एक कुंडली
संजीव 'सलिल'
*
मंगलमय हो हर दिवस, दें मुझको आशीष.
'सलिल'-धार निर्मल रखें, हों प्रसन्न जगदीश..
हों प्रसन्न जगदीश, न पानी बहे आँख से.
अधरों की मुस्कान न घटती अगर बाँट दें..
दंगल कर दें बंद, धरा से कटे न जंगल
मंगल क्यों जाएँ, भू का हम कर दें मंगल..
Sanjiv verma 'Salil'
salil.sanjiv@gmail.com
http://divyanarmada.blogspot. com
संजीव 'सलिल'
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मंगलमय हो हर दिवस, दें मुझको आशीष.
'सलिल'-धार निर्मल रखें, हों प्रसन्न जगदीश..
हों प्रसन्न जगदीश, न पानी बहे आँख से.
अधरों की मुस्कान न घटती अगर बाँट दें..
दंगल कर दें बंद, धरा से कटे न जंगल
मंगल क्यों जाएँ, भू का हम कर दें मंगल..
Sanjiv verma 'Salil'
salil.sanjiv@gmail.com
http://divyanarmada.blogspot.