मुक्तिका:
मुहब्बत
संजीव 'सलिल'
*
खुदा की हसीं दस्तकारी मुहब्बत,
इन्सां की है ह्स्तकारी मुहब्बत।
*
चक्कर पे चक्कर लगाकर थको जब,
तो बोलो उसे लस्तकारी मुहब्बत।
*

भेजे संदेशा, न मन में भरोसा,
कहें क्यों करें? कष्टकारी मुहब्बत।
*

दुनिया को जीता मगर दिल को हारा,
दिलवर यही पस्तकारी मुहब्बत।
*
रखे एक पर जब नजर दूसरा तो,
कहते उसे गश्तकारी मुहब्बत।
*
छिपे धूप से रवि, शशि चांदनी से,
यही है यही अस्तकारी मुहब्बत।
*

मन से मिले मन, न मिलकर हो उन्मन,
मन न भरे, मस्तकारी मुहब्बत।
*
'सलिल' एक रूठे, मनाये न दूजा,
समझिए हुई ध्वस्तकारी मुहब्बत।
*

मिलकर बिछड़ते, बिछड़कर मिलें जो,
करते 'सलिल' किस्तकारी मुहब्बत।
*
Acharya Sanjiv verma 'Salil'
http://divyanarmada.blogspot.com
http://hindihindi.in
मुहब्बत
संजीव 'सलिल'
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खुदा की हसीं दस्तकारी मुहब्बत,
इन्सां की है ह्स्तकारी मुहब्बत।
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चक्कर पे चक्कर लगाकर थको जब,
तो बोलो उसे लस्तकारी मुहब्बत।
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भेजे संदेशा, न मन में भरोसा,
कहें क्यों करें? कष्टकारी मुहब्बत।
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दुनिया को जीता मगर दिल को हारा,
दिलवर यही पस्तकारी मुहब्बत।
*
रखे एक पर जब नजर दूसरा तो,
कहते उसे गश्तकारी मुहब्बत।
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छिपे धूप से रवि, शशि चांदनी से,
यही है यही अस्तकारी मुहब्बत।
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मन से मिले मन, न मिलकर हो उन्मन,
मन न भरे, मस्तकारी मुहब्बत।
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'सलिल' एक रूठे, मनाये न दूजा,
समझिए हुई ध्वस्तकारी मुहब्बत।
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मिलकर बिछड़ते, बिछड़कर मिलें जो,
करते 'सलिल' किस्तकारी मुहब्बत।
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Acharya Sanjiv verma 'Salil'
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