कुल पेज दृश्य

swatantrata satyagrahi लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
swatantrata satyagrahi लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

शुक्रवार, 5 नवंबर 2010

दीपावली पर मुक्तकांजलि: -- संजीव 'सलिल'

दीपावली पर मुक्तकांजलि:

संजीव 'सलिल'
*
सत्य-शिव-सुंदर का अनुसन्धान है दीपावली.
सत-चित-आनंद का अनुगान है दीपावली..
प्रकृति-पर्यावरण के अनुकूल जीवन हो 'सलिल'-
मनुजता को समर्पित विज्ञान है दीपावली..
*
धर्म, राष्ट्र, विश्व पर अभिमान है दीपावली.
प्रार्थना, प्रेयर सबद, अजान है दीपावली..
धर्म का है मर्म निरासक्त कर्म ही 'सलिल'-
निष्काम निष्ठा लगन का सम्मान है दीपावली..
*
पुरुषार्थ को परमार्थ की पहचान है दीपावली.
आँख में पलता हसीं अरमान है दीपावली..
आन-बान-शान से जीवन जियें हिलमिल 'सलिल'-
अस्त पर शुभ सत्य का जयगान है दीपावली..
*
निस्वार्थ सेवा का सतत अभियान है दीपावली.
तृषित अधरों की मधुर मुस्कान है दीपावली..
तराश कर कंकर को शंकर जो बनाते हैं 'सलिल'-
वही सृजन शक्तिमय इंसान हैं दीपावली..
*
सर्व सुख के लिये निज बलिदान है दीपावली.
आस्था, विश्वास है, ईमान है दीपावली..
तूफ़ान में जो अँधेरे से जीतता लड़कर 'सलिल'-
उसी नन्हे दीप का यशगान है दीपावली..

**************

गुरुवार, 30 सितंबर 2010

दोहा सलिला: राम सत्य हैं, राम शिव....... संजीव 'सलिल'

दोहा सलिला:

राम सत्य हैं, राम शिव.......
संजीव 'सलिल'
*
राम सत्य हैं, राम शिव, सुन्दरतम हैं राम.
घट-घटवासी राम बिन सकल जगत बेकाम..

वध न सत्य का हो जहाँ, वही राम का धाम.
अवध सकल जग हो सके, यदि मन हो निष्काम..

न्यायालय ने कर दिया, आज दूध का दूध.
पानी का पानी हुआ, कह न सके अब दूध..

देव राम की सत्यता, गया न्याय भी मान.
राम लला को मान दे, पाया जन से मान..

राम लला प्रागट्य की, पावन भूमि सुरम्य.
अवधपुरी ही तीर्थ है, सुर-नर असुर प्रणम्य..

शुचि आस्था-विश्वास ही, बने राम का धाम.
तर्क न कागज कह सके, कहाँ रहे अभिराम?.

आस्थालय को भंगकर, आस्थालय निर्माण.
निष्प्राणित कर प्राण को, मिल न सके सम्प्राण..

मन्दिर से मस्जिद बने, करता नहीं क़ुबूल.
कहता है इस्लाम भी, मत कर ऐसी भूल..

बाबर-बाकी ने कभी, गुम्बद गढ़े- असत्य.
बनीं बाद में इमारतें, निंदनीय दुष्कृत्य..

सिर्फ देवता मत कहो, पुरुषोत्तम हैं राम.
राम काम निष्काम है, जननायक सुख-धाम..

जो शरणागत राम के, चरण-शरण दें राम.
सभी धर्म हैं राम के, चाहे कुछ हो नाम..

पैगम्बर प्रभु के नहीं, प्रभु ही हैं श्री राम.
पैगम्बर के प्रभु परम, अगम अगोचर राम..

सदा रहे, हैं, रहेंगे, हृदय-हृदय में राम.
दर्शन पायें भक्तजन, सहित जानकी वाम..

रामालय निर्माण में, दें मुस्लिम सहयोग.
सफल करें निज जन्म- है, यह दुर्लभ संयोग..

पंकिल चरण पखार कर, सलिल हो रहा धन्य.
मल हर निर्मल कर सके, इस सा पुण्य न अन्य..

**************************
Acharya Sanjiv Salil

http://divyanarmada.blogspot.com/

गुरुवार, 1 अप्रैल 2010

श्रद्धांजलि :: स्वतंत्रता सत्याग्रही सुशीला देवी दीक्षित दिवंगत :: दिव्य नर्मदा परिवार श्रद्धांजलि





 दिव्य नर्मदा परिवार की श्रद्धांजलि;

स्वातंत्र्य सत्याग्रही श्रीमती सुशीला देवी दीक्षित के प्रति काव्यांजलि:

भारत माँ रक्षा के हित, तुमने दी थी कुर्बानी.
नेह नर्मदा सदृश तुम्हारी, अमृतमय निर्मल वाणी..
स्निग्ध दृष्टि, ममतामय आनन्, तुम जग जननी लगती थीं.
मैया की संज्ञा तुम पर ही सत्य कहूँ मैं सजती थी..
दुर्बल काया सुदृढ़ मनोबल, 'आई' तुम थीं स्नेहागार.
बिना तुम्हारे स्मृतियों का सूना ही लगता संसार..
छाया प्रभा विनोद तुम्हारे सांस-सांस में बसते थे.
पाया था रेवा प्रसाद, तुम उनमें थीं वे तुममें थे..
पाँच पीढ़ियों से जुड़कर तुम सचमुच युग निर्माता थीं.
माया-मोह न व्यापा तुमको, तुम निज भाग्य विधाता थीं..
स्नेह 'सलिल' को मिला तुम्हारा, पूर्व जन्म के पुण्य फले.
चली गयीं तुम विकल खड़े हम, अपने खाली हाथ मले..
तुममें था इतिहास समाया, घटनाओं का हिस्सा तुम.
जो न समय देखा था हमने, सुना सकीं थीं किस्सा तुम..
तुम अभियान राष्ट्र सेवा का, तुम पाथेय-प्रेरणा थीं.
मूर्तिमंत तुम लोकभावना,  तुम ही लोक चेतना थीं..
नत मस्तक शत वन्दन कर हम, अपना भाग्य सराह रहे.
पाया था आशीष तुम्हारा, यादों में अवगाह रहे..
काया नहीं तुम्हारी लेकिन छाया-माया शेष यहीं.
'सलिल' प्रेरणा तुम जीवन की, भूलेंगे हम तुम्हें नहीं.
**************************