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बुधवार, 21 अगस्त 2013

message to sister on raksha bandhan -sanjiv

रक्षा बंधन पर बहिन को पाती:
संजीव 
*
बहिन! शुभ आशीष तेरा, भाग्य का मंगल तिलक
भाई वंदन कर रहा, श्री चरण का हर्षित-पुलक
भगिनियाँ शुचि मातृ-छाया, स्नेहमय कर हैं वरद
वृष्टि देवाशीष की, करतीं सतत- जीवन सुखद
स्नेह से कर भाई की रक्षा उसे उपकारतीं
आरती से विघ्न करतीं दूर, फिर मनुहारतीं
कभी दीदी, कभी जीजी, कभी वीरा है बहिन
कभी सिस्टर, भगिनी करती सदा ममता ही वहन
शक्ति-शारद-रमा की तुझमें त्रिवेणी है अगम
'सलिल' को भव-मुक्ति का साधन हुई बहिना सुगम
थामकर कर द्वयों में दो कुलों को तू बाँधती
स्नेह-सिंचन श्वास के संग आस नित नव राँधती
निकट हो दूर, देखी या अदेखी हो बहिन
भाग्य है वह भाई का, श्री चरण में शत-शत नमन
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Sanjiv verma 'Salil'
salil.sanjiv@gmail.com
http://divyanarmada.blogspot.in

सोमवार, 19 नवंबर 2012

शिशु गीत सलिला : 2 -संजीव 'सलिल'

शिशु गीत सलिला : 2
संजीव 'सलिल'
*
11. पापा-1




पापा लाड़ लड़ाते खूब,
जाते हम खुशियों में डूब।
उन्हें बना लेता घोड़ा-
हँसती, देख बाग़ की दूब।।
*

12. पापा-2


पापा चलना सिखलाते,
सारी दुनिया दिखलाते।
रोज बिठाकर कंधे पर-
सैर कराते मुस्काते।।

गलती हो जाए तो भी,
कभी नहीं खोना आपा।
सीख सुधारूँगा मैं ही-
गुस्सा मत होना पापा।।
*
13. भैया-1





मेरा भैया प्यारा है,
सारे जग से न्यारा है।
बहुत प्यार करता मुझको-
आँखों का वह तारा है।।
*
14. भैया-2



नटखट चंचल मेरा भैया,
लेती हूँ हँस रोज बलैया।
दूध नहीं इसको भाता-
कहता पीना है चैया।।
*
15. बहिन -1



बहिन गुणों की खान है,
वह प्रभु का वरदान है।
अनगिन खुशियाँ देती है-
वह हम सबकी जान है।।
*
16. बहिन -2



बहिन बहुत ही प्यारी है,
सब बच्चों से न्यारी है।
हँसती तो ऐसा लगता-
महक रही फुलवारी है।।
*
17. घर



पापा सूरज, माँ चंदा,
ध्यान सभी का धरते हैं।
मैं तारा, चाँदनी बहिन-
घर में जगमग करते हैं।।
*
18. बब्बा



बब्बा ले जाते बाज़ार,
दिलवाते टॉफी दो-चार।
पैसे नगद दिया करते-
कुछ भी लेते नहीं उधार।।

मम्मी-पापा डांटें तो
उन्हें लगा देते फटकार।
जैसे ही मैं रोता हूँ,
गोद उठा लेते पुचकार।।
*
19. दादी-1


दादी बनी सहेली हैं,
मेरे संग-संग खेली हैं।
उनके बिना अकेली मैं-
मुझ बिन निपट अकेली हैं।।
*
20. दादी-2




राम नाम जपतीं दादी,
रहती हैं बिलकुल सादी।
दूध पिलाती-पीती हैं-
खूब सुहाती है खादी।।

गोदी में लेतीं, लगतीं -
रेशम की कोमल गादी।
मुझको शहजादा कहतीं,
बहिना उनकी शहजादी।।
*