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मंगलवार, 21 अक्टूबर 2025

अक्टूबर २१, सॉनेट, मित्र, भुजंगप्रयात छंद, वामांगी, माया, गीतांजलि, छंद, सोरठा-दोहा गीत, शब्द, बाल,सदा सुहागन

सलिल सृजन अक्टूबर २१
*
गीत
*
'सदा सुहागन' वर दो, घर-बगिया हरियाए
'विंका' रहे फूलती हर मौसम मुस्काए
'सदा बहार' रहें हम सब
रहें कृपालु ईश गुरु रब
सफल तभी हम हो पाएँ
करें परिश्रम जी भर जब
'पेरिविंकल' हर आँगन में खुशियाँ लाए
'सदा सुहागन' वर दो, घर-बगिया हरियाए
रक्तचाप मधुमेह मिटा
रक्त कैंसर सको हटा
यही प्रार्थना मानव की
पीड़ाएँ कुछ सको घटा
श्वेत-बैंगनी पुष्प सदा जनगण-मन भाए
'सदा सुहागन' वर दो, घर-बगिया हरियाए
रुचे दिशा दक्षिण-पश्चिम
कंठ-खराश मिटाते तुम
एंटीऑक्सीडेंट सुलभ
प्रतिरोधक हो तुम उत्तम
काढ़ा-चाय विषाणु घटाए, राहत लाए
'सदा सुहागन' वर दो, घर-बगिया हरियाए
२१.१०.२०१४
***
मेडागास्कर मूल की भारत में प्राप्त फूलदार झाड़ी 'केथारेन्थस रोजस' को सदा सुहागन, सदाबहार अपंस्कांति (उडिया), सदाकाडु मल्लिकइ (तमिल), बिल्लागैन्नेस्र् (तेलुगु), उषामालारि (मलयालम), नयनतारा/गुलफिरंगी (बांग्ला), सदाफूली (मराठी), विंका/विंकारोज़ा (अंग्रेजी) आदि नाम मिले हैं। इसकी आठ जातियाँ हर मौसम/ऋतु में खिलती हैं। इसके श्वेत तथा बैंगनी आभावाले छोटे गुच्छों से सजे सुंदर पौधे, अंडाकार ५ पत्ते और वृत्ताकार फूल हर बगिया की शोभा बढ़ाते हैं। रेशेदार दोमट मिट्टी में थोड़ी-सी कंपोस्ट खाद मिलने पर आकर्षक फूलों से लदी-फदी शाखाएक किसी काट-छाँट के बिना निष्काम योगी की तरह शांत रहती हैं। इसकी पत्तियों, जड़ तथा डंठलों से निकलनेवाला दूध विषैला होता है। इसकी फलियाँ पशुओं द्वारा खाकर या मिट्टी में मिलकर नए पौधों को जन्म देती हैं। इसकी शाखा भी गीली मिली में जड़ें उगा लेती है। यूरोप भारत चीन और अमेरिका के अनेक देशों में इस पौधे की खेती की जाती है।
इसके पौधों में विशेष क्षारीय (एल्कैलायड) रसायन होता है जो उच्च रक्तचाप को कम करता है। यह खाँसी, गले की ख़राश और फेफड़ों के संक्रमण की चिकित्सा तथा मधुमेह के उपचार में उपयोगी है। वैज्ञानिकों के अनुसार सदाबहार में मौजूद दर्जनों क्षार रक्त में शकर की मात्रा को नियंत्रित रखते हैं। सदाबहार पौधा बारूद जैसे विस्फोटक पदार्थों को पचाकर विस्फोटक-भंडारों वाली लाखों एकड़ ज़मीन को सुरक्षित एवं उपयोगी बना रहा है। भारत के 'केंद्रीय औषधीय एवं सुगंध पौधा संस्थान' द्वारा की गई खोजों से पता चला है कि 'सदाबहार' की पत्तियों में मौजूद 'विनिकरस्टीन' नामक क्षारीय पदार्थ रक्त कैंसर (ल्यूकीमिया) में बहुत उपयोगी है। यह विषाक्त पौधा संजीवनी बूटी की तरह है। १९८० तक यह फूलोंवाली क्यारियों के लिए सबसे लोकप्रिय पौधा बन चुका था, लेकिन इसके रंगों की संख्या एक ही थी- गुलाबी। १९९८ में इसके दो नए रंग ग्रेप कूलर (बैंगनी आभा वाला गुलाबी जिसके बीच की आँख गहरी गुलाबी थी) और पिपरमिंट कूलर (सफेद पंखुरियाँ, लाल आँख) विकसित किए गए।
विकसित प्रजातियाँ
१९९१ में रॉन पार्कर की कुछ नई प्रजातियाँ बाज़ार में आईं। इनमें से 'प्रिटी इन व्हाइट' और 'पैरासॉल' को आल अमेरिका सेलेक्शन पुरस्कार मिला। इन्हें पैन अमेरिका सीड कंपनी द्वारा उगाया और बेचा गया। इसी वर्ष कैलिफोर्निया में वॉलर जेनेटिक्स ने पार्कर ब्रीडिंग प्रोग्राम की ट्रॉपिकाना शृंखला को बाज़ार में उतारा। इन सदाबहार प्रजातियों के फूलों में नए रंग तो थे ही, आकार भी बड़ा था और पंखुरियाँ एक दूसरे पर चढ़ी हुई थीं। १९९३ में पार्कर जर्मप्लाज्म ने 'पैसिफ़का' नाम से कुछ नए रंग प्रस्तुत किए। जिसमें पहली बार सदाबहार को लाल रंग दिया गया। इसके बाद तो सदाबहार के रंगों की झड़ी लग गई और आज बाज़ार में लगभग हर रंग के सदाबहार पौधों की भरमार है। यह फूल सुंदर तो है ही आसानी से हर मौसम में उगता है, हर रंग में खिलता है और इसके गुणों का भी कोई जवाब नहीं, शायद यही सब देखकर नेशनल गार्डेन ब्यूरो ने सन २००२ को 'इयर आफ़ विंका' के लिए चुना। विंका या विंकारोज़ा, सदाबहार का अंग्रेज़ी नाम है।
***
सॉनेट
मित्र
*
चाहे मन नित मित्र साथ हो
भुज भर भेंटे, भूल कर गिले
लगे ह्रदय के फूल हैं खिले
हाथ हाथ में लिए हाथ हो
मन से मन, मन भर मिल पाए
बिन संकोच कर सके साझा
किस्सा कोई बासी-ताजा
सिलकर होंठ न चुप रह जाए
पाने-खोने की न फ़िक्र हो
प्यारी यारी खूब फख्र हो
इसका-उसका भी न ज़िक्र हो
बिन हिसाब लेना-देना हो
सलिल बाँट अँजुरी भर पी ले
मरुथल में नैया खेना हो
२१-१०-२०२२, १४.३०
***
Haiku
We are lucky
Being Indians
O Bharat Ma!
*
मुक्तिका
धरा पर हो धराशायी, लोग सब सोते रहो
बात मन की करे सत्ता, सुन सिसक रोते रहो
दूर दलहन, तेज तिलहन, अन्न भी मँहगा हुआ
जब तलक है साँस, बोझा साँस का ढोते रहो
गजोधर ने बिल चुकाया, बेच घर, मर भी गया
फसल काटे डॉक्टर, तुम उम्र भर बोते रहो
रस्म क्या; त्यौहार क्या, मँझधार में पतवार बिन
कहे शासन स्नान, खाते तुम भले गोते रहो
चेतना निर्जीव जन की, हो नहीं संजीव फिर
पालकी ढो एक दल की, लोक अब खोते रहो
२१-१०-२०२२, ९•४५
●●●
सॉनेट
मानस
*
रामचरित मानस शुभ सलिला
बेकल को अविकल कल देती
कलकल प्रवहित रेवा विमला
कल की कल, कल को कल देती
कल से कल को जोड़-सँवारे
उमा-उमेश-गणेश निहारे
सिय-सियपति-हनुमत जयकारे
मनु-दनु-संत जीव-जग तारे
कृष्णकांत सुर सुरेश सुनते
दास मुकुंद भाव भर भजते
आशुतोष-ज्ञानेश्वरी गुनते
जीव हुए संजीव सुमिरते
सरला मति हो मुकुल-मना नित
भव तर, सुन-गुन राम का चरित
२१-१०-२०२२,६•३८
●●●
भुजंगप्रयात छंद
यगण x ४ = यमाता x ४ = (१२२) x ४
बारह वार्णिक जगती जातीय भुजंगप्रयात छंद,
बीस मात्रिक महादैशिक जातीय छंद
बहर फऊलुं x ४
*
कभी भी, कहीं भी सुनाओ तराना
हमीं याद में हों, नहीं भूल जाना
लिखो गीत-मुक्तक, कहो नज्म चाहे
बहाने बनाना, हमीं को सुनाना
*
प्रथाएँ भुलाते चले जा रहे हैं
अदाएँ भुनाते छले जा रहे हैं
न भूलें भुनाना,न छोड़ें सताना
नहीं आ रहे हैं, नहीं जा रहे हैं
***
छंद सलिला :
माया छंद,
*
छंद विधान: मात्रिक छंद, दो पद, चार चरण, सम पदांत,
पहला-चौथा चरण : गुरु गुरु लघु-गुरु गुरु लघु-लघु गुरु लघु-गुरु गुरु,
दूसरा तीसरा चरण : लघु गुरु लघु-गुरु गुरु लघु-लघु गुरु लघु-गुरु गुरु।
उदाहरण:
१. आपा न खोयें कठिनाइयों में, न हार जाएँ रुसवाइयों में
रुला न देना तनहाइयों में, बोला अबोला तुमने कहो क्यों?
२. नादानियों का करना न चर्चा, जमा न खोना कर व्यर्थ खर्चा
सही नहीं जो मत आजमाओ, पाखंडियों की करना न अर्चा
३. मौका मिला तो न उसे गँवाओ, मिले न मौक़ा हँस भूल जाओ
गिरो न हारो उठ जूझ जाओ, चौंके ज़माना बढ़ लक्ष्य पाओ
८-१२-२०१८
हिन्दी के नये छंद- १६
गीतांजलि छंद
हिंदी के नए छंदों की श्रुंखला में अब तक आपने पढ़े- पाँच मात्रिक भवानी, राजीव, साधना, हिमालय, आचमन, ककहरा, तुहिनकण, अभियान, नर्मदा, सतपुडा छंद, षड्मात्रिक महावीर, वामांगी छंद । अब प्रस्तुत है षड्मात्रिक छंद गीतांजलि।
विधान-
१. प्रति पंक्ति ६ मात्रा।
२. प्रति पंक्ति मात्रा क्रम गुरु गुरु लघु लघु।
गीत
.
सोना मत
खोना मत
.
तोड़ो मत
फोड़ो मत।
ज्यादा कुछ
जोड़ो मत।
बोया यदि
काटो तुम।
माँगा यदि
बाँटो तुम।
नाहक दुःख
बोना मत।
सोना मत
खोना मत
.
भोगो मत
सारा सुख।
भूलो मत
भोगा दुःख।
चाहे जब
लेना मत।
चाहे बिन
देना मत।
होनी बिन
होना मत।
सोना मत
खोना मत
.
तू हो मत
आतंकित।
पाकी अरि
हो शंकित।
हो काबिल
ना वंचित।
नाकाबिल
क्यों वन्दित?
काँटे तुम
बोना मत।
सोना मत
खोना मत
.
***
हिन्दी के नये छंद- १५
वामांगी छंद
हिंदी के नए छंदों की श्रुंखला में अब तक आपने पढ़े- पाँच मात्रिक भवानी, राजीव, साधना, हिमालय, आचमन, ककहरा, तुहिनकण, अभियान, नर्मदा, सतपुडा छंद, शाद मात्रिक महावीर छंद । अब प्रस्तुत है षड्मात्रिक छंद वामांगी।
विधान-
१. प्रति पंक्ति ६ मात्रा।
२. प्रति पंक्ति मात्रा क्रम गुरु गुरु गुरु।
मुक्तिका
.
जो आता
है जाता
.
नेता जी
आए हैं।
वादे भी
लाए हैं।
ख़्वाबों को
बेचेंगे।
कौओं सा
गाएँगे।
वोटों का
है नाता
जो आता
है जाता
.
वादे हैं
सच्चे क्या?
क्यों पूछा?
बच्चे क्या?
झूठे ही
होता है।
लज्जा भी
खोता हैं।
धोखा दे
गर्वाता
जो आता
है जाता
.
पाएगा
खोएगा।
झूठा ही
रोएगा।
कुर्सी पा
गर्राता।
सत्ता खो
खो जाता।
पार्टी को
धो जाता।
जो आता
है जाता
२१-१०-२०१७
***
नवगीत:
(मुखड़ा दोहा, अन्तरा सोरठा)
.
दर्पण का दिल देखता कहिए, जग में कौन?
.
आप न कहता हाल भले रहे दिल सिसकता
करता नहीं खयाल नयन कौन सा फड़कता?
सबकी नज़र उतारतालेकर राई-नौन
.
पूछे नहीं सवाल नहीं किसी से हिचकता
कभी न देता टाल और न किंचित ललकता
रूप-अरूप निहारता लेकिन रहता मौन
.
रहता है निष्पक्ष विश्व हँसे या सिसकता
सब इसके समकक्ष जड़ चलता या फिसलता
माने सबको एक सा हो आधा या पौन …
*
अभिनव प्रयोग
सोरठा-दोहा गीत
*
इतना ही इतिहास,
मनुज, असुर-सुर का रहा
हर्ष शोक संत्रास,
मार-पीट, जय-पराजय
*
अक्षर चुप रह देखते, क्षर करते अभिमान
एक दूसरे को सता, कहते हम मतिमान
सकल सृष्टि का कर रहा, पल-पल अनुसन्धान
किन्तु नहीं खुद को 'सलिल', किंचित पाया जान
अपनापन अनुप्रास,
श्लेष स्नेह हरदम रहा
यमक अधर धर हास,
सत्य सदा कहता अभय
*
शब्द मुखर हो बोलते, शिव का करिए गान
सुंदर वह जो सनातन, नश्वर तन-मन मान
सत चित में जब बस रहे, भाषा हो रस-खान
पा-देते आनंद तब, छंद न कर अभिमान
जीवन में परिहास,
हो भोजन में नमक सा
जब हो छल-उपहास
साध्य, तभी होती प्रलय
*
मुखड़ा संकेतित करे, रोकें नहीं उड़ान
हठ मत ठानें नापना, क्षण में सकल वितान
अंतर से अंतर मिटा, रच अंतरा सुजान
गति-यति, लय मत भंग कर, तभी सधेगी तान
कुछ कर ले सायास,
अनायास कुछ हो रहा
देखे मौन सहास
अंश पूर्ण में हो विलय
***
सोरठा - दोहा गीत
संबंधों की नाव
*
संबंधों की नाव,
पानी - पानी हो रही।
अनचाहा अलगाव,
नदी-नाव-पतवार में।।
*
स्नेह-सरोवर सूखते,
बाकी गन्दी कीच।
राजहंस परित्यक्त हैं,
पूजते कौए नीच।।
नहीं झील का चाव,
सिसक रहे पोखर दुखी।
संबंधों की नाव,
पानी - पानी हो रही।।
*
कुएँ - बावली में नहीं,
शेष रहा विश्वास।
निर्झर आवारा हुआ,
भटके ले निश्वास।।
घाट घात कर मौन,
दादुर - पीड़ा अनकही।
संबंधों की नाव,
पानी - पानी हो रही।।
*
ताल - तलैया से जुदा,
देकर तीन तलाक।
जलप्लावन ने कर दिया,
चैनो - अमन हलाक।।
गिरि खोदे, वन काट
मानव ने आफत गही।
संबंधों की नाव,
पानी - पानी हो रही।।
***
आलेख :
शब्दों की सामर्थ्य -
पिछले कुछ दशकों से यथार्थवाद के नाम पर साहित्य में अपशब्दों के खुल्लम खुल्ला प्रयोग का चलन बढ़ा है. इसके पीछे दिये जाने वाले तर्क २ हैं: प्रथम तो यथार्थवाद अर्थात रचना के पात्र जो भाषा प्रयोग करते हैं उसका प्रयोग और दूसरा यह कि समाज में इतनी गंदगी आचरण में है कि उसके आगे इन शब्दों की बिसात कुछ नहीं. सरसरी तौर से सही दुखते इन दोनों तर्कों का खोखलापन चिन्तन करते ही सामने आ जाता है.
हम जानते हैं कि विवाह के पश्चात् नव दम्पति वे बेटी-दामाद हों या बेटा-बहू शयन कक्ष में क्या करनेवाले हैं? यह यथार्थ है पर क्या इस यथार्थ का मंचन हम मंडप में देखना चाहेंगे? कदापि नहीं, इसलिए नहीं कि हम अनजान या असत्यप्रेमी पाखंडी हैं, अथवा नव दम्पति कोई अनैतिक कार्य करेने जा रहे होते हैं अपितु इसलिए कि यह मानवजनित शिष्ट, सभ्यता और संस्कारों का तकाजा है. नव दम्पति की एक मधुर चितवन ही उनके अनुराग को व्यक्त कर देती है. इसी तरह रचना के पत्रों की अशिक्षा, देहातीपन अथवा अपशब्दों के प्रयोग की आदत का संकेत बिना अपशब्दों का प्रयोग किए भी किया जा सकता है. रचनाकार की शब्द सामर्थ्य तभी ज्ञात होती है जब वह अनकहनी को बिना कहे ही सब कुछ कह जाता है, जिनमें यह सामर्थ्य नहीं होती वे रचनाकार अपशब्दों का प्रयोग करने के बाद भी वह प्रभाव नहीं छोड़ पाते जो अपेक्षित है.
दूसरा तर्क कि समाज में शब्दों से अधिक गन्दगी है, भी इनके प्रयोग का सही आधार नहीं है. साहित्य का सृजन करें के पीछे साहित्यकार का लक्ष्य क्या है? सबका हित समाहित करनेवाला सृजन ही साहित्य है. समाज में व्याप्त गन्दगी और अराजकता से क्या सबका हित, सार्वजानिक हित सम्पादित होता है? यदि होता तो उसे गन्दा नहीं माना जाता. यदि नहीं होता तो उसकी आंशिक आवृत्ति भी कैसे सही कही जा सकती है? गन्दगी का वर्णन करने पर उसे प्रोत्साहन मिलता है.
समाचार पात्र रोज भ्रष्टाचार के समाचार छापते हैं... पर वह घटता नहीं, बढ़ता जाता है. गन्दगी, वीभत्सता, अश्लीलता की जितनी अधिक चर्चा करेंगे उतने अधिक लोग उसकी ओर आकृष्ट होंगे. इन प्रवृत्तियों की नादेखी और अनसुनी करने से ये अपनी मौत मर जाती हैं. सतर्क करने के लिये संकेत मात्र पर्याप्त है.
तुलसी ने असुरों और सुरों के भोग-विलास का वर्णन किया है किन्तु उसमें अश्लीलता नहीं है. रहीम, कबीर, नानक, खुसरो अर्थात हर सामर्थ्यवान और समयजयी रचनाकार बिना कहे ही बहुत कुछ कह जाता हैं और पाठक, चिन्तक, समलोचालक उसके लिखे के अर्थ बूझते रह जाते हैं. समस्त टीका शास्त्र और समीक्षा शास्त्र रचनाकार की शब्द सामर्थ्य पर ही टिका है.
अपशब्दों के प्रयोग के पीछे सस्ती और तत्कालिल लोकप्रियता पाने या चर्चित होने की मानसिकता भी होती है. रचनाकार को समझना चाहिए कि साथी चर्चा किसी को साहित्य में अजर-अमर नहीं बनाती. आदि काल से कबीर, गारी और उर्दू में हज़ल कहने का प्रचलन रहा है किन्तु इन्हें लिखनेवाले कभी समादृत नहीं हुए. ऐसा साहित्य कभी सार्वजानिक प्रतिष्ठा नहीं पा सका. ऐसा साहित्य चोरी-चोरी भले ही लिखा और पढ़ा गया हो, चंद लोगों ने भले ही अपनी कुण्ठा अथवा कुत्सित मनोवृत्ति को संतुष्ट अनुभव किया हो किन्तु वे भी सार्वजनिक तौर पर इससे बचते ही रहे.
प्रश्न यह है कि साहित्य रच ही क्यों जाता है? साहित्य केवल मनुष्य ही क्यों रचता है?
केवल मनुष्य ही साहित्य रचता है चूंकि ध्वनियों को अंकित करने की विधा (लिपि) उसे ही ज्ञात है. यदि यही एकमात्र कारण होता तो शायद साहित्य की वह महत्ता न होती जो आज है. ध्वन्यांकन के अतिरिक्त साहित्य की महत्ता श्रेष्ठतम मानव मूल्यों को अभिव्यक्त करने, सुरक्षित रखने और संप्रेषित करने की शक्ति के कारण है. अशालीन साहित्य श्रेष्ठतम मूल्यों को नहीं निकृष्टतम मूल्यों को व्यक्त कर्ता है, इसलिए वह सदा त्याज्य माना गया और माना जाता रहेगा.
साहित्य सृजन का कार्य अक्षर और शब्द की आराधना करने की तरह है. माँ, मातृभूमि, गौ माता और धरती माता की तरह भाषा भी मनुष्य की माँ है. चित्रकार हुसैन ने सरस्वती और भारत माता की निर्वस्त्र चित्र बनाकर यथार्थ ही अंकित किया पर उसे समाज का तिरस्कार ही झेलना पड़ा. कोई भी अपनी माँ को निर्वस्त्र देखना नहीं चाहता, फिर भाषा जननी को अश्लीलता से आप्लावित करना समझ से परे है.
सारतः शब्द सामर्थ्य की कसौटी बिना कहे भी कह जाने की वह सामर्थ्य है जो अश्लील को भी श्लील बनाकर सार्वजनिक अभिव्यक्ति का साधन तो बनती है, अश्लीलता का वर्णन किए बिना ही उसके त्याज्य होने की प्रतीति भी करा देती है. इसी प्रकार यह सामर्थ्य श्रेष्ट की भी अनुभूति कराकर उसको आचरण में उतारने की प्रेरणा देती है. साहित्यकार को अभिव्यक्ति के लिये शब्द-सामर्थ्य की साधना कर स्वयं को सामर्थ्यवान बनाना चाहिए न कि स्थूल शब्दों का भोंडा प्रयोग कर साधना से बचने का प्रयास करना चाहिए.
***
बाल कविता:
कोयल-बुलबुल की बातचीत
*
कुहुक-कुहुक कोयल कहे: 'बोलो मीठे बोल'.
चहक-चहक बुलबुल कहे: 'बोल न, पहले तोल'..
यह बोली: 'प्रिय सत्य कह, कड़वी बात न बोल'.
वह बोली: 'जो बोलना उसमें मिसरी घोल'.
इसका मत: 'रख बात में कभी न अपनी झोल'.
उसका मत: 'निज गुणों का कभी न पीटो ढोल'..
इसके डैने कर रहे नभ में तैर किलोल.
वह फुदके टहनियों पर, कहे: 'कहाँ भू गोल?'..
यह पूछे: 'मानव न क्यों करता सच का मोल.
वह डांटे: 'कुछ काम कर, 'सलिल' न नाहक डोल'..
२१-१०-२०१०

*** 

मंगलवार, 1 अप्रैल 2025

अप्रैल १, रामकिंकर, यमक, श्लेष, सोरठा, भुजंगप्रयात, पूर्णिका, ईद

सलिल सृजन अप्रैल १
*
पूर्णिका 
ईद 
ईद की शुभकामनाएँ लीजिए 
सिंवइयाँ ईदी खिलाया कीजिए।। 
हम सभी इस देश की संतान हैं 
स्नेह-सलिला में नहाया कीजिए।। 
देह दाता दे कहे कर काम कुछ 
काम पड़ने पर बुलाया कीजिए।। 
दिल न दिलवर का लिया तो क्या किया? 
दिल में दिलवर के समाया कीजिए।। 
लखनवी सरजमीं आती याद है 
लखनऊ जब-तब बुलाया कीजिए।। 
जहाँआरा हो जहाँ जन्नत वहीं 
फरिश्तों से झट किनारा कीजिए।। 
आदमी के काम आए आदमी 
वक्त पर यारब पुकारा कीजिए।। 
१.४.२०२५ 
...

श्री दुर्गा शप्तसती कीलक स्तोत्र
*
ॐ मंत्र कीलक शिव ऋषि ने, छंद अनुष्टुप में रच गाया।
प्रमुदित देव महाशारद ने, श्री जगदंबा हेतु रचाया।।
सप्तशती के पाठ-जाप सँग, हो विनियोग मिले फल उत्तम।
ॐ चण्डिका देवी नमन शत, मारकण्डे' ऋषि ने गुंजाया।।
*
देह विशुद्ध ज्ञान है जिनकी, तीनों वेद नेत्र हैं जिनके।
उन शिव जी का शत-शत वंदन, मुकुट शीश पर अर्ध चन्द्र है।१।
*
मन्त्र-सिद्धि में बाधा कीलक, अभिकीलन कर करें निवारण।
कुशल-क्षेम हित सप्तशती को, जान करें नित जप-पारायण।२।
*
अन्य मंत्र-जाप से भी होता, उच्चाटन-कल्याण किंतु जो
देवी पूजन सप्तशती से, करते देवी उन्हें सिद्ध हो।३।
*
अन्य मंत्र स्तोत्रौषधि की, उन्हें नहीं कुछ आवश्यकता है।
बिना अन्य जप, मंत्र-यंत्र के, सब अभिचारक कर्म सिद्ध हों।४।
*
अन्य मंत्र भी फलदायी पर, भक्त-मनों में रहे न शंका।
सप्तशती ही नियत समय में, उत्तम फल दे बजता डंका।५।
*
महादेव ने सप्तशती को गुप्त किया, थे पुण्य अनश्वर।
अन्य मंत्र-जप-पुण्य मिटे पर, सप्तशती के फल थे अक्षर।६।
*
अन्य स्तोत्र का जपकर्ता भी, करे पाठ यदि सप्तशती का।
हो उसका कल्याण सर्वदा, किंचितमात्र न इसमें शंका।७।
*
कृष्ण-पक्ष की चौथ-अष्टमी, पूज भगवती कर सब अर्पण।
करें प्रार्थना ले प्रसाद अन्यथा विफल जप बिना समर्पण।८।
*
निष्कीलन, स्तोत्र पाठ कर उच्च स्वरों में सिद्धि मिले हर।
देव-गण, गंधर्व हो सके भक्त, न उसको हो कोंचित डर।९।
*
हो न सके अपमृत्यु कभी भी, जग में विचरण करे अभय हो।
अंत समय में देह त्यागकर, मुक्ति वरण करता ही है वो।१०।
*
कीलन-निष्कीलन जाने बिन, स्तोत्र-पाठ से हो अनिष्ट भी।
ग्यानी जन कीलन-निष्कीलन, जान पाठ करते विधिवत ही।११।
*
नारीगण सौभाग्य पा रहीं, जो वह देवी का प्रसाद है।
नित्य स्तोत्र का पाठ करे जो पाती रहे प्रसाद सर्वदा।१२।
*
पाठ मंद स्वर में करते जो, पाते फल-परिणाम स्वल्प ही।
पूर्ण सिद्धि-फल मिलता तब ही, सस्वर पाठ करें जब खुद ही।१३।
*
दें प्रसाद-सौभाग्य सम्पदा, सुख-सरोगी, मोक्ष जगदंबा।
अरि नाशें जो उनकी स्तुति, क्यों न करें नित पूजें अंबा।१४।
३१-३--२०१७
***
स्मरण युगतुलसी

युगतुलसी को नमन करो तो राम नमन हो जाता है।
युगतुलसी का भजन करो तो राम भजन हो जाता है।।

शिव जी भजते सदा राम को, राम भजें शिवशंकर को।
सत्-शिव-सुंदर राह चलो तो प्रभु-दर्शन हो जाता है।।

धनुष-बाण या चक्र सुदर्शन प्रभु को दोनों ही सोहें।
सरयू जी का जमुना जी से जन्म-जन्म का नाता है।।

हरि अनंत हरि कथा अनंता आदि-अंत है कहीं नहीं।
हनुमत पूजो, उर बैठे रघुवर पूजन हो जाता है।।
१.४.२०१८
•••
छंद सोरठा
अलंकार यमक
*
आ समान जयघोष, आसमान तक गुँजाया
आस मान संतोष, आ समा न कह कराया
अलंकार श्लेष
सूरज-नेता रोज, ऊँचाई पा तपाते
झुलस रहे हैं लोग, कर पूजा सर झुकाते
१.४.२०१९
***
रसानंद दे छंद नर्मदा २३: ०२-०४-२०१६
दोहा, सोरठा, रोला, आल्हा, सार, ताटंक, रूपमाला (मदन), चौपाई, हरिगीतिका, उल्लाला,गीतिका,घनाक्षरी, बरवै, त्रिभंगी, सरसी, तथा छप्पय छंदों से साक्षात के पश्चात् अब मिलिए भुजंगप्रयात छन्द से.
चार यगण आवृत्ति ही है छंद भुजंगप्रयात
*
'चतुर्भियकारे भुजंगप्रयाति' अर्थात भुजंगप्रयात छंद की हर पंक्ति यगण की चार आवृत्तियों से बनती है।
यमाता X ४ या ४ (लघु गुरु गुरु) अथवा निहारा निहारा निहारा निहारा के समभारीय पंक्तियों से भुजंगप्रयात छंद का पद बनता है।
मापनी- १२२ १२२ १२२ १२२
उदाहरण-
०१. कहूं किन्नरी किन्नरी लै बजावैं ।
सुरी आसुरी बाँसुरी गीत गावैं।।
कहूँ जक्षिनी पक्षिनी लै पढ़ावैं।
नगी कन्यका पन्नगी को नचावैं।।
०२. न आँसू, न आहें, न कोई गिला है।
वही जी रहा हूँ, मुझे जो मिला है।।
कुआँ खोद मैं रोज पानी निकालूँ
जला आग चूल्हे, दिला से उबालूँ ।।
मुक्तक -
०३. कहो आज काहे पुकारा मुझे है?
छिपी हो कहाँ, क्यों गुहारा मुझे है?
पड़ा था अकेला, सहारा दिया क्यों -
न बोला-बताया, निहारा मुझे है।
मुक्तिका-
०४. न छूटा तुम्हारा बहाना बनाना
न छूटा हमारा तुम्हें यूँ बुलाना
न भूली तुम्हारी निगाहें, न आहें
न भूला फसाना, न भूला तराना
नहीं रोक पाया, नहीं टोंक पाया
न भा ही सका हूँ, नहीं याद जाना
न देखो हमें तो न फेरो निगाहें
न आ ही सको तो नहीं याद आना
न 'संजीव' की हो, नहीं हो परायी
न वादा भुलाना, न वादा निभाना
महाभुजंगप्रयात सवैया- ८ यगण प्रति पंक्ति
०५. तुम्हें देखिबे की महाचाह बाढ़ी मिलापै विचारे सराहै स्मरै जू
रहे बैठि न्यारी घटा देखि कारी बिहारी बिहारी बिहारी ररै जू -भिखारीदास
०६. जपो राम-सीता, भजो श्याम-राधा, करो आरती भी, सुने भारती भी
रचो झूम दोहा, सवैया विमोहा, कहो कुंडली भी, सुने मंडली भी
न जोड़ो न तोड़ो, न मोड़ो न छोड़ो, न फाड़ो न फोड़ो, न मूँछें मरोड़ो
बना ना बहाना, रचा जो सुनाना, गले से लगाना, सगा भी बताना
वागाक्षरी सवैया- उक्त महाभुजङ्गप्रयात की हर पंक्ति में से अंत का एक गुरु कम कर,
०७. सदा सत्य बोलौ, हिये गाँठ खोलौ, यही मानवी गात को
करौ भक्ति साँची, महा प्रेमराची, बिसारो न त्रैलोक्य के तात को - भानु
०८. न आतंक जीते, न पाखण्ड जीते, जयी भारती माँ, हमेशा रहें
न रूठें न खीझें, न छोड़ें न भागें, कहानी सदा सत्य ही जो कहें
न भूलें-भुलायें, न भागें-भगायें, न लूटें-लुटायें, नदी सा बहें
न रोना न सोना, न जादू न टोना, न जोड़ा गँवायें,न त्यागा गहें
उर्दू रुक्न 'फ़ऊलुन' के चार बार दोहराव से भुजंगप्रयात छन्द बन सकता है यदि 'लुन' को 'लुं' की तरह प्रयोग किया जाए तथा 'ऊ' को दो लघु न किया जाए।
०९. शिकारी न जाने निशाना लगाना
न छोड़े मियाँ वो बहाने बनाना
कहे जो न थोड़ा, करे जो न थोड़ा
न कोई भरोसा, न कोई ठिकाना
१-४-२०१६
***
दो दोहे
बौरा-गौरा को नमन, करता बौरा आम.
खास बन सके, आम हर, हे हरि-उमा प्रणाम..
देख रहा चलभाष पर, कल की झलकी आज.
नन्हा पग सपने बड़े, कल हो इसका राज..
***
गीत
मीत
*
मीत तुम्हारी राह हेरता...
*
सुधियों के उपवन में तुमने
वासंती शत सुमन खिलाये.
विकल अकेले प्राण देखकर-
भ्रमर बने तुम, गीत सुनाये.
चाह जगा कर आह हुए गुम
मूँदे नयन दरश करते हम-
आँख खुली तो तुम्हें न पाकर
मन बौराये, तन भरमाये..
मुखर रहूँ या मौन रहूँ पर
मन ही मन में तुम्हें टेरता.
मीत तुम्हारी राह हेरता...
*
मन्दिर मस्जिद गिरिजाघर में
तुम्हें खोजकर हार गया हूँ.
बाहर खोजा, भीतर पाया-
खुद को तुम पर वार गया हूँ..
नेह नर्मदा के निनाद सा
अनहद नाद सुनाते हो तुम-
ओ रस-रसिया!, ओ मन बसिया!
पार न पाकर पार गया हूँ.
ताना-बाना बुने बुने कबीरा
किन्तु न घिरता, नहीं घेरता.
मीत तुम्हारी राह हेरता...
१-४-२०१०
***

शनिवार, 7 दिसंबर 2024

दिसंबर ७, भुजंगप्रयात, शुभगति, गंग, छवि, दोहा, रोला, सोरठा, छंद, लघुकथा, कुण्डलिया, कचनार,बसंत

सलिल सृजन ७ दिसंबर
० 
दोहा बसंत में 
रश्मि रूप पर मुग्ध हो, दिनकर नभ का भूप।
प्रणय याचना कर रहा, भू पर उतर अनूप।।
कनकाभित हरितिमा लख, नीलाभित नभ मौन।
रतिपति सी गति हो नहीं, सच समझाए कौन?
पर्ण-पर्ण पर छा रहा, नूतन प्रणय निखार।
कली-कली पर भ्रमर दल, है निसार दिल हार।।
वनश्री नव वधु सी सजी, करने पीले हाथ।
माँ वसुधा बेचैन है, उठा झुकाए माथ।।
कुड़माई करने चला, सूर्य धरा के संग।
रश्मि बलैया ले हँसी, बिखरे स्नेहिल रंग
७.१२.२०२४
०००
मौसम 
*
मौसम कहे न कोई मो सम।
रंग बदलता गिरगिट जैसे। 
पल में तोला, पल में माशा, 
कभी नरम है, कभी गरम है। 
इस पल करता पक्का वादा 
उस पल कह देता है जुमला। 
करता दगा चीन के जैसे, 
कभी पाक की माफिक हमला।
देश बांग्ला भटका-अटका  
खुद ने खुद को खुद ही पटका।
करे सियासत मौन-मुखर हो 
पक्ष-विपक्ष सरीखे उलझे। 
धरती हैरां, थका आसमां 
श्वान-पूँछ टेढ़ा का टेढ़ा। 
साथ न छोड़े जन्म सात तक 
अलस्सुबह से देर रात तक।   
कभी हँसाए; करे आँख नम
मौसम कहे न कोई मो सम। 
०००  
कचनार गाथा
सुंदर सुमन सुमन मन मोहे,
झूम रहा गाता मल्हार।
माह बारहों हैं बसंत सम,
शांत अशोक मौन कचनार।।
मीनाकारी कली लली की,
भर अंजलि में सरला देख।
प्रमुदित रेखा पर्ण पर्ण पर,
पवन पढ़े किस्मत का लेख।।
अनिल अनल भू सलिल गगन का,
मीत हमेशा कर संतोष।
हृदय बसाए सरला-शन्नो,
राजकुमार अस्मिता कोष।।
मदन मुग्ध सुंदर फूलों पर,
वसुधा तनुजा कर सिंगार।
कहें अर्जिता कीर्ति बढ़े नित,
पाओ-बाँटो प्यार अपार।।
७.१२.२०१९
०००
दोहा-दोहा चिकित्सा
*
खाँसी कफ टॉन्सिल अगर, करती हो हैरान।
कच्ची हल्दी चूसिए, सस्ता, सरल निदान।।
*
खाँस-खाँस मुँह हो रहा, अगर आपका लाल।
पान शहद अदरक मिला, चूसें करे कमाल।।
*
करिए गर्म अनार रस, पिएँ न खाँसें मीत।
चूसें काली मिर्च तो, खाँसी हो भय-भीत।।
*
दमा ब्रोन्कियल अस्थमा, करे अगर बेचैन।
सुबह पिएँ गो मूत्र नित, ताजा पाएँ चैन।।
*
पिसी दालचीनी मिला, शहद पीजिए मीत।
पानी गरम सहित घटे, दमा न रहिए भीत।।
*
ग्रस्त तपेदिक से अगर, पिएँ आप छह माह।
नित ताजा गोमूत्र तो, मिले स्वास्थ्य की राह।।
*
वात-पित्त-कफ दोष का, नीबू करता अंत।
शक्ति बढ़ाता बदन की, सेवन करिए कंत।।
*
ए बी सी त्रय विटामिन, लौह वसा कार्बोज।
फॉस्फोरस पोटेशियम, सेवन देता ओज।।
*
मैग्निशियम प्रोटीन सँग, सोडियम तांबा प्राप्य।
साथ मिले क्लोरीन भी, दे यौवन दुष्प्राप्य।।
*
नेत्र ज्योति की वृद्धि कर, करे अस्थि मजबूत।
कब्ज मिटा, खाया-पचा, दे सुख-ख़ुशी अकूत।।
*
जल-नीबू-रस नमक लें, सुबह-शाम यदि छान।
राहत दे गर्मियों में, फूँक जान में जान।।
*
नींबू-बीज न खाइए, करे बहुत नुकसान।
भोजन में मत निचोड़ें, बाद करें रस-पान।।
*
कब्ज अपच उल्टियों से, लेता शीघ्र उबार।
नीबू-सेंधा नमक सँग, अदरक है उपचार।।
*
नींबू अजवाइन शहद, चूना-जल लें साथ।
वमन-दस्त में लाभ हो, हँसें उठकर माथ।।
*
जी मिचलाए जब कभी, तनिक न हों बेहाल।
नीबू रस-पानी-शहद, आप पिएँ तत्काल।।
*
नींबू-रस सेंधा नमक, गंधक सोंठ समान।
मिली गोलियाँ चूसिए, सुबह-शाम गुणवान।
*
नींबू रस-पानी गरम, अम्ल पित्त कर दूर।
हरता उदर विकार हर, नियमित पिएँ हुज़ूर।।
*
आधा सीसी दर्द से, परेशान-बेचैन।
नींबू रस जा नाक में, देता पल में चैन।।
*
चार माह के गर्भ पर, करें शिकंजी पान।
दिल-धड़कन नियमित रहे, प्रसव बने आसान।।
*
कृष्णा तुलसी पात ले, पाँच- चबाएँ खूब।
नींबू-रस पी भगा दें, फ्लू को सुख में डूब।।
*
पिएँ शिकंजी, घाव पर, मलिए नींबू रीत।
लाभ एक्जिमा में मिले, चर्म नर्म हो मीत।।
*
कान दर्द हो कान में, नींबू-अदरक अर्क।
डाल साफ़ करिए मिले, शीघ्र आपको फर्क।।
*
नींबू-छिलका सुखाकर, पीस फर्श पर डाल।
दूर भगा दें तिलचटे, गंध करे खुशहाल।।
*
नीबू-छिलके जलाकर, गंधक दें यदि डाल।
खटमल सेना नष्ट हो, खुद ही खुद तत्काल।।
*
पीत संखिया लौंग संग, बड़ी इलायची कूट।
नींबू-रस मलहम लगा, करें कुष्ठ को हूट।।
*
नींबू-रस हल्दी मिला, उबटन मल कर स्नान।
नर्म मखमली त्वचा पा, करे रूपसी मान।।
*
मिला नारियल-तेल में, नींबू-रस नित आध।
मलें धूप में बदन पर, मिटे खाज की व्याध।।
*
खूनी दस्त अगर लगे, घोलें दूध-अफीम।
नींबू-रस सँग मिला पी, सोयें बिना हकीम।।
*
बवासीर खूनी दुखद, करें दुग्ध का पान।
नींबू-रस सँग-सँग पिएँ, बूँद-बूँद मतिमान।।
*
नींबू-रस जल मिला-पी, करें नित्य व्यायाम।
क्रमश: गठिया दूर हो, पाएँगे आराम।।
*
गला बैठ जाए- करें, पानी हल्का गर्म।
नींबू-अर्क नमक मिला, कुल्ला करना धर्म।।
*
लहसुन-नींबू रस मिला, सिर पर मल कर स्नान।
मुक्त जुओं से हो सकें, महिलायें अम्लान।।
*
नींबू-एरंड बीज सम, पीस चाटिए रात।
अधिक गर्भ संभावना, होती मानें बात।।
*
प्याज काट नीबू-नमक, डाल खाइए रोज।
गर्मी में हो ताजगी, बढ़े देह का ओज।।
*
काली मिर्च-नमक मिली, पियें शिकंजी आप।
मिट जाएँगी घमौरियाँ, लगे न गर्मी शाप।।
*
चेहरे पर नींबू मलें, फिर धो रखिए शांति।
दाग मिटें आभा बढ़े, अम्ल-विमल हो कांति।।
*
नमक आजवाइन मिला, नीबू रस के संग।
आधा कप पानी पिएँ, करती वायु न तंग।।
*
अदरक अजवाइन नमक, नीबू रस में डाल।
हो जाए जब लाल तब, खाकर हों खुशहाल।।
घटे पीलिया नित्य लें, गहरी-गहरी श्वास।
सुबह-शाम उद्यान में, अधरों पर रख हास।।
*
लहसुन अजवाइन मिला, लें सरसों का तेल।
गरम करें छानें मलें, जोड़-दर्द मत झेल।।
कान-दर्द खुजली करे, खाएँ कढ़ी न भात।
खारिश दाद न रह सके, मिले रोग को मात।।
*
डालें बकरी-दूध में, मिसरी तिल का चूर्ण।
रोग रक्त अतिसार हो, नष्ट शीघ्र ही पूर्ण।।
७.१२.२०१८
***
छंद सप्तक १.
*
शुभगति
कुछ तो कहो
चुप मत रहो
करवट बदल-
दुःख मत सहो
*
छवि
बन मनु महान
कर नित्य दान
तू हो न हीन-
निज यश बखान
*
गंग
मत भूल जाना
वादा निभाना
सीकर बहाना
गंगा नहाना
*
दोहा:
उषा गाल पर मल रहा, सूर्य विहँस सिंदूर।
कहे न तुझसे अधिक है, सुंदर कोई हूर।।
*
सोरठा
सलिल-धार में खूब,नृत्य करें रवि-रश्मियाँ।
जा प्राची में डूब, रवि ईर्ष्या से जल मरा।।
*
रोला
संसद में कानून, बना तोड़े खुद नेता।
पालन करे न आप, सीख औरों को देता।।
पाँच साल के बाद, माँगने मत जब आया।
आश्वासन दे दिया, न मत दे उसे छकाया।।
*
कुण्डलिया
बरसाने में श्याम ने, खूब जमाया रंग।
मैया चुप मुस्का रही, गोप-गोपियाँ तंग।।
गोप-गोपियाँ तंग, नहीं नटखट जब आता।
माखन-मिसरी नहीं, किसी को किंचित भाता।।
राधा पूछे "मजा, मिले क्या तरसाने में?"
उत्तर "तूने मजा, लिया था बरसाने में??"
*
एक दोहा
शिव नरेश देवेश भी, हैं उमेश दनुजेश.
सत-सुन्दर पर्याय हो, घर-घर पुजे हमेश.
***
कार्यशाला
यगण x ४ = यमाता x ४ = (१२२) x ४
बारह वार्णिक जगती जातीय भुजंगप्रयात छंद,
बीस मात्रिक महादैशिक जातीय छंद
बहर फऊलुं x ४
*
हमारा न होता, तुम्हारा न होता
नहीं बोझ होता, सहारा न होता
नहीं झूठ बोता, नहीं सत्य खोता-
कभी आदमी बेसहारा न होता
*
करों याद, भूलो न बातें हमारी
नहीं प्यार के दिन न रातें हमारी
कहीं भी रहो, याद आये हमेशा
मुलाकात पहली, बरातें हमारी
*
सदा ही उड़ेगी पताका हमारी
सदा भी सुनेगा जमाना हमारी
कभी भी न छोड़ा, कभी भी न छोड़ें
अदाएँ तुम्हारी, वफायें हमारी
*
कभी भी, कहीं भी सुनाओ तराना
हमीं याद में हों, नहीं भूल जाना
लिखो गीत-मुक्तक, कहो नज्म चाहे
बहाने बनाना, हमीं को सुनाना
*
प्रथाएँ भुलाते चले जा रहे हैं
अदाएँ भुनाते छले जा रहे हैं
न भूलें भुनाना,न छोड़ें सताना
नहीं आ रहे हैं, नहीं जा रहे हैं
७.१२.२०१६
***
लघुकथा -
द़ेर है
*
एक प्रकाशक महोदय को उनके द्वारा प्रकाशित पुस्तक विश्वविद्यालय में स्वीकृत होने पर बधाई दी तो उनहोंने बुझे मन से आभार व्यक्त किया। कारण पूछने पर पता चला कि विभागाध्यक्ष ने पाठ्यक्रम में लगवाने का लालच देकर छपवा ली, आधी प्रतियाँ खुद रख लीं। शेष प्रतियाँ अगले सत्र में विद्यार्थियों को बेची जाना थीं किन्तु विभागाध्यक्ष जुगाड़ फिट कर किसी अकादमी के अध्यक्ष बन गये। नये विभाध्यक्ष ने अन्य प्रकाशक की किताब पाठ्यक्रम में लगा दी।
अनेक साहित्यकार मित्र प्रकाशक जी द्वारा शोषण के कई प्रसंग बता चुके थे। आज उल्टा होता देख सोचा रहा हूँ देर है अंधेर नहीं।
***
लघु कथाएँ -
मुट्ठी से रेत
*
आजकल बिटिया रोज शाम को सहेली के घर पढ़ाई करने का बहाना कर जाती है और सवेरे ही लौटती है। समय ठीक नहीं है, मना करती हूँ तो मानती नहीं। कल पड़ोसन को किसी लडके के साथ पार्क में घूमते दिखी थी।
यह तो होना ही है, जब मैंने आरम्भ में उसे रोक था तो तुम्हीं झगड़ने लगीं थीं कि मैं दकियानूस हूँ, अब लडकियों की आज़ादी का ज़माना है। अब क्या हुआ, आज़ाद करो और खुश रहो।
मुझे क्या मालूम था कि वह हाथ से बाहर निकल जाएगी, जल्दी कुछ करो।
दोनों बेटी के कमरे में गए तो मेज पर दिखी एक चिट्ठी जिसमें मनपसंद लडके के साथ घर छोड़ने की सूचना थी।
दोनों अवाक, मुठ्ठी से फिसल चुकी थी रेत।
***
समरसता
*
भृत्यों, सफाईकर्मियों और चौकीदारों द्वारा वेतन वृद्धि की माँग मंत्रिमंडल ने आर्थिक संसाधनों के अभाव में ठुकरा दी।
कुछ दिनों बाद जनप्रतिनिधियों ने प्रशासनिक अधिकारियों की कार्य कुशलता की प्रशंसा कर अपने वेतन भत्ते कई गुना अधिक बढ़ा लिये।
अगली बैठक में अभियंताओं और प्राध्यापकों पर हो रहे व्यय को अनावश्यक मानते हुए सेवा निवृत्ति से रिक्त पदों पर नियुक्तियाँ न कर दैनिक वेतन के आधार पर कार्य कराने का निर्णय सर्व सम्मति से लिया गया और स्थापित हो गयी समरसता।
७.१२.२०१५
***

सोमवार, 1 अप्रैल 2024

अप्रैल १, सोरठा, यमक, श्लेष, भुजंगप्रयात, रामकिंकर, मुक्तिका, महाभुजंगप्रयात सवैया, गीत

सलिल सृजन १ अप्रैल
*
स्मरण युगतुलसी
युगतुलसी को नमन करो तो राम नमन हो जाता है।
युगतुलसी का भजन करो तो राम भजन हो जाता है।।
शिव जी भजते सदा राम को, राम भजें शिवशंकर को।
सत्-शिव-सुंदर राह चलो तो प्रभु-दर्शन हो जाता है।।
धनुष-बाण या चक्र सुदर्शन प्रभु को दोनों ही सोहें।
सरयू जी का जमुना जी से जन्म-जन्म का नाता है।।
हरि अनंत हरि कथा अनंता आदि-अंत है कहीं नहीं।
हनुमत पूजो, उर बैठे रघुवर पूजन हो जाता है।।
१.४.२०२४ 
•••
अप्रैल कब? क्या??
०१. मूर्ख (एप्रिल फूल) दिवस 

०२. १७८३ अमेरिकी लेखक वाशिंगटन इरविंग (निधन १८५९) जन्म न्यूयॉर्क, १७९२ पहली अमरीकी टकसाल फिलाडेल्फिया, १८६३ वर्जीनिया ब्रेड दंगा, १८०५ परी कथा लेखक हंस क्रिश्चियन एंडरसन (निधन १८७५) का जन्म ओडेंस डेनमार्क, १८४० एमिल ज़ोला फ्रांसीसी लेखिका (निधन १९०२), १९८२ फाकलैंड द्वीप युद्ध अर्जेन्टीना-इंग्लैंड आरंभ

०३. १९४४ अफ्रीकी अमरीकियों को मताधिकार टेक्सास, १९४८ साम्यवाद को रोकने व यूरोपीय देशों की अर्थ व्यवस्था सुधारने हेतु मार्शल योजना अमरीकी राष्ट्रपति हैरी एस. ट्रूमैन द्वारा हस्ताक्षरित, १९९५ न्यायाधीश सैंड्रा डे ओ'कॉनर अमरीकी सुप्रीम कोर्ट की प्रथम अध्यक्ष      

०४. १८०२ अमेरिकी समाज सुधारक डोरोथिया डिक्स (निधन १८८७) जन्म हैम्पडेन, मेन, १८८७ अमेरिका में पहली महिला मेयर सुज़ाना एम. साल्टर अरगोनिया, कंसास, १९४९ उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो गठित), १९६८ डॉ. मार्टिन लूथर किंग (१९६४ नोबल पुरस्कार) मेम्फिस, टेनेसी में हत्या, 

०६. १४८३ पुनर्जागरण कलाकार राफेल (निधन १५२०) का जन्म उरबिनो इटली, १८९६ वर्ष बाद पहला ओलंपिक एथेंस ग्रीस, १९१७ अमेरिका  प्रथम विश्व युद्ध में शामिल, १९९४ रवांडा नरसंहार हुतु- तुत्सी जनजातीय संघर्ष आरंभ ५ लाख मारे, २० लाख देश छोड़ भागे  

०७. १७१२ काले गुलाम विद्रोह न्यूयार्क 

०८. ५६३ ई.पू. बुद्ध (निधन ४८३ ई.पू.) जयंती, १९१३ अमेरिका १७ वाँ संविधान संशोधन अमरीकी सेनेटरों राज्य विधान सभाओं के स्थान पर का चुनाव जनता द्वारा, 

०९. १८६५ अमरीकी गृह युद्ध समाप्त ५ लाख से अधिक मौतें  जनरल रॉबर्ट ई. ली ने एपोमैटॉक्स कोर्ट हाउस के गांव में विल्मर मैकलीन के घर में जनरल यूलिसिस एस. ग्रांट के सामने आत्मसमर्पण किया, १८६६ राष्ट्रपति एंड्रयू जॉनसन के वीटो के बावजूद नागरिक अधिकार विधेयक कांग्रेस द्वारा पारित श्वेतों को अमेरिकी नागरिकता के अधिकार, १८९८ अफ्रीकी अमेरिकी अभिनेता-गायक पॉल रॉबसन (निधन १९७६) जन्म प्रिंसटन न्यू जर्सी 

१०. १८४७ प्रकाशक जोसेफ पुलिट्ज़र जन्म १९४२ (निधन १९११) बुडापेस्ट हंगरी, द्वितीय विश्व युद्ध प्रशांत क्षेत्र बाटन डेथ मार्च ७६ हजार युद्धबंदी बेटन-कैबानाटुआन ६० किलोमीटर  ६ दिन बिना भोजन-पानी ५००० मरे, १९४५ नाजी एकाग्रता शिविर बुचेनवाल्ड अमरीकी सैनिक मुक्त। १९९८ उत्तरी आयरलैंड हिंसा निषेध समझौता 

११. १९६८ अमरीका नागरिक अधिकार अधिनियम राष्ट्रपति लिंडन बी. जानसन द्वारा हस्ताक्षरित, १९७० अपोलो १३ प्रक्षेपित केपकेनेडी, 

१२. १८६१ अमरीकी गृह युद्ध आरंभ, १९४५  अमरीकी राष्ट्रपति फ्रेंकलीन डी. रुजवेल्ट मृत्यु वॉर्म स्प्रिंग जॉर्जिया, १९६१ यूरी गगरीन प्रथम अंतरिक्ष यात्री वोस्टोक १ यान 

१३. १७४३ अमरीकी राष्ट्रपति थॉमस जेफर्सन जन्म (निधन ४.७.१८२६) अल्बर्टमारले वर्जीनिया, 

१४.  १८२८ अमेरिकन डिक्शनरी ऑफ द इंग्लिश लैंग्वेज  प्रकाशित, १८६५ अमरीकी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन की हत्या 

१५.  १८१७ प्रथम बधिर विद्यालय हार्डफोर्ड कनेक्टिकट थॉमस एच. गैलॉडेट और लॉरेंट क्लर्क द्वारा, १९१२ टाईटेनिक जलयान डूबा न्यूफाउंडलैंड 

१६.१८६२ कोलंबिया दासता समाप्त, १८६७ अमरीकी विमानक विलबर राइट जन्म (निधन मई १९१२, टाइफाइड) इंडियाना, १८८९ हास्य अभिनेता चार्ली चैपलिन जन्म लंदन (निधन १९७७), 

17 अप्रैल, 1961 - क्यूबा के प्रधान मंत्री फिदेल कास्त्रो को उखाड़ फेंकने का अमेरिका समर्थित प्रयास विनाशकारी रूप से विफल रहा, जिसे बे ऑफ पिग्स असफलता के रूप में जाना जाता है। लगभग 1,400 कास्त्रो-विरोधी निर्वासितों ने पिग्स की खाड़ी के साथ द्वीप के दक्षिणी तट पर आक्रमण किया, लेकिन 20,000 क्यूबाई सैनिकों ने उन पर कब्ज़ा कर लिया और उन्हें जेल में डाल दिया गया। अमेरिका द्वारा प्रशिक्षित और निर्देशित, निर्वासितों को अमेरिकी सैन्य विमानों से समर्थन और द्वीप पर कास्त्रो विरोधी विद्रोहियों से मदद की उम्मीद थी। इसके बजाय, दुर्घटनाओं की एक श्रृंखला के कारण, उन्होंने बिना किसी सहारे के अपना बचाव किया। असफल आक्रमण ने क्यूबा के राजनीतिक सहयोगी, सोवियत रूस और राष्ट्रपति जॉन एफ. कैनेडी के नवोदित प्रशासन के बीच शीत युद्ध के तनाव को बढ़ा दिया। अगले वर्ष, रूसियों ने खुलेआम क्यूबा में परमाणु मिसाइलें स्थापित कीं, जिसके परिणामस्वरूप क्यूबा मिसाइल संकट पैदा हुआ।

17 अप्रैल, 1989 - लगभग एक दशक के संघर्ष के बाद पोलिश श्रमिक संघ सॉलिडेरिटी को कानूनी दर्जा दिया गया, जिससे पोलिश कम्युनिस्ट पार्टी के पतन का मार्ग प्रशस्त हुआ। इसके बाद हुए चुनावों में, सॉलिडैरिटी उम्मीदवारों ने 100 संसदीय सीटों में से 99 सीटें जीतीं और अंततः लेक वालेसा के नेतृत्व वाली सॉलिडेरिटी सरकार को स्वीकार करने के लिए मजबूर होना पड़ा।

जन्मदिन - अमेरिकी फाइनेंसर जॉन पियरपोंट (जेपी) मॉर्गन (1837-1913) का जन्म हार्टफोर्ड, कनेक्टिकट में हुआ था। उन्होंने असाधारण प्रबंधन कौशल का प्रदर्शन किया, कई असफल कंपनियों को पुनर्गठित और समेकित करके उन्हें लाभदायक बनाया। उनकी व्यापक रुचियों में बैंकिंग, इस्पात, रेलमार्ग और कला संग्रह शामिल थे। 1895 में, उन्होंने खजाने को फिर से भरने के लिए साथी फाइनेंसरों के बीच एक निजी बांड बिक्री करके असफल अमेरिकी खजाने की सहायता की।

18 अप्रैल, 1775 - पॉल रेवरे और विलियम डावेस की आधी रात की सवारी तब हुई जब दो व्यक्ति लेक्सिंगटन और कॉनकॉर्ड में देशभक्तों को ब्रिटिशों के बारे में चेतावनी देने के लिए रात 10 बजे के आसपास बोस्टन से बाहर निकले।

18 अप्रैल, 1906 - सैन फ्रांसिस्को में सुबह 5:13 बजे भूकंप आया, जिसके बाद लकड़ी के पलटे हुए स्टोव और टूटे हुए गैस पाइपों से भीषण आग लग गई। आग तीन दिनों तक बेकाबू रही, जिसके परिणामस्वरूप 10,000 एकड़ से अधिक संपत्ति नष्ट हो गई और 4,000 लोगों की जान चली गई।

18 अप्रैल, 1942 - द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान मुख्य भूमि जापान पर पहला हवाई हमला तब हुआ जब जनरल जेम्स डूलिटल ने वाहक हॉर्नेट से टोक्यो और तीन अन्य शहरों पर बमबारी करने के लिए बी -25 बमवर्षकों के एक स्क्वाड्रन का नेतृत्व किया। क्षति न्यूनतम थी, लेकिन वर्षों की अनियंत्रित जापानी सैन्य प्रगति के बाद छापे ने मित्र देशों का मनोबल बढ़ा दिया।

18 अप्रैल, 1982 - इंग्लैंड की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने 1867 के ब्रिटिश उत्तरी अमेरिका अधिनियम की जगह कनाडा संविधान अधिनियम 1982 पर हस्ताक्षर किए, जिससे कनाडा को मौलिक कानूनों और नागरिक अधिकारों का एक नया सेट प्रदान किया गया।

जन्मदिन - अमेरिकी वकील क्लेरेंस डैरो (1857-1938) का जन्म किंसमैन, ओहियो में हुआ था। उन्होंने अलोकप्रिय मुद्दों का समर्थन किया और उन्हें स्कोप्स 'मंकी ट्रायल' के लिए जाना जाता है जिसमें उन्होंने एक शिक्षक का बचाव किया था जिसने विकासवाद का सिद्धांत पढ़ाया था।

19 अप्रैल, 1775 - मैसाचुसेट्स में भोर में, लगभग 70 सशस्त्र मिलिशिया ब्रिटिश अग्रिम गार्ड इकाई के साथ लेक्सिंगटन ग्रीन पर आमने-सामने खड़े थे। एक अव्यवस्थित 'दुनिया भर में सुनी गई गोली' ने अमेरिकी क्रांति की शुरुआत की । ब्रिटिश राइफल की गोलीबारी के बाद संगीनों से हमला किया गया, जिसमें आठ अमेरिकी मारे गए और दस घायल हो गए।

19 अप्रैल, 1943 - वारसॉ यहूदी बस्ती में यहूदियों ने नाजी एसएस सैनिकों के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह किया, जो उन्हें जबरन मौत के शिविरों में भेजने का प्रयास कर रहे थे।

19 अप्रैल, 1989 - प्यूर्टो रिको के पानी में तोप अभ्यास के दौरान यूएसएस आयोवा पर एक बंदूक बुर्ज में विस्फोट से सैंतालीस अमेरिकी नाविक मारे गए ।

19 अप्रैल, 1993 - वाको, टेक्सास में, शाखा डेविडियन धार्मिक पंथ का परिसर जलकर खाक हो गया, जिसमें 17 बच्चों सहित 82 लोग शामिल थे। 51 दिनों के गतिरोध के बाद संघीय एजेंटों द्वारा बख्तरबंद वाहनों के साथ परिसर में इमारतों पर हमला करने के बाद आग भड़क उठी।

19 अप्रैल, 1995 - सुबह 9:02 बजे, एक बड़े कार-बम विस्फोट ने ओक्लाहोमा सिटी में एक नौ मंजिला संघीय इमारत के पूरे हिस्से को नष्ट कर दिया, एक डे केयर सेंटर के अंदर 19 बच्चों सहित 168 लोगों की मौत हो गई। खाड़ी युद्ध के एक सम्मानित अनुभवी को बाद में हमले के लिए दोषी ठहराया गया था।

20 अप्रैल, 1914 - कोलोराडो के लुडलो में खनन कंपनी द्वारा भुगतान किए गए नेशनल गार्डमैन द्वारा खनिकों पर हमला किया गया। खनिक अपने यूनाइटेड माइन वर्कर्स यूनियन की मान्यता की मांग कर रहे थे। मशीन गन की आग से पांच पुरुषों और एक लड़के की मौत हो गई, जबकि खनिकों की टेंट कॉलोनी नष्ट हो जाने से 11 बच्चे और दो महिलाएं जलकर मर गईं।

20 अप्रैल, 1999 - अमेरिका के इतिहास में सबसे घातक स्कूल गोलीबारी लिटलटन, कोलोराडो में हुई, जब दोपहर के भोजन के समय बंदूकों और विस्फोटकों से लैस दो छात्रों ने कोलंबिन हाई स्कूल में धावा बोल दिया, फिर 12 सहपाठियों और एक शिक्षक की हत्या कर दी और हत्या से पहले 20 से अधिक अन्य लोगों को घायल कर दिया। खुद।

जन्मदिन - एडॉल्फ हिटलर (1889-1945) का जन्म ब्रौनौ एम इन, ऑस्ट्रिया में हुआ था। 1933 से 1945 तक नाजी जर्मनी के नेता के रूप में, उन्होंने यूरोप में विस्तार के लिए युद्ध छेड़ा, जिसमें सैन्य संघर्ष और नरसंहार के माध्यम से अनुमानित 50 मिलियन लोगों की मौत हुई, जिसमें नाजियों ने यूरोप की पूरी यहूदी आबादी को खत्म करने का प्रयास किया।

21 अप्रैल, 1836 - सैम ह्यूस्टन के नेतृत्व वाले टेक्सस और सांता अन्ना के नेतृत्व वाली मैक्सिकन सेना के बीच सैन जैसिंटो की लड़ाई वर्तमान ह्यूस्टन के पास हुई। टेक्सस ने निर्णायक रूप से मैक्सिकन सेनाओं को हराया जिससे स्वतंत्रता प्राप्त हुई।

21 अप्रैल, 1918 - प्रथम विश्व युद्ध के दौरान , सोम्मे की लड़ाई के दौरान रेड बैरन (मैनफ़्रेड वॉन रिचटोफ़ेन) की गोली मारकर हत्या कर दी गई। उन्हें लाल फोककर ट्राइप्लेन उड़ाकर दो साल से भी कम समय में 80 लोगों को मारने का श्रेय दिया गया। ब्रिटिश पायलटों ने उनका शव बरामद किया और उन्हें पूरे सैन्य सम्मान के साथ दफनाया।

22 अप्रैल, 1864 - कांग्रेस के एक अधिनियम द्वारा सभी नवनिर्मित अमेरिकी सिक्कों पर "इन गॉड वी ट्रस्ट" को शामिल किया गया।

22 अप्रैल, 1889 - ओक्लाहोमा भूमि पर भीड़ दोपहर में एक ही बंदूक की गोली के साथ शुरू हुई, जो हजारों बाशिंदों के उन्मादी हमले की शुरुआत का संकेत देती है। वे संघीय सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए लगभग दो मिलियन एकड़ के हिस्से पर दावा करना चाह रहे थे। भूमि मूल रूप से क्रीक और सेमिनोले भारतीय जनजातियों की थी।

जन्मदिन - व्लादिमीर लेनिन (1870-1924) का जन्म रूस के सिम्बीर्स्क में हुआ था। उन्होंने अक्टूबर 1917 की रूसी क्रांति का नेतृत्व किया जिसने ज़ार निकोलस को अपदस्थ कर दिया और एक कठोर कम्युनिस्ट शासन का मार्ग प्रशस्त किया। 1924 में उनकी मृत्यु के बाद, उनके शरीर को लेपित किया गया और मॉस्को के रेड स्क्वायर में प्रदर्शन के लिए रखा गया, जो एक तीर्थस्थल बन गया, जहां सोवियत संघ के वर्षों के दौरान लाखों लोग आते थे।

23 अप्रैल - नाज़ियों द्वारा मारे गए अनुमानित छह मिलियन यहूदियों की याद में इज़राइल के नेसेट द्वारा होलोकॉस्ट दिवस के रूप में स्थापित किया गया।

जन्मदिन - विलियम शेक्सपियर (1564-1616) का जन्म इंग्लैंड के स्ट्रैटफ़ोर्ड-ऑन-एवन में हुआ था। अंग्रेजी भाषा के सबसे प्रभावशाली लेखक के रूप में प्रसिद्ध, उन्होंने 36 नाटक और 154 सॉनेट बनाए, जिनमें रोमियो एंड जूलियट , हैमलेट और द मर्चेंट ऑफ वेनिस शामिल हैं।

जन्मदिन - 15वें अमेरिकी राष्ट्रपति जेम्स बुकानन (1791-1868) का जन्म कोव गैप, पेंसिल्वेनिया में हुआ था। वह 1857 से 1861 तक केवल एक कार्यकाल के लिए व्हाइट हाउस पर कब्जा करने वाले एकमात्र आजीवन कुंवारे थे

24 अप्रैल, 1800 - वाशिंगटन, डीसी में कांग्रेस लाइब्रेरी की स्थापना की गई, यह अमेरिका की सबसे पुरानी संघीय सांस्कृतिक संस्था और दुनिया की सबसे बड़ी लाइब्रेरी है। इसके संग्रह में 145 मिलियन वस्तुओं में 33 मिलियन से अधिक किताबें, 3 मिलियन रिकॉर्डिंग, 12.5 मिलियन तस्वीरें, 5.3 मिलियन मानचित्र, शीट संगीत के 6 मिलियन टुकड़े और 63 मिलियन पांडुलिपियां हैं। प्रत्येक दिन लगभग 10,000 नए आइटम जोड़े जाते हैं।

24 अप्रैल, 1915 - प्रथम विश्व युद्ध के दौरान एशिया माइनर में , कॉन्स्टेंटिनोपल से अर्मेनियाई नेताओं के निर्वासन और उसके बाद यंग तुर्कों द्वारा नरसंहार के साथ आधुनिक युग का पहला नरसंहार शुरू हुआ। मई में, सभी अर्मेनियाई लोगों का निर्वासन और तुर्कों द्वारा सामूहिक हत्या शुरू हुई, जिसके परिणामस्वरूप ओटोमन साम्राज्य और सभी ऐतिहासिक अर्मेनियाई मातृभूमि से अर्मेनियाई लोगों का पूर्ण सफाया हो गया। अनुमान है कि 800,000 से लेकर 2,000,000 से अधिक अर्मेनियाई लोगों की हत्या की गई।

25 अप्रैल, 1967 - कोलोराडो के गवर्नर जॉन लव द्वारा गर्भपात को वैध बनाने वाले पहले कानून पर हस्ताक्षर किए गए, जिसमें उन मामलों में गर्भपात की अनुमति दी गई, जिनमें तीन डॉक्टरों का एक पैनल सर्वसम्मति से सहमत था।

जन्मदिन - रेडियो आविष्कारक गुग्लिल्मो मार्कोनी (1874-1937) का जन्म इटली के बोलोग्ना में हुआ था। उन्होंने 1890 के दशक में वायरलेस टेलीग्राफी के उपयोग की शुरुआत की। 1921 तक, मार्कोनी का आविष्कार वायरलेस टेलीफोनी (वॉयस रेडियो) के रूप में विकसित हो गया था।

26 अप्रैल, 1937 - स्पेनिश गृहयुद्ध के दौरान, प्राचीन शहर ग्वेर्निका पर जर्मन युद्धक विमानों द्वारा हमला किया गया था। तीन घंटे की बमबारी में शहर को नष्ट करने के बाद, विमानों ने भाग रहे नागरिकों पर मशीनगन से गोलीबारी की।

26 अप्रैल, 1944 - सीआईओ यूनियन को मान्यता देने के राष्ट्रपति रूजवेल्ट के आदेश को मानने से इनकार करने के बाद संघीय सैनिकों ने मॉन्टगोमरी वार्ड के शिकागो कार्यालयों को जब्त कर लिया और इसके अध्यक्ष को हटा दिया। जब्ती तब समाप्त हुई जब यूनियनों ने कंपनी के श्रमिकों का प्रतिनिधित्व करने के लिए चुनाव जीता।

26 अप्रैल, 1986 - यूक्रेन में चेरनोबिल परमाणु ऊर्जा संयंत्र में, एक विस्फोट के कारण परमाणु ईंधन पिघल गया और वायुमंडल में एक रेडियोधर्मी बादल फैल गया, जिसने अंततः यूरोप के अधिकांश हिस्से को कवर कर लिया। संयंत्र के आसपास का 300 वर्ग मील का क्षेत्र खाली करा लिया गया। बताया गया कि इकतीस लोगों की मौत हो गई, जबकि विकिरण से कैंसर के एक हजार अतिरिक्त मामले सामने आने की आशंका थी। इसके बाद आगे विकिरण को फैलने से रोकने के लिए संयंत्र को एक ठोस कंक्रीट कब्र में बंद कर दिया गया।

26 अप्रैल, 1994 - दक्षिण अफ़्रीका के इतिहास में पहली बार बहुजातीय चुनाव हुए। लगभग 18 मिलियन अश्वेतों के मतदान के साथ, नेल्सन मंडेला राष्ट्रपति और एफडब्ल्यू डी क्लार्क उपाध्यक्ष चुने गए।

जन्मदिन - अमेरिकी कलाकार और प्रकृतिवादी जॉन जे. ऑडबोन (1785-1851) का जन्म हैती में हुआ था। उन्होंने उत्तरी अमेरिका के पक्षियों के सजीव चित्र बनाए।

जन्मदिन - लैंडस्केप वास्तुकार फ्रेडरिक लॉ ओल्मस्टेड (1822-1903) का जन्म हर्टफोर्स, कनेक्टिकट में हुआ था। उन्होंने अमेरिका के कुछ सबसे प्रसिद्ध पार्कों को डिजाइन करने में मदद की, जिनमें न्यूयॉर्क में सेंट्रल पार्क, बोस्टन में कनेक्टिंग पार्कों की एमराल्ड नेकलेस श्रृंखला और योसेमाइट नेशनल पार्क शामिल हैं।

जन्मदिन - नाजी रुडोल्फ हेस (1894-1987) का जन्म अलेक्जेंड्रिया, मिस्र में हुआ था। वह नाज़ी जर्मनी के डिप्टी फ्यूहरर और हिटलर के आंतरिक घेरे के सदस्य थे। 10 मई, 1941 को, उन्होंने एक आश्चर्यजनक एकल उड़ान भरी और ब्रिटिशों के साथ शांति वार्ता करने के इरादे से स्कॉटलैंड में पैराशूट से उतरे। हालाँकि, अंग्रेजों ने तुरंत उन्हें गिरफ्तार कर लिया और कुछ समय के लिए जेल में डाल दिया। युद्ध के बाद, उन्हें नूर्नबर्ग ले जाया गया और अन्य शीर्ष नाज़ियों के साथ उन पर मुकदमा चलाया गया। 1987 में कैद में उनकी मृत्यु हो गई, वह प्रमुख नूर्नबर्ग युद्ध अपराधियों में से अंतिम थे 

27 अप्रैल, 1865 - मिसिसिपी नदी पर, अमेरिकी इतिहास की सबसे भयानक स्टीमशिप दुर्घटना हुई, जब सुल्ताना में विस्फोट से लगभग 2,000 यात्रियों की मौत हो गई, जिनमें ज्यादातर यूनियन सैनिक थे जो युद्धबंदी थे और घर लौट रहे थे।

जन्मदिन - टेलीग्राफ के आविष्कारक सैमुअल एफबी मोर्स (1791-1872) का जन्म चार्ल्सटाउन, मैसाचुसेट्स में हुआ था। उन्होंने 1830 के दशक में एक विद्युत चुम्बकीय टेलीग्राफ का विचार विकसित किया और अपना पहला संदेश "भगवान ने क्या बनाया?" 1844 में वाशिंगटन, डीसी से बाल्टीमोर तक चलने वाली पहली टेलीग्राफ लाइन पर। मोर्स द्वारा कोई अन्य वित्तीय सहायता प्राप्त करने में विफल रहने के बाद पहली टेलीग्राफ लाइन के निर्माण को कांग्रेस ($30,000) द्वारा वित्त पोषित किया गया था। 1856 में वेस्टर्न यूनियन की स्थापना के बाद, अमेरिका में टेलीग्राफ लाइनें तेजी से एक तट से दूसरे तट तक फैल गईं।

जन्मदिन - गृहयुद्ध के जनरल और 18वें अमेरिकी राष्ट्रपति यूलिसिस एस. ग्रांट (1822-1885) का जन्म प्वाइंट प्लेजेंट, ओहियो में हुआ था। युद्ध के दौरान, उन्हें "बिना शर्त समर्पण" ग्रांट उपनाम मिला और उन्हें संघ सेनाओं की कमान सौंपी गई। उन्होंने घोटालों से ग्रस्त प्रशासन में 1869 से 1877 तक राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया। इसके बाद उन्होंने अपने संस्मरण लिखना शुरू किया और इसके पूरा होने के कुछ ही दिनों बाद 1885 में उनकी मृत्यु हो गई।

28 अप्रैल, 1789 - ब्रिटिश जहाज बाउंटी पर फ्लेचर क्रिश्चियन ने कैप्टन विलियम ब्लाइग के खिलाफ विद्रोह का नेतृत्व किया, जिससे उन्हें और 18 वफादार चालक दल के सदस्यों को 23 फुट खुली नाव में भटकना पड़ा। एक छोटे से द्वीप पर उतरने से पहले ब्लीग 3,600 मील से अधिक की 47-दिवसीय यात्रा में जीवित बच गया। क्रिश्चियन ने बाउंटी को वापस ताहिती के लिए रवाना किया, अंततः पिटकेर्न द्वीप पर बस गए और जहाज को जला दिया।

28 अप्रैल, 1945 - इटली में तेईस साल का फासीवादी शासन अचानक समाप्त हो गया क्योंकि इतालवी पक्षपातियों ने पूर्व तानाशाह बेनिटो मुसोलिनी को गोली मार दी। फ़ासिस्ट पार्टी के अन्य नेता और मुसोलिनी के मित्र भी उसकी मालकिन क्लारा पेटाची के साथ मारे गए। फिर उनके शवों को उल्टा लटका दिया गया और मिलान में उपहास करने वाली भीड़ द्वारा उन पर पथराव किया गया।

जन्मदिन - 5वें अमेरिकी राष्ट्रपति जेम्स मोनरो (1758-1831) का जन्म वर्जीनिया के वेस्टमोरलैंड काउंटी में हुआ था। उन्होंने 1817 से 1825 तक दो कार्यकाल तक सेवा की और उन्हें मोनरो सिद्धांत के लिए जाना जाता है, जिसमें घोषणा की गई थी कि अमेरिका किसी भी यूरोपीय राष्ट्र को उत्तर या दक्षिण अमेरिका में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने या सशस्त्र बल का उपयोग करने की अनुमति नहीं देगा।

29 अप्रैल, 1992 - इस घोषणा के बाद लॉस एंजिल्स में दंगे भड़क उठे कि कैलिफोर्निया के सिमी वैली में एक जूरी, एक अफ्रीकी अमेरिकी व्यक्ति की वीडियोटेप में पिटाई के आरोपी चार लॉस एंजिल्स पुलिस अधिकारियों को दोषी ठहराने में विफल रही थी।

जन्मदिन - अमेरिकी प्रकाशक विलियम रैंडोल्फ हर्स्ट (1863-1951) का जन्म सैन फ्रांसिस्को में हुआ था। एक सोने की खदान करने वाले के बेटे, 1887 में असफल सैन फ्रांसिस्को एग्जामिनर का नियंत्रण लेने के लिए उसने हार्वर्ड छोड़ दिया, जिसे उसके पिता ने खरीदा था। उन्होंने एग्जामिनर को बचाया , फिर न्यूयॉर्क गए और जोसेफ पुलित्जर से प्रतिस्पर्धा करने के लिए न्यूयॉर्क मॉर्निंग जर्नल खरीदा। हर्स्ट की "पीली" पत्रकारिता की सनसनीखेज शैली ने अभूतपूर्व संख्या में समाचार पत्र बेचे और इसमें 1897-98 में क्यूबा के साथ युद्ध को बढ़ावा देना भी शामिल था। उन्होंने अन्य शहरों और पत्रिका प्रकाशन, पुस्तकों और फिल्मों में विस्तार किया। उन्होंने कांग्रेस में भी काम किया और लगभग न्यूयॉर्क शहर के मेयर बन गये।

जन्मदिन - जापान के सम्राट हिरोहितो (1901-1989) का जन्म टोक्यो में हुआ था। 1926 में, वह सम्राटों की लंबी कतार में 124वें बन गए और फिर युद्धकालीन जापान की अध्यक्षता की, जिसका नेतृत्व सैन्यवादी प्रधान मंत्री हिदेकी तोजो ने किया था। अमेरिका द्वारा दो परमाणु बम गिराए जाने के बाद, उन्होंने एक रेडियो संबोधन में अपने लोगों से लड़ाई बंद करने का आग्रह किया। युद्ध के बाद, वह जापान की नई संसदीय सरकार में प्रतीकात्मक राज्य प्रमुख बने रहे। 1946 में, उन्होंने अपनी दिव्यता को त्याग दिया और फिर समुद्री जीव विज्ञान में अपनी रुचि को आगे बढ़ाया, और इस विषय में एक मान्यता प्राप्त प्राधिकारी बन गए।

30 अप्रैल, 1789 - जॉर्ज वॉशिंगटन पहले अमेरिकी राष्ट्रपति बने, जब उन्हें न्यूयॉर्क शहर में वॉल और ब्रॉड स्ट्रीट के कोने पर स्थित फेडरल हॉल की बालकनी में पद की शपथ दिलाई गई।

30 अप्रैल, 1948 - फ़िलिस्तीनी यहूदियों ने ब्रिटिश शासन से अपनी स्वतंत्रता की घोषणा की और इज़राइल के नए राज्य की स्थापना की। देश जल्द ही हज़ारों नाजी नरसंहार से बचे लोगों और एक मजबूत अमेरिकी सहयोगी के लिए एक गंतव्य बन गया।

30 अप्रैल, 1967 - अमेरिकी सेना में शामिल होने से इनकार करने के बाद बॉक्सर मुहम्मद अली से उनकी विश्व हैवीवेट बॉक्सिंग चैंपियनशिप छीन ली गई। उन्होंने धार्मिक छूट का दावा किया था.

छंद सोरठा
अलंकार यमक
*
आ समान जयघोष, आसमान तक गुँजाया
आस मान संतोष, आ समा न कह कराया
अलंकार श्लेष
सूरज-नेता रोज, ऊँचाई पा तपाते
झुलस रहे हैं लोग, कर पूजा सर झुकाते
१.४.२०१९
***
रसानंद दे छंद नर्मदा २३: ०२-०४-२०१६
दोहा, सोरठा, रोला, आल्हा, सार, ताटंक, रूपमाला (मदन), चौपाई, हरिगीतिका, उल्लाला,गीतिका,घनाक्षरी, बरवै, त्रिभंगी, सरसी, तथा छप्पय छंदों से साक्षात के पश्चात् अब मिलिए भुजंगप्रयात छन्द से.
चार यगण आवृत्ति ही है छंद भुजंगप्रयात
*
'चतुर्भिमकारे भुजंगप्रयाति' अर्थात भुजंगप्रयात छंद की हर पंक्ति यगण की चार आवृत्तियों से बनती है।
यमाता X ४ या ४ (लघु गुरु गुरु) अथवा निहारा निहारा निहारा निहारा के समभारीय पंक्तियों से भुजंगप्रयात छंद का पद बनता है।
मापनी- १२२ १२२ १२२ १२२
उदाहरण-
०१. कहूं किन्नरी किन्नरी लै बजावैं ।
सुरी आसुरी बाँसुरी गीत गावैं।।
कहूँ जक्षिनी पक्षिनी लै पढ़ावैं।
नगी कन्यका पन्नगी को नचावैं।।
०२. न आँसू, न आहें, न कोई गिला है।
वही जी रहा हूँ, मुझे जो मिला है।।
कुआँ खोद मैं रोज पानी निकालूँ
जला आग चूल्हे, दिला से उबालूँ ।।
मुक्तक -
०३. कहो आज काहे पुकारा मुझे है?
छिपी हो कहाँ, क्यों गुहारा मुझे है?
पड़ा था अकेला, सहारा दिया क्यों -
न बोला-बताया, निहारा मुझे है।
मुक्तिका-
०४. न छूटा तुम्हारा बहाना बनाना
न छूटा हमारा तुम्हें यूँ बुलाना
न भूली तुम्हारी निगाहें, न आहें
न भूला फसाना, न भूला तराना
नहीं रोक पाया, नहीं टोंक पाया
न भा ही सका हूँ, नहीं याद जाना
न देखो हमें तो न फेरो निगाहें
न आ ही सको तो नहीं याद आना
न 'संजीव' की हो, नहीं हो परायी
न वादा भुलाना, न वादा निभाना
महाभुजंगप्रयात सवैया- ८ यगण प्रति पंक्ति
०५. तुम्हें देखिबे की महाचाह बाढ़ी मिलापै विचारे सराहै स्मरै जू
रहे बैठि न्यारी घटा देखि कारी बिहारी बिहारी बिहारी ररै जू -भिखारीदास
०६. जपो राम-सीता, भजो श्याम-राधा, करो आरती भी, सुने भारती भी
रचो झूम दोहा, सवैया विमोहा, कहो कुंडली भी, सुने मंडली भी
न जोड़ो न तोड़ो, न मोड़ो न छोड़ो, न फाड़ो न फोड़ो, न मूँछें मरोड़ो
बना ना बहाना, रचा जो सुनाना, गले से लगाना, सगा भी बताना
वागाक्षरी सवैया- उक्त महाभुजङ्गप्रयात की हर पंक्ति में से अंत का एक गुरु कम कर,
०७. सदा सत्य बोलौ, हिये गाँठ खोलौ, यही मानवी गात को
करौ भक्ति साँची, महा प्रेमराची, बिसारो न त्रैलोक्य के तात को - भानु
०८. न आतंक जीते, न पाखण्ड जीते, जयी भारती माँ, हमेशा रहें
न रूठें न खीझें, न छोड़ें न भागें, कहानी सदा सत्य ही जो कहें
न भूलें-भुलायें, न भागें-भगायें, न लूटें-लुटायें, नदी सा बहें
न रोना न सोना, न जादू न टोना, न जोड़ा गँवायें,न त्यागा गहें
उर्दू रुक्न 'फ़ऊलुन' के चार बार दोहराव से भुजंगप्रयात छन्द बन सकता है यदि 'लुन' को 'लुं' की तरह प्रयोग किया जाए तथा 'ऊ' को दो लघु न किया जाए।
०९. शिकारी न जाने निशाना लगाना
न छोड़े मियाँ वो बहाने बनाना
कहे जो न थोड़ा, करे जो न थोड़ा
न कोई भरोसा, न कोई ठिकाना
१-४-२०१६
***
दो दोहे
बौरा-गौरा को नमन, करता बौरा आम.
खास बन सके, आम हर, हे हरि-उमा प्रणाम..
देख रहा चलभाष पर, कल की झलकी आज.
नन्हा पग सपने बड़े, कल हो इसका राज..
***
गीत
मीत  
*
मीत तुम्हारी राह हेरता...
*
सुधियों के उपवन में तुमने
वासंती शत सुमन खिलाये.
विकल अकेले प्राण देखकर-
भ्रमर बने तुम, गीत सुनाये.
चाह जगा कर आह हुए गुम
मूँदे नयन दरश करते हम-
आँख खुली तो तुम्हें न पाकर
मन बौराये, तन भरमाये..
मुखर रहूँ या मौन रहूँ पर
मन ही मन में तुम्हें टेरता.
मीत तुम्हारी राह हेरता...
*
मन्दिर मस्जिद गिरिजाघर में
तुम्हें खोजकर हार गया हूँ.
बाहर खोजा, भीतर पाया-
खुद को तुम पर वार गया हूँ..
नेह नर्मदा के निनाद सा
अनहद नाद सुनाते हो तुम-
ओ रस-रसिया!, ओ मन बसिया!
पार न पाकर पार गया हूँ.
ताना-बाना बुने बुने कबीरा
किन्तु न घिरता, नहीं घेरता.
मीत तुम्हारी राह हेरता...
१-४-२०१०
***