मुक्तिका:
मारा
संजीव
*
हँसकर गले लगाकर, अपना बना के मारा
सरकार निज बनाने, खाना खिला के मारा।१
सरहद की फ़िक्र मत कर, दुश्मन से भी न खतरा
ऐसी मुई सियासत, लड़वा-भिड़ा के मारा।२
बहली रहे तबीयत इतना है उनका मकसद
दिलकश कमल बनाने, कीचड सना के मारा।३
सीरत खरीद पाई सूरत न जब हसीं तो,
पर्दा किया, पलट कर पर्दा गिरा के मारा।४
साली की की हमाली, बेगम से गम मिले हैं,
इसने हँसा के मारा, उसने रुला के मारा।५
घर-घुस रहा है कोई, सर कतरता है कोई,
सरकार मौन देखे, हमको हमीं ने मारा।६
माटी से मिली माटी आश्रम में, सडक पर भी
पुचकार इसने मारा, दुत्कार उसने मारा।७
*
Sanjiv verma 'Salil'
salil.sanjiv@gmail.com
http://divyanarmada.blogspot. in
मारा
संजीव
*
हँसकर गले लगाकर, अपना बना के मारा
सरकार निज बनाने, खाना खिला के मारा।१
सरहद की फ़िक्र मत कर, दुश्मन से भी न खतरा
ऐसी मुई सियासत, लड़वा-भिड़ा के मारा।२
बहली रहे तबीयत इतना है उनका मकसद
दिलकश कमल बनाने, कीचड सना के मारा।३
सीरत खरीद पाई सूरत न जब हसीं तो,
पर्दा किया, पलट कर पर्दा गिरा के मारा।४
साली की की हमाली, बेगम से गम मिले हैं,
इसने हँसा के मारा, उसने रुला के मारा।५
घर-घुस रहा है कोई, सर कतरता है कोई,
सरकार मौन देखे, हमको हमीं ने मारा।६
माटी से मिली माटी आश्रम में, सडक पर भी
पुचकार इसने मारा, दुत्कार उसने मारा।७
*
Sanjiv verma 'Salil'
salil.sanjiv@gmail.com
http://divyanarmada.blogspot.