गीत:
रेडिओ नहीं है यंत्र मात्र संजीव 'सलिल'
*
*
रेडिओ नहीं है यंत्र मात्र
यह जनगण-मन की वाणी है...
*
यह सुख-दुःख का साथी सच्चा.
चाहे हर वृद्ध, युवा, बच्चा.
जो इसे सुन रहे, गुनते भी-
तुम समझो इन्हें नहीं कच्चा.
चेतना भरे सबके मन में
यह यंत्र नहीं पाषाणी है...
*
इसमें गीतों की खान भरी.
नाटक-प्रहसन से हँसी झरी.
कर ताक-झाँक दादी पूछें-
'जो गाती इसमें कहाँ परी?'
प्रातः गूँजे आरती-भजन
सुर-राग सभी कल्याणी है..
*
कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य सिखाता है.
उत्तम बातें बतलाता है.
क्या-कहाँ हो रहा सही-गलत?
दर्पण बन सच दिखलाता है.
पीड़ितों हेतु रहता तत्पर
दुःख-मुक्ति कराता त्राणी है...
**************
Acharya Sanjiv Salil
http://divyanarmada.blogspot.com