निधन/स्मरण :
वरिष्ठ कवयित्री शान्ति देवी वर्मा का निधन
वरिष्ठ कवयित्री शान्ति देवी वर्मा का निधन
जबलपुर, २४-११-२००८।
वरिष्ठ कवयित्री व लेखिका श्रीमती शान्ति देवी वर्मा का ८६ वर्ष की आयु में आज जबलपुर में निधन हो गया। बापू के नेतृत्व में स्वंतंत्रता सत्याग्रही बनने के लिए ऑनरेरी मजिस्ट्रेट पद से त्यागपत्र देकर विदेशी वस्त्रों की होली जलानेवाले राय बहादुर माता प्रसाद सिन्हा 'रईस' मैनपुरी उत्तर प्रदेश की ज्येष्ठ पुत्री शान्ति देवी का विवाह जबलपुर मध्य प्रदेश के स्वतंत्रता सत्याग्रही स्व. ज्वाला प्रसाद वर्मा के छोटे भाई श्री राजबहादुर वर्मा सेवा निवृत्त जेल अधीक्षक से हुआ था। साहित्यिक संस्था 'अभियान' जबलपुर, रचनाकारों हेतु दिव्य नर्मदा अलंकरण, दिव्य नर्मदा पत्रिका तथा समन्वय प्रकाशन की स्थापना कर नगर की साहित्यिक चेतना को गति देने में उन्होंने महती भूमिका निभायी। अपने पुत्र संजीव वर्मा 'सलिल', पुत्री आशा वर्मा तथा पुत्रवधू डॉ. साधना वर्मा को साहित्यिक रचनाकर्म तथा समाज व् पर्यावरण सुधार के कार्यक्रमों के माध्यम से सतत समर्पित रहने की प्रेरणा उनहोंने दी। उनके निधन के साथ इतिहास का एक अध्याय समाप्त हो गया। उनके अन्तिम संस्कार में सनातन सलिला नर्मदा तट पर ग्वारीघाट में बड़ी संख्या में साहित्यकार, समाज सुधारक तथा सम्बन्धी सम्मिलित हुए।
वरिष्ठ कवयित्री व लेखिका श्रीमती शान्ति देवी वर्मा का ८६ वर्ष की आयु में आज जबलपुर में निधन हो गया। बापू के नेतृत्व में स्वंतंत्रता सत्याग्रही बनने के लिए ऑनरेरी मजिस्ट्रेट पद से त्यागपत्र देकर विदेशी वस्त्रों की होली जलानेवाले राय बहादुर माता प्रसाद सिन्हा 'रईस' मैनपुरी उत्तर प्रदेश की ज्येष्ठ पुत्री शान्ति देवी का विवाह जबलपुर मध्य प्रदेश के स्वतंत्रता सत्याग्रही स्व. ज्वाला प्रसाद वर्मा के छोटे भाई श्री राजबहादुर वर्मा सेवा निवृत्त जेल अधीक्षक से हुआ था। साहित्यिक संस्था 'अभियान' जबलपुर, रचनाकारों हेतु दिव्य नर्मदा अलंकरण, दिव्य नर्मदा पत्रिका तथा समन्वय प्रकाशन की स्थापना कर नगर की साहित्यिक चेतना को गति देने में उन्होंने महती भूमिका निभायी। अपने पुत्र संजीव वर्मा 'सलिल', पुत्री आशा वर्मा तथा पुत्रवधू डॉ. साधना वर्मा को साहित्यिक रचनाकर्म तथा समाज व् पर्यावरण सुधार के कार्यक्रमों के माध्यम से सतत समर्पित रहने की प्रेरणा उनहोंने दी। उनके निधन के साथ इतिहास का एक अध्याय समाप्त हो गया। उनके अन्तिम संस्कार में सनातन सलिला नर्मदा तट पर ग्वारीघाट में बड़ी संख्या में साहित्यकार, समाज सुधारक तथा सम्बन्धी सम्मिलित हुए।