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रविवार, 30 जून 2013

pratinidhi dohe 1: navin c. chaturvedi, mumbai


इस स्तम्भ के अंतर्गत आप पढ़ेंगे विविध दोहाकारों के प्रतिनिधि दोहे:       
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प्रतिनिधि दोहा कोष : १

नवीन सी. चतुर्वदी, मुंबई  के दोहे :


सजल दृगों से कह रहा, विकल हृदय का ताप।
मैं जल-जल कर त्रस्त हूँ, बरस रहे हैं आप।१।

झरनों से जब जा मिला, शीतल मंद समीर।
कहीं लुटाईं मस्तियाँ, कहीं बढ़ाईं पीर।२।

निखर गईं तनहाइयाँ, बिखर गये हालात।
तरु को तनहा कर गये, झर-झर झरते पात।३।

अपनी मरज़ी से भला, हुई कभी बरसात?
नाहक उस से बोल दी, अपने दिल की बात।४।

झगड़े का मुद्दा बनी, बस इतनी सी बात।
हमने माँगी थी मदद, उस ने दी ख़ैरात।५।

जिन के तलुवों ने कभी, छुई न गीली घास।
वो क्या समझेंगे भला, माटी की सौंधास।६।

बित्ते भर की बात है, लेकिन बड़ी महान।
मानव के संवाद ही, मानव की पहिचान।७।

भरे पड़े हैं हर सू यहाँ, ऐसे भी इन्सान।
फुस्सी बम जैसा जिगर, रोकिट से अरमान।८।

बुधिया को सुधि आ गयी,अम्मा की वह बात।
मन में रहे उमंग तो, दीवाली दिन रात।९।

मातु-पिता, भाई-बहन, सजनी – बच्चे – यार।
जब-जब ये सब साथ हों, तब-तब है त्यौहार।१०।

चायनीज़ बनते नहीं, चायनीज़ जब खाएँ।
फिर इंगलिश के मोह में, क्यूँ फ़िरंग बन जाएँ।११।

द्वै पस्से भर चून अरु, बस चुल्लू भर आब।
फिर भी आटा गुंथ गया, पूछे कौन हिसाब।१२।

अब तक है उस दौर की, आँखों में तस्वीर।
बचपन बीता चैन से, कालिन्दी के तीर।१३।

तमस तलाशें तामसी, ख़ुशियाँ खोजें ख़्वाब।
दरे दर्द दिलदार ही, सही कहा ना साब?१४।

सजनी सजना से कहे, सजन सजाओ साज।
मुझे लादिये प्रीत से, धनतेरस है आज।१५।
प्रीतम पाती पढ़ रहे
, प्रीत-पारखी नैन।
शब्दों में ही ढूँढते, दीप-अवलि सुख-दैन।१६।

कल-कल कहते कट गया, कितना काल-कराल।
जीवन में इक बार तो, कर मुझ को ख़ुशहाल।१७।

अनुभव, ज्ञान, उपाधियाँ, रिश्ते, नफ़रत, प्रीत।
बिन मर्ज़ी मिलते नहीं, यही सदा की रीत।१८।

जीते जी पूछें नहीं, चलें निगाहें फेर।
आँख मूँदते ही मगर, तारीफ़ों के ढेर।१९।

उन्नत धारा प्रेम की, बहे अगर दिन-रैन।
तो मानव-मन को मिले, मन-माफ़िक सुख-चैन।२०।

सीधी चलते राह जो, रहते सदा निशंक।
जो करते विप्लव, उन्हें, 'हरि' का है आतंक।२१।

घी घटता ही जाय ज्यों, बाती जलती जाय।
नव यौवन सी झूमती, दीपाशिखा बल खाय।२२।

डग, मग महिं डगमग करत, मन बिसरत निज करम।
तन तरसत, झुरसत हृदय, इतिक बिरह कर मरम।२३।

अचल, अटल, अनुपम, अमित, अजगुत, अगम, अपार।
शुचिकर सुखद सुफल सरस; दियनि-अवलि त्यौहार।२४।

अक्सर ऐसे भी दिखें, कुछ मोड्रन परिवार।
मिल-जुल कर ज्यों चल रही, गठबंधन सरकार।२५।

अब ताईं है मोहि, वा – भोजन सों अनुराग।
फुलका मिस्से चून के, करकल्ले कौ साग।२६।

सचिन सचिन सच्चिन सचिन, सचिन सचिन सच्चिन्न।
दुनिया की किरकेट का, तुम हो भाग अभिन्न।२७।

चल फिर हम तुम प्रेम से, करें प्रेम की बात।
प्रेम सगाई विश्व में, सर्वोत्तम सौगात ।२८।

ताव भूल कर भाव जब, सहज पूछता क्षेम।
अनुभावों की कोख से,पुलक जन्मता प्रेम ।२९।

लाला लाला लालला, लाला लाला लाल।
दोहा लिखने के लिये, उत्तम यही मिसाल।३०।

science: manav kloning dr. deepti gupta

विज्ञान सलिला :
मानव क्लोनिंग
डॉ. दीप्ति गुप्ता 
*
मनुष्य बहुत कुछ करना  चाहता है,  कर्म भी करता है भरसक प्रयास  भी  करता है लेकिन  कुछ काम हो पाते हैं और शेष नहीं हो पाते! जैसे  अनेक समृद्ध व संपन्न होने का प्रयास  करते है लेकिन  नहीं हो पाते! जो बिज़नेस करना चाहता  है, वह उसमें असफल होकर अध्यापक बन जाता है, जो संगीतज्ञ  बनना चाहताहै, वह डाक्टर बन जाता है, तमाम आई.पी. एस. अधिकारी और प्रशासनिक अधिकारी  अपनी  अफसरी छोडकर विश्वविद्यालय  प्रोफैसर बने! जिससे सिद्ध होता है कि ईश्वरेच्छा सर्वोपरि है!  इसी प्रकार, बहुत से जोड़े चाहते हुए भी  माता-पिता  ही नहीं बन पाते !

‘क्लोन’शब्द प्राचीन ग्रीक शब्द Klon, twig से व्युत्पन्न हुआ जो पेड़ की शाख से  नया पौधा पैदा किया जाने की प्रकिया के लिए प्रयुक्त किया जाता था! धीरे-धीरे यह शब्दकोष में सामान्य सन्दर्भ में प्रयुक्त होने लगा! ‘ईव’ सबसे पहली मानव क्लोन थी! जब वह जन्मी तो, उसने अपने साथ  वैज्ञानिक और राजनीतिक बहस को भी जन्म दिया! इस विषय पर आगे बढ़ने से पहले हमें मानव क्लोनिंग  को एक बार अच्छी तरह समझ लेना चाहिए! समान जीवो को उत्पन्न करने की  प्रक्रिया ‘प्रतिरूपण’ (क्लोनिंग) कहलाती है अर्थात प्रतिरूपण (क्लोनिंग) आनुवांशिक रूप से ‘समान दिखने’ वाले  प्राणियों को जन्म देने वाली ऐसी प्रकिया है जो विभिन्न जीवों से खास प्रक्रिया से प्रजनन करने पर घटित होती है! जैसे फोटोकापी मशीन से अनेक छायाप्रतियां बना लेते हैं उसी तरह  डी.एन.ए. खंडों (Molecular cloning) और कोशिकाओं (Cell Cloning) के भी प्रतिरूप बनाए जाते हैं!  बायोटेक्नोलौजी में  डी.एन.ए. खण्डों  के  प्रतिरूपण  की प्रक्रिया को  ‘क्लोनिंग’  कहते हैं ! यह टर्म किसी भी चीज़ की अनेक  प्रतिरूप (से डिजिटल मिडिया) बनाने  के लिए भी  प्रयुक्त होता है !
 
'प्रतिरूपण'   की  पद्धति - 

          जेनेटिक तौर पर अभिन्न पशुओं के निर्माण के लिए प्रजननीय प्रतिरूपण आमतौर पर "दैहिक कोशिका परमाणु हस्तांतरण" (SCNT = Somatic-cell nuclear transfer) का प्रयोग करता है !  इस प्रक्रिया में एक 'दाता (Donar) वयस्क कोशिका' (दैहिक कोशिका) से किसी नाभिक-विहीन अण्डे में नाभिक (nucleus) का स्थानांतरण  शामिल करना होता है !  यदि अण्डा सामान्य रूप से विभाजित हो जाए, तो इसे   'प्रतिनिधि  माँ ' (surrogate mother) के गर्भाशय में स्थानांतरित कर दिया जाता है ! फिर धीर-धीरे  उसका विकास होता जाता है !

       इस प्रकार के प्रतिरूप पूर्णतः समरूप नहीं होते क्योंकि दैहिक कोशिका के नाभिक डी.एन.ए में कुछ परिवर्तन हो सकते हैं !  किन्ही  विशेष कारणों से वे  अलग भी  दिख  सकते हैं !   surrogate माँ के हार्मोनल प्रभाव भी  इसका एक कारण माना जाता है ! यूं तो स्वाभाविक रूप से पैदा हुए  जुडवां बच्चो के भी उँगलियों के निशान भिन्न  होते है , स्वभाव अलग होते हैं, रंग फर्क  होते हैं !

             हाँलाकि  १९९७ तक  प्रतिरूपण साइंस फिक्शन की चीज़  था ! लेकिन  जब ब्रिटिश शोधकर्ता ने ‘डौली’ नामकी  भेड का क्लोन  प्रस्तुत किया (जो २७७ बार प्रयास करने के बाद सफल हुआ और डौली का जन्म हो पाया) तो तब से जानवरों - बंदर, बिल्ली, चूहे आदि पर  इस प्रक्रिया के  प्रयोग किए गए !  वैज्ञानिको  ने  मानव प्रतिरूपण का अधिक स्वागत नहीं किया  क्योकि  बच्चे के बड़े होने पर, उसके कुछ  नकारात्मक परिणाम सामने आए ! इसके आलावा, दस में से एक या दो भ्रूण ही सफलतापूर्वक विकसित  हो पाते हैं ! जानवरों पर किए  गए प्रयोगों से सामने आया कि २५  से ३० प्रतिशत जानवरों में  अस्वभाविकतएं आ जाती हैं ! इस दृष्टि से क्लोनिंग  खतरनाक है !
        वस्तुत; क्लोनिंग प्रतिरूपण के कुछ  ही सफल प्रयोगों पर हम खुश हो जाते है लेकिन यह  ध्यान देने योग्य बात है कि बड़ी संख्या में अनेक प्रयास  असफल ही रह जाते हैं ! जो सफल होते हैं उनमें बाद में  कोई  प्राणी बड़ा होता जाता है, उसकी अनेक शारीरिक स्वास्थ्य संबंधी सामने आने लगती हैं ! अब तक जानवरों के जो प्रतिरूपण बनाए गए उनसे निम्नलिखित समस्याएं
 सामने आई  -
१)       परिणाम असफल रहे ! यह प्रतिशत ०.१ से ३ तक ही रहा ! मतलब कि यदि १००० प्रयास  किए गए तो उनमें ३०   प्रतिरूपण ही सफल हुए ! क्यों ?
   *    नाभिक-विहीन अण्डे  और स्थानांतरित नाभिक (nucleus)  में   अनुकूलता (compatibility) न बैठ पाना  !
 
   *   अंडे का विभाजित न होना और विकसित  होने में बाधा  आना !
           *   प्रतिनिधि (Surrogate )  माँ के गर्भाशय में अंडे को स्थापित करने पर , स्थापन का असफल हो जाना
 
       *  बाद के विकास  काल में समस्याएं आना !


 २) जो  जानवर  जीवित रहे वे आकार में सामान्य से  काफी बड़े थे ! वैज्ञानिको ने इसे "Large Offspring Syndrome" (LOS) के नाम से अभिहित किया ! इसी  तरह उनके ऊपरी आकार ही नहीं अपितु, शिशु जानवरों के अंदर के अंग भी विशाल आकार के पाए गए ! जिसके करण उन्हें साँस लेने, रक्त संचालन व  अन्य समस्याएं हुई ! लेकिन ऐसा  हमेशा  नहीं भी घटता है ! कुछ  क्लोन प्राणियों की किडनी  और मस्तिष्क के आकार विकृत पाए गए तथा  इम्यून सिस्टम भी  अशक्त  था ! 

३)    जींस के (एक्सप्रेशन) प्रस्तुति सिस्टम का  असामान्य होना भी सामने आया ! यद्यपि क्लोन मौलिक  देहधारियो जैसे ही दिखते है और उनका डी एन ए  sequences क्रम भी समान होता है ! लेकिन वे सही समय पर सही जींस को  प्रस्तुत कर पाते हैं ? यह सोचने का विषय है !
४ )     Telomeric विभिन्नताएँ - जब कोशिका या कोशाणु (cells )विभाजित होते हैं तो, गुण सूत्र (chromosomes) छोटे होते जाते हैं! क्योकि डी.एन.ए क्रम (sequences) गुण सूत्रों के दोनों ओर- जो टेलोमियर्स – कहलाते हैं वे हर बार डी.एन.ए के प्रतिरूपण प्रक्रिया के तहत लम्बाई में सिकुडते जाते हैं !  प्राणी उम्र में जितना बड़ा होगा टेलीमियर्स उतने ही छोटे होगें ! यह उम्रदर प्राणियों के साथ एक सहज प्रक्रिया है ! ये भी समस्या का विषय निकला !

           इन कारणों से विश्व के वैज्ञानिक मानव प्रतिरूपण के पक्ष में नहीं  हैं! वैसे भी कहा यह जाता है कि इस तरह बच्चा प्राप्त करने कि प्रक्रिया उन लोगों के लिए सामने  लाई  गई, जो चाहते हुए भी माता-पिता  नहीं बन पाते! 

अब आप खुद  ही सोचिए कि  ईश्वर  प्रदत्त  मानव  ज्यादा बेहतर कि इस तरह के कृत्रिम विधि से पैदा  मानव..... जिनमे तमाम विकृतियां अधिक और सामान्य - स्वस्थ शरीर  कम मिलेगे ! प्रकति पर विजय प्राप्त करने के नतीजे अभी केदारनाथ-बद्रीनाथ की प्रलय में देख ही लिए हैं ! आने वाले समय में ९० प्रतिशत  विकृत शरीर, विकृत मनों-मस्तिष्क वाले अक्षम मनुष्य  और देखने को मिलेगें  ! इसलिए प्रकृति  के खिलाफ जाना   श्रेयस्कर  नहीं ! प्रकृति यानी ईश्वर का प्रतिरूप - उसके  अनुरूप ही अपने को ढाल कर चलना  चहिए  क्योंकि  हम उसका सहज- स्वाभाविक हिस्सा है !
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शनिवार, 29 जून 2013

geet pahale bhee... acharya sanjiv verma 'salil'

गीत:
पहले भी
संजीव
*
पहले भी बहु बार घटा है,
आगे भी बहु बार घटेगा।
बन-बन कर मिटता है मानव-
मिट-मिटकर बहु बार बनेगा...
*
माटी के पुतले हैं हम-तुम, माटी में ही खिल पाते हैं।
माटी में उगते-फलते हैं, माटी में ही मिल जाते हैं।।
माटी अपना दीन-धरम है, माटी ही पहचान हमारी।
माटी मिली विरासत हमको, माटी ही परिपाटी प्यारी।।
माटी चन्दन अक्षत रोली,
मस्तक तिलक सुदीर्घ सजेगा।
माटी का हर कंकर शंकर-
प्रलयंकर नव सृष्टि रचेगा...
*
पानी तलवारों का अरि से, पूछो जो मँग सके न पानी।
पानीदार नयन में डूबी जब-जब, मारी गयी जवानी।।
माँ के आँचल के पानी की सौं, आँखों से बहे न पानी-
पानी मांगें अच्छे-अच्छे, चुल्लू भर ले सकें न पानी।।
पानी नेह-नर्मदा पावन,
सलिल-धार बन तार-तरेगा।
वह संजीव, वही सोहन है-
वाष्प मेघ बन वृष्टि बहेगा...
*
हवा हो गया पल में वह, जो चाहे हवा हमारी रोके।
हवा बंद हो गयी उन्हीं की, जो आये थे बनकर झोंके।।
हवा बिगाड़े प्रकृति उन्हीं की, हवा करें जो सतत प्रदूषित-
हवा हवाई बात न हो अब, पग न प्रगति का कोई रोके।।
चुटकी में चुटका के पथ का,
अनचाहा अवरोध हटेगा।
पानी अमरकंटकी पावन,
बिजली दे सागर पहुँचेगा ...
*
आग लगाकर ताप रहे हो, आग लगी तो नहीं बचोगे।
नाम पाक नापाक हरकतें, दाल वक्ष पर दल न सकोगे।।
आग उगलते आतंकी शोलों में आग लगेगी पल में-
चरण चाप चीनी चुरकट के, पछताओगे प्राण तजोगे।।
आग खेलते, चलें आग पर,
आग दिलों में, दिल न जलेगा।
बचे दिलजला नहीं आग से,
आगसात हो हाथ मलेगा...
*
गगन चूमते जंगल काटे, पत्थर तोड़े, माटी खोदी।
गगन-वृष्टि को रोक सके जो, ऐसी सकल सुरक्षा खो दी।।
महाकाल को पूज रहे पर, नहीं काल-पदचाप सुन सके-
गगन बहता रहा अश्रु तुम, कह बरसात न स्वप्न बुन सके।।
देखें चुप केदारनाथ क्यों?,
कौन कोप को झेल सकेगा?

अगर न धारा को आराधा 
तो राधा को कौन भजेगा?...

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uttarakhand :

उत्तराखंड संकट : बोलते चित्र :  ऊंघता शासन-प्रशासन, पंडित तथा आम लोग
विवश, बेक़सूर प्रकृति शोषित और लांछित क्यों?


सैन्य बल को नमन उनके अदम्य साहस और अनुशासन के लिए। लानत उन राजनेताओं और प्रशासनिक अधिकारियों को जिनकी गलत नीतियों और निर्णयों के कारण १. अनुपयुक्त स्थलों पर भवन खड़े किये गए, २. सडकों के साथ तटबंध की रक्षा के लिए समुचित प्रबंध नहीं हुए, ३. स्थान की क्षमता से अधिक तीर्थयात्री जाने दिए गए, ४. राज्य सरकारों ने चुनावी लाभ के मद्देनज़र गरीबी लोगों को मुफ्त यात्रा का प्रबंध किया फलतः संख्या अत्यधिक बढ़ गयी, ५. आम जन का यह अंध विश्वास कि पुण्य सत्कर्म से घर बैठे नहीं मिल सकता उसके लिए तीर्थ स्थान पर ही है, ६. पंडितों का निजी स्वार्थवश भक्तों को तत्वज्ञान देकर यात्रा के लिए हतोत्साहित न करना, ७. स्थानीय जनों का अर्थ लाभ के लिए स्थान से अधिक यात्री आने पर भी विरोध न करना।
क्या अब कुछ बदलेगा?  बिलकुल नहीं, चीख पुकार का समय गया, कुछ समय रहत का दौर, फिर पुनर्निर्माण और फिर भक्तों का रेला अगली दुर्घटना होने तक. क्या हम कुछ नहीं कर सकते ?  कर सकते हैं ... यह निश्चय की हम किसी कुम्भ, किसी तीर्थ यात्रा, किसी मेले का हिस्सा नहीं बनेंगे ताकि हमारे कारण हादसे की भयानकता न बढ़े। जब पर्यटन का मन होगा साफ़ मौसम, उपयुक्त स्थिति और कम भीड़ के समय घूमने का आनंद लेंगे। पुण्य हमें अपने घर में ही किसी की मदद करने से मिल जायेगा।


                  जलप्लावन में शिव प्रतिमा
Rescue operation in Uttarakhand
In pics: Uttarakhand rescue operations are among Army's largest ever




In pics: Uttarakhand rescue operations are among Army's largest ever
In pics: Uttarakhand rescue operations are among Army's largest ever
In pics: Uttarakhand rescue operations are among Army's largest ever
Uttarakhand floods
Chopper







In a significant breakthrough for rescue efforts in flood-hit Uttarakhand, an alternative road link to the Kedarnath shrine's base camp was opened on Friday by the Army, enabling the evacuation of thousands of pilgrims stranded in the worst-affected area for days without enough food and water. An ITBP jawan rescue an old aged woman pilgrim at Gauri Kund in Uttarakhand. (PTI)

They also said that the evacuation process was almost over in the other badly-affected places such as Gangotri, Govindghat, Ghagharia, Gaurikund-Karnprayag and Joshimath. Rescued flood affected pilgrims alight from a chopper in Guptkashi, in Uttarakhand. The heavy rains caused by the annual monsoon have left more than 500 people dead and stranded tens of thousands, mostly pilgrims, in India''s northern mountainous region, officials said Friday. (AP Photo)
But the good news was tempered with bad weather being forecast in the flood-affected region from Sunday night, causing the government to ask rescue teams to go full-throttle with their efforts in the 48 hours before that. Soldiers rescuing people. (AP)
Uttarakhand floods: Rescue operations resume after brief suspension due to bad weather
A file photo of stranded tourists being rescued by army personnel in Uttarakhand. The rescue operation is one of the largest in several decades. Courtesy: Indian Army

Rescue operations resume in Uttarakhand
Army has launched one of the biggest human rescue operations in Uttarakhand. It today mobilized troops for rescue and relief efforts, as it simultaneously reached out to over 8000 people on all four different axes, viz, Rishikesh ? Uttarkashi ? Harsil ? Gangotri axis; Rudraprayag ? Kedarnath axis, Joshimath ? Badrinath axis and Dharchhula ? Tawaghat axis in Pithoragarh district
Uttarakhand survivors recount horror: 'Kill my kids if you can't save them'

Complete co-ordination in Uttarakhand rescue operations: Government


        

















A woman is helped by a soldier to climb down a hill during a rescue operation at Govindghat in the Himalayan state of Uttarakhand June 21, 2
An IAF chopper lands for rescue operations at Gauri Kund in Uttarakhand, on Saturday.

Uttarakhand Floods : Rescue efforts begin as weather clear