मुक्तिका :
नया आज इतिहास लिखें हम
संजीव 'सलिल'
*
नया आज इतिहास लिखें हम.
गम में लब पर हास लिखें हम..
दुराचार के कारक हैं जो
उनकी किस्मत त्रास लिखें हम..
अनुशासन को मालिक मानें
मनमानी को दास लिखें हम..
ना देवी, ना भोग्या मानें
नर-नारी सम, लास लिखें हम..
कल की कल को आज धरोहर
कल न बनें, कल आस लिखें हम..
(कल = गत / आगत / यंत्र / शांति)
नेता-अफसर सेवक हों अब
जनगण खासमखास लिखें हम..
स्वार्थ भावना दूर करें
सर्वार्थ भावना पास लिखें हम..
हाथ मिला जीतें हर बाधा
मरुथल में मधुमास लिखें हम..
श्रम हो कृष्ण, लगन हो राधा
'सलिल' सफलता रास लिखें हम..
*****
नया आज इतिहास लिखें हम
संजीव 'सलिल'
*
नया आज इतिहास लिखें हम.
गम में लब पर हास लिखें हम..
दुराचार के कारक हैं जो
उनकी किस्मत त्रास लिखें हम..
अनुशासन को मालिक मानें
मनमानी को दास लिखें हम..
ना देवी, ना भोग्या मानें
नर-नारी सम, लास लिखें हम..
कल की कल को आज धरोहर
कल न बनें, कल आस लिखें हम..
(कल = गत / आगत / यंत्र / शांति)
नेता-अफसर सेवक हों अब
जनगण खासमखास लिखें हम..
स्वार्थ भावना दूर करें
सर्वार्थ भावना पास लिखें हम..
हाथ मिला जीतें हर बाधा
मरुथल में मधुमास लिखें हम..
श्रम हो कृष्ण, लगन हो राधा
'सलिल' सफलता रास लिखें हम..
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