कुल पेज दृश्य

madhumalti chhand लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
madhumalti chhand लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

रविवार, 14 अप्रैल 2019

मधुमालती छंद

नवलेखन कार्यशाला 
*
आ गुरूजी
एक प्रयास किया है । कृपया मार्गदर्शन दें । सादर ।
शारदे माँ ( मधुमालती छंद)
माँ शारदे वरदान दो
सद्बुद्धि दो संग ज्ञान दो
मन में नहीं अभिमान हों
अच्छे बुरे की पहचान दो ।
वाणी मधुर रसवान दो
मैं मैं का न गुणगान हों
बच्चे अभी नादान हम
निर्मल एक मुस्कान दो
न जाने कि हम कौन हैं
हमें अपनी पहचान दो
अल्प ज्ञानी मानो हमें
बस चरण में तुम स्थान दो ।।
कल्पना भट्ट, १४-४-२०१७
*
प्रिय कल्पना!
सदा खुश रहें।
मधुमालती १४-१४ के दो चरण, ७-७ पर यति, पदांत २१२ ।
शारदे माँ ( मधुमालती छंद)
माँ शारदे! वरदान दो
सदबुद्धि दो, सँग ज्ञान दो
मन में नहीं अभिमान हो
शुभ-अशुभ की पहचान दो।
वाणी मधुर रसवान दो
'मैं' का नहीं गुण गान हो
बच्चे अभी नादान हैं
निर्मल मधुर मुस्कान दो
किसको पता हम कौन हैं
अपनी हमें पहचान दो
हम अल्प ज्ञानी माँ! हमें
निज चरण में तुम स्थान दो ।।
*

बुधवार, 27 मार्च 2019

मधुमालती छंद

छंद सलिला:
मधुमालती छंद
संजीव
*
लक्षण: जाति मानव, प्रति चरण मात्रा १४ मात्रा, यति ७-७, चरणांत गुरु लघु गुरु (रगण) होता है.
लक्षण छंद:
मधुमालती आनंद दे
ऋषि साध सुर नव छंद दे
चरणांत गुरु लघु गुरु रहे
हर छंद नवउत्कर्ष दे।
उदाहरण:
१. माँ भारती वरदान दो
सत्-शिव-सरस हर गान दो
मन में नहीं अभिमान हो
घर-अग्र 'सलिल' मधु गान हो।
२. सोते बहुत अब तो जगो
खुद को नहीं खुद ही ठगो
कानून को तोड़ो नहीं-
अधिकार भी छोडो नहीं 
२७.३.२०१४
*********************************************
(अब तक प्रस्तुत छंद: अखण्ड, अग्र, अचल, अचल धृति, अहीर, आर्द्रा, आल्हा, इंद्रवज्रा, उपेन्द्रवज्रा, उल्लाला, एकावली, ककुभ, कज्जल, कीर्ति, गंग, घनाक्षरी, चौबोला, चंडिका, छवि, जाया, तांडव, तोमर, दीप, दोधक, नित, निधि, प्रतिभा, प्रदोष, प्रेमा, बाला, भव, मधुभार, मधुमालती, मनहरण घनाक्षरी, मनोरम, मानव, माली, माया, माला, मोहन, ऋद्धि, राजीव, रामा, लीला, वाणी, शक्तिपूजा, शशिवदना, शाला, शिव, शुभगति, सरस, सार, सिद्धि, सुगति, सुजान, हंसी)

गुरुवार, 17 मई 2018

मधुमालती छंद

रसानंद दे छंद नर्मदा ८१:

दोहा, ​सोरठा, रोला, ​आल्हा, सार​,​ ताटंक (चौबोला), रूपमाला (मदन), चौपाई​, ​हरिगीतिका, उल्लाला​, गीतिका, ​घनाक्षरी, बरवै, त्रिभंगी, सरसी, छप्पय, भुजंगप्रयात, कुंडलिनी, सवैया, शोभन/सिंहिका, सुमित्र, सुगीतिका , शंकर, मनहरण (कवित्त/घनाक्षरी), उपेन्द्रव​​ज्रा, इंद्रव​​ज्रा, सखी​, विधाता/शुद्धगा, वासव​, ​अचल धृति​, अचल​​, अनुगीत, अहीर, अरुण, अवतार, ​​उपमान / दृढ़पद, एकावली, अमृतध्वनि, नित, आर्द्रा, ककुभ/कुकभ, कज्जल, कमंद, कामरूप, कामिनी मोहन (मदनावतार), काव्य, वार्णिक कीर्ति, कुंडल, गीता, गंग, चण्डिका, चंद्रायण, छवि (मधुभार), जग, जाया, तांडव, तोमर, त्रिलोकी, दिग्पाल / दिक्पाल / मृदुगति, दीप, दीपकी, दोधक, निधि, निश्चल, प्लवंगम, प्रतिभा, प्रदोष, प्रेमा, बाला, भव, भानु, मंजुतिलका, मदनाग छंदों से साक्षात के पश्चात् मिलिए मधुमालती छंद से
मधुमालती छंद
*
छंद-लक्षण: जाति मानव, प्रति चरण मात्रा १४ मात्रा, यति ७-७, चरणांत गुरु लघु गुरु (रगण) होता है.

लक्षण छंद
मधुमालती आनंद दे
ऋषि साध सुर नव छंद दे।
गुरु लघु गुरुज चरणांत हो
हर छंद नवउत्कर्ष दे।

उदाहरण:
१. माँ भारती वरदान दो
सत्-शिव-सरस हर गान दो
मन में नहीं अभिमान हो
घर-घर 'सलिल' मधु गान हो।

२. सोते बहुत अब तो जगो
खुद को नहीं खुद ही ठगो
कानून को तोड़ो नहीं-
अधिकार भी छोडो नहीं

**************
९४२५१८३२४४,
salil.sanjiv@gmail.com

शनिवार, 13 मई 2017

madhumalti chhand

रसानंद दे छंद नर्मदा ८१:  
 


दोहा, ​सोरठा, रोला, ​आल्हा, सार​,​ ताटंक (चौबोला), रूपमाला (मदन), चौपाई​, ​हरिगीतिका, उल्लाला​, गीतिका, ​घनाक्षरी, बरवै, त्रिभंगी, सरसी, छप्पय, भुजंगप्रयात, कुंडलिनी, सवैया, शोभन/सिंहिका, सुमित्र, सुगीतिका , शंकर, मनहरण (कवित्त/घनाक्षरी), उपेन्द्रव
ज्रा
, इंद्रव
​​
ज्रा, 
सखी
​, 
विधाता/शुद्धगा, 
वासव
​, 
अचल धृति
​,  
अचल
​, अनुगीत, अहीर, अरुण, 
अवतार, 
​​उपमान / दृढ़पद,  
एकावली,  
अमृतध्वनि, नित, आर्द्रा, ककुभ/कुकभ, कज्जल, कमंद, कामरूप, कामिनी मोहन (मदनावतार), 
काव्य, 
वार्णिक कीर्ति, 
कुंडल, गीता, गंग, 
चण्डिका, चंद्रायण, छवि (मधुभार), जग, जाया, तांडव, तोमर, त्रिलोकी, दिग्पाल / दिक्पाल / मृदुगति, दीप, दीपकी, दोधक, निधि, निश्चल
प्लवंगम, प्रतिभा, प्रदोषप्रेमा, बाला, भव, भानु, मंजुतिलका, मदनाग छंदों से साक्षात के पश्चात् मिलिए मधुमालती छंद से 
  

Rose    मधुमालती 
छंद
*
छंद-लक्षण: जाति मानव, प्रति चरण मात्रा १४ मात्रा, यति ७-७, चरणांत गुरु लघु गुरु (रगण) होता है.  

लक्षण छंद:मधुमालती आनंद दे 
ऋषि साध सुर नव छंद दे 
चरणांत गुरु लघु गुरु रहे 
हर छंद नवउत्कर्ष दे।    

उदाहरण:
१. 
माँ भारती वरदान दो 
   सत्-शिव-सरस हर गान दो
   मन में नहीं अभिमान हो
   
घर-अग्र 'सलिल' मधु गान हो।


२. सोते बहुत अब तो जगो
   खुद को नहीं खुद ही ठगो 
   कानून को तोड़ो नहीं-    
   अधिकार भी छोडो नहीं 

  **************
शारदे माँ 
कल्पना भट्ट 
*
माँ शारदे! वरदान दो
सदबुद्धि दो, सँग ज्ञान दो
मन में नहीं अभिमान हो
शुभ-अशुभ की पहचान दो।
वाणी मधुर रसवान दो
'मैं' का नहीं गुण गान हो
बच्चे अभी नादान हैं
निर्मल मधुर मुस्कान दो
किसको पता हम कौन हैं
अपनी हमें पहचान दो
हम अल्प ज्ञानी माँ! हमें
निज चरण में तुम स्थान दो ।।
************

शुक्रवार, 14 अप्रैल 2017

madhumalti chhand

नवलेखन कार्यशाला 
*
आ गुरूजी
एक प्रयास किया है । कृपया मार्गदर्शन दें । सादर ।
शारदे माँ ( मधुमालती छंद)
माँ शारदे वरदान दो
सद्बुद्धि दो संग ज्ञान दो
मन में नहीं अभिमान हों
अच्छे बुरे की पहचान दो ।
वाणी मधुर रसवान दो
मैं मैं का न गुणगान हों
बच्चे अभी नादान हम
निर्मल एक मुस्कान दो
न जाने कि हम कौन हैं
हमें अपनी पहचान दो
अल्प ज्ञानी मानो हमें
बस चरण में तुम स्थान दो ।।
कल्पना भट्ट
*
प्रिय कल्पना!
सदा खुश रहें।
मधुमालती १४-१४ के दो चरण, ७-७ पर यति, पदांत २१२ ।
शारदे माँ ( मधुमालती छंद)
माँ शारदे! वरदान दो
सदबुद्धि दो, सँग ज्ञान दो
मन में नहीं अभिमान हो
शुभ-अशुभ की पहचान दो।
वाणी मधुर रसवान दो
'मैं' का नहीं गुण गान हो
बच्चे अभी नादान हैं
निर्मल मधुर मुस्कान दो
किसको पता हम कौन हैं
अपनी हमें पहचान दो
हम अल्प ज्ञानी माँ! हमें
निज चरण में तुम स्थान दो ।।
*

गुरुवार, 27 मार्च 2014

chhand salila: madhumalti chhand -sanjiv

छंद सलिला:
मधुमालती छंद
संजीव
*
लक्षण: जाति मानव, प्रति चरण मात्रा १४ मात्रा, यति ७-७, चरणांत गुरु लघु गुरु (रगण) होता है.  

लक्षण छंद:
मधुमालती आनंद दे
ऋषि साध सुर नव छंद दे 
चरणांत गुरु लघु गुरु रहे
हर छंद नवउत्कर्ष दे।   

उदाहरण:
१.
माँ भारती वरदान दो
   सत्-शिव-सरस हर गान दो
   मन में नहीं अभिमान हो
  
घर-अग्र 'सलिल' मधु गान हो।


२. सोते बहुत अब तो जगो
   खुद को नहीं खुद ही ठगो 
   कानून को तोड़ो नहीं-    
   अधिकार भी छोडो नहीं 

  *********************************************
 (अब तक प्रस्तुत छंद: अखण्ड, अग्र, अचल, अचल धृति, अहीर, आर्द्रा, आल्हा, इंद्रवज्रा, उपेन्द्रवज्रा, उल्लाला, एकावली, ककुभ, कज्जल, कीर्ति, गंग, घनाक्षरी, चौबोला, चंडिका, छवि, जाया, तांडव, तोमर, दीप, दोधक, नित, निधि, प्रतिभा, प्रदोष, प्रेमा, बाला, भव, मधुभार, मधुमालती, मनहरण घनाक्षरी, मनोरम, मानव, माली, माया, माला, मोहन, ऋद्धि, राजीव, रामा, लीला, वाणी, शक्तिपूजा, शशिवदना, शाला, शिव, शुभगति, सरस, सार, सिद्धि, सुगति, सुजान, हंसी)