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शुक्रवार, 7 जुलाई 2017

charchit chehara: ekta bisht

चर्चित चेहरा:


भारतीय महिला क्रिकेट की सितारा एकता बिष्ट 
                         आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'
*

                         क्रिकेट में पकिस्तान के हाथों हारकर औंधे मुँह गिरनेवाले पुरुष दल ने भारतीय दर्शकों का मोह भंग किया किन्तु अनर्गल प्रलाप करनेवाले दूरदर्शनी खबरचियों ने कोई सबक लिया हो ऐसा प्रतीत नहीं होता। खेल में हार-जीत होती रहती है और उसे खेल भावना से ही लेना चाहिए। दुःख इस बात का है की युवा कप्तान को अखबार जगत ने भगवान् की तरह उछाला और वे घमंड में अपने से बहुत वरिष्ठ और अपने समय के श्रेष्ठ खिलाड़ी रहे कोच से रार ठान बैठे. कोच ने सिक्का जीतने पर पहले बल्लेबाजी की सलाह दी थी किन्तु बल्लेबाजी को अपनी ताकत माननेवाले कप्तान ने पहले गेंदबाजी को चुना। विपक्षी दल की ताकत उसकी गेंदबाजी है यह जानते हुए भी विपक्षी को टूटती पिच पर लाभ का अवसर दिया जिसे विपक्ष ने बखूबी भुनाया। इस अपमान के बाद स्वाभिमानी और अनुशासित कोच के लिए अनुशासनहीन और उद्दंड कप्तान के साथ काम करना संभव ही नहीं था। इसलिए वे तत्काल दल और पद से अलग हो गए।  होना तो यह था कि कप्तान को अलगकर नये कप्तान और कोच के साथ दल को आगे भेजा जाता किन्तु कप्तान को सर पर बैठाने के आदी क्रिकेट बोर्ड ने ऐसा नहीं किया।  अखबार नवीसों ने आम लोगों के मन में जो निराधार आशा का भवन बना दिया था उसके ध्वस्त होने पर महिला क्रिकेट ने पाकिस्तानी दल पर जीत दर्ज कर कुछ सांत्वना दी। भारतीय महिला क्रिकेट दल की विजय में मुख्य भूमिका निभायी गेंदबाज एकता बिष्ट ने।

                         उत्तराखंड की बेटी एकता बिष्ट के पास क्रिकेट प्रतिभा तो आरंभ से ही अकूत थी किन्तु लगनेवाला धन नहीं था। वर्ष २०१० में एकता का चयन महिला क्रिकेट की ए टीम में हुआ। मुम्बई जाने के लिए १० हजार रुपयों की आवश्यकता थी किन्तु उसके पिता हर संभव प्रयास करने भी केवल २०००/- जुटा सके। एकता की मान ने अपने जेवर बेचे तो ३०००/- और जुटे। अब भी ५०००/- कम थे, एकता के कोच लियाकत अली ने शेष ५०००  रुपयों का प्रबंध किया। एकता मुंबई की ओर चल पड़ी और इसके बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। एक साल बाद २०११ में एकता बिष्ट ने २०-२० ओवरों की अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ श्री गणेश (डेब्यू) किया। पाकिस्तान के विरुद्ध एकता के बेमिसाल प्रदर्शन ने भारत का मान बढ़ाते हुए एकतरफा जीत दिलाई। मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर एकता की जबरदस्त गेंदबाजी और असाधारण क्षेत्ररक्षण हेतु उन्हें बधाई देने से खुद को न रोक सके। पाकिस्तान के खिलाफ खेलते हुए एकता ने अपने पहले ओवर में पाकिस्तानी प्रारंभिक बल्लेबाज आयशा को एक रन पर चलता किया। एकता बिष्ट ने १० ओवरों में १८ रन पर २ रन रहित (मेडन) ओवर फेंकते हुए, ५ विकेट झटके और पाकिस्तानी दल की कमर तोड़ दी। 

                         आईसीसी वूमैन वर्ल्ड कप २०१७ में भारत और पाकिस्तान के बीच टूर्नामेंट के ११ वें मैच में पहले बल्लेबाजी करते हुए भारतीय टीम ५० ओवरों में १६९ रन बनाये। अब दारोमदार भारतीय गेंदबाजों पर था। उत्तराखंड की दो ‌गेंदबाज बेटियों ने यह उत्तरदायित्व बखूबी निभाया और पाकिस्तान को ७४ रन पर ढेर कर भारत को मैच ९५ रन से जीता दिया। उत्तराखंड की बेटियों एकता बिष्ट और मानसी जोशी के जादू के आगे पाकिस्तान खिलाड़ी नौसिखियों की तरह बेबस दिखे। भारतीय ही नहीं विश्व महिला क्रिकेट की शान बन चुकी एकता साधनहीनता के बावजूद अथक प्रयासों से सफलता पाने की बेमिसाल मिसाल है। अपने जीवन में लक्ष्य पाने के लिए विपरीत परिस्थितियों से जूझ रहे युवाओं को एकता से प्रेरणा ग्रहण करनी चाहिए। 
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संपर्क: २०४ विजय अपार्टमेंट, नेपियर टाउन, जबलपुर ४८२००१ 
चलभाष: ९४२५१८३२४४, salil.sanjiv@gmail.com

बुधवार, 8 फ़रवरी 2017

doha

क्रिकेट के दोहे 
*
चहल-पहल कर चहल ने, खड़ी करी है खाट 
क्म्गेंदें ज्यादा विकेट, मारा धोबीपाट 
*
धोनी ने धो ही दिया, सब अंग्रजी ठाठ 
बल्ले-बल्ले कर रहा, बल्ला पढ़ लो पाठ 
*
रैना चैना छीनकर, नैना रहा तरेर 
ढेर हो गए सर झुका, सब अंग्रेजी शेर
*
है विराट के नाम की, है विराट ही धाक   
कुक ने स्तीफा दिया, हाय कट गयी नाक 

अंग्रेजों से छिन गया, ट्वंटी का भी ताज 
गोरी बाला वर जयी, हुए विहँस युवराज 
*
नेहरा गहरा वार कर, पहरा देता खूब 
विकट नहीं या रन नहीं, गए विपक्षी डूब 
***

गुरुवार, 24 मार्च 2016

parody

पैरोडी 
'लेट इज बैटर दैन नेवर', कबहुँ नहीं से गैर भली  होली पर दिवाली खातिर धोनी और सब मनई के मुट्ठी भर अबीर और बोतल भर ठंडाई ......

होली पर एगो ’भोजपुरी’ गीत रऊआ लोग के सेवा में ....
नीक लागी तऽ  ठीक , ना नीक लागी तऽ कवनो बात नाहीं....
ई गीत के पहिले चार लाईन अऊरी सुन लेईं

माना कि गीत ई पुरान बा
      हर घर कऽ इहे बयान बा
होली कऽ मस्ती बयार मे-
मत पूछऽ बुढ़वो जवान बा--- कबीरा स र र र र ऽ

अब हमहूँ ६३-के ऊपरे चलत, मग्गर ३६ का हौसला रखत  बानी ..

भोजपुरी गीत : होली पर....

कईसे मनाईब होली ? हो धोनी !
कईसे मनाईब होली..ऽऽऽऽऽऽ

बैटिंग के गईला त रनहू नऽ अईला
एक गिरउला ,तऽ दूसर पठऊला
कईसे चलाइलऽ  चैनल चरचा
कोहली त धवन, रनहू कम दईला 
निगली का भंग की गोली?  हो धोनी  ! 
मिलके मनाईब होली ?ऽऽऽऽऽ

ओवर में कम से कम चउका तऽ चाही
मौका बेमौका बाऽ ,छक्का तऽ चाही
बीस रनन का रउआ रे टोटा  
सम्हरो न दुनिया में होवे हँसाई
रीती न रखियो झोली? हो राजा !
लड़ के मनाईब होली ?,ऽऽऽऽऽऽऽ

मारे बँगलदेसीऽ रह-रह के बोली
मुँहझँऊसा मुँह की खाऽ बिसरा ठिठोली
दूध छठी का याद कराइल  
अश्विन-जडेजाकऽ टोली 
बद लीनी बाजी अबोली हो राजा
भिड़ के मनाईब होली ?,ऽऽऽऽऽऽऽ

जमके लगायल रे! चउआ-छक्का 
कैच भयल गए ले के मुँह लटका
नानी स्टंपन ने याद कराइल  
फूटा बजरिया में मटका  
दै दिहिन पटकी सदा जय हो राजा
जम के मनाईब होली ?,ऽऽऽऽऽऽऽ

अरे! अईसे मनाईब होली हो राजा, अईसे मनाईब होली...
आनंद जी को समर्पित 

रविवार, 26 मई 2013

doha: maila huaa cricket kumar gaurav ajitendu

दोहे - 
मैला हुआ क्रिकेट

https://mail-attachment.googleusercontent.com/attachment/u/0/?ui=2&ik=dad2fa7c6e&view=att&th=13ecc2c3ed38b7d1&attid=0.1&disp=inline&realattid=file1&safe=1&zw&saduie=AG9B_P8iolpeP3f4iPAHowfQMMHF&sadet=1369537716047&sads=BBVGZWXS7ytwhs4-3hMTghqwUp0

कुमार गौरव अजीतेन्दु
            
*
बिके हुए प्यादे सभी, बिका हुआ रनरेट।
लुप्त हुई है स्वच्छता, मैला हुआ क्रिकेट॥

लगा रहा है बैट तो, सौदे पर ही जोर।
टर्न हो रही गेंद भी, सट्टाघर की ओर॥

मैदानों पर चल रहा, बैट-बॉल का खेल।
परदे पीछे हो रहा, जुआरियों का मेल॥

खिलाड़ियों ने शौक से, बेच दिया है देश।
बाहर बैठे डॉन के, मान रहे निर्देश॥

माटी ने पैदा किया, पाला सालों-साल।
सुरा-सुंदरी के लिए, बिका देश का लाल॥

पकड़े तो कीड़े गये, बिच्छू हैं आजाद।
मारेंगे फिर डंक वो, कुछ अरसे के बाद॥

फैलाती डी-कंपनी, फिक्सिंग का ये जाल।
भारत के दुश्मन सभी, होते मालामाल॥

बीसीसीआई डरी, खड़े कर दिये हाथ।
नेटवर्क इतना बड़ा, कौन फँसाये माथ॥

गई कबड्डी काम से, खो-खो भी गुमनाम।
क्रिकेटिया इस भूत ने, हमको किया गुलाम॥

देशद्रोहियों को नहीं, मिले क्षमा का दान।
बहिष्कार इनका करो, कहता यही विधान॥
पटना - 801502 (बिहार)

गुरुवार, 16 जून 2011

कुण्डलिया छन्द - वास्तविकता स्वीकारें --नवीन सी चतुर्वेदी


कुण्डलिनी छन्द - वास्तविकता स्वीकारें

जब से आइ पि एल ने, यार जगाई आस|
काउन्टी किरकेट का, क्रेज़ रहा ना खास||
क्रेज़ रहा ना खास, वास्तविकता स्वीकारें|
निज गृहजनगुणधर्म, समाज सदा सत्कारें|
निज 'भू' ही सम्मान - दिलाती - कहते तो सब|
किंतु समझते लोग, वक्त - समझाता है जब||



अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आइ सी सी की चौधराहट को आप लोग भूले नहीं होंगे| पर जब से आइ पी एल फॉर्मेट मशहूर हुआ है, इस को ले कर जब-तब आपत्तियाँ दर्ज कराई जाती रही हैं| हम मानते हैं कि आइ पी एल की अपनी खामियाँ हैं, पर क्या आइ सी सी दूध धुली थी? या है?

आज कम से कम भारतीय हुनरमंद प्रतियोगी किसी की इनायत के मोहताज तो नहीं हैं...................

भाई हमने तो अपने मन की बात कह दी है............................. आप क्या कहते हैं?



साभार
नवीन सी चतुर्वेदी
मुम्बई

मैं यहाँ हूँ : ठाले बैठे
साहित्यिक आयोजन : समस्या पूर्ति
दूसरे कवि / शायर : वातायन
मेरी रोजी रोटी : http;//vensys.biz

मंगलवार, 6 अप्रैल 2010

ख़बरदार कविता: सानिया-शोएब प्रकरण: संजीव 'सलिल'


छोड़ एक को दूसरे का थामा है हाथ.
शीश झुकायें या कहों तनिक झुकायें माथ..
कोई किसी से कम नहीं, ये क्या जानें प्रीत.
धन-प्रचार ही बन गया, इनकी जीवन-रीत..
निज सुविधा-सुख साध्य है, सोच न सकते शेष.
जिसे तजा उसकी व्यथा, अनुभव करें अशेष..
शक शंका संदेह से जहाँ हुई शुरुआत.
वहाँ व्यर्थ है खोजना, किसके क्या ज़ज्बात..
मिला प्रेस को मसाला, रोज उछाला खूब.
रेटिंग चेनल की बढ़ी, महबूबा-महबूब.
बात चटपटी हो रही, नित्य खुल रहे राज़.
जैसे पट्टी चीरकर बाहर झाँके खाज.
'सलिल' आज फिर से हुआ, केर-बेर का संग.
दो दिन का ही मेल है, फिर देखेंगे जंग..

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