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सोमवार, 17 सितंबर 2018

karya shala: kundaliya

कार्यशाला: कुण्डलिया
कार्यशाला 
षट्पदी (कुण्डलिया )
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आओ! सब मिलकर रचें, ऐसा सुंदर चित्र। 
हिंदी पर अभिमान हो, स्वाभिमान हो मित्र।। -विशम्भर शुक्ल 
स्वाभिमान हो मित्र, न टकरायें आपस में।
फूट पड़े तो शत्रु, जयी हो रहे न बस में।।
विश्वंभर हों सदय, काल को जूझ हराओ।
मोदक खाकर सलिल, गजानन के गुण गाओ।। -संजीव 'सलिल'