द्विपदी
गजल
*
ग़ज़ल कहती न तू आ भा, ग़ज़ल कहती है जी मुझको
बताऊँ मैं उसे कैसे, जिया है हमेशा तुझको
गजल
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ग़ज़ल कहती न तू आ भा, ग़ज़ल कहती है जी मुझको
बताऊँ मैं उसे कैसे, जिया है हमेशा तुझको
दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.