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बुधवार, 28 नवंबर 2018

एक रचना

नागनाथ साँपनाथ, जोड़ते मिले हों हाथ, मतदान का दिवस, फिर निकट है मानिए। 

चुप रहे आज तक, न रहेंगे अब चुप, ई वी एम से जवाब, दें न बैर ठानिए।।

सारी गंदगी की जड़, दलवाद है 'सलिल', नोटा का बटन चुन,  निज मत बताइए- 

लोकतंत्र जनतंत्र, प्रजातंत्र गणतंत्र, कैदी न दलों का रहे, नव आजादी लाइए।।                                         ***                                                              संजीव, २८-११-२०१८।      http://divyanarmada.blogspot.in/

रविवार, 29 अक्टूबर 2017

navgeet

नवगीत:
ज़िम्मेदार
नहीं है नेता
छप्पर औरों पर 
धर देता
वादे-भाषण
धुआंधार कर
करे सभी सौदे
उधार कर
येन-केन
वोट हर लेता
सत्ता पाते ही
रंग बदले
यकीं न करना
किंचित पगले
काम पड़े
पीठ कर लेता
रंग बदलता
है पल-पल में
पारंगत है
बेहद छल में
केवल अपनी
नैया खेता
***

navgeet

नवगीत:
आओ रे!
मतदान करो
भारत भाग्य विधाता हो
तुम शासन-निर्माता हो
संसद-सांसद-त्राता हो
हमें चुनो
फिर जियो-मरो
कैसे भी
मतदान करो
तूफां-बाढ़-अकाल सहो
सीने पर गोलियाँ गहो
भूकंपों में घिरो-ढहो
मेलों में
दे जान तरो
लेकिन तुम
मतदान करो
लालटेन, हाथी, पंजा
साड़ी, दाढ़ी या गंजा
कान, भेंगा या कंजा
नेता करनी
आप भरो
लुटो-पिटो
मतदान करो
पाँच साल क्यों देखो राह
जब चाहो हो जाओ तबाह
बर्बादी को मिले पनाह
दल-दलदल में
फँसो-घिरो
रुपये लो
मतदान करो
नाग, साँप, बिच्छू कर जोड़
गुंडे-ठग आये घर छोड़
केर-बेर में है गठजोड़
मत सुधार की
आस धरो
टैक्स भरो
मतदान करो
***
(राज्यों में चुनाव की खबर पर )

बुधवार, 29 मार्च 2017

bhojpuri geet

अवधी भाषा में 
मतदाता जागरूकता गीत 
इंजी० अम्बरीष श्रीवास्तव 'अम्बर'
*
चलौ हो वोट डारी सबते पहिले...
चुनावी तेउहारी सबते पहिले
चलौ हो वोट डारी सबते पहिले...
सबते पहिले हो सबते पहिले.....२
चलौ हो वोट डारी सबते पहिले...
भोर हुइ गवा अब ना सोएव जल्दी तेने जागेउ
दुइ लोटिया देहीं पर डारेउ सबका लै के भागेउ
यज्ञ यहौ है सुनि लेउ भैया सब जन यहिमा लागेउ
सोंचि समझि मतदान करेउ तुम मदद न कउनौ मागेउ
करौ हो तइयारी सबते पहिले
चलौ हो वोट डारी सबते पहिले…
पासइ मा मतदान हुइ रहा पैयाँ-पैयाँ जायेउ
बूढ़ेन वा विकलांग जनेन का संघै लै के आयेउ
लालच मैंहा जो कोइ फाँसै वहि ते बचेउ बचायेउ
जेहिका वोट दिहेउ तुम भाइनि वहिका रहेउ छिपायेउ
यहै है होसियारी सबते पहिले...
चलौ हो वोट डारी सबते पहिले…
बुद्धा कहिहैं मॅंगरे हुइहैं सगरे मॅंगिहैं वोटउ
सुनेउ सुनायेउ सबकी 'अम्बर' दिहेउ न वोटउ खोटउ
ऐसइ -वैसइ ठाढ़ लड़ि रहे कोऊ पार न पावै
वोट दिहेउ तुम वहिका भौजी जो तुमरे मन भावै
बचायेउ फुलवारी सबते पहिले
चलौ हो वोट डारी सबते पहिले…
सबते पहिले हो सबते पहिले.....२
चलौ हो वोट डारी सबते पहिले…
*
संपर्क : 09415047020, 05862-244440
९१, आगा कालोनी सिविल लाइन्स सीतापुर उत्तर प्रदेश २६१००१

बुधवार, 15 मार्च 2017

kundali

कहे कुंडली सत्य
*
दो नंबर पर हो गयी, छप्पन इंची चोट
जला बहते भीत हो, पप्पू संचित नोट
पप्पू संचित नोट, न माया किसी काम की
लालू स्यापा करें, कमाई सब हराम की
रहे तीन के ना तेरह के, रोते अफसर
बबुआ करें विलाप, गँवाकर धन दो नंबर
*
दबे-दबे घर में रहें, बाहर हों उद्दंड
हैं शरीफ बस नाम के, बेपेंदी के गुंड
बेपेंदी के गुंड, गरजते पर न बरसते
पाल रहे आतंक, मुक्ति के हेतु तरसते
सीधा चले न सांप, मरोड़ो कई मरतबे
वश में रहता नहीं, उठे फण नहीं तब दबे
*
दिखा चुनावों ने दिया, किसका कैसा रूप?
कौन पहाड़ उखाड़ता, कौन खोदता कूप?
कौन खोदता कूप?, कौन किसका अपना है?
कौन सही कर रहा, गलत किसका नपना है?
कहता कवि संजीव, हुआ जो नहीं वह लिखा
कौन जयी हो? पत्रकार को नहीं था दिखा
*
हाथी, पंजा-साइकिल, केर-बेर सा संग
घर-आँगन में करें जो, घरवाले ही जंग
घरवाले ही जंग, सम्हालें कैसे सत्ता?
मतदाता सच जान, काटते उनका पत्ता
बड़े बोल कह हाय! चाटते धूला साथी
केर-बेर सा सँग, साइकिल-पंजा, हाथी
*
पटकी खाकर भी नहीं, सम्हले नकली शेर
ज्यादा सीटें मिलीं पर, हाय! हो गए ढेर
हाय! हो गए ढेर, नहीं सरकार बन सकी
मुँह ही काला हुआ, नहीं ठंडाई छन सकी
पिटे कोर्ट जा आप, कमल ने सत्ता झपटी
सम्हले नकली शेर नहीं खाकर भी पटकी
*** 

शनिवार, 11 मार्च 2017

doha

दोहा दुनिया
*
भाई-भतीजावाद के, हारे ठेकेदार
चचा-भतीजे ने किया, घर का बंटाढार
*
दुर्योधन-धृतराष्ट्र का, हुआ नया अवतार
नाव डुबाकर रो रहे, तोड़-फेंक पतवार
*
माया महाठगिनी पर, ठगी गयी इस बार
जातिवाद के दनुज सँग, मिली पटकनी यार
*
लग्न-परिश्रम की विजय, स्वार्थ-मोह की हार  
अवसरवादी सियासत, डूब मरे मक्कार
*
बादल गरजे पर नहीं, बरस सके धिक्कार
जो बोया काटा वही, कौन बचावनहार?    
*
नर-नरेंद्र मिल हो सके, जन से एकाकार
सर-आँखों बैठा किया, जन-जन ने सत्कार
*
जन-गण को समझें नहीं, नेतागण लाचार
सौ सुनार पर पड़ गया,भारी एक लुहार
*
गलती से सीखें सबक, बाँटें-पाएँ प्यार
देश-दीन का द्वेष तज, करें तनिक उपकार 
*
दल का दलदल भुलाकर, असरदार सरदार 
जनसेवा का लक्ष्य ले, बढ़े बना सरकार 
***

मंगलवार, 29 अप्रैल 2014

geet: samay ki karvaton ke sath -sanjiv

गीत:
समय की करवटों के साथ
संजीव
*
गले सच को लगा लूँ मैँ समय की करवटों के साथ
झुकाया, ना झुकाऊँगा असत के सामने मैं माथ...
*
करूँ मतदान तज मत-दान बदलूँगा समय-धारा
व्यवस्था से असहमत है, न जनगण किंतु है हारा
न मत दूँगा किसी को यदि नहीं है योग्य कोई भी-
न दलदल दलोँ की है साध्य, हमकों देश है प्यारा
गिरहकट, चोर, डाकू, मवाली दल  बनाकर आये
मिया मिट्ठू न जनगण को तनिक भी क़भी भी भाये
चुनें सज्जन चरित्री व्यक्ति जो घपला प्रथा छोड़ें
प्रशासन को कसे, उद्यम-दिशा को जमीं से जोड़े
विदेशी ताकतों से ले न कर्जे, पसारे मत हाथ.…
*
लगा चौपाल में संसद, बनाओ नीति जनहित क़ी
तजो सुविधाएँ-भत्ते, सादगी से रहो, चाहत की
धनी का धन घटे, निर्धन न भूखा कोई सोयेगा-
पुलिस सेवक बने जन की, न अफसर अनय बोयेगा
सुनें जज पंच बन फ़रियाद, दें निर्णय न देरी हो
वकीली फ़ीस में घर बेच ना दुनिया अँधेरी हो
मिले श्रम को प्रतिष्ठा, योग्यता ही पा सके अवसर
न मँहगाई गगनचुंबी, न जनता मात्र चेरी हो
न अबसे तंत्र होगा लोक का स्वामी, न जन का नाथ…
*