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रविवार, 19 फ़रवरी 2017

doha

दोहा सलिला
*
मधुशाला है यह जगत, मधुबाला है श्वास
वैलेंटाइन साधना, जीवन है मधुमास
*
धूप सुयश मिथलेश का, धूप सिया का रूप
याचक रघुवर दान पा, हर्षित हो हैं भूप
*

शनिवार, 31 दिसंबर 2016

janm din

कार्यशाला 
*
लिखें मुक्तक 
विषय जन्म दिन 
मात्रा / वर्ण / छंद बंधन नहीं 
*
उदाहरण-
मुक्तक
धरागमन की वर्षग्रन्थि पर अभिनन्दन लो
सतत परिश्रम अक्षत, नव प्रयास चन्दन लो
सलिल-सुमन अभिषेक करे, हो सफल साधना
सत-शिव-सुन्दर सार्थकता हित शत वन्दन लो
हाइकु
(५-७-५)
जन्म दिवस
खुशियाँ ही खुशियाँ
अनगिनत
*
ताँका
(५-७-५-७-७)
जी भर जियो
ख़ुशी का घूँट पियो
खूब मुस्काओ
लक्ष्य निकट पाओ
ख़ुशी के गीत गाओ
*
जनक छंद
(१३-१३-१३)
राम लला प्रगटे सखी
मोद मगन माता हुई
शुभाशीष दें मुनि कई
*
चौपाई
(१६-१६)
जन्म दिवस का पर्व मनाना, मत मिष्ठान्न अकेले खाना
मात-पिता प्रभु का वंदनकर, शुभ आशीष सभी से पाना
बंधु-बांधवों के सँग मिलकर, किसी क्षुधित की भूख मिटाना
 जो असहाय दिखे तू उसकी, ओर मदद का हाथ बढ़ाना
*
आल्हा
(१६-१५)
जन्म दिवस पर दीप जलाओ, ज्योति बुझाना छोडो यार
केक न काटो बना गुलगुले, करो स्नेहियों का सत्कार
शीश ईश को प्रथम नवाना, सुमति-धर्म माँगो वरदान
श्रम से मुँह न चुराना किंचित, जीवन हो तब ही रसखान
आलस से नित टकराना है, देना उसे पटककर मात
अन्धकार में दीप जलना, यगा रात से 'सलिल' प्रभात
***

शुक्रवार, 17 अक्टूबर 2014

janak chhand

जनक छंद

तन मन रखिये स्वच्छ अब
स्वच्छ रखें परिवेश जब 
स्वच्छ बनेगा देश तब

नदियाँ जीवनदाता हैं
सच मानें वे माता हैं
जल संकट से त्राता हैं

निकट नदी के मत जाएँ
मत कपड़े धो नहाएँ
मछली-कछुए जी पाएँ

स्नानागार बनें तट पर
करिए स्नान वहीं जाकर
करें प्रणाम नदी को फिर

नदी किनारे हों जंगल
पशु-पक्षी का हो मंगल
मनुज न जा करिए दंगल 
*