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रविवार, 5 सितंबर 2010

मैथिली की पाठशाला २ : कुसुम ठाकुर


मैथिली की पाठशाला २        

इस स्तम्भ में हिन्दी, मैथिली, भोजपुरी  में एक साथ रचनाकर्म करनेवाली कुसुम ठाकुर जी मैथिली सिखाएँगी. सभी सहभागिता हेतु आमंत्रित हैं. 

कुसुम ठाकुर.



कुसुम : दूसरा  पाठ.

सलिल : जी, प्रारंभ  करिए .
कुसुम : अहाँक  गाम  कतय  अछि   .
          आपका गाँव कहाँ है ? 
          हम जबलपुर के रहयवाला छी .
          मैं जबलपुर का रहनेवाला हूँ .
सलिल : अच्छा.
हम उस देस के रहयवाला छी  जहाँ  गंगा  बहत  छी.
कुसुम : ठीक  है.बताती  हूँ.
           हम ओहि देश केर रहय वाला छी, जाहि देश में गंगा मैया बहैत छथि .

आजका पाठ  इतना  ही,  कल  परीक्षा  लूँगी दो  दिनों  के  पाठ  की.
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मैथिली की पाठशाला: कुसुम ठाकुर

मैथिली की पाठशाला १      

इस स्तम्भ में हिन्दी, मैथिली, भोजपुरी  में एक साथ रचनाकर्म करनेवाली कुसुम ठाकुर जी मैथिली सिखाएँगी. सभी सहभागिता हेतु आमंत्रित हैं. 

कुसुम ठाकुर.

पहला वाक्य .....अहाँ केर नाम की अछि ?   = आपका  नाम  क्या है?


कुसुम : ता  आय  सा  हम  सब  मैथिलि  में  गप्प  करब.
सलिल : गप्प  में  मजा  मिलब .
मैथिली  सीख  के  विद्यापति  को  पढ़ब .
कुसुम : गप्प  निक  लगत  आ  आनादित  करत.
सलिल : गप्प  करब  से  गप्पी  तो  न  कहाब ?
कुसुम : मैथिलि  सीखी  का  विद्यापति  के  रचना  पढ़ब.
सलिल : कहाँ  पाब ?
कुसुम : हम  अहांके  पाठ  देब विद्यापतिक  रचना.
सलिल : अवश्य . कृपा करब.
कुसुम : अवश्य  ....मुदा  कृपा  नहीं  इ  हमर  सौभाग्य  होयत.

सलिल  : ई  आपका  बड़प्पन  होब.
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