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गुरुवार, 7 फ़रवरी 2019

दोहा-यमक

गले मिले दोहा यमक 
*
दिल न मिलाये रह गए, मात्र मिलकर हाथ
दिल ने दिल के साथ रह, नहीं निभाया साथ
*
निर्जल रहने की व्यथा, जान सकेगा कौन?
चंद्र नयन-जल दे रहा, चंद्र देखता मौन
*
खोद-खोदकर थका जब, तब सच पाया जान
खो देगा ईमान जब, खोदेगा ईमान
*
कौन किसी का सगा है, सब मतलब के मीत
हार न चाहें- हार ही, पाते जब हो जीत
*
निकट न होकर निकट हैं, दूर न होकर दूर
चूर न मद से छोर हैं, सूर न हो हैं सूर
*
इस असार संसार में, खोज रहा है सार
तार जोड़ता बात का, डिजिटल युग बे-तार
*
५-२-२०१७

रविवार, 14 अक्टूबर 2018

doha yamak

गले मिले दोहा-यमक
*
न मन मिले तो नमन कर, नम न 'सलिल' हों आँख
सफल साधना नाप नभ, बंद किये क्यों पाँख?
*
सही कौन सा धना है, और कौन सा धान?
नाक चढ़ा चश्मा करे, टीवी पर संधान
*
तनहा जी का कर रहीं, तनहाइन गुणगान
लिए साज ना साजना, नाक छेड़ती तान
*
'मी टू' तनहा जी कहें, मत सुन मान न व्याध
है जो मन में साध ना, पूरी करिए साध
*
गले बर्फ सम भेद सब, गले मिले जब आप
मिले न मिलकर भेद रख, हुआ पुण्य भी पाप
*
१४.१०.२०१८

सोमवार, 8 अक्टूबर 2018

doha yamak

दोहा सलिला :
एक दोहा यमक का
संजीव
*
कल-कल करते कल हुए, कल न हो सका आज
विकल मनुज बेअकल खो कल, सहता कल-राज
कल = आगामी दिन, अतीत, शांति, यंत्र
कल करूंगा, कल करूंगा अर्थात आज का काम पर कल (अगला दिन) पर टालते हुए व्यक्ति खुद चल बसा (अतीत हो गया) किन्तु आज नहीं आया. बुद्धिहीन मनुष्य शांति खोकर व्याकुल होकर यंत्रों का राज्य सह रहा है अर्थात यंत्रों के अधीन हो गया है.
salil.sanjiv@gmail.com
http://divyanarmada.blogspot.com
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शनिवार, 29 सितंबर 2018

doha yamak

गले मिले दोहा-यमक                                                                                                                                      
*
गया गया है गया को, तर्पण करने आज
रहें सदय प्रभु हो सके, बिना विघ्न सब काज
*                                                                                                                                                                 
राम राम यह क्या हुआ, बोल पड़े श्री राम
सिया समाई धरा में, कौन रहेगा वाम
*
गौ को दोहा ही नहीं, दोहा रच तल्लीन
दोहा बैठे पूत ने, भेजे चित्र नवीन
*
भोग दिखा भगवान को, भोग लगाते भक्त
देख रहे भगवान जी, कितने हुए अशक्त
*
लेखा अधिकारी कहे, समझो कुछ तो अर्थ
ले खा अधिकारी न ले, खा क्यों बैठे व्यर्थ
*                                                                                                                                                                

अना अना सह हँस रही , अनायास दुःख भूल 
कली खिली रो हँस पड़ी, अना आना का मूल 
*
शम्स शम्स से झाँकता, निकल रहा है शम्स 
शम्स तपे, छतरी लिए, जान बचाता शम्स 
*
सुधि न सुधा की सुधा दे, भुला दीजिए ध्यान
सुधा लुटाता सुधाकर, पाता जग से मान
*

सोमवार, 17 सितंबर 2018

doha yamak

:दोहा सलिला :
गले मिले दोहा-यमक
संजीव
*
चंद चंद तारों सहित, करे मौन गुणगान
रजनी के सौंदर्य का, जब तक हो न विहान
*
जहाँ पनाह मिले वहीं, बस बन जहाँपनाह
स्नेह-सलिल का आचमन, देता शांति अथाह
*
स्वर मधु बाला चन्द्र सा, नेह नर्मदा-हास
मधुबाला बिन चित्रपट, है श्रीहीन उदास
*
स्वर-सरगम की लता का,प्रमुदित कुसुम अमोल
खान मधुरता की लता, कौन सके यश तौल
*
भेज-पाया, खा-हँसा, है प्रियतम सन्देश
सफलकाम प्रियतमा ने, हुलस गहा सन्देश
*
गुमसुम थे परदेश में, चहक रहे आ देश
अब तक पाते ही रहे, अब देते आदेश
*
पीर पीर सह कर रहा, धीरज का विनिवेश
घटे न पूँजी क्षमा की, रखता ध्यान विशेष
*
माया-ममता रूप धर, मोह मोहता खूब
माया-ममता सियासत, करे स्वार्थ में डूब
*
जी वन में जाने तभी, तू जीवन का मोल
घर में जी लेते सभी, बोल न ऊँचे बोल
*
विक्रम जब गाने लगा, बिसरा लय बेताल
काँधे से उतरा तुरत, भाग गया बेताल
*

सोमवार, 3 सितंबर 2018

doha yamak

दोहा सलिला:
यमक का रंग दोहा के संग-
.....नहीं द्वार का काम
संजीव 'सलिल'
*
मन मथुरा तन द्वारका, नहीं द्वार का काम.
प्राणों पर छा गये है, मेरे प्रिय घनश्याम..
*
बजे राज-वंशी कहे, जन-वंशी हैं कौन?
मिटे राजवंशी- अमिट, जनवंशी हैं मौन..
*
'सज ना' सजना ने कहा, कहे: 'सजाना' प्रीत.
दे सकता वह सजा ना, यही प्रीत की रीत..
*
'साजन! साज न लाये हो, कैसे दोगे संग?'
'संग-दिल है संगदिल नहीं, खूब जमेगा रंग'..
*
रास खिंची घोड़ी उमग, लगी दिखने रास.
दर्शक ताली पीटते, खेल आ रहा रास..
*
'किसना! किस ना लौकियाँ, सकूँ दही में डाल.
जीरा हींग बघार से, आता स्वाद कमाल'..
*
भोला भोला ही 'सलिल', करते बम-बम नाद.
फोड़ रहे जो बम उन्हें, कर भी दें बर्बाद..
*
अर्ज़ किया 'आदाब' पर, वे समझे आ दाब.
वे लपके मैं भागकर, बचता फिर जनाब..
*
शब्द निशब्द अशब्द हो, हो जाते जब मौन.
मन से मन तक 'सबद' तब, कह जाता है कौन??
*
रात अलार्म लगा गयी, सपनों की बारात
खुली आँख गायब, दिखी बंद आँख सौगात
*

doha yamak

दोहा सलिला:
दोहा-दोहा यमकमय
संजीव
*
चरखा तेरी विरासत, ले चर खा तू देश
किस्सा जल्दी ख़त्म कर, रहे न कुछ भी शेष
*
नट से करतब देखकर, राधा पूछे मौन
नट मत, नटवर! नट कहाँ?, कसे बता कब कौन??
*
देख-देखकर शकुन तला, गुझिया-पापड़ आज
शकुनतला-दुष्यंत ने, हुआ प्रेम का राज
*
पल कर, पल भर भूल मत, पालक का अहसान
पालक सम हरियाएगा, प्रभु का पा वरदान
*
नीम-हकीम न नीम सम, दे पाते आरोग्य
ज्यों अयोग्य में योग्य है, किन्तु न सचमुच योग्य
*
Sanjiv verma 'Salil'
salil.sanjiv@gmail.com
http://divyanarmada.blogspot.in/

सोमवार, 9 जनवरी 2012

नीर-क्षीर दोहा यमक: -- संजीव 'सलिल'

नीर-क्षीर दोहा यमक
संजीव 'सलिल'
*
कभी न हो इति हास की, रचें विहँस इतिहास.
काल करेगा अन्यथा, कोशिश का उपहास.
*
रिसा मकान रिसा रहे, क्यों कर आप हुजूर?
पानी-पानी हो रहे, बादल-दल भरपूर..
*
दल-दल दलदल कर रहे, संसद में है कीच
नेता-नेता पर रहे लांछन-गंद उलीच.. 
*
धन का धन उपयोग बिन, बन जाता है भार.
धन का ऋण, ऋण दे डुबा, इज्जत बीच बज़ार..
*
माने राय प्रवीण की, भारत का सुल्तान.
इज्जत राय प्रवीण की, कर पाये सम्मान..
*
कभी न कोई दर्द से, कहता 'तू आ भास'.
सभी कह रहे हर्ष से, हो हर पल आभास..
*
बीन बजाकर नचाते, नित्य सँपेरे नाग.
बीन रहे रूपये पुलक, बुझे पेट की आग..
*
बस में बस इतना बचा, कर दें हम मतदान.
किन्तु करें मत दान मत, और न कुछ आदान..
*
नपना सबको नापता,  नप ना पाता आप.
नपने जब नपने गये, विवश बन गये नाप..
*

Acharya Sanjiv verma 'Salil'

http://divyanarmada.blogspot.com
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