कुल पेज दृश्य

pratibha chhand लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
pratibha chhand लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

बुधवार, 26 मार्च 2014

chhand salila: pratibha chhand -sanjiv

छंद सलिला:
प्रतिभा छंद
संजीव
*
लक्षण: मात्रिक छंद, जाति मानव, प्रति चरण मात्रा १४ मात्रा, चरणारंभ लघु, चरणांत गुरु
लक्षण छंद:
लघु अारंभ सुअंत बड़ा
प्रतिभा ले मनु हुआ खड़ा
कण-कण से संसार गढ़ा
पथ पर पग-पग 'सलिल' बढ़ा
उदाहरण:
१. प्रतिभा की राह न रोको 

   बढ़ते पग बढ़ें, न टोको
   लघु कोशिश अंत बड़ा हो
   निज पग पर व्यक्ति खड़ा हो

२. हमारी आन है हिंदी
   हमारी शान है हिंदी
   बनेगी विश्व भाषा भी
   हमारी जान है हिंदी
३. प्रखर है सूर्य नित श्रम का
   मुखर विश्वास निज मन का
   प्रयासों का लिए मनका
   सतत फेरे- बढ़े तिनका
 *********************************************
 (अब तक प्रस्तुत छंद: अखण्ड, अग्र, अचल, अचल धृति, अहीर, आर्द्रा, आल्हा, इंद्रवज्रा, उपेन्द्रवज्रा, उल्लाला, एकावली, ककुभ, कज्जल, कीर्ति, गंग, घनाक्षरी, चौबोला, चंडिका, छवि, जाया, तांडव, तोमर, दीप, दोधक, नित, निधि, प्रतिभा, प्रदोष, प्रेमा, बाला, भव, मधुभार, मनहरण घनाक्षरी, मानव, माली, माया, माला, ऋद्धि, राजीव, रामा, लीला, वाणी, शक्तिपूजा, शशिवदना, शाला, शिव, शुभगति, सार, सिद्धि, सुगति, सुजान, हंसी)