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बुधवार, 29 मई 2013

geet tum naheen hote manoshi

गीत    



तुम नहीं होते…
--मानोशी
*
तुम नहीं होते अगर जीवन विजन सा द्वीप होता। 

मैं किरण भटकी हुई सी थी तिमिर में, 
काँपती सी एक पत्ती 
ज्यों शिशिर में, 
भोर का सूरज बने तुम,
पथ दिखाया,
ऊष्मा से भर नया 
जीवन सिखाया।

तुम बिना जीवन निठुर, मोती रहित इक सीप होता।

चंद्रिका जैसे बनी है चन्द्र-रमणी,
प्रणय-मदिरा पी गगन में
फिरे तरुणी, 
मन हुआ गर्वित मगर 
क्योंकर लजाया?
हृद-सिंहासन पर मुझे 
तुमने सजाया।

तुम नहीं तो यही जीवन लौ बिना इक दीप होता ।

शुक्र का जैसे गगन में 
चाँद संबल,  
मील का पत्थर बढ़ाता 
पथिक का बल,
दी दिशा चंचल नदी को 
कूल बन कर, 
तुम मिले किस प्रार्थना के 
फूल बन कर? 
जो नहीं तुम यह हृदय-प्रासाद बिना महीप होता।
अंजुमन प्रकाशन द्वारा सद्य प्रकाशित कृत "उन्मेष" से