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रविवार, 1 सितंबर 2024

एक्जिमा, स्वास्थ्य

स्वास्थ्य सलिला
एक्जिमा : घरेलू उपचार
एक्जिमा के घरेलू उपचार केवल जानकारी के लिए बताए जा रहे हैं। इन्हें उपयोग करना या न करना आपका अपना निर्णय है। परिणाम सामान्यत: अनुकूल होते हैं किंतु प्रस्तुतकर्ता की कोई गारंटी नहीं है। 
  
एक्जिमा में त्वचा पर दानेदार, खुश्क या गीले, लाल-गुलाबी, गोल चकत्ते आते हैं जिनमें दर्द-खुजली जनित पीड़ा होती है। एक्जिमा को मिटाना कठिन किंतु नियंत्रित करना आसान है। इसकी चिकित्सा में लंबा समय लगता है। इसके रोगी जलन, खुजली होने पर निम्न घरेलू उपचारों से राहत पा सकते हैं।

१. एलर्जी प्रतिक्रिया का कारण बनने वाली किसी भी चीज़ से बचें। हल्के साबुन या बॉडी क्लींजर का इस्तेमाल करें। सुपरफैटेड (अतिरिक्त वसा के साथ) और गैर-क्षारीय (कम पीएच स्तर के साथ) साबुन उपयुक्त होगा। सोडियम लॉरिल सल्फेट त्वचा में जलन पैदा कर सकता है, इसका उपयोग न करें।

२. कपड़े धोने के लिए साबुन की टिकिया या चूर्ण नहीं, तरल (लिक्विड) उपयोग करें। कपड़ों को दुबारा सादे पानी से धोकर पहनें।

३. त्वचा पर साफ, नर्म कपड़ा रखने से एक्जिमा वाली खुजली से राहत मिलती है।

३. शुष्क त्वचा से बचने के लिए गुनगुने (गर्म नहीं) पानी से १०-१५ मिनट नहाएँ। बदन को रगड़ें नहीं, थपथपाकर सुखाएँ और एलोवैरा जैल, मॉइस्चराइज़िंग लोशन, क्रीम, तेल या मलहम लगाएँ। लिपिड और सेरामाइड्स से भरपूर क्रीम और मलहम त्वचा की एलर्जी, जलन कम कर बैक्टीरिया से बचाते हैं।एलोवेरा उत्पाद या पौधे से सीधे लिया गया एलोवेरा लगाने से खुजली वाली त्वचा को आराम मिलता है।

४. बारीक पिसा दलिया (कोलाइडल ओटमील) को नहाने के पानी में मिलाएँ या अपनी त्वचा पर पेस्ट के रूप में लगाएँ। बेकिंग सोडा बाथ पेस्ट राहत दे सकता है।

५ . एक्जिमा में त्वचा का पीएच सामान्य से अधिक होताहै। ५.० से कम प्राकृतिक त्वचा पीएच स्तर स्वस्थ माना जाता है। एप्पल साइडर विनेगर एक हल्का अम्ल हैजिसे अपनी त्वचा पर लगाने से प्राकृतिक पीएच स्तर ठीक हो सकता है, जिससे एक्जिमा के लक्षणों से राहत मिलती है। पानी में १-२ कप एप्पल साइडर विनेगर मिलाकार नहायें।

६. दिन में दो बार अपनी त्वचा को पेट्रोलियम जेली, खनिज तेल, मलहम, क्रीम आदि से मॉइस्चराइज़ करें। ऐसे उत्पादों की तलाश करें जिनमें तेल की मात्रा अधिक हो और जो आपकी त्वचा में नमी बनाए रखने में मदद करें। ऐसे उत्पाद चुनें जिनमें ओट या शिया बटर, एलो, हाइलूरोनिक एसिड, विटामिन ई, ह्यूमेक्टेंट्स, नियासिनमाइड और ग्लिसरीन आदि हो। खुशबू या रंगवाले मॉइस्चराइज़र से बचें । वे त्वचा को शुष्क कर सकते हैं। लोशन बहुत जल्दी वाष्पित हो जाते हैं और त्वचा को नुकसान पहुँचाते हैं।

७. दिन में एक या दो बार नम त्वचा पर "वर्जिन" या "कोल्ड-प्रेस्ड" नारियल का तेल लगाएँ। यह त्वचा संक्रमण पैदा करने वाले बैक्टीरिया से लड़ता है।

८. सूरजमुखी के बीजों से एलर्जी न हो तो दिन में दो बार सूरजमुखी का तेल लगायें।यह आपकी त्वचा को नमी बनाए रखने में मदद करता है और सूजन को कम करता है।

९. एक्जिमा में विटामिन डी, मछली का तेल, जिंक, सेलेनियम, प्रीबायोटिक्स और प्रोबायोटिक्स, हल्दी और सीबीडी से लाभ होता देखा गया है। इन्हें चिकित्साल से पूछ कर लें।

१०. सूती, रेशमी, लिनन, बांस या लियोसेल/टेनसेल से बने मुलायम कपड़े, प्राकृतिक रेशे, हल्के रंग और ढीले-ढाले कपड़े त्वचा को पहनें। त्वचा पर सूखने से खुजली होती है, इकपास जैसे पसीने को सोखने वाले रेशे आपको गर्म मौसम में आरामदायक रहते हैं। खुरदरे और टाइट फिटिंग वाले कपड़ों से दूर रहें। नीला रंग जलन पैदा करता है। ऊन, मोहायर और पॉलिएस्टर जैसे सिंथेटिक कपड़ों से बचें। मेरिनो ऊन जिसमें बहुत महीन रेशे होते हैं बेहतर हैं।

११. दाने को कभी न खरोंचें, खुजली अधिक हो तो पट्टी या ड्रेसिंग से ढक लें। खरोंच से त्वचा को होने वाले नुकसान को कम करने के लिए रात में दस्ताने पहनें।

१२. व्यायाम उतना ही करें जिससे पसीना न आए।

१३. अपने शारीरिक और मानसिक तनाव घटाएँ। संतुलित आहार, हल्की गतिविधि और भरपूर नींद आपको स्वस्थ रखकर फ्लेयर्स को रोकेगी। तनाव दूर करने के लिए ऐसे मसाज थेरेपिस्ट की तलाश करें जिसे एक्जिमा या इसी तरह की त्वचा संबंधी समस्याओं का अनुभव हो। सुनिश्चित करें कि वे ऐसे तेल या लोशन का इस्तेमाल करें जो आपकी त्वचा को राहत दे।

१४. जानकार व्यक्ति खास बिंदुओं पर एक्यूप्रेशर देकर आराम पहुँच सकता है।

१५. गंभीर प्रकोप के दौरान शुष्क त्वचा को हाइड्रेट और शांत करने के लिए गर्म पानी से गीले किए गए कपड़े से ढकें। १ कप गर्म पानी में १ बड़ा चम्मच सेब साइडर सिरका आपकी त्वचा के पीएच को सामान्य कर सकता है।प्रतिक्रिया हो तो प्रयोग तुरंत बंद कर दें ।

१६. एक्जिमा का सबसे आसान, सबसे प्रभावी उपचार एलर्जी प्रतिक्रिया का कारण बनने वाली किसी भी चीज़ से बचना है। हाइड्रोकार्टिसोन एक हल्का स्टेरॉयड है जो अस्थायी रूप से खुजली और चकत्ते से राहत दिला सकता है। कैलेमाइन लोशन जीवाणुरोधी और मॉइस्चराइज़र है। यह त्वचा को साफ़ करने और खुजली से राहत दिलाने में मदद कर सकता है। मेन्थॉल युक्त लोशन त्वचा पर ठंडक पहुँचाते हैं और ज्वर के दौरान राहत प्रदान कर सकते हैं। कपूर एक सूजनरोधी घटक है जो खुजली, सूजन और लालिमा को रोक सकता है।

१७. एक्जिमा में एलर्जी की दवा एंटीहिस्टामाइन रक्त में मौजूद हिस्टामाइन नामक पदार्थ को नियंत्रित करखुजली से राहत देती है। एलेग्रा एलर्जी, क्लैरिटिन और ज़िरटेक जैसे बिना प्रिस्क्रिप्शन वाले विकल्पों की तलाश करें। खुजली बहुत अधिक हो तो बेनाड्रिल आराम देती है लेकिन इससे नींद आ सकती है।

१८. ह्यूमिडिफायर का इस्तेमाल करें। सर्दियों में हीटिंग या गर्मियों में एयर कंडीशनिंग की वजह से घर के अंदर की हवा बहुत शुष्क हो जाती है। ह्यूमिडिफायर का इस्तेमाल करने से हवा में नमी वापस आती है, जो एक्जिमा के लक्षणों को कम करने में मदद करती है

१९. सूती कपड़े की आठ परत से छाना गया देशी गाय का मूत्र , हल्दी और गेंदे के पीले या नारंगी फूल की पंखुड़ी की चटनी बनाएँ। छोटे घाव पर एक फूल, बड़े घाव पर आकार के अनुसार दो, तीन या चार फूलों की पंखुड़ियाँ लें। इसकी चटनी जहाँ भी बाहर से घाव हो जिससे खून निकल चुका है और ठीक नही हो रहा हो, के ऊपर दिन में कम से कम दो बार लगाएँ। सुबह लगाकर उसके ऊपर रुई पट्टी बाँध दीजिए। शाम को घाव ताजे गौ मूत्र से धोकर दुबारा लगाएँ। फिर अगले दिन सुबह पट्टी कीजिये।यह औषधि को हमेशा ताजा बनाकर लगाएँ।

२०. होमिओपैथिक उपचार - होमिओपैथी में औषध का चयन लक्षण के आधार पर किया जाता है।
शुष्क, खुरदुरी, कड़ी त्वचा हो, सूजन साथ चिपचिपा और पानी निकलता हो, पैरों में सूजन-जलन- चुभन हो, पलकें लाल-सूजी हों तो ग्रैफाइटिस उपयोगी होगी। मेजेरियम का उपयोग दाने के साथ मोटी पपड़ी बनने से रोकने तथा ज्यादा खुजलों कम करने के लिए होता है। हेपर सल्फर रक्तस्राव तथा घाव से गंध कम करती है। बरसात में जब खुजली बढ़ने पर डल्कामारा उपयोगी होती है। यह पपड़ी के घाव भी भरती है। सल्फर शुष्क त्वचा, पपड़ीदार कम करती है। त्वचा में खुजली और जलन जो खुजलाने से बढ़ती है उसे कम करती है। सूजी-पीली, रूखी-परतदार चमड़ी को आर्सेनिकम एल्बम से राहत मिलती है। कैल्केरिया कार्बोनिका सर्दियों के मौसम में उपयुक्त है।

२१. यूनानी चिकित्सा पद्धति में ओलिया यूरोपिया (जैतून का तेल, ऑलिव ऑइल), लॉसनिया इनरमिस (मेंहदी) और निगेला सैटिवा (काला जीरा) जैसी दवाओं को एक्जिमा में प्रभावी बताया गया है।

२२. एक्यूपॉइंट LI 11 (क्युची, बाँह के बाहरी तरफ कोहनी क्रीज के ठीक ऊपर) पर ४ सप्ताह तक दबाव डालने से एलर्जी से होने वाली एक्जिमा की खुजली कम होती है। एक्यूपंक्चर त्वचा के घावों के आकार, भड़कने की आवृत्ति को कम कर सकता है, और समग्र तनाव के स्तर को कम कर सकता है।
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मंगलवार, 8 अगस्त 2023

गैंग्रीन, Osteomyelitis, सिरोसी, एक्जिमा, मधुमक्खी, गेंदा, जलन, दस्त, दाँत, सुपारी नीबू, केला, गंजापन, आयुर्वेद, बवासीर

बवासीर, पाईल्स, हेमोरोइड्स, फिसचुला, फिसर .
एक कप मुली का रस सबेरे नाश्ते के बड़ या दोपहर खाना खाने के बाद लें, शाम या रात में को मत लें। अनार का रस भी इन रोगों की दवा है।
अण्डकोशों में जल भरना
लगभग ३० ग्राम इमली की ताजा पत्तियाँ को गौमूत्र में औटाये | एकबार मूत्र जल जाने पर पुनः गौमूत्र डालकर पकायें | इसके बाद गरम – गरम पत्तियों को निकालकर किसी अन्डी या बड़े पत्ते पर रखकर सुहाता- सुहाता अंडकोष पर बाँध कपड़े की पट्टी और ऊपर से लगोंट कास दे | सारा पानी निकल जायेगा और अंडकोष पूर्ववत मुलायम हो जायेगें |
गंजापन
पारिजात की पत्तियों और बीजों का चूर्ण तेल में मिलाकर प्रतिदिन रात को बालों की जडों तक मालिश करते हुए लगाया जाए तो बालों का पुन: उगना शुरु हो जाता है, साथ ही बालों के झडने को रोकने में मदद करता है।
पारिजात को हरसिंगार भी कहते है ।
कनेर- कनेर की पत्तियों को दूध में कुचल कर बालों पर लगाया जाए तो गंजापन दूर होता है, साथ ही बालों का असमय पकना दूर हो जाता है
नीम के बीजों से प्राप्त तेल को रात में सिर पर लगा लेते हैं और सुबह सिर को साफ धो लिया जाता है। माना जाता है कि नीम के
बीजों का तेल बालों में एक माह तक लगातार इस्तमाल करने से बालों का झडना रुक जाता है। डेंड्रफ होने पर 100 मिली नारियल तेल में नीम के बीजों का चूर्ण (20ग्राम) अच्छी तरह से मिलाकर सप्ताह में दो बार रात में मालिश की जाए, आराम मिल जाता है।
अरण्डी-इसके बीजों के तेल के इस्तमाल से बालों का काला होना शुरु हो जाता है। सप्ताह में कम से कम दो बार अरण्डी का तेल बालों में अवश्य लगाना चाहिए। रात में तेल लगाकर सुबह इसे किसी प्राकृतिक शैम्पू का इस्तेमाल कर साफ किया जा सकता है।
मेथी-मेथी की सब्जी का ज्यादा सेवन बालों की सेहत के लिए उत्तम माना जाता है। मेथी के बीजों का चूर्ण तैयार करके पानी के साथ मिलाया जाए और पेस्ट बना लिया जाए।इस पेस्ट को सिर पर लेपित करके आधे घंटे के लिए रखदिया जाए और बाद में इसे धो लिया जाए, ऐसा करने से बालों से डेंड्रफ खत्म हो जाते हैं, ऐसा सप्ताह में कम से कम दो बार किया जाना चाहिए
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किशमिश खाने के स्वास्थ्यवर्धक फायदे.....!
अंगूर को जब विशेषरूप से सुखाया जाता है तब उसे किशमिश कहते हैं। अंगूर के लगभग सभी गुण किशमिश में होते हैं। यह दो प्रकार का होता है, लाल और काला। किशमिश खाने से खून बनता है, वायु दोष दूर होता है, पित्त दूर होता है, कफ दूर होता, और हृदय के लिये बड़ा हितकारी तथा हार्ट अटैक को दूर रखने में मदद करता है।
किशमिश के स्वास्थ्यवर्धक गुड-
1. कब्ज - जब किशमिश को खाई जाती है तो यह पेट में जा कर पानी को सोख लेती हैं। जिस वजह से यह फूल जाती है और कब्ज में राहत दिलाती है।
2. वजन बढाए- हर मेवे की तरह किशमिश भी वजन बढाने में मददगार साबित होती है क्योंकि इसमें फ्रकटोज़ और ग्लूकोज़ पाया जाता है जिससे एनर्जी मिलती है। अगर आपको भी अपना वजन बढाना है और वो भी कोलेस्ट्रॉल बढाए बिना तो आज से ही किशमिश खाना शुरु कर दें।
3. अम्लरक्तता- जब खून में एसिड बढ जाता है तो यह परेशानी पैदा हो जाती है। इसकी वजह से स्किन डिज़ीज, फोडे़, गठिया, गाउट, गुर्दे की पथरी, बाल झड़ने, हृदय रोग, ट्यूमर और यहां तक कि कैंसर होने की संभावना पैदा हो जाती है। किशमिश में अच्छी मात्रा में पोटैशियम और मैगनीशियम पाया जाता है जिसको खाने से अम्लरक्तता की परेशानी दूर हो जाती है।
4. एनीमिया- किशमिश में भारी मात्रा में आयरन होता है जो कि सीधे एनीमिया से लड़ने की शक्ति रखता है। खून को बनाने के लिये विटामिन बी कॉमप्लेक्स की जरुरत को भी यही किशमिश पूरी करती है। कॉपर भी खून में लाल रक्त कोशिका को बनाने का काम करता है।
5. बुखार- किशमिश में मौजूद फिनॉलिक पायथोन्यूट्रियंट जो कि जर्मीसाइडल, एंटी बॉयटिक और एंटी ऑक्सीडेंट तत्वों की वजह से जाने जाते हैं, बैक्टीरियल इंफेक्शन तथा वाइरल से लड़ कर बुखार को जल्द ठीक कर देते हैं।
6. शराब के नशे से छुटकारा- शराब पीने की इच्छा हो तब शराब की जगह 10 से 12 ग्राम किशमिश चबा-चबाकर खाते रहें या किशमिश का शरबत पियें। शराब पीने से ज्ञानतंतु सुस्त हो जाते हैं परंतु किशमिश के सेवन से शीघ्र ही पोषण मिलने से मनुष्य उत्साह, शक्ति और प्रसन्नता का अनुभव करने लगता है। यह प्रयोग प्रयत्नपूर्वक करते रहने से कुछ ही दिनों में शराब छूट जायेगी।
7. यौन दुर्बलता- इस समस्या के लिये रोजाना किशमिश खाएं क्योंकि यह कामेच्छा को प्रोत्साहित करती है। इसमें मौजूद अमीनो एसिड, यौन दुर्बलता को दूर करता है। इसीलिये तो शादी-शुदा जोडों को पहली रात दूध का गिलास दिया जाता है जिसमें किशमिश और केसर होता है।
8. हड्डी की मजबूती- किशमिश में बोरोन नामक माइक्रो न्यूट्रियंट पाया जाता है जो कि हड्डी को कैल्शियम सोखने में मदद करता है। बोरोन की वजह से ऑस्टियोप्रोसिस से बडी़ राहत मिलती है साथ ही किशमिश खाने से घुटनों की भी समस्या नहीं पैदा होती।
9. आंखों के लिये- इसमें एंटी ऑक्सीडेंट प्रोपर्टी पाई जाती है, जो कि आंखों की फ्री रैडिकल्स से लड़ने में मदद करता है। किशमिश खाने से कैटरैक, उम्र बढने की वजह से आंखों की कमजोरी, मसल्स डैमेज आदि नहीं होता। इसमें विटामिन ए, ए-बीटा कैरोटीन और ए-कैरोटीनॉइड आदि होता है, जो कि आंखों के लिये अच्छा होता है।
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भुट्टा खाओ, सेहत बनाओ....!
मक्का के ताजे दानों को पानी में अच्छी तरह से उबालकर उस पानी को छानकर शहद या मिश्री मिलाकर सेवन करने से गुर्दों की कमजोरी दूर होती है। मक्का के दाने भूनकर खाने से पाचन तंत्र के रोग दूर होते हैं। भूना हुआ भुट्टा खाने से दाँत एवं दाढ़ मजबूत होते हैं, तथा ये दाने लार बनाने में भी सहायक हैं, जिससे मुख व दाँतों की दुर्गंध भी दूर होती है। मक्का के दानों को जलाकर उसकी राख में सेंधा नमक एवं पानी मिलाकर पीने से खाँसी एवं पथरी रोगों में लाभ होता है। भुट्टे के भूने हुए नरम मुलायम दाने हृदय रोगियों के लिए एक अच्छा आहार है, क्योंकि इसमें वसा की मात्रा बहुत ही कम होती है। इसका उपयोग उचित मात्रा में करने से शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा नियंत्रित रहती है।मक्का के ताजे पत्तों को पीसकर सिर पर लेप करने से सिरदर्द दूर हो जाता है। वर्षा की फुहारों में भुट्टे के दानों से बना हलवा खाने से अमाशय को बल मिलता है। यह रक्तवर्धक भी है।
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आयुर्वेद चिकित्सा
गैंग्रीन (Osteomyelitis)
मधुमेह के रोगी (डाईबेटिक पेशेंट) का घाव जल्दी ठीक नहीं होता और धीरे धीरे गैंग्रीन (अंग का सड़ जाना) में हो जाता है। अंतत: चोटिल अँग काटना पड़ता है। एक आयुर्वेदिकऔषधि गैंग्रीन और Osteomyelitis (अस्थिमज्जा-प्रदाह) को ठीक करती है।
गैंग्रीन अर्थात अंग का सड़ जाना, नई कोशिका विकसित न होना। मांस और हड्डी में और सब पुरानी कोशिकाएँ मरती जाति हैं। Osteomyelitis में भी कोशिका कभी पुनर्जीवित नहीं होती, बहुत बड़ा घाव हो जाता है और वो ऐसा सड़ता है कि काटने के अलावा और कोई दूसरा उपाय नही है। ऐसी विषम स्थिति में आयुर्वेदिक औषधि है देशी गाय का मूत्र (सूती कपड़े की आठ परत से छान कर), हल्दी और गेंदे का फूल। गेंदे के पीले या नारंगी फूल की पंखुड़ी में हल्दी और गौ मूत्र डालकर उसकी चटनी बनानी है। छोटे घाव पर एक फूल, बड़े घाव पर आकार के अनुसार दो, तीन या चार फूलों की पंखुड़ियाँ लें। इसकी चटनी जहाँ भी बाहर से घाव हो जिससे खून निकल चुका है और ठीक नही हो रहाके ऊपर दिन में कम से कम दो बार लगाना है। सुबह लगाकर उसके ऊपर रुई पट्टी बाँध दीजिए। शाम को घाव ताजे गौ मूत्र से धोकर दुबारा लगाएँ। फिर अगले दिन सुबह पट्टी कीजिये।यह औषधि को हमेशा ताजा बनाकर लगाएँ। गीला सोराइसिस जिसमें खून-पस भी निकलता है ,उसे यह औषधि पूर्णरूप से ठीक कर देती है। दुर्घटना जनित ताजे घाव में इसे लगाते ही खून बंद हो जाता है। ऑपरेशन से हुए घाव के लिए भी यह सबसे अच्छी औषधि है। गीले एक्जीमा तथा जलने से हुए घाव में भी औषधि बहुत उपयोगी है।
मधुमक्खी काटे तो गेंदे की पत्तियों को मलिए, कांटा भी निकल जाता है।
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हाथ, पैर और तलुओं की जलन खत्म कर देता है कच्चा बेल....!
हाथ-पैर, तालुओं और शरीर में अक्सर जलन की शिकायत रहती हो उन्हे करीब ५ कच्चे बेल के फलों के गूदे को २५० मिली नारियल तेल में एक सप्ताह तक डुबोए रखना चाहिए और बाद में इसे छानकर जलन देने वाले शारीरिक हिस्सों पर मालिश करनी चाहिए, अतिशीघ्र जलन की शिकायत दूर हो जाएगी।
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दस्त और डायरिया का अचूक इलाज...!
नींबू का रस निकालने के बाद छिल्कों को फेकें नहीं..इन्हें छाँव में रखकर सुखा लें ।
कच्चे हरे केले का छिल्का उतारकर बारीक-बारीक टुकड़े करें और इसे भी छाँव में सुखा लें। दोनो अच्छी तरह सूख जाए तो दोनो की समान मात्रा लेकर मिक्सर में एक साथ ग्राइंड कर लें। ये चूर्ण है, दस्त और डायरिया का अचूक इलाज है।
बस १ चम्मच चूर्ण हर २ घंटे के अंतराल से खाइए। देखते ही देखते दस्त बवँड़ हो जाएंगे।
केले मे स्टार्च और नीबू के छिल्कों मे सबसे ज्यादा मात्रा में पेक्टिन होता है।
चमकदार दाँत
करीब ३ सुपारी लीजिए और इन्हें भून लें और बाद में अच्छी तरह से कुचलकर चूर्ण तैयार कर लें। इस चूर्ण में नींबू रस की करीब ५ बूंदे डाल दीजिए और करीब १ ग्राम काला नमक भी मिला दें। रोज दिन में दो बार इस मिश्रण से अपने दांतों की सफाई करें, एक सप्ताह में असर होगा।
पेशाब में कमी और कब्ज
एक कप दही, एक मध्यम आकार की खीरा ककडी, दो टमाटर, धनिया पत्ती (कोथमीर), आधा नींबू एक चुटकी पीपर और स्वाद अनुसार नमक मिलाकर इस सभी सामग्री को मिक्सर में पीसकर गिलास में डालकर काम में लें । इसके इस्तेमाल से मूत्र में रुकावट व निर्जलीकरण की समस्या दूर होती है और कब्ज की समस्या में इससे राहत भी पाई जा सकती है ।
8-8-2014
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