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गुरुवार, 30 जून 2022

सॉनेट,भोजपुरी हाइकु,बुंदेली नवगीत,दोहा सलिला,

सॉनेट
सरकार 
• 
जाको ईंटा, बाको रोड़ो 
आई बहुरिया, मैया बिसरी 
भओ पराओ अपनो मोड़ो 
जा पसरी, बा एड़ी घिस रई 

पल मा पाला बदल ऐंठ रए 
खाल ओढ़ लई रे गर्दभ की 
धोबी के हो सेर रेंक रए 
बारी बंदर के करतब की 

मूँड़ मुड़ाओ, सीस झुकाओ 
बदलो पाला, लै लो माला 
राजा जी की जै-जै गाओ 
करो रात-दिन गड़बड़झाला 

मनमानी कर लो हर बार 
जोड़-तोड़ कर, बन सरकार 
३०-६-२०२२ 
•••
भोजपुरी हाइकु:
*
आपन बोली
आ ओकर सुभाव
मैया क लोरी.
*
खूबी-खामी के
कवनो लोकभासा
पहचानल.
*
तिरिया जन्म
दमन आ शोषण
चक्की पिसात.
*
बामनवाद
कुक्कुरन के राज
खोखलापन.
*
छटपटात
अउरत-दलित
सदियन से.
*
राग अलापे
हरियल दूब प
मन-माफिक.
*
गहरी जड़
देहात के जीवन
मोह-ममता.

***
नवगीत
*
काए टेरो?, मैया काए टेरो?
सो रओ थो, कओ मैया काए टेरो?
*
दोरा की कुंडी बज रई खटखट
कौना पाहुना हेरो झटपट?
कौना लगा रओ पगफेरो?
काय टेरो?, मैया काए टेरो?...
*
हांत पाँव मों तुरतई धुलाओ
भुज नें भेंटियो, दूरई बिठाओ
मों पै लेओ गमछा घेरो
काय टेरो?, मैया काए टेरो?
*
बिन धोए सामान नें लइयो
बिन कारज बाहर नें जइयो
घरई डार रइओ डेरो
काए टेरो?, मैया काए टेरो
३०-६-२०२०
***
दोहा सलिला
*
नहीं कार्य का अंत है, नहीं कार्य में तंत।
माया है सारा जगत, कहते ज्ञानी संत।।
*
आता-जाता कब समय, आते-जाते लोग।
जो चाहें वह कार्य कर, नहीं मनाएँ सोग।।
*
अपनी-पानी चाह है, अपनी-पानी राह।
करें वही जो मन रुचे, पाएँ उसकी थाह।।
*
एक वही है चौधरी, जग जिसकी चौपाल।
विनय उसी से सब करें, सुन कर करे निहाल।।
*
जीव न जग में उलझकर, देखे उसकी ओर।
हो संजीव न चाहता, हटे कृपा की कोर।।
*
मंजुल मूरत श्याम की, कण-कण में अभिराम।
देख सके तो देख ले, करले विनत प्रणाम।।
*
कृष्णा से कब रह सके, कृष्ण कभी भी दूर।
उनके कर में बाँसुरी, इनका मन संतूर।।
*
अपनी करनी कर सदा, कथनी कर ले मौन।
किस पल उससे भेंट हो, कह पाया कब-कौन??
*
करता वह, कर्ता वही, मानव मात्र निमित्त।
निर्णायक खुद को समझ, भरमाता है चित्त।।
*
चित्रकार वह; दृश्य वह, वही चित्र है मित्र।
जीव समझता स्वयं को, माया यही विचित्र।।
*
बिंब प्रदीपा ज्योति का, सलिल-धार में देख।
निज प्रकाश मत समझ रे!, चित्त तनिक सच लेख।।
***

३०.६.२०१८, ७९९९५५९६१८, ९४२५१८३२४४

मंगलवार, 27 जुलाई 2021

बुंदेली नवगीत

बुंदेली नवगीत
*
हम का कर रए?
जे मत पूछो,
तुम का कर रए
जे बतलाओ?
*
हमरो स्याह सुफेद सरीखो
तुमरो धौला कारो दीखो
पंडज्जी ने नोंचो-खाओ
हेर सनिस्चर भी सरमाओ
घना बाज रओ थोथा दाना
ठोस पका
हिल-मिल खा जाओ
हम का कर रए?
जे मत पूछो,
तुम का कर रए
जे बतलाओ?
*
हमरो पाप पुन्न सें बेहतर
तुमरो पुन्न पाप सें बदतर
होते दिख रओ जा जादातर
ऊपर जा रो जो बो कमतर
रोन न दे मारे भी जबरा
खूं कहें आँसू
चुप पी जाओ
हम का कर रए?
जे मत पूछो,
तुम का कर रए
जे बतलाओ?
*
8.2.2016

गुरुवार, 26 नवंबर 2020

सामयिक नवगीत

 सामयिकबुंदेली नवगीत

*
नाग, साँप, बिच्छू भय ठाँड़े,
धर संतन खों भेस।
*
हात जोर रय, कान पकर रय,
वादे-दावे खूब।
बिजयी हो झट कै दें जुमला,
मरें नें चुल्लू डूब।।
की को चुनें, नें कौनउ काबिल,
कपटी, नकली भेस।
*
सींग मार रय, लात चला रय,
फुँफकारें बिसदंत।
डाकू तस्कर चोर बता रय,
खुद खें संत-महंत।
भारत मैया हाय! नोच रइ
इनैं हेर निज केस।
*
जे झूठे, बे लबरा पक्के,
बाकी लुच्चे-चोर।
आपन माँ बन रय रे मिट्ठू,
देख ठठा रय ढोर।
टी वी पे गरिया रय
भत्ते बढ़वा, सरम नें सेस।
*
संजीव,
२६-११-२०१८

शुक्रवार, 21 जून 2019

नवगीत राम रे!

बुंदेली नवगीत 
राम रे!
*
राम रे! 
कैसो निरदै काल?
*

भोर-साँझ लौ गोड़ तोड़ रए
कामचोर बे कैते।
पसरे रैत ब्यास गादी पै
भगतन संग लपेटे।
काम पुजारी गीता बाँचें
गोपी नचें निढाल-
आँधर ठोंके ताल
राम रे!
बारो डाल पुआल।
राम रे!
कैसो निरदै काल?
*
भट्टी देह, न देत दबाई
पैलउ माँगें पैसा।
अस्पताल मा घुसे कसाई
थाने अरना भैंसा।
करिया कोट कचैरी घेरे
बकरा करें हलाल-
बेचें न्याय दलाल
राम रे !
लूट बजा रए गाल।
राम रे!
कैसो निरदै काल?
*
झिमिर-झिमिर-झम बूँदें टपकें
रिस रओ छप्पर-छानी।
दागी कर दई रौताइन की
किन नें धुतिया धानी?
अँचरा ढाँके, सिसके-कलपे
ठोंके आपन भाल
राम रे !
जीना भओ मुहाल।
राम रे!
कैसो निरदै काल?
***
२१-६-२०१६