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सोमवार, 21 फ़रवरी 2011

दोहा सलिला मुग्ध है संजीव 'सलिल'

दोहा सलिला मुग्ध

संजीव 'सलिल'
*
दोहा सलिला मुग्ध है, देख बसंती रूप.
शुक प्रणयी भिक्षुक हुआ, हुई सारिका भूप..

चंदन चंपा चमेली, अर्चित कंचन-देह.
शराच्चन्द्रिका चुलबुली, चपला करे विदेह..

नख-शिख, शिख-नख मक्खनी, महुआ सा पीताभ.
पाटलवत रत्नाभ तन, पौ फटता अरुणाभ..

सलिल-बिंदु से सुशोभित, कृष्ण कुंतली भाल.
सरसिज पंखुड़ी से अधर, गुलकन्दी टकसाल..

वाक् सारिका सी मधुर, भौंह-नयन धनु-बाण.
वार अचूक कटाक्ष का, रुकें न निकलें प्राण..

देह-गंध मादक मदिर, कस्तूरी अनमोल.
ज्यों गुलाब-जल में 'सलिल', अंगूरी दी घोल..

दस्तक कर्ण कपट पर, देते रसमय बोल.
वाक्-माधुरी हृदय से, कहे नयन-पट खोल..

दाड़िम रद-पट मौक्तिकी, संगमरमरी श्वेत.
रसना मुखर सारिका, पिंजरे में अभिप्रेत..

वक्ष-अधर रस-गगरिया, सुख पा कर रसपान.
बीत न जाये उमरिया, शुष्क न हो रस-खान..

रसनिधि हो रसलीन अब, रस बिन दुनिया दीन.
तरस न तरसा, बरस जा, गूंजे रस की बीन..

रूप रंग मति निपुणता, नर्तन-काव्य प्रवीण.
बहे नर्मदा निर्मला, हो न सलिल-रस क्षीण..

कंठ सुराहीदार है, भौंह कमानीदार.
पिला अधर रस-धार दो, तुमसा कौन उदार..

रूपमती तुम, रूप के कद्रदान हम भूप.
तृप्ति न पाये तृषित गर, व्यर्थ 'सलिल' जल-कूप..

गाल गुलाबी शराबी, नयन-अधर रस-खान.
चख-पी डूबा बावरा, भँवरा पा रस-दान..

जुही-चमेली वल्लरी, बाँहें कमल मृणाल.
बंध-बँधकर भुजपाश में, होता 'सलिल' रसाल..

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Acharya Sanjiv Salil

http://divyanarmada.blogspot.com

रविवार, 19 सितंबर 2010

शुभ कामना गीत: -- संजीव 'सलिल'

शुभ कामना गीत:


दिव्य नर्मदा संचालक मंडल सदस्य डॉ. साधना वर्मा की जन्म तिथि 

 

१२ सितंबर पर :


संजीव 'सलिल'
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वर्षगाँठ यह मंगलमय हो...
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जो भी चाहे अंतर्मन,
पाने का नित करो जतन.
विनय दैव से है इतनी-
मिलें सफलताएँ अनगिन..

जीवन-पथ पर पग निर्भय हो,
वर्षगाँठ यह मंगलमय हो...
*
अधरों पर सोहे मुस्कान.
पाओ सब जग से सम्मान.
शतजीवी हो, स्वस्थ्य रहो-
पूरा हो मन का अरमान..

श्वास-श्वास सरगम सुरमय हो
वर्षगाँठ यह मंगलमय हो...
*
मिले कीर्ति, यश, अभिनन्दन,
मस्तक पर रोली-चन्दन.
घर-आँगन में खुशियाँ हों-
स्नेहिल नातों का वन्दन..

आस-हास की निधि अक्षय हो,
वर्षगाँठ यह मंगलमय हो...
*