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शुक्रवार, 8 दिसंबर 2017

navgeet- sadak par 2

नवगीत 
सड़क पर २ 
*
जमूरा-मदारी रुआँसे
सड़क पर
.
हताशा निराशा
दुराशा का डेरा
दुख-दर्द, पीड़ा
लगाती हैं फ़ेरा
मिलें ठोकरें जब भी
मंज़िल को टेरा
घायल मवाली करें-कर
सड़क पर
.
सपने हिचकते-
अटकते, भटकते
दुत्कारें कारें
खिलौने सिसकते
सोओ न, कुचलेंगी
बच्चे बिलखते
सियासी नज़ारे
सदा दें सड़क पर
.
कटे वृक्ष रोयें
कलपते परिंदे
किसमत न बाँचें
नजूमी, न बंदे
वसन साफ़ लेकिन
हृदय खूब गन्दे
नेताई वादे धुँआसे
सड़क पर
...
www.divyanarmada.in, ९४२५१८३२४४
#हिंदी_ब्लॉगर 

बुधवार, 1 जून 2016

navgeet

नवगीत  
शंबूक वध सा पाप  
बाग़ में देखे लगे,
फलदार तरु हम ललचकर
लगे चढ़ने फिसलकर, गिर-सन गये हैं धूल में।

स्वप्न सौ देखे मगर 
सच एक भी कब सह सके
दोष औरों को दिये 
निज गलतियाँ कब तह सके 
चाह कलियों को महकते 
पा सकें निज बाँह में 
तृप्त होती किस तरह?, फँस -धँस गये खुद शूल में।

उड़ी चिड़िया चहकती   
हम जाल लेकर ताकते 
चार दाने फेंककर  
लालच दिखाते-फाँसते   
आह सुन कब कहो पिघले?
भ्रमित थे हम वाह में
मनुज होकर दनुज बनते, स्वार्थ घेरे मूल में।

गरीबों को बढ़ाकर   
खैरात बाँटी, वोट ले   
वायदे जुमले बने 
विश्वास को शत चोट दे
लोभतंत्री सियासत वर 
डाह पायी दाह में 
शंबूक वध सा पाप है, छल कर लिये महसूल में।
*********
महसूल = कर

गुरुवार, 16 अप्रैल 2015

navgeet : sanjiv

नवगीत:
संजीव
.
नेह नर्मदा-धारा मुखड़ा
गंगा लहरी हुए अंतरे
.
कथ्य अमरकंटक पर
तरुवर बिम्ब झूमते
डाल भाव पर विहँस
बिम्ब कपि उछल लूमते
रस-रुद्राक्ष माल धारेंगे
लोक कंठ बस छंद कन्त रे!
नेह नर्मदा-धारा मुखड़ा
गंगा लहरी हुए अंतरे
.  
दुग्ध-धार लहरें लय
देतीं नवल अर्थ कुछ
गहन गव्हर गिरि उच्च
सतत हरते अनर्थ कुछ
निर्मल सलिल-बिंदु तर-तारें
ब्रम्हलीन हों साधु-संत रे!
नेह नर्मदा-धारा मुखड़ा
गंगा लहरी हुए अंतरे
.
विलय करे लय मलय
न डूबे माया नगरी
सौंधापन माटी का
मिटा न दुनिया ठग री!
ढाई आखर बिना न कोई
किसी गीत में तनिक तंत रे!
नेह नर्मदा-धारा मुखड़ा
गंगा लहरी हुए अंतरे
.