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मंगलवार, 11 अक्टूबर 2016

navgeet

नवगीत 
*
'सौ सुनार की' भेंट तुम्हारी 
'एक लुहार की' भेंट हमारी 
*
'जैसे को तैसा'
लो यार!
नगद रहे,
क्यों रखें उधार?
एक वार से
बंटाढार।
अब रिश्तों में
करो सुधार।
नफरत छोड़ो,
लो-दो प्यार।
हार रहे बिन खेले पारी
करे न राख एक चिंगारी
*
'गधा शेर की
पाकर खाल।
भूल गया खुद
अपनी चाल।
ढेंचू-ढेंचू
रेंक निहाल।
पड़े लट्ठ
तो हुआ निढाल।
कसम खाई
दे छोड़ बवाल।
अपनी गलती तुरत सुधारी
तभी बची जां, दहशतधारी
*
'तीस मार खां'
हो तुम माना।
लेकिन तुमने
हमें न जाना।
गर्दभ सुर में
गाते गाना।
हमें सुहाता
ढोल बजाना।
नहीं मिलेगा
कहीं ठिकाना।
बन सकती जो बात बिगारी
जान बचे, आ शरण हमारी
*
२९-९-२०१६

बुधवार, 28 सितंबर 2016

गीत

एक रचना 
बातें हों अब खरी-खरी 

मुँह देखी हो चुकी बहुत 
अब बातें हों कुछ खरी-खरी 
जो न बात से बात मानता
लातें तबियत करें हरी
*
पाक करे नापाक हरकतें
बार-बार मत चेताओ
दहशतगर्दों को घर में घुस
मार-मार अब दफनाओ
लंका से आतंक मिटाया
राघव ने यह याद रहे
काश्मीर को बचा-मिलाया
भारत में, इतिहास कहे
बांगला देश बनाया हमने
मत भूले रावलपिडी
कीलर-सेखों की बहादुरी
देख सरहदें थीं सिहरी
मुँह देखी हो चुकी बहुत
अब बातें हों कुछ खरी-खरी
*
करगिल से पिटकर भागे थे
भूल गए क्या लतखोरों?
सेंध लगा छिपकर घुसते हो
क्यों न लजाते हो चोरों?
पाले साँप, डँस रहे तुझको
आजा शरण बचा लेंगे
ज़हर उतार अजदहे से भी
तेरी कसम बचा लेंगे
है भारत का अंग एक तू
दुहराएगा फिर इतिहास
फिर बलूच-पख्तून बिरादर
के होंठों पर होगा हास
'जिए सिंध' के नारे खोदें
कब्र दुश्मनी की गहरी
मुँह देखी हो चुकी बहुत
अब बातें हों कुछ खरी-खरी
*
२१-९-२०१७

karya shala

कार्य शाला 
प्रश्न -उत्तर 

हिन्द घायल हो रहा है पाक के हर दंश से
गॉधीजी के बन्दरों का अब बताओ क्या करें ? -समन्दर की मौजें
*
बन्दरों की भेंट दे दो अब नवाज़ शरीफ को
बना देंगे जमूरा भारत का उनको शीघ्र ही - संजीव
*

शनिवार, 13 फ़रवरी 2016

laghukatha

लघुकथा- 
निरुत्तर 
*
मेरा जूता है जापानी, और पतलून इंग्लिस्तानी 
सर पर लाल टोपी रूसी, फिर भी दिल है हिंदुस्तानी 

पीढ़ियाँ गुजर गयीं जापान, इंग्लॅण्ड और रूस की प्रशंसा करते इस गीत को गाते सुनते, आज भी  उपयोग की वस्तुओं पर जापान, ब्रिटेन, इंग्लैण्ड, चीन आदि देशों के ध्वज बने रहते हैं उनके प्रयोग पर किसी प्रकार की आपत्ति किसी को नहीं होती। ये देश हमसे पूरी तरह भिन्न हैं, इंग्लैण्ड ने तो हमको गुलाम भी बना लिया था। लेकिन अपने आसपास के ऐसे देश जो कल तक हमारा ही हिस्सा थे, उनका झंडा फहराने या उनकी जय बोलने पर आपत्ति क्यों उठाई जाती है? पूछा एक शिष्य ने, गुरु जी थे निरुत्तर।
***