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शुक्रवार, 18 अगस्त 2017

shuddhgeeta chhand

छंद सलिला: पहले एक पसेरी पढ़ / फिर तोला लिख... 
पाठ १०४
नव प्रयोग: शुद्धगीता छंद
*
छंद सलिला सतत प्रवहित, मीत अवगाहन करें।
शारदा का भारती सँग, विहँस आराधन करें।।  
*
जन्म ब्याह राखी तिलक, गृह-प्रवेश त्यौहार।  
सलिल बचा पौधे लगा, दें पुस्तक उपहार
।। 
*
लक्षण:
१. ४ पंक्ति।
२. प्रति पंक्ति २७ मात्रा।
३. १४-१३ मात्राओं पर यति।
४. हर पंक्ति के अंत में गुरु-लघु मात्रा।
५. हर २ पंक्ति में सम तुकांत। 
लक्षण छंद:
शुद्धगीता छंद रचना, सत्य कहना कवि न भूल। 
सम प्रशंसा या कि निंदा, फूल दे जग या कि शूल।।
कला चौदह संग तेरह, रहें गुरु-लघु ही पदांत। 
गगनचुंबी गिरे बरगद, दूब सह तूफ़ान शांत।। 
उदाहरण:
कौन है किसका सगा कह, साथ जो देता न छोड़? 
गैर क्यों मानें उसे जो, साथ लेता बोल होड़।।
दे चुनौती, शक्ति तेरी बढ़ाता है वह सदैव। 
आलसी तू हो न पाए, गर्व की तज दे कुटैव।।
***
हिंदी आटा माढ़िये, उर्दू मोयन डाल
सलिल संस्कृत सान दे, पूड़ी बने कमाल
*
salil.sanjiv@gmail.com, ९४२५१८३२४४
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