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मंगलवार, 20 अप्रैल 2021

चित्र पर रचना

चित्र पर रचना




मुक्तिका 
*
मेहनत अधरों की मुस्कान 
मेहनत ही मेरा सम्मान 
बहा पसीना, महल बना 
पाया आप न एक मकान 
वो जुमलेबाजी करते 
जिनको कुर्सी बनी मचान 
कंगन-करधन मिले नहीं 
कमा बनाए सच लो जान 
भारत माता की बेटी 
यही सही मेरी पहचान 
दल झंडे पंडे डंडे 
मुझ बिन हैं बेदम-बेजान 
उबटन से गणपति गढ़ दूँ 
अगर पार्वती मैं लूँ ठान 
सृजन 'सलिल' का है सार्थक 
मेहनतकश का कर गुणगान 
***
२०-४-२१ 
 

रविवार, 15 नवंबर 2020

समस्यापूर्ति

समस्यापूर्ति
'बादलों की कूचियों पर'
*
बादलों की कूचियों पर
गीत रचो पंछियों पर
भूमि बीज जड़ पींड़ पर
छंद कहो डालियों पर
झूम रही टहनियों पर
नाच रही पत्तियों पर
मंत्रमुग्ध कलियों पर
क्यारियों-मालियों पर
गीत रचो बिजलियों पर
बादलों की कूचियों पर
गीत रचो पंछियों पर
*
श्वेत-श्याम रंग मिले
लाल-नील-पीत खिले
रंग मिलते हैं गले
भोर हो या साँझ ढले
बरखा भिगा दे भले
सर्दियों में हाड़ गले
गर्मियों में गात जले
ख्वाब नयनों में पले
लट्टुओं की फिरकियों पर
बादलों की कूचियों पर
गीत रचो पंछियों पर
*
अब न नफरत हो कहीं
हो अदावत भी नहीं
श्रम का शोषण भी नहीं
लोभ-लालच भी नहीं
रहे बरकत ही यहीं
हो सखावत ही यहीं
प्रेम-पोषण ही यहीं
हो लगावट ही यहीं
ज़िंदगी की झलकियों पर
बादलों की कूचियों पर
गीत रचो पंछियों पर

*

शुक्रवार, 18 सितंबर 2020

हिंदी की तस्वीर

 समस्या पूर्ति

'हिंदी की तस्वीर'
'हिंदी की तस्वीर' शब्दों का उपयोग करते हुए पद्य की किसी भी विधा में रचना टिप्पणी के रूप में प्रस्तुत करें।
*
हिंदी की तस्वीर के, अनगिन उजले पक्ष
जो बोलें वह लिख-पढ़ें, आम लोग, कवि दक्ष
*
हिदी की तस्वीर में, भारत एकाकार
फूट डाल कर राज की, अंग्रेजी आधार
*
हिंदी की तस्वीर में, सरस सार्थक छंद
जितने उतने हैं कहाँ, नित्य रचें कविवृंद
*
हिंदी की तस्वीर या, पूरा भारत देश
हर बोली मिलती गले, है आनंद अशेष
*
हिंदी की तस्वीर में, भरिए अभिनव रंग
उनकी बात न कीजिए, जो खुद ही भदरंग
*
हिंदी की तस्वीर पर अंग्रेजी का फेम
नौकरशाही मढ़ रही, नहीं चाहती क्षेम
*
हिंदी की तस्वीर में, गाँव-शहर हैं एक
संस्कार-साहित्य मिल, मूल्य जी रहे नेक
*

गुरुवार, 29 जून 2017

muktika

समस्यापूर्ति 
प्रदत्त पंक्ति- मैं जग को दिल के दाग दिखा दूँ कैसे - बलबीर सिंह।
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मुक्तिका:
(२२ मात्रिक महारौद्र जातीय राधिका छंद)   
मैं जग को दिल के दाग, दिखा दूँ कैसे?
अपने ही घर में आग, लगा दूँ कैसे?
*
औरों को हँसकर सजा सुना सकता हूँ  
अपनों को खुद दे सजा, सजा दूँ कैसे?
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सेना को गाली बकूँ, सियासत कहकर 
निज सुत सेना में कहो, भिजा दूँ कैसे?
*
तेरी खिड़की में ताक-झाँक कर खुश हूँ 
अपनी खिड़की मैं तुझे दिखा दूँ कैसे?
*
 'लाइक' कर दूँ सब लिखा, जहाँ जो जिसने 
क्या-कैसे लिखना, कहाँ सिखा दूँ कैसे?
*