तुलसी वंदन
'तुलसी के बिरवे तले'
-- दीप्ति गुप्ता
तुलसी के छोटे बिरवे तले
देखे है शांत रौशन दिये
नन्हे से,छोटे से, हों वे भले
दिव्यता से हैं होते भरे
मन्नतें घर-भर की लिये
अपनी दमकती लौ में धरे
पहुंचाते प्रभु को सांझ ढले
सबकी अरज आस पूरी करें
मन में उगाओ तुलसी का बिरवा
और जलाओ एक नेह का दिया
देखो फिर, कैसा उजाला भरे
मन में भरा तम दूर करे
दोहा सलिला:
तुलसी वंदन
संजीव 'सलिल'
तुलसी वंदन कर मिला, शांति-सौख्य अनमोल.
कौन तराजू कर सके, जग में इसका तोल..
रामा तुलसी से कहे, श्यामा तुलसी सत्य.
मन का नाता सत्य है, तन का मोह असत्य..
तुलसी हुलसी तो लिया, तुलसी ने अवतार.
राम-भक्ति से तर गया, दिया जगत को तार..
तुलसी चौरे पर दिया, देता दीप्ति अनूप.
करें प्रणव-उच्चार नित, किंकर के सँग भूप..
अमल कमल सम हो 'सलिल', रहो पंक से दूर.
लहर-लहर कहती हहर, ठहर न होना सूर..
tulsi = ocemumsanctum -kraphao, holy basil