कुल पेज दृश्य

tripadiyan लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
tripadiyan लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

बुधवार, 3 अप्रैल 2019

त्रिपदियाँ



त्रिपदियाँ 
*
हर मंच अखाडा है 
लड़ने की कला गायब 
माहौल बिगाड़ा है. 
*
सपनों की होली में 
हैं रंग अनूठे ही 
सांसों की झोली में.
*
भावी जीवन के ख्वाब 
बिटिया ने देखे हैं 
महके हैं सुर्ख गुलाब 
*
चूनर ओढ़ी है लाल
सपने साकार हुए 
फिर गाल गुलाल हुए
*
मासूम हँसी प्यारी 
बिखरी यमुना तट पर
सँग राधा-बनवारी
*
पत्तों ने पतझड़ से 
बरबस सच बोल दिया 
अब जाने की बारी 
*
चुभने वाली यादें 
पूँजी हैं जीवन की 
ज्यों घर की बुनियादें 
*
देखे बिटिया सपने 
घर-आँगन छूट रहा
हैं कौन-कहाँअपने? 
* 
है कैसी अनहोनी?
सँग फूल लिये काँटे 
ज्यों गूंगे की बोली 
३.४.२०१६
***

रविवार, 3 अप्रैल 2016

त्रिपदियाँ

त्रिपदियाँ
*
हर मंच अखाडा है
लड़ने की कला गायब
माहौल बिगाड़ा है.
*
सपनों की होली में
हैं रंग अनूठे ही
सांसों की झोली में.
*
भावी जीवन के ख्वाब
बिटिया ने देखे हैं
महके हैं सुर्ख गुलाब
*
चूनर ओढ़ी है लाल
सपने साकार हुए
फिर गाल गुलाल हुए
*
मासूम हँसी प्यारी
बिखरी यमुना तट पर
सँग राधा-बनवारी
*
पत्तों ने पतझड़ से
बरबस सच बोल दिया
अब जाने की बारी
*
चुभने वाली यादें
पूँजी हैं जीवन की
ज्यों घर की बुनियादें
*
देखे बिटिया सपने
घर-आँगन छूट रहा
हैं कौन-कहाँअपने?
*
है कैसी अनहोनी?
सँग फूल लिये काँटे
ज्यों गूंगे की बोली
***

शनिवार, 26 अक्टूबर 2013

tripadiyan (haiku) sanjiv

त्रिपदियाँ
संजीव
*
परियोजना
अंकुरित पल्लव
लेते आकार.
*
है अभियंता
ब्रम्ह का प्रतिनिधि
भाग्यनियंता
*
बन सकता
कंकर भी शंकर
जड़-चेतन
*
कर प्रयास
श्रम-सीकर बहा
होगा हुलास
*
परिकल्पना
पर्याप्त नहीं, कर
ले संकल्पना
*
तिनके जोड़े
गिरें तब भी पंछी
आस न छोड़े
*
लेता आकार
शिशु और निर्माण
स्वप्न साकार
*
मिटने हेतु
किनारों की दूरियाँ
बनाओ सेतु
*
बना बिजली
जल, लेकिन मत
गिरा बिजली
*
जल अथाह
बाँध लेता है बाँध
भरे न आह
*
हम हैं सिर्फ
प्रस्तोता, दूर कहीं
रचनाकार
*
facebook: sahiyta salila / sanjiv verma 'salil'

रविवार, 13 जून 2010

सामयिक त्रिपदियाँ : --- संजीव 'सलिल'

सामयिक त्रिपदियाँ :
संजीव 'सलिल'
*

raining.gif


*
खोज कहाँ उनकी कमर,
कमरा ही आता नज़र,
लेकिन हैं वे बिफिकर..
*
विस्मय होता देखकर.
अमृत घट समझा जिसे
विषमय है वह सियासत..
*
दुर्घटना में कै मरे?
गैस रिसी भोपाल में-
बतलाते हैं कैमरे..
*
एंडरसन को छोड़कर
की गद्दारी देश से
नेताओं ने स्वार्थ वश..
*
भाग गया भोपाल से
दूर कैरवां जा छिपा
अर्जुन दोषी देश का..
*
ब्यूटी पार्लर में गयी
वृद्धा बाहर निकलकर
युवा रूपसी लग रही..
*
नश्वर है यह देह रे!
बता रहे जो भक्त को
रीझे भक्तिन-देह पे..
*
संत न करते परिश्रम
भोग लगाते रात-दिन
सर्वाधिक वे ही अधम..
*
गिद्ध भोज बारात में
टूटो भूखें की तरह
अब न मान-मनुहार है..
*
पितृ-देहरी छीन गयी
विदा होटलों से हुईं
हाय! हमारी बेटियाँ..
*
करते कन्या-दान जो
पाते हैं वर-दान वे
दे दहेज़ वर-पिता को..
*
Acharya Sanjiv Salil

http://divyanarmada.blogspot.com