बाल मुक्तिका:
हरियल तोता
संजीव 'सलिल'
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सबका प्यारा हरियल तोता.
चुग्गा चुगता खुशियाँ बोता..
आसमान में उड़ते तोते
देख-देख मन ही मन रोता..
पिंजरे में सिर पटक-पटककर
अमन-चैन, सुध-बुध भी खोता..
नासमझी कर पलट कटोरी
पानी की- प्यासा ही सोता..
सुबह-सुबह जग राम-राम कह
सबको सुख देकर खुश होता..
भीगे चने मिर्च ताज़ा फल
रुच-रुच खाता ज्यों हो न्योता..
गर्मी लगती पंख भिगाता
फिर फैला पर सुखा-निचोता..
हीरामन को दिखती मैना.
नैन लड़ाता, दिल भी खोता..
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Acharya Sanjiv verma 'Salil'
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