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बुधवार, 28 जून 2023

सोनेट, साँझ

सोनेट
साँझ
*
साँझ सपने सजा निहाल हुई,
देख छैला करे मधुर बतियाँ,
आँख रतनार हो सवाल हुई,
दूर रहना, न हम कुम्हड़बतियाँ।

काम दिन भर करे न रुकती है,
रात भर जाग बाँचती पुस्तक,
कोशिशें कर कभी न थकती है, 
भाग्य के द्वार दे रही दस्तक। 

आप अपनी कही कहानी है, 
मुश्किलों से तनिक नहीं डरती,
न, किसी की न निगहबानी है, 
तारती है, न आप ही तरती। 

बात सच्ची कहूँ कमाल हुई,
साँझ सबके लिए मिसाल हुई। 

(महासंस्कारी जातीय, चंद्र छंद) 
२८-६-२०२३ 
***

रविवार, 13 मई 2012

गीत: अनछुई ये साँझ --संजीव 'सलिल'

गीत:
अनछुई ये साँझ
संजीव 'सलिल'
*

                                                                                        


साँवरे की याद में है बाँवरी 
अनछुई ये साँझ...
*
दिन की चौपड़ पर सूरज ने,
जमकर खेले दाँव.
उषा द्रौपदी के ज़मीन पर,
टिक न सके फिर पाँव.

बाधा मरुथल, खे आशा की नाव री
प्रसव पीढ़ा बाँझ.
साँवरे की याद में है बाँवरी 
अनछुई ये साँझ...
*
अमराई का कतल किया,
खोजें खजूर की छाँव.
नगर हवेली हैं ठाकुर की,
मुजरा करते गाँव.

सांवरा सत्ता पे, तजकर साँवरी
बज रही दरबार में है झाँझ.
साँवरे की याद में है बाँवरी 
अनछुई ये साँझ...
*
Acharya Sanjiv verma 'Salil'

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