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मंगलवार, 24 जनवरी 2012

सोनिया ने ही रचा इंदिरा गांधी की हत्या का षड्यंत्र- सुदर्शन

   

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व प्रमुख के.एस.सुदर्शन ने कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी पर इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की हत्या का षड्यंत्र रचने का आरोप लगाया। सुदर्शन ने सोनिया को सीआईए की एजेंट भी बताया। सुदर्शन ने यह भी कहा कि सोनिया अपनी मां की अवैध संतान है। हिंदू विरोधी दुष्प्रचार के खिलाफ आरएसएस के धरने पर मीडिया से चर्चा में सुदर्शन ने यह बातें कहीं।

सोनिया के पिता जेल में थे – सुदर्शन ने दावा किया कि जिस समय सोनिया का जन्म हुआ उसके पिता जेल में थे। इस बात को छुपाने के लिए ही वे अपनी जन्मतिथि 1944 के बजाय 1946 बताती हैं। उन्होंने दावा किया कि सोनिया का असली नाम सोनिया माइनो है। और वह सीआईए की एजेंट थी। राजीव गांधी ने ईसाई धर्म ग्रहण कर राबटरे नाम से उससे शादी की। बाद में इंदिरा गांधी ने वैदिक पद्धति से उनकी शादी कराई। इंदिरा गांधी को इस बात की भनक लग गई थी कि सोनिया सीआईए एजेंट है, लेकिन इंदिरा उसका अपने हिसाब से उपयोग करना चाहती थी। पंजाब में आतंकवाद के चरम पर पहुंचने पर सोनिया ने इंदिरा की हत्या का षडयंत्र रचा। इंदिरा गांधी की सुरक्षा से सतवंत सिंह को हटाने की बात हुई थी, लेकिन सोनिया ने यह नहीं होने दिया। जब इंदिरा गांधी को गोली लगी तो उन्हें करीब के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में ले जाने की वजह वह एम्स ले गई थी, जो काफी दूर था। तब तक उनका काफी खून बह चुका था। एम्स के डॉक्टरों ने कहा-ब्राट डेड (यानी रास्ते में ही उनकी मौत हो गई।) फिर राजीव गांधी को प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलाने के बाद इंदिरा गांधी की मृत्यु की घोषणा की गई।

राजीव को था शक – सुदर्शन ने दावा किया कि राजीव गांधी को भी सोनिया पर शक हो गया था और वे उसे छोड़ने का मन बना रहे थे। सुदर्शन ने सोनिया पर राजीव की हत्या के षडच्यंत्र का आरोप लगाते हुए कहा कि सोनिया के इशारे पर ही श्रीपेरुंबदुर की सभा में जेड प्लस सुरक्षा नहीं की गई। सुदर्शन ने सवाल किया कि इंदिरा और राजीव दोनों का पोस्टमार्टम क्यों नहीं हुआ? और इस बात की जांच क्यों नहीं होती कि राजीव को जेड प्लस सुरक्षा क्यों नहीं उपलब्ध कराई गई। संवाददाताओं के पूछने पर उन्होंने कहा कि एक ग्रीक परिवार जो इटली का निवासी है और एक कांग्रेस नेता ने उन्हें यह सारी जानकारी दी। सुदर्शन ने उस नेता का नाम उजागर करने से इनकार कर दिया।



(भोपाल रिपोर्टर से साभार )
admin@www.janokti.com
जनोक्ति डेस्क

शुक्रवार, 26 अगस्त 2011

सोनिया गाँधी का सच

विशेष आलेख:

सोनिया गाँधी का सच

कांग्रेस पार्टी और खुद सोनिया गांधी अपनी पृष्ठभूमि के बारे में जो बताते हैं , वो तीन झूठों पर टिका हुआ है। पहला ये है कि उनका असली नाम अंतोनिया है न की सोनिया। यह बात इटली के राजदूत ने नई दिल्ली में 27 अप्रैल 1973 को गृह मंत्रालय को लिखे एक पत्र में जिसे कभी सार्वजनिक नहीं किया जाहिर की थी। इसके अनुसार सोनिया का असली नाम अंतोनिया ही उनके जन्म प्रमाणपत्र के अनुसार सही है। सोनिया ने इसी तरह अपने पिता का नाम स्टेफनो मैनो बताया था। स्टेफनो नाजी आर्मी के वालिंटियर सदस्य तथा दूसरे विश्व युद्ध के समय रूस में युद्ध बंदी थे। कई इतालवी फासिस्टों ने ऐसा ही किया था। सोनिया दरअसल इतालवी नहीं बल्कि रूसी नाम है।


सोनिया के पिता रूसी जेलों में दो साल बिताने के बाद रूस समर्थक हो गये थे। अमेरिकी सेनाओं ने इटली में सभी फासिस्टों की संपत्ति को तहस-नहस कर दिया था। सोनिया ओरबासानो में पैदा नहीं हुईं , जैसा कि सांसद  बनने पर उनके द्वारा प्रस्तुत बायोडाटा में लिखा गया है। उनका जन्म लुसियाना में हुआ था । वह  सचयह इसलिए छिपाने की कोशिश करती हैं ताकि उनके पिता के नाजी और मुसोलिनी संपर्कों का पता न चले साथ ही  उनके परिवार के संपर्क इटली के भूमिगत हो चुके नाजी फासिस्टों से द्वितीय विश्वयुद्ध समाप्त होने तक बने रहने का सच सबको ज्ञात न हो जाए लुसियाना इटली-स्विस सीमा पर नाजी फासिस्ट नेटवर्क का मुख्यालय था । 
तीसरा सोनिया गांधी ने हाईस्कूल से आगे की पढ़ाई कभी की ही नहीं, लेकिन उन्होंने 2004 के लोकसभा चुनावों के दौरान रायबरेली में चुनाव लड़ने के दौरान रिटर्निंग ऑफिसर के सम्मुख अपने चुनाव नामांकन पत्र में उन्होंने झूठा हलफनामा दायर किया कि वे कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से अंग्रेजी में डिप्लोमाधारी हैं। इससे पहले 1989 में लोकसभा में अपने बायोग्राफिकल में भी उन्होंने अपने हस्ताक्षर के साथ यही बात लोकसभा के सचिवालय के सम्मुख पेश की थी। बाद में लोकसभा स्पीकर को लिखे पत्र में उन्होंने इसे मानते हुए इसे टाइपिंग की गलती बताया। 
 
सत्य यह है कि श्रीमती सोनिया गांधी ने कभी किसी कालेज में पढाई की ही नहीं। वह पढ़ाई के लिए गिवानो के कैथोलिक नन्स द्वारा संचालित स्कूल मारिया आसीलेट्रिस गईं, जो उनके कस्बे ओरबासानों से 15 किलोमीटर दूर था। उन दिनों गरीबी के चलते इटली की लड़कियां इन मिशनरीज में जाती थीं और फिर किशोरवय में ब्रिटेन ताकि वहां वो कोई छोटी-मोटी नौकरी कर सकें। मैनो उन दिनों गरीब थे। सोनिया के पिता और माता की हैसियत बेहद मामूली थी और अब वो दो बिलियन पाउंड की अथाह संपत्ति के मालिक हैं। इस तरह सोनिया ने लोकसभा और हलफनामे के जरिए गलत जानकारी देकर आपराधिक काम किया है, जिसके तहत न केवल उन पर अपराध का मुकदमा चलाया जा सकता है बल्कि वो सांसद की सदस्यता से भी वंचित की जा सकती हैं। यह सुप्रीम कोर्ट की उस फैसले की भावना का भी उल्लंघन है कि सभी उम्मीदवारों को हलफनामे के जरिए अपनी सही पढ़ाई-लिखाई से संबंधित योग्यता को पेश करना जरूरी है। 
सोनिया गांधी ने इन तीन झूठों से सच छिपाने की कोशिश की। इसके पीछे उनके उद्देश्य कुछ अलग थे। सोनिया गांधी ने इतनी इंग्लिश सीख ली थी कि वो कैम्ब्रिज टाउन के यूनिवर्सिटी रेस्टोरेंट में वैट्रेस (महिला बैरा) बन सकीं। वे विद्यार्थी राजीव गांधी से पहली बार 1965 में तब मिली जब राजीव् रेस्टोरेंट में आये। राजीव लंबे समय तक अपनी पढ़ाई के साथ तालमेल नहीं बिठा पाये इसलिए उन्हें 1966 में लंदन भेज दिया गया , जहां उनका दाखिला इंपीरियल कालेज ऑफ इंजीनियरिंग में हुआ। उस समय सोनिया भी लंदन में थीं। उन्हें लाहौर के एक व्यवसायी सलमान तासिर के आउटफिट में नौकरी मिल गई। तासीर की एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट कंपनी का मुख्यालय दुबई में था लेकिन वो अपना ज्यादा समय लंदन में बिताते थे। आईएसआई से जुडे होने के लिए उनकी ये प्रोफाइल जरूरी थी। 
राजीव माँ इंदिरा गांधी द्वारा भारत से भेजे गये पैसों से कहीं ज्यादा पैसे खर्च देते थे। सोनिया अपनी नौकरी से इतना पैसा कमा लेती थीं कि राजीव को लोन उधार दे सकें। इंदिरा ने राजीव की इस आदत पर 1965 में गुस्सा जाहिर किया था श्री पी. एन. लेखी द्वारा दिल्ली हाईकोर्ट में पेश किये गये राजीव के छोटे भाई संजय को लिखे गये पत्र में साफ तौर पर संकेत दिया गया है कि वह वित्तीय तौर पर सोनिया के काफी कर्जदार हो चुके थे और उन्होंने संजय से  जो उन दिनों खुद ब्रिटेन में थे और  खासा पैसा उड़ा कर कर्ज में डूबे हुए थे से मदद हेतु थे अनुरोध किया था। 
उन दिनों सोनिया केवल राजीव गांधी ही नहीं, बल्कि माधवराव सिंधिया  और स्टीगलर नाम का एक जर्मन युवक भी सोनिया के अच्छे मित्रों में थे। माधवराव की सोनिया से दोस्ती राजीव की सोनिया से शादी के बाद भी जारी रही। 1972 में  एकरात दो बजे माधवराव आई.आई.टी. दिल्ली के मुख्य गेट के पास एक एक्सीडेंट के शिकार हुए और उन्हें बुरी तरह चोटें आईं उसी समय आई.आई.टी. का एक छात्र बाहर था। उसने उन्हें कार से निकाल कर ऑटोरिक्शा में बिठाया और साथ में घायल सोनिया को श्रीमती इंदिरा गांधी के आवास पर भेजा जबकि माधवराव सिंधिया का पैर टूट चुका था और उन्हें इलाज की दरकार थी। दिल्ली पुलिस ने उन्हें हॉस्पिटल तक पहुंचाया। दिल्ली पुलिस वहां तब पहुंची जब सोनिया वहां से जा चुकी थीं। 
बाद के सालों में माधवराव सिंधिया व्यक्तिगत तौर पर सोनिया के बड़े आलोचक बन गये थे और उन्होंने अपने कुछ नजदीकी मित्रों से अपनी आशंकाओं के बारे में भी बताया था। कितना दुर्भाग्य है कि वो 2001 में एक विमान हादसे में मारे गये। मणिशंकर अय्यर और शीला दीक्षित भी उसी विमान से जाने वाले थे लेकिन उन्हें आखिरी क्षणों में फ्लाइट से न जाने को कहा गया। वो हालात भी विवादों से भरे हैं जब राजीव ने ओरबासानो के चर्च में सोनिया से शादी की थी , लेकिन ये प्राइवेट मसला है , इसका जिक्र करना ठीक नहीं होगा। इंदिरा गांधी शुरू में इस विवाह के सख्त खिलाफ थीं , उसके कुछ कारण भी थे जो उन्हें बताये जा चुके थे। वो इस शादी को हिन्दू रीतिरिवाजों से दिल्ली में पंजीकृत कराने की सहमति तब दी जब सोवियत समर्थक टी. एन. कौल ने इसके लिए उन्हें प्रेरित किया , उन्होंने सोवियत संघ के चाहने पर इंदिरा जी से कहा कि यह शादी भारत-सोवियत दोस्ती के वृहद सम्बन्ध में बेहतर कदम साबित हो सकती है। 
आभार: राजनामा 
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