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मंगलवार, 17 अप्रैल 2012

भजन: क्यों सो रहा?..... संजीव 'सलिल'


भजन:
क्यों सो रहा?.....
संजीव 'सलिल'
*
क्यों सो रहा मुसाफिर, उठ भोर हो रही है.
चिड़िया चहक-चहक कर, नव आस बो रही है...
*
मंजिल है दूर तेरी, कोई नहीं ठिकाना.
गैरों को माने अपना, तू हो गया दीवाना..
आये घड़ी न वापिस जो व्यर्थ खो रही है...
*
आया है हाथ खाली, जायेगा हाथ खाली.
रिश्तों की माया नगरी, तूने यहाँ बसा ली..
जो बोझ जिस्म पर है, चुप रूह धो रही है...
*
दिन-सोया रात-जागा, सपने सुनहरे देखे.
नित खोट सबमें खोजे, नपने न अपने लेखे..
आँचल के दाग सारे, की नेकी धो रही है...
***
 
Acharya Sanjiv verma 'Salil'

http://divyanarmada.blogspot.in
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मंगलवार, 3 मई 2011

आरती: हे चित्रगुप्त भगवान्... -- संजीव वर्मा 'सलिल'

आरती:
हे चित्रगुप्त भगवान्...
संजीव वर्मा 'सलिल'
*
हे चित्रगुप्त भगवान! करूँ गुणगान
                  दया प्रभु कीजै, विनती मोरी सुन लीजै...
*
जनम-जनम से भटक रहे हम, चमक-दमक में अटक रहे हम.
भवसागर में भोगें दुःख, उद्धार हमारा कीजै...
*
हम है याचक, तुम हो दाता, भक्ति अटल दो भाग्य विधाता.
मुक्ति पा सकें जन्म-चक्र से, युक्ति बता वह दीजै...
*
लिपि-लेखनी के आविष्कारक, वर्ण व्यवस्था के उद्धारक.
हे जन-गण-मन के अधिनायक!, सब जग तुम पर रीझै...
*
ब्रम्हा-विष्णु-महेश तुम्हीं हो, भक्त तुम्हीं भक्तेश तुम्हीं हो.
शब्द ब्रम्हमय तन-मन कर दो, चरण-शरण प्रभु दीजै...
*
करो कृपा हे देव दयालु, लक्ष्मी-शारद-शक्ति कृपालु.
'सलिल' शरण है जनम-जनम से, सफल साधना कीजै...
*****