कुल पेज दृश्य

paridhiheen pyar लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
paridhiheen pyar लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

शुक्रवार, 25 अक्टूबर 2013

kavita: paridhiheen pyaar -sanjiv


एक प्रयोग:
परिधिहीन है प्यार
संजीव
*
परिधिहीन है प्यार हमारा
चक्रव्यूह है चाह हमारी
सीधी रेखा मेहनत का पथ
वर्तुल-विषमय डाह बिचारी
वक्र लकीरें करतल अंकित
त्रिभुज चतुर्भुज वक्र चाप भी
व्यास-आस है लक्ष्य बिंदु सा
कर्ण-वृत्त वरदान, शाप भी
अंक अंक में गुणित वर्ग घन
धन ऋण ऋण का हुआ गुणनफल 
धन धन मिल ऋण कभी न होता
गुणा-भाग विपरीत चलन चल 
भिन्न विभिन्न अभिन्न बूझना
सरल नहीं है, कठिन न मानो
प्रतिषत समय काम दूरी से
सजग रहो अति निकट न जानो
चलनकलन के समीकरण भी
खेल रहे हैं आँख मिचौली
बनते-मिटते रहे समुच्चय
हेरें चुप अमराई-निम्बोली
अंक बीज रेखाओं की तिथि
हर कपाल पर होती अंकित
भाग्यविधाता पग-पग पग रख
मंजिल करता पथ पर टंकित
=================
facebook: sahiyta salila / sanjiv verma 'salil'