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शनिवार, 25 जनवरी 2014

chhand salila: tomar chhand -sanjiv

छंद सलिला:
बारहमात्रीय छंद
संजीव
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(अब तक प्रस्तुत छंद: अग्र, अचल, अचल धृति, आर्द्रा, आल्हा, इंद्रा वज्रा, उपेन्द्र वज्रा, कीर्ति, घनाक्षरी,
छवि, तोमर, दीप, दोधक, निधि, प्रेमा, माला, वाणी, शक्तिपूजा, शाला, शुभगति, सार, सुगति, सुजान, हंसी)
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बारह मात्रीय छंदों के २३३ भेद या प्रकार हैं जिनमें से तोमर, तांडव, लीला तथा नित अधिक लोकप्रिय हैं.

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तोमर छंद
बारह मात्रा, अंत में गुरु लघु 
बारह सुमात्रिक छंद, तोमर सृजे आनंद 
गुरु-लघु रखे पद-अंत, सुर-नर पुजित ज्यों संत 
आदित्य बारह मास, हरकर तिमिर संत्रास  
भू को बना दे स्वर्ग, ईर्ष्या करे सुर वर्ग 
कलकल बहे जल धार, हर श्रांति-क्लांति अपार 
कलरव करें खगवृंद, रवि-रश्मि ताप अमंद 
सहयोग सुख सद्भाव, का हो न तनिक अभाव
हो लोक सेवक तंत्र, जनतंत्र का यह मंत्र
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सalil.sanjiv@