कुल पेज दृश्य

आईएएस लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
आईएएस लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

मंगलवार, 2 जून 2015

kundalini: sanjiv

कुंडलिनी:
अफसर आईएएस  हैं, सब कष्टों की खान
नाच नचा मंत्रियों को, धमकाते भर कान
धमकाते भर कान, न मानी बात हमारी
तो हम रहें न साथ, खोल दें पोल तुम्हारी
केर-बेर सा संग, निभाते दोनों अक्सर
नीति सुझाते बना-बना मंत्री को अफसर.
***  

doha salila: sanjiv

दोहा सलिला:
संजीव
*
नयन कह रहे हैं ग़ज़ल, दोहा है मुस्कान
अधर गीत, है नासिका मुक्तक रस की खान
*
कहें सूर को कब रही, आँखों की दरकार
मन-आँखों में विराजे, जब बाँके सरकार
*
वदन बदन नम नयन नभ, वसन नील अभिराम
नील मेघ नत नमन कर, बरसे हुए प्रणाम
*
राधा आ भा हरि कहें, आभा उषा ललाम
आराधा पल-पल जिसे, है गुलाम बेदाम
*