , दिखा सपना लिया ठग तक     
   गिले - शिकवे करें किससे? , कहें किसको पराया हम?         
   न कोई है यहाँ अपना , रहें जिससे नुमायाँ हम  

३. है हक़ीक़त कुछ न अपना , खुदा की है ज़िंदगानी          
    बुन रहा तू हसीं सपना , बुजुर्गों की निगहबानी
    सीखता जब तक न तपना , सफलता क्यों हाथ आनी?  
    कोशिशों में खपा खुदको , तब बने तेरी कहानी

४. जिएंगे हम, मरेंगे हम, नहीं है गम, न सोचो तुम 
    जलेंगे हम, बुझेंगे हम, नहीं है तम, न सोचो तुम 
    कहीं हैं हम, कहीं हो तुम, कहीं हैं गम, न सोचो तुम 
    यहीं हैं हम, यहीं हो तुम, नहीं हमदम, न सोचो तुम 
                         *********

शुक्रवार, 5 मई 2017

मुक्तिका

छंद बहर का मूल है १२
मुक्तिका
*
वार्णिक छंद: अथाष्टि जातीय छंद 
मात्रिक छंद: यौगिक जातीय विधाता छंद 
१२२२ १२२२ १२२२ १२२२  
मुफ़ाईलुन,मुफ़ाईलुन, मुफ़ाईलुन,मुफ़ाईलुन।
बहरे हज़ज मुसम्मन सालिम।।
*
दियों में तेल या बाती नहीं हो तो करोगे क्या?
लिखोगे प्रेम में पाती नहीं भी तो मरोगे क्या?
बुलाता देश है, आओ! भुला दो दूरियाँ सारी 
बिना गंगा बहाए खून की, बोलो तरोगे क्या? 
पसीना ही न जो बोया, रुकेगी रेत ये कैसे?
न होगा घाट तो बोलो नदी सूखी रखोगे क्या?
परों को ही न फैलाया, नपेगा आसमां कैसे?
न हाथों से करोगे काम, ख्वाबों को चरोगे क्या?
.
न ज़िंदा कौम को भाती कभी भी भीख की बोटी 
न पौधे रोप पाए तो कहीं फूलो-फलोगे क्या? 
-----------
५-५-२०१७
इस बह्र में कुछ प्रचलित गीत
~~~
१. मुहब्बत हो गई जिनको वो परवाने कहां जाएं
२. मुझे तेरी मुहब्बत का सहारा मिल गया होता 
३. चलो इक बार फिर से अजनबी बन जाए हम दोनों 
४. खुदा भी आसमाँ से जब जमीं पर देखता होगा 
५. सुहानी रात ढल चुकी न जाने तुम कब आओगेे 
६. कभी तन्हाइयों में भी हमारी याद आएगी
७. है अपना दिल तो अावारा न जाने किस प आएगा 
८. तेरी दुनिया में आकर के ये दीवाने कहां जाएं
९. बहारों फूल बरसाओ मेरा महबूब आया है
१०. सजन रे झूठ मत बोलो खुदा के पास जाना है

गुरुवार, 12 जून 2014

chhand salila: vidhata chhand -sanjiv

छंद सलिला:
विधाता/शुद्धगाRoseछंद 

संजीव
*
छंद लक्षण:  जाति यौगिक, प्रति पद २८ मात्रा, 
                   यति ७-७-७-७ / १४-१४ , ८ वीं - १५ वीं मात्रा लघु 
विशेष: उर्दू बहर हज़ज सालिम 'मुफाईलुन मुफाईलुन मुफाईलुन मुफाईलुन' इसी छंद पर आधारित है. 

लक्षण छंद:

    विधाता को / नमन कर ले , प्रयासों को / गगन कर ले 
    रंग नभ पर / सिंधु में जल , साज पर सुर / अचल कर ले 
    सिद्धि-तिथि लघु / नहीं कोई , दिखा कंकर / मिला शंकर  
    न रुक, चल गिर / न डर, उठ बढ़ , सीकरों को / सलिल कर ले        
    संकेत: रंग =७, सिंधु = ७, सुर/स्वर = ७, अचल/पर्वत = ७ 
               सिद्धि = ८, तिथि = १५ 
उदाहरण:

१.  न बोलें हम न बोलो तुम , सुनें कैसे बात मन की?       
    न तोलें हम न तोलो तुम , गुनें कैसे जात तन की ?  
    न डोलें हम न डोलो तुम , मिलें कैसे श्वास-वन में?   
    न घोलें हम न घोलो तुम, जियें कैसे प्रेम धुन में? 
     जात = असलियत, पानी केरा बुदबुदा अस मानुस की जात 

२. ज़माने की निगाहों से , न कोई बच सका अब तक
   निगाहों ने कहा अपना , दिखा सपना लिया ठग तक     
   गिले - शिकवे करें किससे? , कहें किसको पराया हम?         
   न कोई है यहाँ अपना , रहें जिससे नुमायाँ हम  

३. है हक़ीक़त कुछ न अपना , खुदा की है ज़िंदगानी          
    बुन रहा तू हसीं सपना , बुजुर्गों की निगहबानी
    सीखता जब तक न तपना , सफलता क्यों हाथ आनी?  
    कोशिशों में खपा खुदको , तब बने तेरी कहानी

४. जिएंगे हम, मरेंगे हम, नहीं है गम, न सोचो तुम 
    जलेंगे हम, बुझेंगे हम, नहीं है तम, न सोचो तुम 
    कहीं हैं हम, कहीं हो तुम, कहीं हैं गम, न सोचो तुम 
    यहीं हैं हम, यहीं हो तुम, नहीं हमदम, न सोचो तुम 
                         *********  
(अब तक प्रस्तुत छंद: अखण्ड, अग्र, अचल, अचल धृति, अनुगीत, अरुण, अवतार, अहीर, आर्द्रा, आल्हा, इंद्रवज्रा, उड़ियाना, उपमान, उपेन्द्रवज्रा, उल्लाला, एकावली, कुकुभ, कज्जल, कामरूप, कामिनीमोहन, काव्य, कीर्ति, कुण्डल, कुडंली, गीता, गीतिका, गंग, घनाक्षरी, चौबोला, चंडिका, चंद्रायण, छवि, जग, जाया, तांडव, तोमर, त्रिलोकी, दिक्पाल, दीप, दीपकी, दोधक, दृढ़पद, नित, निधि, निश्चल, प्लवंगम्, प्रतिभा, प्रदोष, प्रभाती, प्रेमा, बाला, भव, भानु, मंजुतिलका, मदनअवतार, मदनाग, मधुभार, मधुमालती, मनहरण घनाक्षरी, मनमोहन, मनोरम, मानव, माली, माया, माला, मोहन, मृदुगति, योग, ऋद्धि, रसामृत, रसाल, राजीव, राधिका, रामा, रूपमाला, रोला, लीला, वस्तुवदनक, वाणी, विधाता, विरहणी, विशेषिका, विष्णुपद, शक्तिपूजा, शशिवदना, शाला, शास्त्र, शिव, शुभगति, शोभन, शुद्धगा, शंकर, सरस, सार, सारस, सिद्धि, सिंहिका, सुखदा, सुगति, सुजान, सुमित्र, संपदा, हरि, हेमंत, हंसगति, हंसी)