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बुधवार, 25 जनवरी 2017

doha

सामयिक दोहा सलिला 
*
गाँधी जी के नाम पर, नकली गाँधी-भक्त 
चित्र छाप पल-पल रहे, सत्ता में अनुरक्त 
लालू के लल्ला रहें, भले मैट्रिक फेल 
मंत्री बन डालें 'सलिल', शासन-नाक नकेल 
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ममता की समता करे, किसमें है सामर्थ?
कौन कर सकेगा 'सलिल', पल-पल अर्थ-अनर्थ??
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बाप बाप पर पुत्र है, चतुर बाप का बाप 
धूल चटाकर चचा को, मुस्काता है आप 
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साइकिल-पंजा मिल हुआ, केर-बेर का संग 
संग कमल-हाथी मिलें, तभी जमेगा रंग 
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