हिंदी शब्द सलिला : ८
संजीव 'सलिल'
*
संकेत : अ.-अव्यय, अर. अरबी, अक्रि.-अकर्मक क्रिया, अप्र.-अप्रचलित, अर्थ.-अर्थशास्त्र, अलं.- अलंकार, अल्प-अल्प (लघुरूप) सूचक, आ.-आधुनिक, आयु.-आयुर्वेद, इ.-इत्यादि, इब.-इबरानी, उ. -उर्दू, उदा.-उदाहरण, उप.-उपसर्ग, उपनि.-उपनिषद, अं.-अंगिका, अंक.-अंकगणित, इ.-इंग्लिश/अंगरेजी, का.-कानून, काम.-कामशास्त्र, क्व.-क्वचित, ग.-गणित, गी.-गीता, गीता.-गीतावली, तुलसी-कृत, ग्रा.-ग्राम्य, ग्री.-ग्रीक., चि.-चित्रकला, छ.-छतीसगढ़ी, छं.-छंद, ज.-जर्मन, जै.-जैन साहित्य, ज्या.-ज्यामिति, ज्यो.-ज्योतिष, तं.-तंत्रशास्त्र, ति.-तिब्बती, तिर.-तिरस्कारसूचक, दे.-देशज, देव.-देवनागरी, ना.-नाटक, न्या.-न्याय, पा.-पाली, पारा.- पाराशर संहिता, पु.-पुराण, पुल.-पुल्लिंग, पुर्त. पुर्तगाली, पुरा.-पुरातत्व, प्र.-प्रत्यय, प्रा.-प्राचीन, प्राक.-प्राकृत, फा.-फ़ारसी, फ्रे.-फ्रेंच, ब.-बघेली, बर.-बर्मी, बहु.-बहुवचन, बि.-बिहारी, बुं.-बुन्देलखंडी, बृ.-बृहत्संहिता, बृज.-बृजभाषा बो.-बोलचाल, बौ.-बौद्ध, बं.-बांग्ला/बंगाली, भाग.-भागवत/श्रीमद्भागवत, भूक्रि.-भूतकालिक क्रिया, मनु.-मनुस्मृति, महा.-महाभारत, मी.-मीमांसा, मु.-मुसलमान/नी, मुहा. -मुहावरा, यू.-यूनानी, यूरो.-यूरोपीय, योग.योगशास्त्र, रा.-रामचन्द्रिका, केशवदस-कृत, राम.- रामचरितमानस-तुलसीकृत, रामा.- वाल्मीकि रामायण, रा.-पृथ्वीराज रासो, ला.-लाक्षणिक, लै.-लैटिन, लो.-लोकमान्य/लोक में प्रचलित, वा.-वाक्य, वि.-विशेषण, विद.-विदुरनीति, विद्या.-विद्यापति, वे.-वेदान्त, वै.-वैदिक, व्यं.-व्यंग्य, व्या.-व्याकरण, शुक्र.-शुक्रनीति, सं.-संस्कृत/संज्ञा, सक्रि.-सकर्मक क्रिया, सर्व.-सर्वनाम, सा.-साहित्य/साहित्यिक, सां.-सांस्कृतिक, सू.-सूफीमत, स्त्री.-स्त्रीलिंग, स्मृ.-स्मृतिग्रन्थ, ह.-हरिवंश पुराण, हिं.-हिंदी.
अ से प्रारंभ होनेवाले शब्द : ८
संजीव 'सलिल'
अक्टूबर - पु. ईस्वी साल का दसवां महीना.
अक्त - वि. सं. अंजन लगा हुआ, लिप्त, छिपा हुआ, व्याप्त, व्यक्त, भरा हुआ, युक्त (समासांत में- तैलाक्त), हाँका हुआ, चलाया हुआ.
अक्ता - स्त्री. सं. रात्रि.
अक्त्र - पु.. सं. वर्म, कवच.
अकद - पु. अ. प्रतिज्ञा, इकरार, विवाह, निकाह. -नामा- पु. विवाह का प्रतिज्ञा पत्र. -बंदी- स्त्री. विवाह सूत्र में बँधना.
अक्र - वि. सं. निष्क्रिय.
अक्रम - वि. सं. क्रमरहित, अव्यवस्थित, बेसिलसिला, गतिहीन, आगे बढ़ने में असमर्थ. पु.क्रम का अभाव, बेतरतीबी, अव्यवस्था, गतिहीनता, -सन्यास- पु. सन्यास जो आश्रम व्यवस्था के अनुसार धारण न किया गया हो.
अक्रमातिशयोक्ति - स्त्री. सं. अतिशयोक्ति अलंकर का एक भेद जहाँ कार्य और कारण का एक साथ ही होना वर्णित हो.
अक्रव्याद - वि. सं. निरामिषभोजी, शाकाहारी, जो मांसादि न खाता हो.
अक्रांत - वि. सं. अपराजित, जिससे कोइ आगे न निकल सका हो.
अक्रांता - स्त्री. सं. बृहती, कंटकारि.
अक्रिय - वि. सं. निष्क्रिय, काहिल, निकम्मा, जो कुछ न करे, कर्मशून्य, परमात्मा.
अक्रिया - स्त्री. सं. निष्क्रियता, कर्त्तव्य न करना, दुष्कर्म.
अक्रूर - वि. सं. दयालु, कोमल चित्त. पु. एक यादव जो श्री कृष्ण के चाचा और भक्त थे.
अक्रोध - पु. सं. क्रोध का नियंत्रण या अभाव, सहिष्णुता. वि. क्रोधरहित.
अक्रोधन - वि. सं. देखें अक्रोध. पु. एक रजा, अयुतायु का पुत्र.
अक्रोधमय - वि. सं.क्रोधरहित, बिना नाराजी का.
दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
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शुक्रवार, 15 अक्टूबर 2010
हिंदी शब्द सलिला : ८ अ से प्रारंभ होनेवाले शब्द : ८ --संजीव 'सलिल'
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-Acharya Sanjiv Verma 'Salil',
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करें वंदना-प्रार्थना, भजन-कीर्तन नित्य.
सफल साधना हो 'सलिल', रीझे ईश अनित्य..
शांति-राज सुख-चैन हो, हों कृपालु जगदीश.
सत्य सहाय सदा रहे, अंतर्मन पृथ्वीश..
गुप्त चित्र निर्मल रहे, ऐसे ही हों कर्म.
ज्यों की त्यों चादर रखे,निभा'सलिल'निज धर्म.
हिंदी शब्द सलिला : ७ अ से प्रारंभ होनेवाले शब्द : ७ ---संजीव 'सलिल'
हिंदी शब्द सलिला : ७
संजीव 'सलिल'
*
संकेत : अ.-अव्यय, अर. अरबी, अक्रि.-अकर्मक क्रिया, अप्र.-अप्रचलित, अर्थ.-अर्थशास्त्र, अलं.- अलंकार, अल्प-अल्प (लघुरूप) सूचक, आ.-आधुनिक, आयु.-आयुर्वेद, इ.-इत्यादि, इब.-इबरानी, उ. -उर्दू, उदा.-उदाहरण, उप.-उपसर्ग, उपनि.-उपनिषद, अं.-अंगिका, अंक.-अंकगणित, इ.-इंग्लिश/अंगरेजी, का.-कानून, काम.-कामशास्त्र, क्व.-क्वचित, ग.-गणित, गी.-गीता, गीता.-गीतावली, तुलसी-कृत, ग्रा.-ग्राम्य, ग्री.-ग्रीक., चि.-चित्रकला, छ.-छतीसगढ़ी, छं.-छंद, ज.-जर्मन, जै.-जैन साहित्य, ज्या.-ज्यामिति, ज्यो.-ज्योतिष, तं.-तंत्रशास्त्र, ति.-तिब्बती, तिर.-तिरस्कारसूचक, दे.-देशज, देव.-देवनागरी, ना.-नाटक, न्या.-न्याय, पा.-पाली, पारा.- पाराशर संहिता, पु.-पुराण, पुल.-पुल्लिंग, पुर्त. पुर्तगाली, पुरा.-पुरातत्व, प्र.-प्रत्यय, प्रा.-प्राचीन, प्राक.-प्राकृत, फा.-फ़ारसी, फ्रे.-फ्रेंच, ब.-बघेली, बर.-बर्मी, बहु.-बहुवचन, बि.-बिहारी, बुं.-बुन्देलखंडी, बृ.-बृहत्संहिता, बृज.-बृजभाषा बो.-बोलचाल, बौ.-बौद्ध, बं.-बांग्ला/बंगाली, भाग.-भागवत/श्रीमद्भागवत, भूक्रि.-भूतकालिक क्रिया, मनु.-मनुस्मृति, महा.-महाभारत, मी.-मीमांसा, मु.-मुसलमान/नी, मुहा. -मुहावरा, यू.-यूनानी, यूरो.-यूरोपीय, योग.योगशास्त्र, रा.-रामचन्द्रिका, केशवदस-कृत, राम.- रामचरितमानस-तुलसीकृत, रामा.- वाल्मीकि रामायण, रा.-पृथ्वीराज रासो, ला.-लाक्षणिक, लै.-लैटिन, लो.-लोकमान्य/लोक में प्रचलित, वा.-वाक्य, वि.-विशेषण, विद.-विदुरनीति, विद्या.-विद्यापति, वे.-वेदान्त, वै.-वैदिक, व्यं.-व्यंग्य, व्या.-व्याकरण, शुक्र.-शुक्रनीति, सं.-संस्कृत/संज्ञा, सक्रि.-सकर्मक क्रिया, सर्व.-सर्वनाम, सा.-साहित्य/साहित्यिक, सां.-सांस्कृतिक, सू.-सूफीमत, स्त्री.-स्त्रीलिंग, स्मृ.-स्मृतिग्रन्थ, ह.-हरिवंश पुराण, हिं.-हिंदी.
अ से प्रारंभ होनेवाले शब्द :७
संजीव 'सलिल'
अकेतन - वि. सं. बेघर-बार, गृहहीन.
अकेतु - वि. सं. आकृतिहीन, जो पहचाना न जा सके, निराकार, चित्रगुप्त (प्रत्यधि देव केतु).
अकेल - वि. दे. अकेला, एकाकी.
अकेला - वि. एकाकी, बिना साथी का, तनहा उ., बेजोड़, फर्द, खाली (मकान) पु. निर्जन स्थान, स्त्री अकेली, एकाकिनी, -दम- पु. एक ही प्राणी, -दुकेला- वि. अकेला या जिसके साथ एक और हो, इक्का-दुक्का, -ली- स्त्री. एक तरफ़ा बात, -जान- स्त्री. जिसका कोइ साथी न हो, तन-तनहा.
अकेले - अ. बिना किसी साथी के, तनहा, केवल, बिना किसी को साथ लिये, बगैर किसी और को शरीक किये, -दुकेले- किसी और के साथ.
अकेश - वि. सं. केशरहित, अल्प केशयुक्त, बुरे बालोंवाला.
अकैतव - पु. सं. निष्कपटता, वि. निष्कपट, निश्छल.
अकैया - पु. सामान रखने का थैला, गोन.
अकोट - पु. सं. सुपारी या उसका पेड़. वि. अनगिन, अगणित, असंख्य, करोड़ों.
अकोतर सौ - वि. सौ से एक अधिक, एक सौ एक. पु. १०१ संख्या.
अकोप - पु. सं. कोप का अभाव, रजा दशरथ का एक मंत्री.
अकोप्या पणयात्रा - स्त्री. सं. सिक्के का निर्बाध प्रचलन.
अकोर - पु. देखें अँकोर.
अकोरी - स्त्री. अंकवार, गोद.
अकोला - पु. अंकोल वृक्ष.
अकोविद - वि. सं. अपन्दित, मूर्ख, अनाड़ी.
अकोसना - सक्रि, बुरा-भला कहना, गालियाँ देना.
अकौआ - पु. मदार, आक, ललरी, गले की घंटी.
अकौटा - पु. गड़री का डंडा, धुरा, एक्सेल इं..
अकौटिल्य - पु. सं. कौटिल्य / कुटिलता का अभाव, सरलता, भोलापन.
अकौता - पु. देखें उकवत.
अकौशल - पु. सं. कुशलता का अभाव, अकुशलता, अदक्षता, अनिपुणता.
अक्का - स्त्री. सं. माता, जननी, माँ.
अक्कास - पु. अ. अक्स उतारनेवाला, छायाकार, फोटोग्राफर इं.
अक्कासी - स्त्री. छायांकन का काम, फोटोग्राफी इं.
अक्खड़ - वि. उजड्ड, गँवार, अशिष्ट, उद्धत, लड़ाका, दो टूक कहने वाला, निडर, झगड़ालू, जड़, मूर्ख.-पन- पु. उजड्डपन, उग्रता, अशिष्टता, लड़ाकापन, निर्भयता, स्पष्टवादिता.
अक्खर - पु. आखर, देखें अक्षर.
अक्खा - पु. गोन.
अक्खो-मक्खो - पु. बच्चे को बहलाने / बुरी नजर से बचाने के लिये कहा जानेवाला वाक्यांश, (स्त्रियाँ दीपक की लौ के समीप हाथ लेजाकर बच्चे के मुँह पर फेरते हुए कहती हैं- 'अक्खो-मक्खो दिया बरक्खो, जो मेरे बच्चे को तक्के, उसकी फूटें दोनों अक्खों).
* क्रमशः
संजीव 'सलिल'
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संकेत : अ.-अव्यय, अर. अरबी, अक्रि.-अकर्मक क्रिया, अप्र.-अप्रचलित, अर्थ.-अर्थशास्त्र, अलं.- अलंकार, अल्प-अल्प (लघुरूप) सूचक, आ.-आधुनिक, आयु.-आयुर्वेद, इ.-इत्यादि, इब.-इबरानी, उ. -उर्दू, उदा.-उदाहरण, उप.-उपसर्ग, उपनि.-उपनिषद, अं.-अंगिका, अंक.-अंकगणित, इ.-इंग्लिश/अंगरेजी, का.-कानून, काम.-कामशास्त्र, क्व.-क्वचित, ग.-गणित, गी.-गीता, गीता.-गीतावली, तुलसी-कृत, ग्रा.-ग्राम्य, ग्री.-ग्रीक., चि.-चित्रकला, छ.-छतीसगढ़ी, छं.-छंद, ज.-जर्मन, जै.-जैन साहित्य, ज्या.-ज्यामिति, ज्यो.-ज्योतिष, तं.-तंत्रशास्त्र, ति.-तिब्बती, तिर.-तिरस्कारसूचक, दे.-देशज, देव.-देवनागरी, ना.-नाटक, न्या.-न्याय, पा.-पाली, पारा.- पाराशर संहिता, पु.-पुराण, पुल.-पुल्लिंग, पुर्त. पुर्तगाली, पुरा.-पुरातत्व, प्र.-प्रत्यय, प्रा.-प्राचीन, प्राक.-प्राकृत, फा.-फ़ारसी, फ्रे.-फ्रेंच, ब.-बघेली, बर.-बर्मी, बहु.-बहुवचन, बि.-बिहारी, बुं.-बुन्देलखंडी, बृ.-बृहत्संहिता, बृज.-बृजभाषा बो.-बोलचाल, बौ.-बौद्ध, बं.-बांग्ला/बंगाली, भाग.-भागवत/श्रीमद्भागवत, भूक्रि.-भूतकालिक क्रिया, मनु.-मनुस्मृति, महा.-महाभारत, मी.-मीमांसा, मु.-मुसलमान/नी, मुहा. -मुहावरा, यू.-यूनानी, यूरो.-यूरोपीय, योग.योगशास्त्र, रा.-रामचन्द्रिका, केशवदस-कृत, राम.- रामचरितमानस-तुलसीकृत, रामा.- वाल्मीकि रामायण, रा.-पृथ्वीराज रासो, ला.-लाक्षणिक, लै.-लैटिन, लो.-लोकमान्य/लोक में प्रचलित, वा.-वाक्य, वि.-विशेषण, विद.-विदुरनीति, विद्या.-विद्यापति, वे.-वेदान्त, वै.-वैदिक, व्यं.-व्यंग्य, व्या.-व्याकरण, शुक्र.-शुक्रनीति, सं.-संस्कृत/संज्ञा, सक्रि.-सकर्मक क्रिया, सर्व.-सर्वनाम, सा.-साहित्य/साहित्यिक, सां.-सांस्कृतिक, सू.-सूफीमत, स्त्री.-स्त्रीलिंग, स्मृ.-स्मृतिग्रन्थ, ह.-हरिवंश पुराण, हिं.-हिंदी.
अ से प्रारंभ होनेवाले शब्द :७
संजीव 'सलिल'
अकेतन - वि. सं. बेघर-बार, गृहहीन.
अकेतु - वि. सं. आकृतिहीन, जो पहचाना न जा सके, निराकार, चित्रगुप्त (प्रत्यधि देव केतु).
अकेल - वि. दे. अकेला, एकाकी.
अकेला - वि. एकाकी, बिना साथी का, तनहा उ., बेजोड़, फर्द, खाली (मकान) पु. निर्जन स्थान, स्त्री अकेली, एकाकिनी, -दम- पु. एक ही प्राणी, -दुकेला- वि. अकेला या जिसके साथ एक और हो, इक्का-दुक्का, -ली- स्त्री. एक तरफ़ा बात, -जान- स्त्री. जिसका कोइ साथी न हो, तन-तनहा.
अकेले - अ. बिना किसी साथी के, तनहा, केवल, बिना किसी को साथ लिये, बगैर किसी और को शरीक किये, -दुकेले- किसी और के साथ.
अकेश - वि. सं. केशरहित, अल्प केशयुक्त, बुरे बालोंवाला.
अकैतव - पु. सं. निष्कपटता, वि. निष्कपट, निश्छल.
अकैया - पु. सामान रखने का थैला, गोन.
अकोट - पु. सं. सुपारी या उसका पेड़. वि. अनगिन, अगणित, असंख्य, करोड़ों.
अकोतर सौ - वि. सौ से एक अधिक, एक सौ एक. पु. १०१ संख्या.
अकोप - पु. सं. कोप का अभाव, रजा दशरथ का एक मंत्री.
अकोप्या पणयात्रा - स्त्री. सं. सिक्के का निर्बाध प्रचलन.
अकोर - पु. देखें अँकोर.
अकोरी - स्त्री. अंकवार, गोद.
अकोला - पु. अंकोल वृक्ष.
अकोविद - वि. सं. अपन्दित, मूर्ख, अनाड़ी.
अकोसना - सक्रि, बुरा-भला कहना, गालियाँ देना.
अकौआ - पु. मदार, आक, ललरी, गले की घंटी.
अकौटा - पु. गड़री का डंडा, धुरा, एक्सेल इं..
अकौटिल्य - पु. सं. कौटिल्य / कुटिलता का अभाव, सरलता, भोलापन.
अकौता - पु. देखें उकवत.
अकौशल - पु. सं. कुशलता का अभाव, अकुशलता, अदक्षता, अनिपुणता.
अक्का - स्त्री. सं. माता, जननी, माँ.
अक्कास - पु. अ. अक्स उतारनेवाला, छायाकार, फोटोग्राफर इं.
अक्कासी - स्त्री. छायांकन का काम, फोटोग्राफी इं.
अक्खड़ - वि. उजड्ड, गँवार, अशिष्ट, उद्धत, लड़ाका, दो टूक कहने वाला, निडर, झगड़ालू, जड़, मूर्ख.-पन- पु. उजड्डपन, उग्रता, अशिष्टता, लड़ाकापन, निर्भयता, स्पष्टवादिता.
अक्खर - पु. आखर, देखें अक्षर.
अक्खा - पु. गोन.
अक्खो-मक्खो - पु. बच्चे को बहलाने / बुरी नजर से बचाने के लिये कहा जानेवाला वाक्यांश, (स्त्रियाँ दीपक की लौ के समीप हाथ लेजाकर बच्चे के मुँह पर फेरते हुए कहती हैं- 'अक्खो-मक्खो दिया बरक्खो, जो मेरे बच्चे को तक्के, उसकी फूटें दोनों अक्खों).
* क्रमशः
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बुधवार, 13 अक्टूबर 2010
हिंदी शब्द सलिला : ६ अ से प्रारंभ होनेवाले शब्द : ६ -------संजीव 'सलिल'
हिंदी शब्द सलिला : ६
संजीव 'सलिल'
*
संकेत : अ.-अव्यय, अर. अरबी, अक्रि.-अकर्मक क्रिया, अप्र.-अप्रचलित, अर्थ.-अर्थशास्त्र, अलं.- अलंकार, अल्प-अल्प (लघुरूप) सूचक, आ.-आधुनिक, आयु.-आयुर्वेद, इ.-इत्यादि, इब.-इबरानी, उ. -उर्दू, उदा.-उदाहरण, उप.-उपसर्ग, उपनि.-उपनिषद, अं.-अंगिका, अंक.-अंकगणित, इ.-इंग्लिश/अंगरेजी, का.-कानून, काम.-कामशास्त्र, क्व.-क्वचित, ग.-गणित, गी.-गीता, गीता.-गीतावली, तुलसी-कृत, ग्रा.-ग्राम्य, ग्री.-ग्रीक., चि.-चित्रकला, छ.-छतीसगढ़ी, छं.-छंद, ज.-जर्मन, जै.-जैन साहित्य, ज्या.-ज्यामिति, ज्यो.-ज्योतिष, तं.-तंत्रशास्त्र, ति.-तिब्बती, तिर.-तिरस्कारसूचक, दे.-देशज, देव.-देवनागरी, ना.-नाटक, न्या.-न्याय, पा.-पाली, पारा.- पाराशर संहिता, पु.-पुराण, पुल.-पुल्लिंग, पुर्त. पुर्तगाली, पुरा.-पुरातत्व, प्र.-प्रत्यय, प्रा.-प्राचीन, प्राक.-प्राकृत, फा.-फ़ारसी, फ्रे.-फ्रेंच, ब.-बघेली, बर.-बर्मी, बहु.-बहुवचन, बि.-बिहारी, बुं.-बुन्देलखंडी, बृ.-बृहत्संहिता, बृज.-बृजभाषा बो.-बोलचाल, बौ.-बौद्ध, बं.-बांग्ला/बंगाली, भाग.-भागवत/श्रीमद्भागवत, भूक्रि.-भूतकालिक क्रिया, मनु.-मनुस्मृति, महा.-महाभारत, मी.-मीमांसा, मु.-मुसलमान/नी, मुहा. -मुहावरा, यू.-यूनानी, यूरो.-यूरोपीय, योग.योगशास्त्र, रा.-रामचन्द्रिका, केशवदस-कृत, राम.- रामचरितमानस-तुलसीकृत, रामा.- वाल्मीकि रामायण, रा.-पृथ्वीराज रासो, ला.-लाक्षणिक, लै.-लैटिन, लो.-लोकमान्य/लोक में प्रचलित, वा.-वाक्य, वि.-विशेषण, विद.-विदुरनीति, विद्या.-विद्यापति, वे.-वेदान्त, वै.-वैदिक, व्यं.-व्यंग्य, व्या.-व्याकरण, शुक्र.-शुक्रनीति, सं.-संस्कृत/संज्ञा, सक्रि.-सकर्मक क्रिया, सर्व.-सर्वनाम, सा.-साहित्य/साहित्यिक, सां.-सांस्कृतिक, सू.-सूफीमत, स्त्री.-स्त्रीलिंग, स्मृ.-स्मृतिग्रन्थ, ह.-हरिवंश पुराण, हिं.-हिंदी.
अ से प्रारंभ होनेवाले शब्द : ६
संजीव 'सलिल'
संकेत : अ.-अव्यय, अर. अरबी, अक्रि.-अकर्मक क्रिया, अप्र.-अप्रचलित, अर्थ.-अर्थशास्त्र, अलं.- अलंकार, अल्प-अल्प (लघुरूप) सूचक, आ.-आधुनिक, आयु.-आयुर्वेद, इ.-इत्यादि, इब.-इबरानी, उ. -उर्दू, उदा.-उदाहरण, उप.-उपसर्ग, उपनि.-उपनिषद, अं.-अंगिका, अंक.-अंकगणित, इ.-इंग्लिश/अंगरेजी, का.-कानून, काम.-कामशास्त्र, क्व.-क्वचित, ग.-गणित, गी.-गीता, गीता.-गीतावली, तुलसी-कृत, ग्रा.-ग्राम्य, ग्री.-ग्रीक., चि.-चित्रकला, छ.-छतीसगढ़ी, छं.-छंद, ज.-जर्मन, जै.-जैन साहित्य, ज्या.-ज्यामिति, ज्यो.-ज्योतिष, तं.-तंत्रशास्त्र, ति.-तिब्बती, तिर.-तिरस्कारसूचक, दे.-देशज, देव.-देवनागरी, ना.-नाटक, न्या.-न्याय, पा.-पाली, पारा.- पाराशर संहिता, पु.-पुराण, पुल.-पुल्लिंग, पुर्त. पुर्तगाली, पुरा.-पुरातत्व, प्र.-प्रत्यय, प्रा.-प्राचीन, प्राक.-प्राकृत, फा.-फ़ारसी, फ्रे.-फ्रेंच, ब.-बघेली, बर.-बर्मी, बहु.-बहुवचन, बि.-बिहारी, बुं.-बुन्देलखंडी, बृ.-बृहत्संहिता, बृज.-बृजभाषा बो.-बोलचाल, बौ.-बौद्ध, बं.-बांग्ला/बंगाली, भाग.-भागवत/श्रीमद्भागवत, भूक्रि.-भूतकालिक क्रिया, मनु.-मनुस्मृति, महा.-महाभारत, मी.-मीमांसा, मु.-मुसलमान/नी, मुहा. -मुहावरा, यू.-यूनानी, यूरो.-यूरोपीय, योग.योगशास्त्र, रा.-रामचन्द्रिका, केशवदस-कृत, राम.- रामचरितमानस-तुलसीकृत, रामा.- वाल्मीकि रामायण, रा.-पृथ्वीराज रासो, ला.-लाक्षणिक, लै.-लैटिन, लो.-लोकमान्य/लोक में प्रचलित, वा.-वाक्य, वि.-विशेषण, विद.-विदुरनीति, विद्या.-विद्यापति, वे.-वेदान्त, वै.-वैदिक, व्यं.-व्यंग्य, व्या.-व्याकरण, शुक्र.-शुक्रनीति, सं.-संस्कृत/संज्ञा, सक्रि.-सकर्मक क्रिया, सर्व.-सर्वनाम, सा.-साहित्य/साहित्यिक, सां.-सांस्कृतिक, सू.-सूफीमत, स्त्री.-स्त्रीलिंग, स्मृ.-स्मृतिग्रन्थ, ह.-हरिवंश पुराण, हिं.-हिंदी.
अ से प्रारंभ होनेवाले शब्द : ६
संजीव 'सलिल'
अकुंठित - वि. सं. देखें अकुंठ.
अकुच - वि. आकुंचित, बिखरा हुआ.
अकुटिल - वि. सं. भोला-भला, सरल, निष्कपट.
अकुताना - अक्रि. देखें उकताना.
अकुतोभय - वि. सं.जिसे कहीं-किसी से भय न हो, नितांत भय शून्य, निर्भय, निडर, निर्भीक.
अकुत्सित - वि. सं. अनिन्दनीय, जो बुरा न हो.
अकुप्य/अकुप्यक - वि. सं.पु. सं. वह धातु जो बुरी न हो, सोना, चाँदी.
अकुमार - वि. सं. जो कुमार/कुवांरा न हो, वयस्क.
अकुल - वि. सं. अकुलीन, कुलरहित, अज्ञात कुल, निम्न कुल का,बुरा कुल, पु. शिव.
अकुला - वि. सं. अकुलीन, कुलरहित, अज्ञात कुल, निम्न कुल का,बुरा कुल, स्त्री. शिवा.
अकुलाना - अक्रि. आकुल होना, घबड़ाना, विव्हल होना, मगन होना,
अकुलिनी - स्त्री. व्यभिचारिणी, निषिद्ध आचरण करनेवाली. वि. स्त्री. व्यभिचारिणी.
अकुलीन - वि. सं. हीन / निम्न कुल का, नीच कुल में जन्मा, कमीना, भूमि से संबंध न रखनेवाला, जिसके पिता अज्ञात हों, अपार्थिव.
अकुशल - वि. सं. अनाड़ी, काम में कच्चा, कार्य न जाननेवाला, भाग्यहीन, अशुभ. पु. बुराई, अमंगल, बुरा शब्द. -श्रमिक- पु. साधारण मजदूर, अनस्किल्ड लेबर इं.
अकुसीद - वि. सं. सूद / ब्याज / लाभ न लेनेवाला.
अकुह / अकुहक - पु. सं. ईमानदार आदमी.
अकूट - वि. सं. जो धोखा न दे, विश्वस्त, अचूक अस्त्र, जो खोटा न हो सिक्का / मनुष्य.
अकूत - वि. सं. जिसे कूतना / आँकना / अनुमानना / अंदाज़ना संभव न हो, विपुल, अपरिमित, असीम, अनंत, अशेष. अ. अचानक, अकस्मात्.
अकूपार / अकूवार - पु. सं. समुद्र, सूर्य, कच्छप, वह महाकच्छप जिसने धरती का भार उठा रखा है. वि. अच्छे परिमाणवाला, अपरिमित, असीम.
अकूर्च - वि. सं. कपटरहित, छलहीन, खल्वाट, जिसकी दाढ़ी न हो, पु. बुद्ध.
अकूल - वि. सं. बिना कूल / किनारे का. सीमा / मर्यादारहित.
अकूहल - वि. अत्यधिक, अगणित.
अकृच्छ - वि. सं. बिना क्लेश, कठिनाई का, आसान. पु. क्लेश / कठिनाई का अभाव.
अकृच्छी/अकृच्छिन - वि. सं. क्लेशरहित.
अकृत - वि. सं. जो पूरा न किया गया हो, बिगड़ गया हो, अन्यथा किया हुआ, जो किसी के द्वारा बनाया न गया हो, अकृत्रिम, जिसने कुछ किया न हो, अविकसित, अपक्व. पु. अधूरा काम, किसी काम का पूरा न किया जाना, प्रकृति, कारण, मोक्ष. -कार्य- व. असफल मनोरथ. -काल- वि. कालबाह्य, गैरमियादी उ., बिना मुद्दत का (बंधक). -चिकीर्षा- स्त्री. सामादि उपायों से नयी संधि करना और उनमें छोटे, बड़े और समकक्ष राजाओं का यथायोग्य ध्यान रखना. -ज्ञ- वि. कृतघ्न, उपकार न माननेवाला. -धी / बुद्धि- वि. जिसे पूरा ज्ञान न हो, -शुल्क- वि. चुंगी / स्थानीय कर न देनेवाला, जिस पर चुंगी न लगी हो.
अकृता - स्त्री. सं. पुत्र के समान अधिकारिणी न मानी गई कन्या.
अकृतात्मा / अकृतात्मन - वि. सं. अज्ञानी, असंस्कृत मतवाला, साधक जिसे ईश्वर का साक्षात्कार न हुआ हो.
अकृताभ्यम - पु. सं. अकृत कर्म के फल की प्राप्ति.
अकृतार्थ - वि. सं. विफल, असंतुष्ट.
अकृतास्न - वि. सं. जिसने अस्त्र-संचालन न सीखा हो.
अकृती / अकृतिन - वि. सं. अकुशल, अनाड़ी, निकम्मा.
अकृतोद्वाह - वि., अविवाहित.
अकृत्त - वि. सं. न कटा हुआ, जिसकी कतर-ब्योंत न की गई हो.
अकृत्य - वि. सं. जो करने योग्य न हो, पु. दुष्कर्म, अपराध, पाप. -कारी / कारिन - वि. कुकर्मी, दुकर्मी, अपराधी. पापी..
अकृत्रिम - वि. सं. जो बनावटी न हो, स्वाभाविक, प्राकृतिक, सच्चा. अमली उ..
अकृत्स्न - वि. सं. अधूरा, जो पूरा न हुआ हो.
अकृप - वि. सं. निर्दय, दयाहीन.
अकृपण - वि. सं. जो कंजूस न हो, उदार.
अकृपा - वि. सं. कृपा का अभाव, नाराजगी.
अकृश - वि. सं. जो दुबला-पतला न हो, सबल, मोटा-ताज़ा, हृष्ट-पुष्ट. -लक्ष्मी- वि. वैभवशाली. स्त्री. प्रभूत ऐश्वर्य.
अकृषिक - वि. सं. जिसका संबंध कृषि से न हो.
अकृषित - वि. सं. अहल्या, भूमि जो जोती-बोयी न गई हो, बंजर, अनकल्टीवेटेड इं. बैरन इं.
अकृष्ट - वि. सं. जो जोता / खींचा न गया हो, पु. परती जमीन, -पच्य- वि. बिना जुटे खेत में उगने-पकनेवाला, शस्य सं. -पूर्वा भूमि- स्त्री. अहल्या सं., भूमि जो जोती-बोयी न गई हो, वर्जिन सॉइल इं. -रोही/रोहिन- वि. बिना जुटी जमीन में अपने आप उगनेवाला.
अकृष्ण - वि. सं. जो काला / श्याम न हो, श्वेत, सफेद, निर्मल, शुद्ध, राधा, गौरांगी. पु. निष्कलंक, चन्द्रमा. -कर्मा / कर्मन- वि. पुण्यात्मा, निर्दोष, निष्पाप.
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करें वंदना-प्रार्थना, भजन-कीर्तन नित्य.
सफल साधना हो 'सलिल', रीझे ईश अनित्य..
शांति-राज सुख-चैन हो, हों कृपालु जगदीश.
सत्य सहाय सदा रहे, अंतर्मन पृथ्वीश..
गुप्त चित्र निर्मल रहे, ऐसे ही हों कर्म.
ज्यों की त्यों चादर रखे,निभा'सलिल'निज धर्म.
हिंदी शब्द सलिला : ५ अ से प्रारंभ होनेवाले शब्द : ५ -- संजीव 'सलिल'
हिंदी शब्द सलिला : ५
अकिंचन - वि. सं. जिसके पास कुछ न हो, अति निर्धन, विपन्न, गरीब उ., दरिद्र, कर्म शून्य, अपरिग्रही. पु. वह वस्तु जिसका कोई मूल्य न हो, निर्मूल्य, अमूल्य, दरिद्र, परिग्रह का त्याग जै., अपरिग्रही जै.. -वाद- पु. (पॉपर सूट का.) वह वाद जिसमें वादी की ओर दे कहा जाए कि उसे पास वाद-व्यय हेतु कुछ नहीं है अतः, सरकार की ओर से वाद व वकील का व्यय आदि दिया जाए.
अकिंचनता - स्त्री. दरिद्रता, निर्धनता, गरीबी, विपन्नता.
अकिंचनत्व - पु. सं. दरिद्रता, निर्धनता, गरीबी, विपन्नता, परिग्रह (संचय) का त्याग जै..
अकिंचिज्ज - वि. सं. जो कुछ भी न जानता हो, अज्ञानी, ज्ञानहीन.
अकिंचित्कर - वि. सं. जिसके किये कुछ न हो सके, निरर्थक, तुच्छ.
अकि - अ.अथवा, या, फिर. -'आगि जरौं अकि पानी परौं. - घनानन्द ग्रंथावली.
अकितब - वि. सं. जो जारी न हो, निष्कपट.
अकिल - स्त्री. देखें अक्ल.
अकिलैनि - स्त्री. एकाकिनी, -'कान्ह! परे बहुतायत में अकिलैनिकी वेदन जनि कहा तुम'-- घनानन्द ग्रंथावली.
अकिल्विष - वि. सं. पापरहित, निर्मल, विमल, अमल.
अकीक - पु. अ. लाल रंग का बहुमूल्य पत्थर.
अकीदत - स्त्री. अ. श्रृद्धा. -मंद-वि. श्रृद्धालु, श्रद्धावान.
अकीदा - पु. अ. श्रद्धा, विश्वास, आस्था.
अकीरति - स्त्री. देखें अकीर्ति.
अकीर्ति - स्त्री. सं. अपयश, बदनामी उ., अपमान.
अकुंठ - जो कुंठित या भोथरा न हो, कार्यक्षम, शक्तिशाली, खुला हुआ, तीक्ष्ण, पैना, स्थिर, अप्रतिहत,
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संजीव 'सलिल'
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संकेत : अ.-अव्यय, अर. अरबी, अक्रि.-अकर्मक क्रिया, अप्र.-अप्रचलित, अर्थ.-अर्थशास्त्र, अलं.- अलंकार, अल्प-अल्प (लघुरूप) सूचक, आ.-आधुनिक, आयु.-आयुर्वेद, इ.-इत्यादि, इब.-इबरानी, उ. -उर्दू, उदा.-उदाहरण, उप.-उपसर्ग, उपनि.-उपनिषद, अं.-अंगिका, अंक.-अंकगणित, इ.-इंग्लिश/अंगरेजी, का.-कानून, काम.-कामशास्त्र, क्व.-क्वचित, ग.-गणित, गी.-गीता, गीता.-गीतावली, तुलसी-कृत, ग्रा.-ग्राम्य, ग्री.-ग्रीक., चि.-चित्रकला, छ.-छतीसगढ़ी, छं.-छंद, ज.-जर्मन, जै.-जैन साहित्य, ज्या.-ज्यामिति, ज्यो.-ज्योतिष, तं.-तंत्रशास्त्र, ति.-तिब्बती, तिर.-तिरस्कारसूचक, दे.-देशज, देव.-देवनागरी, ना.-नाटक, न्या.-न्याय, पा.-पाली, पारा.- पाराशर संहिता, पु.-पुराण, पुल.-पुल्लिंग, पुर्त. पुर्तगाली, पुरा.-पुरातत्व, प्र.-प्रत्यय, प्रा.-प्राचीन, प्राक.-प्राकृत, फा.-फ़ारसी, फ्रे.-फ्रेंच, ब.-बघेली, बर.-बर्मी, बहु.-बहुवचन, बि.-बिहारी, बुं.-बुन्देलखंडी, बृ.-बृहत्संहिता, बृज.-बृजभाषा बो.-बोलचाल, बौ.-बौद्ध, बं.-बांग्ला/बंगाली, भाग.-भागवत/श्रीमद्भागवत, भूक्रि.-भूतकालिक क्रिया, मनु.-मनुस्मृति, महा.-महाभारत, मी.-मीमांसा, मु.-मुसलमान/नी, मुहा. -मुहावरा, यू.-यूनानी, यूरो.-यूरोपीय, योग.योगशास्त्र, रा.-रामचन्द्रिका, केशवदस-कृत, राम.- रामचरितमानस-तुलसीकृत, रामा.- वाल्मीकि रामायण, रा.-पृथ्वीराज रासो, ला.-लाक्षणिक, लै.-लैटिन, लो.-लोकमान्य/लोक में प्रचलित, वा.-वाक्य, वि.-विशेषण, विद.-विदुरनीति, विद्या.-विद्यापति, वे.-वेदान्त, वै.-वैदिक, व्यं.-व्यंग्य, व्या.-व्याकरण, शुक्र.-शुक्रनीति, सं.-संस्कृत/संज्ञा, सक्रि.-सकर्मक क्रिया, सर्व.-सर्वनाम, सा.-साहित्य/साहित्यिक, सां.-सांस्कृतिक, सू.-सूफीमत, स्त्री.-स्त्रीलिंग, स्मृ.-स्मृतिग्रन्थ, ह.-हरिवंश पुराण, हिं.-हिंदी.
अ से प्रारंभ होनेवाले शब्द : ५
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संकेत : अ.-अव्यय, अर. अरबी, अक्रि.-अकर्मक क्रिया, अप्र.-अप्रचलित, अर्थ.-अर्थशास्त्र, अलं.- अलंकार, अल्प-अल्प (लघुरूप) सूचक, आ.-आधुनिक, आयु.-आयुर्वेद, इ.-इत्यादि, इब.-इबरानी, उ. -उर्दू, उदा.-उदाहरण, उप.-उपसर्ग, उपनि.-उपनिषद, अं.-अंगिका, अंक.-अंकगणित, इ.-इंग्लिश/अंगरेजी, का.-कानून, काम.-कामशास्त्र, क्व.-क्वचित, ग.-गणित, गी.-गीता, गीता.-गीतावली, तुलसी-कृत, ग्रा.-ग्राम्य, ग्री.-ग्रीक., चि.-चित्रकला, छ.-छतीसगढ़ी, छं.-छंद, ज.-जर्मन, जै.-जैन साहित्य, ज्या.-ज्यामिति, ज्यो.-ज्योतिष, तं.-तंत्रशास्त्र, ति.-तिब्बती, तिर.-तिरस्कारसूचक, दे.-देशज, देव.-देवनागरी, ना.-नाटक, न्या.-न्याय, पा.-पाली, पारा.- पाराशर संहिता, पु.-पुराण, पुल.-पुल्लिंग, पुर्त. पुर्तगाली, पुरा.-पुरातत्व, प्र.-प्रत्यय, प्रा.-प्राचीन, प्राक.-प्राकृत, फा.-फ़ारसी, फ्रे.-फ्रेंच, ब.-बघेली, बर.-बर्मी, बहु.-बहुवचन, बि.-बिहारी, बुं.-बुन्देलखंडी, बृ.-बृहत्संहिता, बृज.-बृजभाषा बो.-बोलचाल, बौ.-बौद्ध, बं.-बांग्ला/बंगाली, भाग.-भागवत/श्रीमद्भागवत, भूक्रि.-भूतकालिक क्रिया, मनु.-मनुस्मृति, महा.-महाभारत, मी.-मीमांसा, मु.-मुसलमान/नी, मुहा. -मुहावरा, यू.-यूनानी, यूरो.-यूरोपीय, योग.योगशास्त्र, रा.-रामचन्द्रिका, केशवदस-कृत, राम.- रामचरितमानस-तुलसीकृत, रामा.- वाल्मीकि रामायण, रा.-पृथ्वीराज रासो, ला.-लाक्षणिक, लै.-लैटिन, लो.-लोकमान्य/लोक में प्रचलित, वा.-वाक्य, वि.-विशेषण, विद.-विदुरनीति, विद्या.-विद्यापति, वे.-वेदान्त, वै.-वैदिक, व्यं.-व्यंग्य, व्या.-व्याकरण, शुक्र.-शुक्रनीति, सं.-संस्कृत/संज्ञा, सक्रि.-सकर्मक क्रिया, सर्व.-सर्वनाम, सा.-साहित्य/साहित्यिक, सां.-सांस्कृतिक, सू.-सूफीमत, स्त्री.-स्त्रीलिंग, स्मृ.-स्मृतिग्रन्थ, ह.-हरिवंश पुराण, हिं.-हिंदी.
अ से प्रारंभ होनेवाले शब्द : ५
संजीव 'सलिल'
अकिंचन - वि. सं. जिसके पास कुछ न हो, अति निर्धन, विपन्न, गरीब उ., दरिद्र, कर्म शून्य, अपरिग्रही. पु. वह वस्तु जिसका कोई मूल्य न हो, निर्मूल्य, अमूल्य, दरिद्र, परिग्रह का त्याग जै., अपरिग्रही जै.. -वाद- पु. (पॉपर सूट का.) वह वाद जिसमें वादी की ओर दे कहा जाए कि उसे पास वाद-व्यय हेतु कुछ नहीं है अतः, सरकार की ओर से वाद व वकील का व्यय आदि दिया जाए.
अकिंचनता - स्त्री. दरिद्रता, निर्धनता, गरीबी, विपन्नता.
अकिंचनत्व - पु. सं. दरिद्रता, निर्धनता, गरीबी, विपन्नता, परिग्रह (संचय) का त्याग जै..
अकिंचिज्ज - वि. सं. जो कुछ भी न जानता हो, अज्ञानी, ज्ञानहीन.
अकिंचित्कर - वि. सं. जिसके किये कुछ न हो सके, निरर्थक, तुच्छ.
अकि - अ.अथवा, या, फिर. -'आगि जरौं अकि पानी परौं. - घनानन्द ग्रंथावली.
अकितब - वि. सं. जो जारी न हो, निष्कपट.
अकिल - स्त्री. देखें अक्ल.
अकिलैनि - स्त्री. एकाकिनी, -'कान्ह! परे बहुतायत में अकिलैनिकी वेदन जनि कहा तुम'-- घनानन्द ग्रंथावली.
अकिल्विष - वि. सं. पापरहित, निर्मल, विमल, अमल.
अकीक - पु. अ. लाल रंग का बहुमूल्य पत्थर.
अकीदत - स्त्री. अ. श्रृद्धा. -मंद-वि. श्रृद्धालु, श्रद्धावान.
अकीदा - पु. अ. श्रद्धा, विश्वास, आस्था.
अकीरति - स्त्री. देखें अकीर्ति.
अकीर्ति - स्त्री. सं. अपयश, बदनामी उ., अपमान.
अकुंठ - जो कुंठित या भोथरा न हो, कार्यक्षम, शक्तिशाली, खुला हुआ, तीक्ष्ण, पैना, स्थिर, अप्रतिहत,
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सोमवार, 11 अक्टूबर 2010
हिंदी शब्द सलिला : ४ अ से आरम्भ होनेवाले शब्द: ४ -------संजीव 'सलिल'
संजीव 'सलिल'
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संकेत : अ.-अव्यय, अर. अरबी, अक्रि.-अकर्मक क्रिया, अप्र.-अप्रचलित, अर्थ.-अर्थशास्त्र, अलं.- अलंकार, अल्प-अल्प (लघुरूप) सूचक, आ.-आधुनिक, आयु.-आयुर्वेद, इ.-इत्यादि, इब.-इबरानी, उ. -उर्दू, उदा.-उदाहरण, उप.-उपसर्ग, उपनि.-उपनिषद, अं.-अंगिका, अंक.-अंकगणित, इ.-इंग्लिश/अंगरेजी, का.-कानून, काम.-कामशास्त्र, क्व.-क्वचित, ग.-गणित, गी.-गीता, गीता.-गीतावली, तुलसी-कृत, ग्रा.-ग्राम्य, ग्री.-ग्रीक., चि.-चित्रकला, छ.-छतीसगढ़ी, छं.-छंद, ज.-जर्मन, जै.-जैन साहित्य, ज्या.-ज्यामिति, ज्यो.-ज्योतिष, तं.-तंत्रशास्त्र, ति.-तिब्बती, तिर.-तिरस्कारसूचक, दे.-देशज, देव.-देवनागरी, ना.-नाटक, न्या.-न्याय, पा.-पाली, पारा.- पाराशर संहिता, पु.-पुराण, पुल.-पुल्लिंग, पुर्त. पुर्तगाली, पुरा.-पुरातत्व, प्र.-प्रत्यय, प्रा.-प्राचीन, प्राक.-प्राकृत, फा.-फ़ारसी, फ्रे.-फ्रेंच, ब.-बघेली, बर.-बर्मी, बहु.-बहुवचन, बि.-बिहारी, बुं.-बुन्देलखंडी, बृ.-बृहत्संहिता, बृज.-बृजभाषा बो.-बोलचाल, बौ.-बौद्ध, बं.-बांग्ला/बंगाली, भाग.-भागवत/श्रीमद्भागवत, भूक्रि.-भूतकालिक क्रिया, मनु.-मनुस्मृति, महा.-महाभारत, मी.-मीमांसा, मु.-मुसलमान/नी, मुहा. -मुहावरा, यू.-यूनानी, यूरो.-यूरोपीय, योग.योगशास्त्र, रा.-रामचन्द्रिका, केशवदस-कृत, राम.- रामचरितमानस-तुलसीकृत, रामा.- वाल्मीकि रामायण, रा.-पृथ्वीराज रासो, ला.-लाक्षणिक, लै.-लैटिन, लो.-लोकमान्य/लोक में प्रचलित, वा.-वाक्य, वि.-विशेषण, विद.-विदुरनीति, विद्या.-विद्यापति, वे.-वेदान्त, वै.-वैदिक, व्यं.-व्यंग्य, व्या.-व्याकरण, शुक्र.-शुक्रनीति, सं.-संस्कृत/संज्ञा, सक्रि.-सकर्मक क्रिया, सर्व.-सर्वनाम, सा.-साहित्य/साहित्यिक, सां.-सांस्कृतिक, सू.-सूफीमत, स्त्री.-स्त्रीलिंग, स्मृ.-स्मृतिग्रन्थ, ह.-हरिवंश पुराण, हिं.-हिंदी.
अ से आरम्भ होनेवाले शब्द: ४
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संकेत : अ.-अव्यय, अर. अरबी, अक्रि.-अकर्मक क्रिया, अप्र.-अप्रचलित, अर्थ.-अर्थशास्त्र, अलं.- अलंकार, अल्प-अल्प (लघुरूप) सूचक, आ.-आधुनिक, आयु.-आयुर्वेद, इ.-इत्यादि, इब.-इबरानी, उ. -उर्दू, उदा.-उदाहरण, उप.-उपसर्ग, उपनि.-उपनिषद, अं.-अंगिका, अंक.-अंकगणित, इ.-इंग्लिश/अंगरेजी, का.-कानून, काम.-कामशास्त्र, क्व.-क्वचित, ग.-गणित, गी.-गीता, गीता.-गीतावली, तुलसी-कृत, ग्रा.-ग्राम्य, ग्री.-ग्रीक., चि.-चित्रकला, छ.-छतीसगढ़ी, छं.-छंद, ज.-जर्मन, जै.-जैन साहित्य, ज्या.-ज्यामिति, ज्यो.-ज्योतिष, तं.-तंत्रशास्त्र, ति.-तिब्बती, तिर.-तिरस्कारसूचक, दे.-देशज, देव.-देवनागरी, ना.-नाटक, न्या.-न्याय, पा.-पाली, पारा.- पाराशर संहिता, पु.-पुराण, पुल.-पुल्लिंग, पुर्त. पुर्तगाली, पुरा.-पुरातत्व, प्र.-प्रत्यय, प्रा.-प्राचीन, प्राक.-प्राकृत, फा.-फ़ारसी, फ्रे.-फ्रेंच, ब.-बघेली, बर.-बर्मी, बहु.-बहुवचन, बि.-बिहारी, बुं.-बुन्देलखंडी, बृ.-बृहत्संहिता, बृज.-बृजभाषा बो.-बोलचाल, बौ.-बौद्ध, बं.-बांग्ला/बंगाली, भाग.-भागवत/श्रीमद्भागवत, भूक्रि.-भूतकालिक क्रिया, मनु.-मनुस्मृति, महा.-महाभारत, मी.-मीमांसा, मु.-मुसलमान/नी, मुहा. -मुहावरा, यू.-यूनानी, यूरो.-यूरोपीय, योग.योगशास्त्र, रा.-रामचन्द्रिका, केशवदस-कृत, राम.- रामचरितमानस-तुलसीकृत, रामा.- वाल्मीकि रामायण, रा.-पृथ्वीराज रासो, ला.-लाक्षणिक, लै.-लैटिन, लो.-लोकमान्य/लोक में प्रचलित, वा.-वाक्य, वि.-विशेषण, विद.-विदुरनीति, विद्या.-विद्यापति, वे.-वेदान्त, वै.-वैदिक, व्यं.-व्यंग्य, व्या.-व्याकरण, शुक्र.-शुक्रनीति, सं.-संस्कृत/संज्ञा, सक्रि.-सकर्मक क्रिया, सर्व.-सर्वनाम, सा.-साहित्य/साहित्यिक, सां.-सांस्कृतिक, सू.-सूफीमत, स्त्री.-स्त्रीलिंग, स्मृ.-स्मृतिग्रन्थ, ह.-हरिवंश पुराण, हिं.-हिंदी.
अ से आरम्भ होनेवाले शब्द: ४
अकलउता - वि. छ. एकमात्र, इकलौता.
अकलउती - वि. छ. एकमात्र, इकलौती.
अकलकरहा - सं. पु, छ. अकरकरा, एक दवा / औषधि का पौधा.
अकलमुड़ा - वि. छ. उल्टी अकल का, बेअकल. सं., पु. इकलौता, इकलौती.
अकसरिया - वि. छ. एक बार, पहली बार.
अकसी - सं. छ. पेड़ से फल तोड़ने के लिये डंडे / बाँस में जाली बाँध कर बनाई गई डंगनी जिससे तोड़ते समय फल नीचे न गिरे.
अकाउंट - पु. इ. हिसाब, लेखा. -असिस्टेंट- पु., लेखा सहायक, -ऑफीसर- पु., लेखाधिकारी, -बुक- बही-खाता, -लैस- लेखा बिना, लेखा हीन .
अकाउन्टेंट - पु. इ. हिसाब-किताब लिखने / जाँचने वाला, मुनीम.
अकाउन्टेंसी - स्त्री. इ. लेखा-विद्या, लेखाशास्त्र, लेखा-कर्म, लेखा-विधि.
अकाज - पु. कार्य-हानि, काम का नुक्सान, हर्ज, विघ्न, बाधा, दुष्कर्म, बुरा काम. अ., व्यर्थ ही, निष्प्रयोजन.
अकाजना - सक्रि. हानि करना. अक्रि., नष्ट होना, न रहना.
अकाजी - वि. अकाज करनेवाला, हानि करनेवाला, न करने योग्य काम / दुष्कर्म करनेवाला, निरुद्देश्य काम करनेवाला.
अकाट - वि. ऐसी दलील / तर्क जो कट न सके / जिसे काटा न जा सके, अखण्डणीय, अकाट्य.
अकाट्य - वि. ऐसी दलील / तर्क जो कट न सके / जिसे काटा न जा सके, अखण्डणीय, अकाट.
अकातर - वि. सं., जो भीरु / हतोत्साहित / डरा / भीत न हो.
अकाथ - वि. अकथनीय, न कहने योग्य, अ., अकारथ, व्यर्थ.
अकादमी - पु. उच्च शिक्षा संस्था, किसी विषय / विधा की उन्नति हेतु स्थापित विद्वानों की परिषद्.
अकाम - वि. सं. कामनारहित, निष्काम, इच्छारहित, उदासीन, अनिच्छुक, वासनाहीन. पु., दुष्कर्म, अ., निष्प्रयोजन, अकारण, निरुद्देश्य, बिना काम के. -हत- वि. जो इच्छा से प्रभावित न हो, धीर, शांत.
अकामता - स्त्री. सं. इच्छा का अभाव.
अकामी /मिन - वि. सं. देखें अकाम.
अकाय - वि. सं. कायरहित, अशरीर. पु. राहू, परमात्मा, निराकार, चित्रगुप्त.
अकार - पु. सं. 'अ' अक्षर या उसकी उच्चारण ध्वनि.
अकारण - अ. सं. बिना कारण, बेमतलब. वि. हेतुरहित, निरुद्देश्य., पु. कारण का अभाव.
अकारत/थ - अ. व्यर्थ, बेकार (आना, जाना, होना), वि. निष्फल, लाभहीन.
अकारन - पु. सं. देखें अकारण.
अकारांत - वि. सं. जिसके अंत में 'अ' हो.
अकारादि - वि. सं. 'अ' से आरंभ होनेवाला क्रम.
अकारपण्य - वि. सं. जो बिना नीचता या दीनता दिखाए प्राप्त किया गया हो. पु दीनता, कृपणता या हीनता का अभाव.
अकार्य - वि. सं. न करने योग्य, अकर्तव्य, अनुचित. पु. बुरा काम, अनुचित कार्य. -कारी/रिन- वि., बुरा काम करनेवाला, कर्त्तव्य का पालन न करनेवाला.
अकाल - पु. सं. अयोग्य या अनियत काल, कुसमय, अनवसर, अशुभकाल, काल के परे, परमात्मा, चित्रगुप्त. हि. दुर्भिक्ष, सूखा, कमी. वि. जो काला न हो, सफ़ेद, बेमौसिम का, असामयिक. -कुसुम-बेमौसिम का फूल, बेमौसिम की चीज. -कुष्मांड / कूष्माण्ड- पु. बेमौसिम का कुम्हड़ा, बलिदान आदि के काम न आनेवाला कुम्हड़ा, बेकार चीज, बेकाम वस्तु, निरर्थक जन्म. (गांधारी को कूष्मान्डाकार मांसपिंड का अकाल प्रसव हुआ था जिससे कुरुकुलनाशक दुर्योधन आदि सौ पुत्रों का जन्म हुआ जो कौरव कहलाये.) -ग्रस्त- दुर्भिक्ष का मारा, समय का मारा, विपदा-संकट में फँसा हुआ. -ज-वि.असमय उत्पन्न होनेवाला. -जलद- पु. असमय का बादल, -जलोदय/मेघोदय- पु. बेवक्त, बेमौसिम बादलों का घिरना. -जात- समय से पहले, बेमौसिम उपजा हुआ. -तख़्त- सिखों की सर्वोच्च धार्मिक पीठ, अमृतसर में. -पक्व- वि. समय से पहले पक जाने वाला (फल आदि), -पुरुष/पुरुख- पु. परमेश्वर चित्रगुप्त/कायस्थ, परमात्मा सिख. -पंथ- सिखों की एक शाखा. -प्रसव- समय-पूर्व प्रसव, वक़्त से पहले जचकी. -भूत- एक प्रकार का दास जो अकाल में मिला हो. -मूर्ति- पु. अविनाशी पुरुष. -मृत्यु- स्त्री.असामयिक/दुर्घटना या अल्प वय में होने वाली मौत. -विचारणा- स्त्री. (इन्क्वेस्ट) अकाल मृत्यु आदि के संबंध में की जानेवाली कानूनी जाँच-पड़ताल, अन्वीक्षण, अपमृत्यु-समीक्षा. -वृद्ध- वि. समय से पहले बूढा, कमजोर हो जानेवाला. -बेला- स्त्री. असमय. -सह- जो देर न सह सके, अधीर, जो देर तक चल या टिक न सके.
अकालिक - वि. सं. असामयिक.
अकाली - पु. सिखों का एक संप्रदाय, अकाल तख़्त का अनुयायी.
अकालोत्पन्न - वि. सं. समय से पहले उत्पन्न.
अकाव - पु. आक, मंदार.
अकास - पु. देखें आकाश. -दिया/दीया- पु. आकाशदीप. -नीम- पु. एक पेड़. -बानी- स्त्री. आकाशवाणी, देव-वाणी. -बेल- स्त्री. अमरबेल. मु. -बाँधना- असंभव काम करने का यत्न करना, -'सूधे बात कहौ सुख पावै, बंधन कहत अकास- सूरदास.
अकासी - स्त्री. एक पक्षी, चील, द्रव जिसे पीकर दिमाग आसमान में उड़ने की अनुभूति कराये, ताड़ी.
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सफल साधना हो 'सलिल', रीझे ईश अनित्य..
शांति-राज सुख-चैन हो, हों कृपालु जगदीश.
सत्य सहाय सदा रहे, अंतर्मन पृथ्वीश..
गुप्त चित्र निर्मल रहे, ऐसे ही हों कर्म.
ज्यों की त्यों चादर रखे,निभा'सलिल'निज धर्म.
रविवार, 10 अक्टूबर 2010
हिंदी शब्द सलिला : ३ अ से आरम्भ होनेवाले शब्द: ३ ---------संजीव 'सलिल'
हिंदी शब्द सलिला : ३
संजीव 'सलिल'
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संकेत : अ.-अव्यय, अर. अरबी, अक्रि.-अकर्मक क्रिया, अप्र.-अप्रचलित, अर्थ.-अर्थशास्त्र, अलं.- अलंकार, अल्प-अल्प (लघुरूप) सूचक, आ.-आधुनिक, आयु.-आयुर्वेद, इ.-इत्यादि, इब.-इबरानी, उ. -उर्दू, उदा.-उदाहरण, उप.-उपसर्ग, उपनि.-उपनिषद, अं.-अंगिका, अंक.-अंकगणित, अंग.- अंग्रेजी, का.-कानून, काम.-कामशास्त्र, क्व.-क्वचित, ग.-गणित, गी.-गीता, गीता.-गीतावली, तुलसी-कृत, ग्रा.-ग्राम्य, ग्री.-ग्रीक., चि.-चित्रकला, छ.-छतीसगढ़ी, छं.-छंद, ज.-जर्मन, जै.-जैन साहित्य, ज्या.-ज्यामिति, ज्यो.-ज्योतिष, तं.-तंत्रशास्त्र, ति.-तिब्बती, तिर.-तिरस्कारसूचक, दे.-देशज, देव.-देवनागरी, ना.-नाटक, न्या.-न्याय, पा.-पाली, पारा.- पाराशर संहिता, पु.-पुराण, पुल.-पुल्लिंग, पुर्त. पुर्तगाली, पुरा.-पुरातत्व, प्र.-प्रत्यय, प्रा.-प्राचीन, प्राक.-प्राकृत, फा.-फ़ारसी, फ्रे.-फ्रेंच, ब.-बघेली, बर.-बर्मी, बहु.-बहुवचन, बि.-बिहारी, बुं.-बुन्देलखंडी, बृ.-बृहत्संहिता, बृज.-बृजभाषा बो.-बोलचाल, बौ.-बौद्ध, बं.-बांग्ला/बंगाली, भाग.-भागवत/श्रीमद्भागवत, भूक्रि.-भूतकालिक क्रिया, मनु.-मनुस्मृति, महा.-महाभारत, मी.-मीमांसा, मु.-मुसलमान/नी, मुहा. -मुहावरा, यू.-यूनानी, यूरो.-यूरोपीय, योग.योगशास्त्र, रा.-रामचन्द्रिका, केशवदस-कृत, राम.- रामचरितमानस-तुलसीकृत, रामा.- वाल्मीकि रामायण, रा.-पृथ्वीराज रासो, ला.-लाक्षणिक, लै.-लैटिन, लो.-लोकमान्य/लोक में प्रचलित, वा.-वाक्य, वि.-विशेषण, विद.-विदुरनीति, विद्या.-विद्यापति, वे.-वेदान्त, वै.-वैदिक, व्यं.-व्यंग्य, व्या.-व्याकरण, शुक्र.-शुक्रनीति, सं.-संस्कृत, सक्रि.-सकर्मक क्रिया, सर्व.-सर्वनाम, सा.-साहित्य/साहित्यिक, सां.-सांस्कृतिक, सू.-सूफीमत, स्त्री.-स्त्रीलिंग, स्मृ.-स्मृतिग्रन्थ, ह.-हरिवंश पुराण, हिं.-हिंदी.
अ से आरम्भ होनेवाले शब्द: ३
अकरी - स्त्री., हल में लगा हुआ चोंगा (फनल) जिसमें भरकर बाई करते समय खेत में बीज गिराया जाता है., एक विशेष पौधा.
अकरुण - वि., सं., करुणा रहित, निष्करुण, निष्ठुर.
अकर्कश - वि. सं., कर्कशतारहित, नरम, मृदु.
अकर्णक - वि., सं., कर्णहीन, भावार्थ बधिर, बहरा.
अकर्न्य - वि., सं., जो कानों के योग्य न हो, अश्रवणीय.
अकर्तन - वि., सं., नहीं काटना, बोना.
अकर्तव्य - वि., सं., न करने योग्य, अविहित, अनुचित. पु. अनुचित कर्म.
अकर्ता/ अकर्तृ - वि., सं., जो कर्ता न हो, कर्म न करनेवाला, कर्म से अलिप्त पुरुष, अकर्मा, ईश्वर, परमब्रम्ह.
अकर्तक - वि., सं., जिसका कोई कर्ता न हो.
अकर्तृत्व - पु., सं., कर्तृत्व/कर्तापन के अभिमान का अभाव.
अकर्म - पु., सं., कर्म का अभाव, निष्क्रियता, कर्तव्य/कर्म न करना, बुरा काम. -भोग - पु., कर्मफल के भोग से मुक्ति. -शील - वि., सुस्त, आलसी, कामचोर.
अकर्मक - वि., सं., वह क्रिया जिसके लिये कर्म की अपेक्षा न हो (व्या.). पु. परमात्मा..
अकर्मण्य - वि., सं., कर्म के अयोग्य, निकम्मा, आलसी, न कर्म न करने योग्य.
अकर्मा/अकर्मन - वि., सं., कर्मरहित, जो कुछ न कर्ता हो, निकम्मा, बेकाम, संस्कार आदि का अनधिकारी.
अकर्मान्वित - वि., सं., अपराधी, दुष्कर्मयुक्त, निठल्ला, बेकार.
अकर्मी / अकर्मिन - वि., सं., दुष्कर्म करनेवाला, दुष्कर्मी, पापी.
अकर्षण - पु., सं., कर्षण या खिंचाव न होना, आकर्षण = खिंचाव.
अकलंक - वि., सं., कलंकरहित, निर्दोष, बेदाग़,
अकलंकता - स्त्री., सं., दोषहीनता, निर्दोषिता.
अकलंकित - वि., सं., निर्दोष, शुद्ध, बेदाग़.
अकल - वि., सं., अवयवरहित, यंत्रहीन, अखण्ड, अंशरहित, निराकार, कलाहीन, गुणहीन, स्त्री. अकल, -दाढ़- स्त्री., युवा होने पर उगनेवाली दाढ़, अक्ल का दाँत.
अकलखुरा - वि., अकेला खानेवाला, स्वार्थी, ईर्ष्यालु, जो मिलनसार न हो.
अकलवर / अकलवीर - पु., पौधा जिसकी जड़ रेशम पर रंग चढ़ाने के काम आती है.
अकलुष - वि. सं., स्वच्छ, मलहीन, निर्दोष, साफ़, गन्दगीरहित. -इस्पात- पु., क्रोमियम आदि धातुएं मिलाकर तैयार किया गया इस्पात जिसमें मोर्चा/जंग नहीं लगता, स्टेनलैस स्टील.
अकल्क - वि., सं., बिना तलछट का, निर्मल, शुद्ध, निष्पाप, स्वच्छ.
अकल्कक, अकल्कन, अकल्कल - वि., सं., विनम्र, दंभरहित, घमंडहीन, निरहंकार, ईमानदार.
अकल्कता - स्त्री., सं., ईमानदारी, शुद्धता.
अकल्का - स्त्री., सं., चाँदनी, ज्योत्सना.
अकल्प - वि., सं., अनियंत्रित, नियम न माननेवाला, दुर्बल, अक्षम, अतुलनीय.
अकल्पनीय - वि. ,सं., जिसकी कल्पना न की जा सके, अप्रामाणिक, असंभावित.
अकल्पित -वि., सं., कल्पनारहित, अकाल्पनिक, अकृत्रिम, प्राकृतिक, प्रामाणिक, संभावित.
अकल्मष - वि., सं., बेदाग़, निर्दोष, शुद्ध.
अकल्य - वि., सं., अस्वस्थ, सत्य.
अकल्याण - पु., सं., अमंगल, अहित. वि. अशुभ.
अकव / अकवा - वि., सं., अवर्णनीय, जो तुच्छ या कृपण न हो. रघुराजसिंह कृत राम स्वयंवर.
अकवच - वि., सं., कवचरहित, जिसके बदन पर बख्तर न हो.
अकवन - पु., अर्क / आक का पेड़.
अकवाम - स्त्री., अ., उ., कौम का बहुवचन.
अकविता - स्त्री., कविता के पूर्व प्रचलित उपादानों को नकारकर आगे बढ़नेवाली काव्य-प्रवृत्ति.
अकशेरुकी - पु. इनवर्टिब्रेट, मेरुदंड / रीढ़ विहीन प्राणी, जैसे: प्रोटोजोआ, घोंघा, अपृष्ठवंशी.
अकस - पु., द्वेष, ईर्ष्या, बराबरी, छाया, प्रतिबिम्ब.
अकस - अ., अकस्मात्. -पृथ्वीराज रासो.
अकसना - अक्रि., बराबरी करना, समसरी करना, समानता करना, बैर करना, झगड़ना, लड़ना, स्पर्धा करना.
अकसर - वि., अ., बहुत अधिक, अत्यधिक. अधिकतर, बहुधा. वि. अकेला, अकेले, बिना किसी को साथ लिये, एकाकी. कवण हेतु मन व्यग्र अति, अकसर आयेहु तात.-राम.
अकसी - अकस / द्वेष रखनेवाला, बैरी, शत्रु, दुश्मन.
अकसीर - स्त्री., अ., कीमिया, दवा जिससे सस्ती धातु से सोना बनाया जा सके, रोग विशेष की अचूक / अति गुणकरी औषधि. वि, अचूक, अव्यर्थ. -गर- कीमियाबनानेवाला, कीमियागर, -की बूटी- सोना-चाँदी बनाने की बूटी.
अकस्मात् - अ., सं., सहसा, अचानक, एकाएक, हठात, संयोगवश, आकारण, बिना कारण, दर्शन का एक पारिभाषिक शब्द जो तांत्रिक साधना में विशिष्ट अर्थ रखता है.
अकह - वि., अवर्णनीय, न कहने योग्य, अकहनीय, अकथनीय, अनुचित.
अकहानी - स्त्री., यूरोप में प्रचलित 'एंटी स्टोरी' का हिन्दी रूप जो यह मानता है कि कहनी के परंपरागत तत्वों को नकारकर ही कहानी खुद को आधुनिक बना सकती है.
अकहुवा / अकहुआ - वि., दे., अकथनीय, जिसका वर्णन न हो सके.
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संकेत : अ.-अव्यय, अर. अरबी, अक्रि.-अकर्मक क्रिया, अप्र.-अप्रचलित, अर्थ.-अर्थशास्त्र, अलं.- अलंकार, अल्प-अल्प (लघुरूप) सूचक, आ.-आधुनिक, आयु.-आयुर्वेद, इ.-इत्यादि, इब.-इबरानी, उ. -उर्दू, उदा.-उदाहरण, उप.-उपसर्ग, उपनि.-उपनिषद, अं.-अंगिका, अंक.-अंकगणित, अंग.- अंग्रेजी, का.-कानून, काम.-कामशास्त्र, क्व.-क्वचित, ग.-गणित, गी.-गीता, गीता.-गीतावली, तुलसी-कृत, ग्रा.-ग्राम्य, ग्री.-ग्रीक., चि.-चित्रकला, छ.-छतीसगढ़ी, छं.-छंद, ज.-जर्मन, जै.-जैन साहित्य, ज्या.-ज्यामिति, ज्यो.-ज्योतिष, तं.-तंत्रशास्त्र, ति.-तिब्बती, तिर.-तिरस्कारसूचक, दे.-देशज, देव.-देवनागरी, ना.-नाटक, न्या.-न्याय, पा.-पाली, पारा.- पाराशर संहिता, पु.-पुराण, पुल.-पुल्लिंग, पुर्त. पुर्तगाली, पुरा.-पुरातत्व, प्र.-प्रत्यय, प्रा.-प्राचीन, प्राक.-प्राकृत, फा.-फ़ारसी, फ्रे.-फ्रेंच, ब.-बघेली, बर.-बर्मी, बहु.-बहुवचन, बि.-बिहारी, बुं.-बुन्देलखंडी, बृ.-बृहत्संहिता, बृज.-बृजभाषा बो.-बोलचाल, बौ.-बौद्ध, बं.-बांग्ला/बंगाली, भाग.-भागवत/श्रीमद्भागवत, भूक्रि.-भूतकालिक क्रिया, मनु.-मनुस्मृति, महा.-महाभारत, मी.-मीमांसा, मु.-मुसलमान/नी, मुहा. -मुहावरा, यू.-यूनानी, यूरो.-यूरोपीय, योग.योगशास्त्र, रा.-रामचन्द्रिका, केशवदस-कृत, राम.- रामचरितमानस-तुलसीकृत, रामा.- वाल्मीकि रामायण, रा.-पृथ्वीराज रासो, ला.-लाक्षणिक, लै.-लैटिन, लो.-लोकमान्य/लोक में प्रचलित, वा.-वाक्य, वि.-विशेषण, विद.-विदुरनीति, विद्या.-विद्यापति, वे.-वेदान्त, वै.-वैदिक, व्यं.-व्यंग्य, व्या.-व्याकरण, शुक्र.-शुक्रनीति, सं.-संस्कृत, सक्रि.-सकर्मक क्रिया, सर्व.-सर्वनाम, सा.-साहित्य/साहित्यिक, सां.-सांस्कृतिक, सू.-सूफीमत, स्त्री.-स्त्रीलिंग, स्मृ.-स्मृतिग्रन्थ, ह.-हरिवंश पुराण, हिं.-हिंदी.
अ से आरम्भ होनेवाले शब्द: ३
अकरी - स्त्री., हल में लगा हुआ चोंगा (फनल) जिसमें भरकर बाई करते समय खेत में बीज गिराया जाता है., एक विशेष पौधा.
अकरुण - वि., सं., करुणा रहित, निष्करुण, निष्ठुर.
अकर्कश - वि. सं., कर्कशतारहित, नरम, मृदु.
अकर्णक - वि., सं., कर्णहीन, भावार्थ बधिर, बहरा.
अकर्न्य - वि., सं., जो कानों के योग्य न हो, अश्रवणीय.
अकर्तन - वि., सं., नहीं काटना, बोना.
अकर्तव्य - वि., सं., न करने योग्य, अविहित, अनुचित. पु. अनुचित कर्म.
अकर्ता/ अकर्तृ - वि., सं., जो कर्ता न हो, कर्म न करनेवाला, कर्म से अलिप्त पुरुष, अकर्मा, ईश्वर, परमब्रम्ह.
अकर्तक - वि., सं., जिसका कोई कर्ता न हो.
अकर्तृत्व - पु., सं., कर्तृत्व/कर्तापन के अभिमान का अभाव.
अकर्म - पु., सं., कर्म का अभाव, निष्क्रियता, कर्तव्य/कर्म न करना, बुरा काम. -भोग - पु., कर्मफल के भोग से मुक्ति. -शील - वि., सुस्त, आलसी, कामचोर.
अकर्मक - वि., सं., वह क्रिया जिसके लिये कर्म की अपेक्षा न हो (व्या.). पु. परमात्मा..
अकर्मण्य - वि., सं., कर्म के अयोग्य, निकम्मा, आलसी, न कर्म न करने योग्य.
अकर्मा/अकर्मन - वि., सं., कर्मरहित, जो कुछ न कर्ता हो, निकम्मा, बेकाम, संस्कार आदि का अनधिकारी.
अकर्मान्वित - वि., सं., अपराधी, दुष्कर्मयुक्त, निठल्ला, बेकार.
अकर्मी / अकर्मिन - वि., सं., दुष्कर्म करनेवाला, दुष्कर्मी, पापी.
अकर्षण - पु., सं., कर्षण या खिंचाव न होना, आकर्षण = खिंचाव.
अकलंक - वि., सं., कलंकरहित, निर्दोष, बेदाग़,
अकलंकता - स्त्री., सं., दोषहीनता, निर्दोषिता.
अकलंकित - वि., सं., निर्दोष, शुद्ध, बेदाग़.
अकल - वि., सं., अवयवरहित, यंत्रहीन, अखण्ड, अंशरहित, निराकार, कलाहीन, गुणहीन, स्त्री. अकल, -दाढ़- स्त्री., युवा होने पर उगनेवाली दाढ़, अक्ल का दाँत.
अकलखुरा - वि., अकेला खानेवाला, स्वार्थी, ईर्ष्यालु, जो मिलनसार न हो.
अकलवर / अकलवीर - पु., पौधा जिसकी जड़ रेशम पर रंग चढ़ाने के काम आती है.
अकलुष - वि. सं., स्वच्छ, मलहीन, निर्दोष, साफ़, गन्दगीरहित. -इस्पात- पु., क्रोमियम आदि धातुएं मिलाकर तैयार किया गया इस्पात जिसमें मोर्चा/जंग नहीं लगता, स्टेनलैस स्टील.
अकल्क - वि., सं., बिना तलछट का, निर्मल, शुद्ध, निष्पाप, स्वच्छ.
अकल्कक, अकल्कन, अकल्कल - वि., सं., विनम्र, दंभरहित, घमंडहीन, निरहंकार, ईमानदार.
अकल्कता - स्त्री., सं., ईमानदारी, शुद्धता.
अकल्का - स्त्री., सं., चाँदनी, ज्योत्सना.
अकल्प - वि., सं., अनियंत्रित, नियम न माननेवाला, दुर्बल, अक्षम, अतुलनीय.
अकल्पनीय - वि. ,सं., जिसकी कल्पना न की जा सके, अप्रामाणिक, असंभावित.
अकल्पित -वि., सं., कल्पनारहित, अकाल्पनिक, अकृत्रिम, प्राकृतिक, प्रामाणिक, संभावित.
अकल्मष - वि., सं., बेदाग़, निर्दोष, शुद्ध.
अकल्य - वि., सं., अस्वस्थ, सत्य.
अकल्याण - पु., सं., अमंगल, अहित. वि. अशुभ.
अकव / अकवा - वि., सं., अवर्णनीय, जो तुच्छ या कृपण न हो. रघुराजसिंह कृत राम स्वयंवर.
अकवच - वि., सं., कवचरहित, जिसके बदन पर बख्तर न हो.
अकवन - पु., अर्क / आक का पेड़.
अकवाम - स्त्री., अ., उ., कौम का बहुवचन.
अकविता - स्त्री., कविता के पूर्व प्रचलित उपादानों को नकारकर आगे बढ़नेवाली काव्य-प्रवृत्ति.
अकशेरुकी - पु. इनवर्टिब्रेट, मेरुदंड / रीढ़ विहीन प्राणी, जैसे: प्रोटोजोआ, घोंघा, अपृष्ठवंशी.
अकस - पु., द्वेष, ईर्ष्या, बराबरी, छाया, प्रतिबिम्ब.
अकस - अ., अकस्मात्. -पृथ्वीराज रासो.
अकसना - अक्रि., बराबरी करना, समसरी करना, समानता करना, बैर करना, झगड़ना, लड़ना, स्पर्धा करना.
अकसर - वि., अ., बहुत अधिक, अत्यधिक. अधिकतर, बहुधा. वि. अकेला, अकेले, बिना किसी को साथ लिये, एकाकी. कवण हेतु मन व्यग्र अति, अकसर आयेहु तात.-राम.
अकसी - अकस / द्वेष रखनेवाला, बैरी, शत्रु, दुश्मन.
अकसीर - स्त्री., अ., कीमिया, दवा जिससे सस्ती धातु से सोना बनाया जा सके, रोग विशेष की अचूक / अति गुणकरी औषधि. वि, अचूक, अव्यर्थ. -गर- कीमियाबनानेवाला, कीमियागर, -की बूटी- सोना-चाँदी बनाने की बूटी.
अकस्मात् - अ., सं., सहसा, अचानक, एकाएक, हठात, संयोगवश, आकारण, बिना कारण, दर्शन का एक पारिभाषिक शब्द जो तांत्रिक साधना में विशिष्ट अर्थ रखता है.
अकह - वि., अवर्णनीय, न कहने योग्य, अकहनीय, अकथनीय, अनुचित.
अकहानी - स्त्री., यूरोप में प्रचलित 'एंटी स्टोरी' का हिन्दी रूप जो यह मानता है कि कहनी के परंपरागत तत्वों को नकारकर ही कहानी खुद को आधुनिक बना सकती है.
अकहुवा / अकहुआ - वि., दे., अकथनीय, जिसका वर्णन न हो सके.
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चिप्पियाँ Labels:
-acharya sanjiv 'salil',
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hindi,
hindi shabd salila,
india.,
shabd kosh
करें वंदना-प्रार्थना, भजन-कीर्तन नित्य.
सफल साधना हो 'सलिल', रीझे ईश अनित्य..
शांति-राज सुख-चैन हो, हों कृपालु जगदीश.
सत्य सहाय सदा रहे, अंतर्मन पृथ्वीश..
गुप्त चित्र निर्मल रहे, ऐसे ही हों कर्म.
ज्यों की त्यों चादर रखे,निभा'सलिल'निज धर्म.
शनिवार, 9 अक्टूबर 2010
हिंदी शब्द सलिला : २ ------ संजीव 'सलिल'
हिंदी शब्द सलिला : २
संजीव 'सलिल'
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(संकेत : अ.-अव्यय, अर. अरबी, अक्रि.-अकर्मक क्रिया, अप्र.-अप्रचलित, अर्थ.-अर्थशास्त्र, अलं.- अलंकार, अल्प-अल्प (लघुरूप) सूचक, आ.-आधुनिक, आयु.-आयुर्वेद, इ.-इत्यादि, इब.-इबरानी, उ. -उर्दू, उदा.-उदाहरण, उप.-उपसर्ग, उपनि.-उपनिषद, अं.-अंगिका, अंक.-अंकगणित, अंग.- अंग्रेजी, का.-कानून, काम.-कामशास्त्र, क्व.-क्वचित, ग.-गणित, गी.-गीता, गीता.-गीतावली, तुलसी-कृत, ग्रा.-ग्राम्य, ग्री.-ग्रीक., चि.-चित्रकला, छ.-छतीसगढ़ी, छं.-छंद, ज.-जर्मन, जै.-जैन साहित्य, ज्या.-ज्यामिति, ज्यो.-ज्योतिष, तं.-तंत्रशास्त्र, ति.-तिब्बती, तिर.-तिरस्कारसूचक, दे.-देशज, देव.-देवनागरी, ना.-नाटक, न्या.-न्याय, पा.-पाली, पारा.- पाराशर संहिता, पु.-पुराण, पुल.-पुल्लिंग, पुर्त. पुर्तगाली, पुरा.-पुरातत्व, प्र.-प्रत्यय, प्रा.-प्राचीन, प्राक.-प्राकृत, फा.-फ़ारसी, फ्रे.-फ्रेंच, ब.-बघेली, बर.-बर्मी, बहु.-बहुवचन, बि.-बिहारी, बुं.-बुन्देलखंडी, बृ.-बृहत्संहिता, बृज.-बृजभाषा बो.-बोलचाल, बौ.-बौद्ध, बं.-बांग्ला/बंगाली, भाग.-भागवत/श्रीमद्भागवत, भूक्रि.-भूतकालिक क्रिया, मनु.-मनुस्मृति, महा.-महाभारत, मी.-मीमांसा, मु.-मुसलमान/नी, मुहा. -मुहावरा, यू.-यूनानी, यूरो.-यूरोपीय, योग.योगशास्त्र, रा.-रामचन्द्रिका, केशवदस-कृत, रामा.- रामचरितमानस-तुलसीकृत, रा.-पृथ्वीराज रासो, ला.-लाक्षणिक, लै.-लैटिन, लो.-लोकमान्य/लोक में प्रचलित, वा.-वाक्य, वि.-विशेषण, विद.-विदुरनीति, विद्या.-विद्यापति, विरु.-विरुद्धार्थी, वे.-वेदान्त, वै.-वैदिक, व्यं.-व्यंग्य, व्या.-व्याकरण, शुक्र.-शुक्रनीति, सं.-संस्कृत, सक्रि.-सकर्मक क्रिया, समा. -समानार्थी, सर्व.-सर्वनाम, सा.-साहित्य/साहित्यिक, सां.-सांस्कृतिक, सू.-सूफीमत, स्त्री.-स्त्रीलिंग, स्मृ.-स्मृतिग्रन्थ, ह.-हरिवंश पुराण, हिं.-हिंदी.)
अ से आरम्भ होनेवाले शब्द: २
अकथ - वि., दे., अकथ्य.
अकथनीय - वि., सं., जिसे कहा न जा सके, अकथ्य.
अकथित - वि., सं., जो न कहा गया हो, अनुक्त, गौड़ (कर्म.-व्या.) .
अकथ्य - वि., सं., जो कहा न जा सके, कथन के अयोग्य, अकथनीय, कहने की शक्ति/मर्यादा के बाहर.
अकद - पु., दे.,
अकधक् - पु., आगा-पीछा, भला-बुरा, आशंका.
अकनना - सक्रि., कान लगाना, आहत लेना, सुनना.
अकना - अक्रि.,घबड़ाना.
अकनिष्ठ - वि., सं., जो सबसे छोटा न हो, जिससे छोटा अन्य हो, पु. बुद्ध, बौद्ध देव, वर्ग विशेष.
अकन्या - स्त्री., सं., कौमार्य खो चुकी कन्या.
अकबक - पु., अंड-बंड बातें, ऊटपटाँग बातें, प्रलाप, सुध-बुध खोकर बडबड़ाना, चिंता, खटका. वि. चकित, निस्तब्ध.
अकबकाना - अक्रि., भौंचक्का होना, घबराना.
अकबर - वि., अ., बहुत बड़ा, महत्तर. भारत के मुग़ल राजवंश का तीसरा बादशाह १५४२-१६०५ई..
अकबरी - अकबर द्वारा चलाया गया, अकबर संबंधी, बेमेल (विवाह). स्त्री. एक मिठाई, लकड़ी पर की जानेवाली एक तरह की नक्काशी, -गज, पु., दे. गज इलाही.
अकबाल - पु., दे., इकबाल.
अकर - वि., सं., बिना हाथ का, लूला, कर रहित, कर से मुक्त, बिना महसूल का, दुष्कर, निष्क्रिय, जो काम न कर रहा हो.
अकरकरा - पु., आयुर्वेदिक वनस्पति, जड़ी-बूटी, दवा के काम आनेवाला एक पौधा, आकरकरहा.
अकरखना - सक्रि., आकृष्ट करना, खींचना-तानना.
अकरण - वि. सं., इन्द्रिय-रहित, विदेह, परमात्मा, अकृत्रिम, स्वाभाविक. अकारण, कारणहीन, जिसका करना अनुचित या कठिन हो. पु. कुछ न करना, कर्म का अभाव.
अकरणि - स्त्री., सं., असफलता, विफलता, नैराश्य.
अकरणीय - वि., सं., न करने योग्य.
अकरन - वि., अकारण, अकरणीय.
अकरनीय - वि., दे., अकरणीय.
अकरब - पु., अ., बिच्छू, वृश्चिक राशि, घोडा जिसके मुँह पर श्वेत रोमराशि के मध्य दूसरे रंग के रोयें हों.
अकरा - स्त्री., सं., आमलकी. वि., बहुमूल्य, खरा, चोखा.
अकराथ - वि., व्यर्थ, निष्प्रयोजन, अकारण, बिना कारण के, अहैतुक.
अकराम - पु., अ., अनुग्रह, बख्शीश, ()करम' का बहु., इनाम-अकराम).
अकराल - वि., सं., जो भयंकर न हो, सुन्दर, सौम्य. विरु. कराल, भयानक.
अकरास - पु., सुस्ती, आलस्य, अँगडाई.
अकरासू - वि., स्त्री., गर्भवती, जिसे हमल हो.
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संजीव 'सलिल'
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(संकेत : अ.-अव्यय, अर. अरबी, अक्रि.-अकर्मक क्रिया, अप्र.-अप्रचलित, अर्थ.-अर्थशास्त्र, अलं.- अलंकार, अल्प-अल्प (लघुरूप) सूचक, आ.-आधुनिक, आयु.-आयुर्वेद, इ.-इत्यादि, इब.-इबरानी, उ. -उर्दू, उदा.-उदाहरण, उप.-उपसर्ग, उपनि.-उपनिषद, अं.-अंगिका, अंक.-अंकगणित, अंग.- अंग्रेजी, का.-कानून, काम.-कामशास्त्र, क्व.-क्वचित, ग.-गणित, गी.-गीता, गीता.-गीतावली, तुलसी-कृत, ग्रा.-ग्राम्य, ग्री.-ग्रीक., चि.-चित्रकला, छ.-छतीसगढ़ी, छं.-छंद, ज.-जर्मन, जै.-जैन साहित्य, ज्या.-ज्यामिति, ज्यो.-ज्योतिष, तं.-तंत्रशास्त्र, ति.-तिब्बती, तिर.-तिरस्कारसूचक, दे.-देशज, देव.-देवनागरी, ना.-नाटक, न्या.-न्याय, पा.-पाली, पारा.- पाराशर संहिता, पु.-पुराण, पुल.-पुल्लिंग, पुर्त. पुर्तगाली, पुरा.-पुरातत्व, प्र.-प्रत्यय, प्रा.-प्राचीन, प्राक.-प्राकृत, फा.-फ़ारसी, फ्रे.-फ्रेंच, ब.-बघेली, बर.-बर्मी, बहु.-बहुवचन, बि.-बिहारी, बुं.-बुन्देलखंडी, बृ.-बृहत्संहिता, बृज.-बृजभाषा बो.-बोलचाल, बौ.-बौद्ध, बं.-बांग्ला/बंगाली, भाग.-भागवत/श्रीमद्भागवत, भूक्रि.-भूतकालिक क्रिया, मनु.-मनुस्मृति, महा.-महाभारत, मी.-मीमांसा, मु.-मुसलमान/नी, मुहा. -मुहावरा, यू.-यूनानी, यूरो.-यूरोपीय, योग.योगशास्त्र, रा.-रामचन्द्रिका, केशवदस-कृत, रामा.- रामचरितमानस-तुलसीकृत, रा.-पृथ्वीराज रासो, ला.-लाक्षणिक, लै.-लैटिन, लो.-लोकमान्य/लोक में प्रचलित, वा.-वाक्य, वि.-विशेषण, विद.-विदुरनीति, विद्या.-विद्यापति, विरु.-विरुद्धार्थी, वे.-वेदान्त, वै.-वैदिक, व्यं.-व्यंग्य, व्या.-व्याकरण, शुक्र.-शुक्रनीति, सं.-संस्कृत, सक्रि.-सकर्मक क्रिया, समा. -समानार्थी, सर्व.-सर्वनाम, सा.-साहित्य/साहित्यिक, सां.-सांस्कृतिक, सू.-सूफीमत, स्त्री.-स्त्रीलिंग, स्मृ.-स्मृतिग्रन्थ, ह.-हरिवंश पुराण, हिं.-हिंदी.)
अ से आरम्भ होनेवाले शब्द: २
अकथ - वि., दे., अकथ्य.
अकथनीय - वि., सं., जिसे कहा न जा सके, अकथ्य.
अकथित - वि., सं., जो न कहा गया हो, अनुक्त, गौड़ (कर्म.-व्या.) .
अकथ्य - वि., सं., जो कहा न जा सके, कथन के अयोग्य, अकथनीय, कहने की शक्ति/मर्यादा के बाहर.
अकद - पु., दे.,
अकधक् - पु., आगा-पीछा, भला-बुरा, आशंका.
अकनना - सक्रि., कान लगाना, आहत लेना, सुनना.
अकना - अक्रि.,घबड़ाना.
अकनिष्ठ - वि., सं., जो सबसे छोटा न हो, जिससे छोटा अन्य हो, पु. बुद्ध, बौद्ध देव, वर्ग विशेष.
अकन्या - स्त्री., सं., कौमार्य खो चुकी कन्या.
अकबक - पु., अंड-बंड बातें, ऊटपटाँग बातें, प्रलाप, सुध-बुध खोकर बडबड़ाना, चिंता, खटका. वि. चकित, निस्तब्ध.
अकबकाना - अक्रि., भौंचक्का होना, घबराना.
अकबर - वि., अ., बहुत बड़ा, महत्तर. भारत के मुग़ल राजवंश का तीसरा बादशाह १५४२-१६०५ई..
अकबरी - अकबर द्वारा चलाया गया, अकबर संबंधी, बेमेल (विवाह). स्त्री. एक मिठाई, लकड़ी पर की जानेवाली एक तरह की नक्काशी, -गज, पु., दे. गज इलाही.
अकबाल - पु., दे., इकबाल.
अकर - वि., सं., बिना हाथ का, लूला, कर रहित, कर से मुक्त, बिना महसूल का, दुष्कर, निष्क्रिय, जो काम न कर रहा हो.
अकरकरा - पु., आयुर्वेदिक वनस्पति, जड़ी-बूटी, दवा के काम आनेवाला एक पौधा, आकरकरहा.
अकरखना - सक्रि., आकृष्ट करना, खींचना-तानना.
अकरण - वि. सं., इन्द्रिय-रहित, विदेह, परमात्मा, अकृत्रिम, स्वाभाविक. अकारण, कारणहीन, जिसका करना अनुचित या कठिन हो. पु. कुछ न करना, कर्म का अभाव.
अकरणि - स्त्री., सं., असफलता, विफलता, नैराश्य.
अकरणीय - वि., सं., न करने योग्य.
अकरन - वि., अकारण, अकरणीय.
अकरनीय - वि., दे., अकरणीय.
अकरब - पु., अ., बिच्छू, वृश्चिक राशि, घोडा जिसके मुँह पर श्वेत रोमराशि के मध्य दूसरे रंग के रोयें हों.
अकरा - स्त्री., सं., आमलकी. वि., बहुमूल्य, खरा, चोखा.
अकराथ - वि., व्यर्थ, निष्प्रयोजन, अकारण, बिना कारण के, अहैतुक.
अकराम - पु., अ., अनुग्रह, बख्शीश, ()करम' का बहु., इनाम-अकराम).
अकराल - वि., सं., जो भयंकर न हो, सुन्दर, सौम्य. विरु. कराल, भयानक.
अकरास - पु., सुस्ती, आलस्य, अँगडाई.
अकरासू - वि., स्त्री., गर्भवती, जिसे हमल हो.
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....... निरंतर
संस्कारधानी जबलपुर ९.१०.२०१०
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करें वंदना-प्रार्थना, भजन-कीर्तन नित्य.
सफल साधना हो 'सलिल', रीझे ईश अनित्य..
शांति-राज सुख-चैन हो, हों कृपालु जगदीश.
सत्य सहाय सदा रहे, अंतर्मन पृथ्वीश..
गुप्त चित्र निर्मल रहे, ऐसे ही हों कर्म.
ज्यों की त्यों चादर रखे,निभा'सलिल'निज धर्म.
शुक्रवार, 8 अक्टूबर 2010
हिंदी शब्द सलिला : १ ---- अ से आरम्भ होनेवाले शब्द: १ -------संजीव 'सलिल'
हिंदी शब्द सलिला : १
संजीव 'सलिल'
*
संकेत : अ.-अव्यय, अर. अरबी, अक्रि.-अकर्मक क्रिया, अप्र.-अप्रचलित, अर्थ.-अर्थशास्त्र, अलं.- अलंकार, अल्प-अल्प (लघुरूप) सूचक, आ.-आधुनिक, आयु.-आयुर्वेद, इ.-इत्यादि, इब.-इबरानी, उ. -उर्दू, उदा.-उदाहरण, उप.-उपसर्ग, उपनि.-उपनिषद, अं.-अंगिका, अंक.-अंकगणित, अंग.- अंग्रेजी, का.-कानून, काम.-कामशास्त्र, क्व.-क्वचित, ग.-गणित, गी.-गीता, गीता.-गीतावली, तुलसी-कृत, ग्रा.-ग्राम्य, ग्री.-ग्रीक., चि.-चित्रकला, छ.-छतीसगढ़ी, छं.-छंद, ज.-जर्मन, जै.-जैन साहित्य, ज्या.-ज्यामिति, ज्यो.-ज्योतिष, तं.-तंत्रशास्त्र, ति.-तिब्बती, तिर.-तिरस्कारसूचक, दे.-देशज, देव.-देवनागरी, ना.-नाटक, न्या.-न्याय, पा.-पाली, पारा.- पाराशर संहिता, पु.-पुराण, पुल.-पुल्लिंग, पुर्त. पुर्तगाली, पुरा.-पुरातत्व, प्र.-प्रत्यय, प्रा.-प्राचीन, प्राक.-प्राकृत, फा.-फ़ारसी, फ्रे.-फ्रेंच, ब.-बघेली, बर.-बर्मी, बहु.-बहुवचन, बि.-बिहारी, बुं.-बुन्देलखंडी, बृ.-बृहत्संहिता, बृज.-बृजभाषा बो.-बोलचाल, बौ.-बौद्ध, बं.-बांग्ला/बंगाली, भाग.-भागवत/श्रीमद्भागवत, भूक्रि.-भूतकालिक क्रिया, मनु.-मनुस्मृति, महा.-महाभारत, मी.-मीमांसा, मु.-मुसलमान/नी, मुहा. -मुहावरा, यू.-यूनानी, यूरो.-यूरोपीय, योग.योगशास्त्र, रा.-रामचन्द्रिका, केशवदस-कृत, रामा.- रामचरितमानस-तुलसीकृत, रा.-पृथ्वीराज रासो, ला.-लाक्षणिक, लै.-लैटिन, लो.-लोकमान्य/लोक में प्रचलित, वा.-वाक्य, वि.-विशेषण, विद.-विदुरनीति, विद्या.-विद्यापति, वे.-वेदान्त, वै.-वैदिक, व्यं.-व्यंग्य, व्या.-व्याकरण, शुक्र.-शुक्रनीति, सं.-संस्कृत, सक्रि.-सकर्मक क्रिया, सर्व.-सर्वनाम, सा.-साहित्य/साहित्यिक, सां.-सांस्कृतिक, सू.-सूफीमत, स्त्री.-स्त्रीलिंग, स्मृ.-स्मृतिग्रन्थ, ह.-हरिवंश पुराण, हिं.-हिंदी.
अ से आरम्भ होनेवाले शब्द: १
अ - उप. (सं.) हिंदी वर्ण माला का प्रथम हृस्व स्वर, यह व्यंजन आदि संज्ञा और विशेषण शब्दों के पहले लगकर सादृश्य (अब्राम्हण), भेद (अपट), अल्पता (अकर्ण,अनुदार), अभाव (अरूप, अकास), विरोध (अनीति) और अप्राशस्तस्य (अकाल, अकार्य) के अर्थ प्रगट करता है. स्वर से आरम्भ होनेवाले शब्दों के पहले आने पर इसका रूप 'अन' हो जाता है (अनादर, अनिच्छा, अनुत्साह, अनेक), पु. ब्रम्हा, विष्णु, शिव, वायु, वैश्वानर, विश्व, अमृत.
अइल - दे., पु., मुँह, छेद.
अई -
अउ / अउर - दे., अ., और, एवं, तथा.
अउठा - दे. पु. कपड़ा नापने के काम आनेवाली जुलाहों की लकड़ी.
अजब -दे. विचित्र, असामान्य, अनोखा, अद्वितीय.
अजहब - उ.अनोखा, अद्वितीय (वीसल.) -अजब दे. विचित्र, असामान्य.
अजीब -दे. विचित्र, असामान्य, अनोखा, अद्वितीय.
अऊत - दे. निपूता, निस्संतान.
अऊलना - अक्रि., तप्त होना, जलना, गर्मी पड़ना, चुभना, छिलना.
अऋण/अऋणी/अणिन - वि., सं, जो ऋणी/कर्ज़दार न हो, ऋण-मुक्त.
अएरना - दे., सं, क्रि., अंगीकार करना, गृहण करना, स्वीकार करना, 'दियो सो सीस चढ़ाई ले आछी भांति अएरि'- वि.
अक - पु., सं., कष्ट, दुःख, पाप.
अकच - वि., सं., केश रहित, गंजा, टकला दे. पु., केतु गृह.
अकचकाना - दे., अक्रि., चकित रह जाना, भौंचक हो जाना.
अकच्छ - वि., सं., नंगा, लंपट.
अकटु - वि., सं., जो कटु (कड़वा) न हो.
अकटुक - वि., सं., जो कटु (कड़वा) न हो, अक्लांत.
अकठोर - वि., सं., जो कड़ा न हो, मृदु, नर्म.
अकड़ - स्त्री., अकड़ने का भाव, ढिठाई, कड़ापन, तनाव, ऐंठ, घमंड, हाथ, स्वाभिमान, अहम्. - तकड़ - स्त्री., ताव, ऐंठ, आन-बान, बाँकपन. -फों - स्त्री., गर्व सूचक चाल, चेष्टा. - वाई - स्त्री., रोग जिसमें नसें तन जाती हैं. -बाज़ - वि., अकड़कर चलनेवाला, घमंडी, गर्वीला. - बाज़ी - स्त्री., ऐंठ, घमंड, गर्व, अहम्.
अकड़ना - अक्रि., सूखकर कड़ा होना, ठिठुरना, तनना, ऐंठना, घमंड करना, स्तब्ध होना, तनकर चलना, जिद करना, धृष्टता करना, रुष्ट होना. मुहा. अकड़कर चलना - सीना उभारकर / छाती तानकर चलना.
अकड़म - अकथह, पु., सं., एक तांत्रिक चक्र.
अकड़ा - पु., चौपायों-जानवरों का एक रोग.
अकड़ाव - पु., अकड़ने की क्रिया, तनाव, ऐंठन.
अकड़ू - वि., दे., अकड़बाज.
अकडैल / अकडैत - वि., दे., अकड़बाज.
अकत - वि., कुल, संपूर्ण, अ. पूर्णतया, सरासर.
अकती - एक त्यौहार, अखती, वैशाख शुक्ल तृतीया, अक्षय तृतीया, बुन्देलखण्ड में सखियाँ नववधु को छेड़कर उसके पति का नाम बोलने या लिखने का आग्रह करती हैं., -''तुम नाम लिखावति हो हम पै, हम नाम कहा कहो लीजिये जू... कवि 'किंचित' औसर जो अकती, सकती नहीं हाँ पर कीजिए जू.'' -कविता कौमुदी, रामनरेश त्रिपाठी.
अकथह - अकड़म,पु., सं., एक तांत्रिक चक्र.
अकत्थ - वि., दे., अकथ्य, न कहनेयोग्य, न कहा गया.
अकत्थन - वि. सं., दर्फीन, जो घमंड न करे.
संजीव 'सलिल'
*
संकेत : अ.-अव्यय, अर. अरबी, अक्रि.-अकर्मक क्रिया, अप्र.-अप्रचलित, अर्थ.-अर्थशास्त्र, अलं.- अलंकार, अल्प-अल्प (लघुरूप) सूचक, आ.-आधुनिक, आयु.-आयुर्वेद, इ.-इत्यादि, इब.-इबरानी, उ. -उर्दू, उदा.-उदाहरण, उप.-उपसर्ग, उपनि.-उपनिषद, अं.-अंगिका, अंक.-अंकगणित, अंग.- अंग्रेजी, का.-कानून, काम.-कामशास्त्र, क्व.-क्वचित, ग.-गणित, गी.-गीता, गीता.-गीतावली, तुलसी-कृत, ग्रा.-ग्राम्य, ग्री.-ग्रीक., चि.-चित्रकला, छ.-छतीसगढ़ी, छं.-छंद, ज.-जर्मन, जै.-जैन साहित्य, ज्या.-ज्यामिति, ज्यो.-ज्योतिष, तं.-तंत्रशास्त्र, ति.-तिब्बती, तिर.-तिरस्कारसूचक, दे.-देशज, देव.-देवनागरी, ना.-नाटक, न्या.-न्याय, पा.-पाली, पारा.- पाराशर संहिता, पु.-पुराण, पुल.-पुल्लिंग, पुर्त. पुर्तगाली, पुरा.-पुरातत्व, प्र.-प्रत्यय, प्रा.-प्राचीन, प्राक.-प्राकृत, फा.-फ़ारसी, फ्रे.-फ्रेंच, ब.-बघेली, बर.-बर्मी, बहु.-बहुवचन, बि.-बिहारी, बुं.-बुन्देलखंडी, बृ.-बृहत्संहिता, बृज.-बृजभाषा बो.-बोलचाल, बौ.-बौद्ध, बं.-बांग्ला/बंगाली, भाग.-भागवत/श्रीमद्भागवत, भूक्रि.-भूतकालिक क्रिया, मनु.-मनुस्मृति, महा.-महाभारत, मी.-मीमांसा, मु.-मुसलमान/नी, मुहा. -मुहावरा, यू.-यूनानी, यूरो.-यूरोपीय, योग.योगशास्त्र, रा.-रामचन्द्रिका, केशवदस-कृत, रामा.- रामचरितमानस-तुलसीकृत, रा.-पृथ्वीराज रासो, ला.-लाक्षणिक, लै.-लैटिन, लो.-लोकमान्य/लोक में प्रचलित, वा.-वाक्य, वि.-विशेषण, विद.-विदुरनीति, विद्या.-विद्यापति, वे.-वेदान्त, वै.-वैदिक, व्यं.-व्यंग्य, व्या.-व्याकरण, शुक्र.-शुक्रनीति, सं.-संस्कृत, सक्रि.-सकर्मक क्रिया, सर्व.-सर्वनाम, सा.-साहित्य/साहित्यिक, सां.-सांस्कृतिक, सू.-सूफीमत, स्त्री.-स्त्रीलिंग, स्मृ.-स्मृतिग्रन्थ, ह.-हरिवंश पुराण, हिं.-हिंदी.
अ से आरम्भ होनेवाले शब्द: १
अ - उप. (सं.) हिंदी वर्ण माला का प्रथम हृस्व स्वर, यह व्यंजन आदि संज्ञा और विशेषण शब्दों के पहले लगकर सादृश्य (अब्राम्हण), भेद (अपट), अल्पता (अकर्ण,अनुदार), अभाव (अरूप, अकास), विरोध (अनीति) और अप्राशस्तस्य (अकाल, अकार्य) के अर्थ प्रगट करता है. स्वर से आरम्भ होनेवाले शब्दों के पहले आने पर इसका रूप 'अन' हो जाता है (अनादर, अनिच्छा, अनुत्साह, अनेक), पु. ब्रम्हा, विष्णु, शिव, वायु, वैश्वानर, विश्व, अमृत.
अइल - दे., पु., मुँह, छेद.
अई -
अउ / अउर - दे., अ., और, एवं, तथा.
अउठा - दे. पु. कपड़ा नापने के काम आनेवाली जुलाहों की लकड़ी.
अजब -दे. विचित्र, असामान्य, अनोखा, अद्वितीय.
अजहब - उ.अनोखा, अद्वितीय (वीसल.) -अजब दे. विचित्र, असामान्य.
अजीब -दे. विचित्र, असामान्य, अनोखा, अद्वितीय.
अऊत - दे. निपूता, निस्संतान.
अऊलना - अक्रि., तप्त होना, जलना, गर्मी पड़ना, चुभना, छिलना.
अऋण/अऋणी/अणिन - वि., सं, जो ऋणी/कर्ज़दार न हो, ऋण-मुक्त.
अएरना - दे., सं, क्रि., अंगीकार करना, गृहण करना, स्वीकार करना, 'दियो सो सीस चढ़ाई ले आछी भांति अएरि'- वि.
अक - पु., सं., कष्ट, दुःख, पाप.
अकच - वि., सं., केश रहित, गंजा, टकला दे. पु., केतु गृह.
अकचकाना - दे., अक्रि., चकित रह जाना, भौंचक हो जाना.
अकच्छ - वि., सं., नंगा, लंपट.
अकटु - वि., सं., जो कटु (कड़वा) न हो.
अकटुक - वि., सं., जो कटु (कड़वा) न हो, अक्लांत.
अकठोर - वि., सं., जो कड़ा न हो, मृदु, नर्म.
अकड़ - स्त्री., अकड़ने का भाव, ढिठाई, कड़ापन, तनाव, ऐंठ, घमंड, हाथ, स्वाभिमान, अहम्. - तकड़ - स्त्री., ताव, ऐंठ, आन-बान, बाँकपन. -फों - स्त्री., गर्व सूचक चाल, चेष्टा. - वाई - स्त्री., रोग जिसमें नसें तन जाती हैं. -बाज़ - वि., अकड़कर चलनेवाला, घमंडी, गर्वीला. - बाज़ी - स्त्री., ऐंठ, घमंड, गर्व, अहम्.
अकड़ना - अक्रि., सूखकर कड़ा होना, ठिठुरना, तनना, ऐंठना, घमंड करना, स्तब्ध होना, तनकर चलना, जिद करना, धृष्टता करना, रुष्ट होना. मुहा. अकड़कर चलना - सीना उभारकर / छाती तानकर चलना.
अकड़म - अकथह, पु., सं., एक तांत्रिक चक्र.
अकड़ा - पु., चौपायों-जानवरों का एक रोग.
अकड़ाव - पु., अकड़ने की क्रिया, तनाव, ऐंठन.
अकड़ू - वि., दे., अकड़बाज.
अकडैल / अकडैत - वि., दे., अकड़बाज.
अकत - वि., कुल, संपूर्ण, अ. पूर्णतया, सरासर.
अकती - एक त्यौहार, अखती, वैशाख शुक्ल तृतीया, अक्षय तृतीया, बुन्देलखण्ड में सखियाँ नववधु को छेड़कर उसके पति का नाम बोलने या लिखने का आग्रह करती हैं., -''तुम नाम लिखावति हो हम पै, हम नाम कहा कहो लीजिये जू... कवि 'किंचित' औसर जो अकती, सकती नहीं हाँ पर कीजिए जू.'' -कविता कौमुदी, रामनरेश त्रिपाठी.
अकथह - अकड़म,पु., सं., एक तांत्रिक चक्र.
अकत्थ - वि., दे., अकथ्य, न कहनेयोग्य, न कहा गया.
अकत्थन - वि. सं., दर्फीन, जो घमंड न करे.
....... निरंतर
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सफल साधना हो 'सलिल', रीझे ईश अनित्य..
शांति-राज सुख-चैन हो, हों कृपालु जगदीश.
सत्य सहाय सदा रहे, अंतर्मन पृथ्वीश..
गुप्त चित्र निर्मल रहे, ऐसे ही हों कर्म.
ज्यों की त्यों चादर रखे,निभा'सलिल'निज धर्म.
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