कुल पेज दृश्य

anugeet chhand लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
anugeet chhand लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

शनिवार, 15 जुलाई 2017

anugeet chhand

रसानंद दे छंद नर्मदा ३८ : छन्द

दोहा, सोरठा, रोला, आल्हा, सार, ताटंक, रूपमाला (मदन), चौपाई, हरिगीतिका, उल्लाला,गीतिका,घनाक्षरी, बरवै, त्रिभंगी, सरसी, छप्पय, भुजंगप्रयात, कुंडलिनी, सवैया, शोभन या सिंहिका, सुमित्र, सुगीतिका, शंकर, मनहरण (कवित्त/घनाक्षरी), उपेन्द्रवज्रा, इंद्रवज्रा, सखी, वासव, अचल धृति, अचल छंदों से साक्षात के पश्चात् मिलिए अनुगीत छंद से
अनुगीत छंद
संजीव
*
छंद लक्षण: जाति महाभागवत, प्रति पद २६ मात्रा,
यति१६-१०, पदांत लघु
लक्षण छंद:
अनुगीत सोलह-दस कलाएँ , अंत लघु स्वीकार
बिम्ब रस लय भाव गति-यतिमय , नित रचें साभार
उदाहरण:
१. आओ! मैं-तुम नीर-क्षीरवत, एक बनें मिलकर
देश-राह से शूल हटाकर, फूल रखें चुनकर
आतंकी दुश्मन भारत के, जा न सकें बचकर
गढ़ पायें समरस समाज हम, रीति नयी रचकर

२. धर्म-अधर्म जान लें पहलें, कर्तव्य करें तब
वर्तमान को हँस स्वीकारें, ध्यान धरें कल कल
किलकिल की धारा मोड़ें हम, धार बहे कलकल
कलरव गूँजे दसों दिशा में, हरा रहे जंगल

३. यातायात देखकर चलिए, हो न कहीं टक्कर
जान बचायें औरों की, खुद आप रहें बचकर
दुर्घटना त्रासद होती है, सहें धीर धरकर
पीर-दर्द-दुःख मुक्त रहें सब, जीवन हो सुखकर
*********
१५-७-२०१६
salil.sanjiv@gmail.com
#divyanarmada.blogspot.com
#हिंदी_ब्लॉगर

रविवार, 17 जुलाई 2016

anugeet chhand

रसानंद दे छंद नर्मदा ३८ : छन्द

दोहा, सोरठा, रोला, आल्हा, सार, ताटंक, रूपमाला (मदन), चौपाई, हरिगीतिका, उल्लाला,गीतिका,घनाक्षरी, बरवै, त्रिभंगी, सरसी, छप्पय, भुजंगप्रयात, कुंडलिनी, सवैया, शोभन या सिंहिका, सुमित्र, सुगीतिका, शंकर, मनहरण (कवित्त/घनाक्षरी), उपेन्द्रवज्रा, इंद्रवज्रा, सखी, वासव, अचल धृति, अचल छंदों से साक्षात के पश्चात् मिलिए अनुगीत छंद से
अनुगीत छंद
संजीव
*
छंद लक्षण: जाति महाभागवत, प्रति पद २६ मात्रा,
यति१६-१०, पदांत लघु
लक्षण छंद:
अनुगीत सोलह-दस कलाएँ , अंत लघु स्वीकार
बिम्ब रस लय भाव गति-यतिमय , नित रचें साभार
उदाहरण:
१. आओ! मैं-तुम नीर-क्षीरवत , एक बनें मिलकर
देश-राह से शूल हटाकर , फूल रखें चुनकर
आतंकी दुश्मन भारत के , जा न सकें बचकर
गढ़ पायें समरस समाज हम , रीति नयी रचकर
२. धर्म-अधर्म जान लें पहलें , कर्तव्य करें तब
वर्तमान को हँस स्वीकारें , ध्यान धरें कल कल
किलकिल की धारा मोड़ें हम , धार बहे कलकल
कलरव गूँजे दसों दिशा में , हरा रहे जंगल
३. यातायात देखकर चलिए , हो न कहीं टक्कर
जान बचायें औरों की , खुद आप रहें बचकर
दुर्घटना त्रासद होती है , सहें धीर धरकर
पीर-दर्द-दुःख मुक्त रहें सब , जीवन हो सुखकर
*********

बुधवार, 11 जून 2014

chhand salila: anugeet chhand -sanjiv

छंद सलिला:
अनुगीतRoseछंद 

संजीव
*
छंद लक्षण:  जाति महाभागवत, प्रति पद २६ मात्रा, 
                   यति१६-१०, पदांत लघु 

लक्षण छंद:

    अनुगीत सोलह-दस कलाएँ , अंत लघु स्वीकार
    बिम्ब रस लय भाव गति-यतिमय , नित रचें साभार     
    
उदाहरण:

१. आओ! मैं-तुम नीर-क्षीरवत , एक बनें मिलकर
   देश-राह से शूल हटाकर , फूल रखें चुनकर     
   आतंकी दुश्मन भारत के , जा न सकें बचकर      
   गढ़ पायें समरस समाज हम , रीति नयी रचकर    

२. धर्म-अधर्म जान लें पहलें , कर्तव्य करें तब            
    वर्तमान को हँस स्वीकारें , ध्यान धरें कल कल
    किलकिल की धारा मोड़ें हम , धार बहे कलकल 
    कलरव गूँजे दसों दिशा में , हरा रहे जंगल    

३. यातायात देखकर चलिए , हो न कहीं टक्कर          
    जान बचायें औरों की , खुद आप रहें बचकर  
    दुर्घटना त्रासद होती है , सहें धीर धरकर  
    पीर-दर्द-दुःख मुक्त रहें सब , जीवन हो सुखकर
                         *********  
(अब तक प्रस्तुत छंद: अखण्ड, अग्र, अचल, अचल धृति, अनुगीत, अरुण, अवतार, अहीर, आर्द्रा, आल्हा, इंद्रवज्रा, उड़ियाना, उपमान, उपेन्द्रवज्रा, उल्लाला, एकावली, कुकुभ, कज्जल, कामरूप, कामिनीमोहन, काव्य, कीर्ति, कुण्डल, कुडंली, गीता, गीतिका, गंग, घनाक्षरी, चौबोला, चंडिका, चंद्रायण, छवि, जग, जाया, तांडव, तोमर, त्रिलोकी, दिक्पाल, दीप, दीपकी, दोधक, दृढ़पद, नित, निधि, निश्चल, प्लवंगम्, प्रतिभा, प्रदोष, प्रभाती, प्रेमा, बाला, भव, भानु, मंजुतिलका, मदनअवतार, मदनाग, मधुभार, मधुमालती, मनहरण घनाक्षरी, मनमोहन, मनोरम, मानव, माली, माया, माला, मोहन, मृदुगति, योग, ऋद्धि, रसामृत, रसाल, राजीव, राधिका, रामा, रूपमाला, रोला, लीला, वस्तुवदनक, वाणी, विरहणी, विशेषिका, शक्तिपूजा, शशिवदना, शाला, शास्त्र, शिव, शुभगति, शोभन, शंकर, सरस, सार, सारस, सिद्धि, सिंहिका, सुखदा, सुगति, सुजान, सुमित्र, संपदा, हरि, हेमंत, हंसगति, हंसी)