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सोमवार, 1 जून 2020

घनाक्षरी / मनहरण कवित्त

घनाक्षरी / मनहरण कवित्त
... झटपट करिए
संजीव 'सलिल'
*
लक्ष्य जो भी वरना हो, धाम जहाँ चलना हो,
काम जो भी करना हो, झटपट करिए.
तोड़ना नियम नहीं, छोड़ना शरम नहीं,
मोड़ना धरम नहीं, सच पर चलिए.
आम आदमी हैं आप, सोच मत चुप रहें,
खास बन आगे बढ़, देशभक्त बनिए-
गलत जो होता दिखे, उसका विरोध करें,
'सलिल' न आँख मूँद, चुपचाप सहिये.
*
छंद विधान: वर्णिक छंद, आठ चरण,
८-८-८-७ पर यति, चरणान्त लघु-गुरु.
*********

शनिवार, 30 मई 2020

घनाक्षरी / मनहरण कवित्त

घनाक्षरी / मनहरण कवित्त
... झटपट करिए
संजीव 'सलिल'
*
लक्ष्य जो भी वरना हो, धाम जहाँ चलना हो,
काम जो भी करना हो, झटपट करिए.
तोड़ना नियम नहीं, छोड़ना शरम नहीं,
मोड़ना धरम नहीं, सच पर चलिए.
आम आदमी हैं आप, सोच मत चुप रहें,
खास बन आगे बढ़, देशभक्त बनिए-
गलत जो होता दिखे, उसका विरोध करें,
'सलिल' न आँख मूँद, चुपचाप सहिये.
*
छंद विधान: वर्णिक छंद, आठ चरण,
८-८-८-७ पर यति, चरणान्त लघु-गुरु.
*********
३०-५-२०११

गुरुवार, 5 जुलाई 2012

मनहरण कवित्त: - अनिल कुमार वर्मा

मनहरण कवित्त भारतीय रीति लिये जन-गण प्रीति...

6:29pm Jul 5
मनहरण कवित्त
अनिल कुमार वर्मा

भारतीय रीति लिये जन-गण प्रीति लिये,

कुशल प्रतीति युक्त नीति की डगर हो.
कामना को पाँव मिलें भावना को ठाँव मिलें,
कल्पना के गाँव बसी साधना प्रवर हो.
जीवन की नाव बढ़े भव सिंधु में अबाध,
प्रबल प्रवाह हो या भीषण भँवर हो.
प्रार्थना यही है मातु वीणापाणि बारबार,
कालजयी गीत लिखूं कोकिल सा स्वर हो.