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रविवार, 19 नवंबर 2017

ram dohavali

राम दोहावली
लक्ष्य रखे जो एक ही, वह जन परम सुजान।
लख न लक्ष मन चुप करे, साध तीर संधान।।
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लखन लक्ष्मण या कहें, लछ्मन उसको आप

राम-काम सौमित्र का, हर लेता संताप

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सिया-सिंधु की उर्मि ला, अँजुरी रखें अँजोर

लछ्मन-मन नभ, उर्मिला मनहर उज्ज्वल भोर

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लखन-उर्मिला देह-मन, इसमें उसका वास

इस बिन उसका है कहाँ, कहिए अन्य सु-वास

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मन में बसी सुवास है, उर्मि लखन हैं फ़ूल

सिया-राम गलहार में, शोभित रहते झूल
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