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शुक्रवार, 30 जुलाई 2021

शिव दोहा,

शिव का माहिया पूजन
*
भोले को मना लाना,
सावन आया है
गौरी जी संग आना।
*
सब मिल अभिषेक करो
गोरस, मधु, घृत से
नहलाओ प्रभु जी को।
*
ले अभ्रक भस्म गुलाल
भक्ति सहित करिए
शंकर जी का शृंगार।
*
जौ गेहूँ अक्षत दाल 
तिल शर्करा सहित
शिव अर्पित करिए माल।
*
ले बिल्व पत्र ताजा
भाँग धतूरा फूल-
फल मिल चढ़ाँय आजा।
*
नागेंद्र रहे फुफकार
मुझको मत भूलो
लो बना गले का हार।
*
नंदी पूजन मत भूल 
सुख-समृद्धि दाता
सम्मुख हर लिए त्रिशूल।
*
मद काम क्रोध हैं शूल
कर में पकड़ त्रिशूल 
काबू करिए बिन भूल।
*
लेकर रुद्राक्ष सुमाल
जाप नित्य करिए 
शुभ-मंगल हो तत्कल।
*
हे कार्तिकेय-गणराज!
ग्रहण कीजिए भोग
मन मंदिर सदा विराज।
*
मन भावन सावन मास
सबके हिया हुलास
भर गौरी-गौरीनाथ।
***
संजीव 
९४२५१८३२४४
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शिव पर दोहे
*
शंभु नाथ हैं जगत के, रूप सुदर्शन दिव्य।
तेज प्रताप सुविदित है, शंकर छवि है भव्य।।
*
अंबर तक यश व्यापता, जग पूजित नागेंद्र। 
प्रिया भवानी शिवानी, शीश सजे तारेंद्र।।
*
शिवाधार पा सलिल है, धन्य गंग बन तात।
करे जीव संजीव दे, मुक्ति सत्य विख्यात।।
*
सत्-शिव-सुंदर सृजनकर, अहंकार तज नित्य।
मैं मेरा से मुक्त हो, बहता पवन अनित्य। ।
*
शंका-अरि शंकारि शिव, हैं शुभ में विश्वास। 
श्रद्धा हैं मैया उमा, सुत गणपति हैं श्वास।।
*
कार्तिकेय संकल्प हैं, नंदी है श्रम मूर्त।
मूषक मति चातुर्य है, सर्प गरल स्फूर्त। ।
*
रुद्र अक्ष सह भस्म मिल, करे काम निष्काम।
काम क्रोध मद शूल त्रय, सिंह विक्रम बलधाम।।
*
संजीव 
९५२५१८३२४४
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वंदे भारत भारती! कहता जगकर भोर।
उषा किरण ला परिंदे, मचा रहे हैं शोर।।
मचा रहे हैं शोर, थक गया अरुणचूर भी।
जागा नहीं मनुष्य, मोह में रहा चूर ही।।
दिन कर दिनकर दुखी, देख मानव के धंधे।
दुपहर संझा रात, परेशां नेक न बंदे।।
*
संजीव 
९४२५१८३२४४
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शिव पर दोहे

शिव पर दोहे
*
शिव सत हैं; रहते सदा, असत-अशुचि से दूर।
आत्मलीन परमात्म हैं, मोहमुक्त तमचूर।।
*
शिव सोकर भी जागते, भव से दूर-अदूर।
उन्मीलित श्यामल नयन, करुणा से भरपूर।।
*
शिव में राग-विराग है, शिव हैं क्रूर-अक्रूर।
भक्त विहँस अवलोकते, शिव का अद्भुत नूर।।
*
शिव शव का सच जानते, करते नहीं गुरूर।
काम वाम जा दग्ध हो, चढ़ता नहीं सुरूर।।
*
शिव न योग या भोग को, त्याग हुए मगरूर ।
सती सतासत पंथ चल, गहतीं सत्य जरूर।।
*
शिव से शिवा न भिन्न हैं, भेद करे जो सूर।
शिवा न शिव से खिन्न हैं, विरह नहीं मंजूर।।
*
शिव शंका के शत्रु हैं, सकल लोक मशहूर।
शिव-प्रति श्रद्धा हैं शिवा, ऐच्छिक कब मजबूर।।
*
शिव का चिर विश्वास हैं, शिवा भक्ति का पूर।
निराकार साकार हो, तज दें अहं हुजूर।।
*
शिव की नवधा भक्ति कर, तन-मन-धन है धूर।
नेह नर्मदा सलिल बन, हो संजीव मजूर।।
***
salil.sanjiv@gmail.com
२९.७.२०१८, ७९९९५५९६१८

शुक्रवार, 19 फ़रवरी 2021

दोहा सलिला

दोहा सलिला 
रूप नाम लीला सुनें, पढ़ें गुनें कह नित्य।
मन को शिव में लगाकर, करिए मनन अनित्य।।
*
महादेव शिव शंभु के, नामों का कर जाप।
आप कीर्तन कीजिए, सहज मिटेंगे पाप।।
*
सुनें ईश महिमा सु-जन, हर दिन पाएं पुण्य।
श्रवण सुपावन करे मन, काम न आते पण्य।।
*
पालन संयम-नियम का, तप ईश्वर का ध्यान।
करते हैं एकांत में, निरभिमान मतिमान।।
*
निष्फल निष्कल लिंग हर, जगत पूज्य संप्राण।
निराकार साकार हो, करें कष्ट से त्राण।।
*
१९-२-२०१८

मंगलवार, 8 दिसंबर 2020

दोहा-दोहा शिव बसे

दोहा-दोहा शिव बसे
.
शिव न जोड़ते श्रेष्ठता,
शिव न छोड़ते त्याज्य.
बिछा भूमि नभ ओढ़ते,
शिव जीते वैराग्य.
.
शिव सत् के पर्याय हैं,
तभी सती के नाथ.
अंग रमाते असुंदर,
सुंदर धरते माथ.
.
शिव न असल तजते कभी,
शिव न नकल के साथ.
शिव न भरोसे भाग्य के,
शिव सच्चे जग-नाथ.
.
शिव नअशिव से दूर हैं,
शिव न अशिव में लीन.
दंभ न दाता सा करें
कभी न होते दीन.
.
शिव ही मंगलनाथ हैं
शिव ही जंगलनाथ.
जंगल में मंगल करें,
विष-अमृत ले साथ.
.
शिव सुरारि-असुरारि भी,
शिव त्रिपुरारि अनंत.
शिव सचमुच कामरि हैं,
शिव रति-काम सुकंत.
.
शिव माटी के पूत हैं,
शिव माटी के दूत.
माटी-सुता शिवा वरें,
शिव अपूत हो पूत.
.
शिव असार में सार हैं,
शिव से है संसार.
सलिल शीश पर धारते,
सलिल शीश पर धार.
.
शिव न साधना लीन हों,
शिव न साधना-मुक्त.
शिव न बाह्य अन्तर्मुखी,
शिव संयुक्त-विमुक्त.
...
संजीव
8.12.2017दोहा दुनिया

सोमवार, 10 दिसंबर 2018

doha shiv

दोहा-दोहा शिव बसे  -
उदय भानु का जब हुआ,
तभी ही हुआ प्रभात.
नेह नर्मदा सलिल में,
क्रीड़ित हँस नवजात.
.
बुद्धि पुनीता विनीता,
शिविर की जय-जय बोल.
सत्-सुंदर की कामना,
मन में रहे टटोल.
.
शिव को गुप्तेश्वर कहो,
या नन्दीश्वर आप.
भव-मुक्तेश्वर भी वही,
क्षमा ने करते पाप.
.
चित्र गुप्त शिव का रहा,
कंकर-कंकर व्याप.
शिवा प्राण बन बस रहें
हरने बाधा-ताप.
.
शिव को पल-पल नमन कर,
तभी मिटेगा गर्व.
मति हो जब मिथलेश सी,
स्वजन लगेंगे सर्व.
.
शिवता जिसमें गुरु वही,
शेष करें पाखंड.
शिवा नहीं करतीं क्षमा,
देतीं निश्चय दंड.
.
शिव भज आँखें मून्द कर,
गणपति का करें ध्यान.
ममता देंगी भवानी,
कार्तिकेय दें मान.
.
संजीव

सोमवार, 30 जुलाई 2018

दोहा सलिला

शिव पर दोहे
*
शिव सत हैं; रहते सदा, असत-अशुचि से दूर।
आत्मलीन परमात्म हैं, मोहमुक्त तमचूर।।
*
शिव सोकर भी जागते, भव से दूर-अदूर।
उन्मीलित श्यामल नयन, करुणा से भरपूर।।
*
शिव में राग-विराग है, शिव हैं क्रूर-अक्रूर।
भक्त विहँस अवलोकते, शिव का अद्भुत नूर।।
*
शिव शव का सच जानते, करते नहीं गुरूर।
काम वाम जा दग्ध हो,  चढ़ता नहीं सुरूर।।
*
शिव न योग या भोग को, त्याग हुए मगरूर ।
सती सतासत पंथ चल, गहतीं सत्य जरूर।।
*
शिव से शिवा न भिन्न हैं, भेद करे जो सूर।
शिवा न शिव से खिन्न हैं, विरह नहीं मंजूर।।
*
शिव शंका के शत्रु हैं, सकल लोक मशहूर।
शिव-प्रति श्रद्धा हैं शिवा, ऐच्छिक कब मजबूर।।
*
शिव का चिर विश्वास हैं, शिवा भक्ति का पूर।
निराकार साकार हो, तज दें अहं हुजूर।।
*
शिव की नवधा भक्ति कर, तन-मन-धन है धूर।
नेह नर्मदा सलिल बन, हो संजीव मजूर।।
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29.7.2018,7999559618