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शुक्रवार, 12 फ़रवरी 2010

शिव भजन: स्व. शांति देवि वर्मा

शिव भजन



स्व. शांति देवि वर्मा
*
 
शिवजी की आयी बरात





शिवजी की आयी बरात,


चलो सखी देखन चलिए...




भूत प्रेत बेताल जोगिनी'


खप्पर लिए हैं हाथ.


चलो सखी देखन चलिए


शिवजी की आयी बरात....




कानों में बिच्छू के कुंडल सोहें,


कंठ में सर्पों की माला.


चलो सखी देखन चलिए


शिवजी की आयी बरात....




अंग भभूत, कमर बाघम्बर'


नैना हैं लाल विशाल.


चलो सखी देखन चलिए


शिवजी की आयी बरात....




कर में डमरू-त्रिशूल सोहे,


नंदी गण हैं साथ.


शिवजी की आयी बरात,


चलो सखी देखन चलिए...




कर सिंगार भोला दूलह बन के,


नंदी पे भए असवार.


शिवजी की आयी बरात,


चलो सखी देखन चलिए...




दर्शन कर सुख-'शान्ति' मिलेगी,


करो रे जय-जयकार.


शिवजी की आयी बरात,


चलो सखी देखन चलिए...




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गिरिजा कर सोलह सिंगार




गिरिजा कर सोलह सिंगार


चलीं शिव शंकर हृदय लुभांय...




मांग में सेंदुर, भाल पे बिंदी,


नैनन कजरा लगाय.


वेणी गूंथी मोतियन के संग,


चंपा-चमेली महकाय.


गिरिजा कर सोलह सिंगार...




बांह बाजूबंद, हाथ में कंगन,


नौलखा हार सुहाय.


कानन झुमका, नाक नथनिया,


बेसर हीरा भाय.


गिरिजा कर सोलह सिंगार...




कमर करधनी, पाँव पैजनिया,


घुँघरू रतन जडाय.


बिछिया में मणि, मुंदरी मुक्ता,


चलीं ठुमुक बल खांय.


गिरिजा कर सोलह सिंगार...




लंहगा लाल, चुनरिया पीली,


गोटी-जरी लगाय.


ओढे चदरिया पञ्च रंग की ,


शोभा बरनि न जाय.


गिरिजा कर सोलह सिंगार...




गज गामिनी हौले पग धरती,


मन ही मन मुसकाय.


नत नैनों मधुरिम बैनों से


अनकहनी कह जांय.


गिरिजा कर सोलह सिंगार...




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मोहक छटा पार्वती-शिव की




मोहक छटा पार्वती-शिव की


देखन आओ चलें कैलाश....




ऊँचो बर्फीलो कैलाश पर्वत,


बीच बहे गैंग-धार.


मोहक छटा पार्वती-शिव की...




शीश पे गिरिजा के मुकुट सुहावे


भोले के जटा-रुद्राक्ष.


मोहक छटा पार्वती-शिव की...




माथे पे गौरी के सिन्दूर-बिंदिया


शंकर के नेत्र विशाल.


मोहक छटा पार्वती-शिव की......




उमा के कानों में हीरक कुंडल,


त्रिपुरारी के बिच्छू कान


मोहक छटा पार्वती-शिव की.....




कंठ शिवा के मोहक हरवा,


नीलकंठ के नाग.


मोहक छटा पार्वती-शिव की......




हाथ अपर्णा के मुक्ता कंगन,


बैरागी के डमरू हाथ.


मोहक छटा पार्वती-शिव की...




सती वदन केसर-कस्तूरी,


शशिधर भस्मी राख़.


मोहक छटा पार्वती-शिव की.....




महादेवी पहने नौ रंग चूनर,


महादेव सिंह-खाल.


मोहक छटा पार्वती-शिव की......




महामाया चर-अचर रच रहीं,


महारुद्र विकराल.


मोहक छटा पार्वती-शिव की......




दुर्गा भवानी विश्व-मोहिनी,


औढरदानी उमानाथ.


मोहक छटा पार्वती-शिव की...




'शान्ति' शम्भू लख जनम सार्थक,


'सलिल' अजब सिंगार.


मोहक छटा पार्वती-शिव की...


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भोले घर बाजे बधाई




मंगल बेला आयी, भोले घर बाजे बधाई ...




गौर मैया ने लालन जनमे,


गणपति नाम धराई.


भोले घर बाजे बधाई ...




द्वारे बन्दनवार सजे हैं,


कदली खम्ब लगाई.


भोले घर बाजे बधाई ...




हरे-हरे गोबर इन्द्राणी अंगना लीपें,


मोतियन चौक पुराई.


भोले घर बाजे बधाई ...




स्वर्ण कलश ब्रम्हाणी लिए हैं,


चौमुख दिया जलाई.


भोले घर बाजे बधाई ...


लक्ष्मी जी पालना झुलावें,


झूलें गणेश सुखदायी.

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गुरुवार, 24 सितंबर 2009

चिंतन: शिवानन्द वाणी

सदाचारी मनुष्य बुद्धिवादी से कहीं अधिक शक्तिमान है। चरित्र
की उन्नति होने से नाना प्रकार की सिद्धियों और गुप्त शक्तियों
की प्राप्ति होती है। जो सदाचार में उन्नति करते हैं, नव-निधियां
उनके चरणों में लोटती है, वे सदा उनकी सेवा में प्रस्तुत रहती है
सच्चरित्रता आध्यात्मिकता के साथ-साथ चलती है।

An ethical man is more powerful than an intellectual man.
Ethical culture brings in various sorts of Sidhis or occult
powers. The nine Ridhis(accomplishments) roll under
the feet of an ethically developed man. They are ready
to serve him. Morality goes hand in hand with spirituality.
(Swami Sivananda)

शुक्रवार, 18 सितंबर 2009

चिंतन : शिवानन्द वाणी

जब कभी तुम उभय-संभव तर्क में पड़ जाओ, तो तुम्हें
मार्ग निश्चित करने के लिए निपुण बनना चाहिए,
जिससे तुम्हे सीधी सफलता प्राप्त हो सके। इसके लिए
बुद्धि अति सूक्षम और कुशाग्र रहनी चाहिए।

YOU MUST BECOME AN EXPERT IN DECIDING
A LINE OF ACTION, WHEN YOU ARE IN A
DILEMMA, THAT CAN BRING SURE SUCCESS.
YOU MUST KEEP THE INSTRUMENT(BUDHHI)
VERY VERY SUBTLE AND SHARP.
(Swami Sivananda)