कुल पेज दृश्य

aparna khare लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
aparna khare लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

बुधवार, 20 दिसंबर 2017

दोहा दुनिया

शिखा वार्ष्णेय :
शिखा जला साहित्य की, करती रहें प्रकाश
पैर जमा कर धरा पर, छू लें हँस आकाश
*
अपर्णा खरे :
नहीं अपर्णा अपर्णा, रचना पर्ण अनेक
दें बिखेर नव मूल्य दें, जिनसे जगे विवेक
*