कुल पेज दृश्य

aansu लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
aansu लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

बुधवार, 9 मई 2018

गीत: नीरज

एक कालजयी गीत:
मेरा नाम लिया जाएगा
- गोपालदास सक्सेना "नीरज"
*
आँसू जब सम्मानित होंगे, मुझको याद किया जाएगा
जहाँ प्रेम का चर्चा होगा, मेरा नाम लिया जाएगा
*
मान-पत्र मैं नहीं लिख सका, राजभवन के सम्मानों का
मैं तो आशिक़ रहा जन्म से, सुंदरता के दीवानों का
लेकिन था मालूम नहीं ये, केवल इस ग़लती के कारण
सारी उम्र भटकने वाला, मुझको शाप दिया जाएगा
*
खिलने को तैयार नहीं थी, तुलसी भी जिनके आँगन में
मैंने भर-भर दिए सितारे, उनके मटमैले दामन में
पीड़ा के संग रास रचाया, आँख भरी तो झूम के गाया
जैसे मैं जी लिया किसी से, क्या इस तरह जिया जाएगा
*
काजल और कटाक्षों पर तो, रीझ रही थी दुनिया सारी
मैंने किंतु बरसने वाली, आँखों की आरती उतारी
रंग उड़ गए सब सतरंगी, तार-तार हर साँस हो गई
फटा हुआ यह कुर्ता अब तो, ज़्यादा नहीं सिया जाएगा
*
जब भी कोई सपना टूटा, मेरी आँख वहाँ बरसी है
तड़पा हूँ मैं जब भी कोई, मछली पानी को तरसी है
गीत दर्द का पहला बेटा, दुख है उसका खेल-खिलौना
कविता तब मीरा होगी जब, हँसकर ज़हर पिया जाएगा
***

मंगलवार, 9 जून 2015

doha: aansu -sanjiv

दोहा का रंग आँसू के संग 
संजीव 
*
आँसू टँसुए अश्रु टिअर, अश्क विविध हैं नाम  
नयन-नीर निरपेक्ष रह, दें सुख-दुःख पैगाम 
*
भाषा अक्षर शब्द नत, चखा हार का स्वाद 
कर न सके किंचित कभी, आँसू का अनुवाद 
*
आह-वाह-परवाह से, आँसू  रहता दूर 
कर्म धर्म का मर्म है, कहे भाव-संतूर 
*
घर दर आँगन परछियाँ, तेरी-मेरी भिन्न 
साझा आँसू  की फसल, करती हमें अभिन्न 
*
आल्हा का आँसू छिपा, कजरी का दृष्टव्य 
भजन-प्रार्थना कर हुआ, शांत सुखद भवितव्य 
बूँद-बूँद बहुमूल्य है, रखना 'सलिल' सम्हाल 
टूटे दिल भी जोड़ दे, आँसू धार कमाल 
*
आँसू शोभा आँख की, रहे नयन की कोर 
गिरे-बहे जब-तब न हो, ऐसी संध्या-भोर 
*
मैं-तुम मिल जब हम हुए, आँसू खुश था खूब 
जब बँट हम मैं-तुम हुए, गया शोक में डूब 
*
आँसू  ने हरदम रखा, खुद में दृढ़ विश्वास
सुख-दुःख दोहा-सोरठा, आँसू है अनुप्रास 
*
ममता माया मोह में, आँसू  करे निवास 
क्षोभ उपेक्षा दर्द दुःख, कुछ पल मात्र प्रवास 
*
आँसू  के संसार से, मैल-मिलावट दूर 
जो न बहा पाये 'सलिल', बदनसीब-बेनूर 
*
 इसे अगर काँटा चुभे, उसको होती पीर 
आँसू  इसकी आँख का, उसको करे अधीर 
*
आँसू  के सैलाब में, डूबा वह तैराक 
नेह-नर्मदा का क़िया, जिसने दामन चाक 
*
आँसू  से अठखेलियाँ, करिए नहीं जनाब 
तनिक बहाना पड़े तो, खो जाएगी आब
*
लोहे से कर सामना, दे पत्थर को फोड़ 
'सलिल' सूरमा देखकर, आँसू  ले मुँह मोड़ 
बहे काल के गाल पर, आँसू बनकर कौन?
राधा मीरा द्रौपदी, मोहन सोचें मौन 
*
धूप-छाँव का जब हुआ, आँसू  को अभ्यास 
सुख-दुःख प्रति समभाव है, एक त्रास-परिहास 
*
सुख का रिश्ता है क्षणिक, दुःख का अप्रिय न चाह 
आँसू का मुसकान सँग, रिश्ता दीर्घ-अथाह 
*
तर्क न देखे भावना, बुद्धि करे अन्याय 
न्याय संग सद्भावना, आँसू  का अभिप्राय 
*
मलहम बनकर घाव का, ठीक करे हर चोट 
आँसू दिल का दर्द हर, दूर करे हर खोट 
*
मन के प्रेशर कुकर में, बढ़ जाता जब दाब 
आँसू  सेफ्टी वाल्व बन, करता दूर दबाव 
*
बहे न आँसू आँख से, रहे न दिल में आह
किसको किससे क्या पड़ी, कौन करे परवाह?
*
आँसू के दरबार में, एक सां शाह-फ़क़ीर 
भेद-भाव होता नहीं, ख़ास न कोई हक़ीर 

dwipadi: aansu -sanjiv

द्विपदियाँ (शे'र)
संजीव
*
आँसू का क्या, आ जाते हैं 
किसका इन पर जोर चला है?
*
आँसू वह दौलत है याराँ
जिसको लूट न सके जमाना
*
बहे आँसू मगर इस इश्क ने नही छोड़ा
दिल जलाया तो बने तिल ने दिल ही लूट लिया 
*

navgeet: sanjiv

नव गीत:
आँसू और ओस
संजीव 'सलिल'


हम आँसू हैं,
ओस बूँद 
मत कहिये हमको... 
*
वे पल भर में उड़ जाते हैं,
हम जीवन भर साथ रहेंगे,
हाथ न आते कभी-कहीं वे,
हम सुख-दुःख की कथा कहेंगे.
छिपा न पोछें हमको नाहक
श्वास-आस सम 
हँस-मुस्का  
प्रिय! सहिये हमको ...
*
वे उगते सूरज के साथी,
हम हैं यादों के बाराती,
अमल विमल निस्पृह वे लेकिन
दर्द-पीर के हमीं संगाती.
अपनेपन को अब न छिपायें,
कभी तो कहें: 
बहुत रुके 
'अब बहिये' हमको...
*
ऊँच-नीच में, धूप-छाँव में,
हमने हरदम साथ निभाया.
वे निर्मोही-वीतराग हैं,
सृजन-ध्वंस कुछ उन्हें न भाया.
हारे का हरिनाम हमीं हैं,
'सलिल' नाद 
कलकल ध्वनि हम  
नित गहिये हमको...
*

muktak: aansu -sanjiv

मुक्तक:
संजीव
*
आँसू-नहाओ तो 
दिल में बसाओ तो
कंकर से शंकर हो 
सर पर चढ़ाओ तो
*
आँसू नहीं नियम बंधन हैं  
आँसू नहीं प्रलय संगम हैं 
आँसू ममता स्नेह प्रेम हैं-
आँसू नहीं चरण-चुम्बन हैं 
*
आँसू ये अगड़े हैं, किंचित न पिछड़े हैं 
गीतों के मुखड़े हैं, दुनिया के दुखड़े हैं 
शबनम के कतरे हैं, कविता की सतरें हैं 
ग़ज़लों की बहरें हैं, सागर से गहरे हैं 
*
चंद पल आँसू बहाकर भूल जाते हैं 
गलत है आरोप, हम गंगा नहाते हैं 
श्राद्ध करते ले ह्रदय के भाव अँजुरी में- 
चादरें सुधियों की चुप मन में तहाते हैं 
शक न उल्फत पर हुआ विश्वास पर शक आपको.
हौसलों पर शक नहीं है, ख्वाब पर शक आपको..
त्रास को करते पराजित, प्रयासों का साथ दे-
आँसुओं पर है भरोसा, हास पर शक आपको..
*

virasat: aansu -prasad

विरासत 
आँसू  
जयशंकर
​ प्रसाद
छिल-छिल कर छाले फोड़े 
मल-मल कर मृदुल चरण से 
धुल-धुल कर बह रह जाते 
आँसू करुणा के कण से

​*
इस हृदय कमल का घिरना
 
अलि अलकों की उलझन में 
आँसू मरन्द का गिरना 
मिलना निश्वास पवन में
*​
चातक की चकित पुकारें 
श्यामा ध्वनि सरल रसीली 
मेरी करुणार्द्र कथा की 
टुकड़ी आँसू से गीली

जो घनीभूत पीड़ा थी 
मस्तक में स्मृति-सी छायी 
दुर्दिन में आँसू बनकर 
वह आज बरसने आयी
*
 
मेरे क्रन्दन में बजती 
क्या वीणा, जो सुनते हो 
धागों से इन आँसू के 
निज करुणापट बुनते हो
*

श्यामल अंचल धरणी का 
भर मुक्ता आँसू कन से 
छूँछा बादल बन आया 
मैं प्रेम प्रभात गगन से
*

शीतल समीर आता हैं 
कर पावन परस तुम्हारा 
मैं सिहर उठा करता हूँ 
बरसा कर आँसू धारा
*
अब छुटता नहीं छुड़ाये 
रंग गया हृदय हैं ऐसा 
आँसू से धुला निखरता 
यह रंग अनोखा कैसा
*
नीचे विपुला धरणी हैं 
दुख भार वहन-सी करती 
अपने खारे आँसू से 
करुणा सागर को भरती
*
उच्छ्वास और आँसू में 
विश्राम थका सोता है 
रोई आँखों में निद्रा 
बनकर सपना होता है
*
अपने आँसू की अंजलि 
आँखो से भर क्यों पीता 
नक्षत्र पतन के क्षण में 
उज्जवल होकर है जीता
*
 

वह हँसी और यह आँसू 
घुलने दे-मिल जाने दे 
बरसात नई होने दे 
कलियों को खिल जाने दे
*

फिर उन निराश नयनों की 
जिनके आँसू सूखे हैं 
उस प्रलय दशा को देखा 
जो चिर वंचित भूखे हैं
​*
संदेश में फोटो देखें
​आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'
, 94251 83244
salil.sanjiv@gmail.com
http://divyanarmada.blogspot.in
facebook: sahiyta salila / sanjiv verma 'salil'